Last Updated on 1 Oct 2024 IST: आपको बता दें कि इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर (Surya Grahan in Hindi 2024) को लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस ग्रहण के दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। 02 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस कारण इसका प्रभाव भारतीयों पर नहीं पड़ेगा, बाकी अन्य कई देशों में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, और वहां इसका प्रभाव भी देखा जा सकेगा। आइए जानते हैं कि ग्रहण के विषय में पवित्र सद्ग्रन्थों में क्या वर्णन है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार क्या कहानी है। साथ ही, सर्व पाठकगण यह भी जानेंगे कि जन्म-मरण रूपी ग्रहण से मुक्ति का मार्ग क्या है!
Surya Grahan 2024 October (सूर्य ग्रहण): मुख्य बिंदु
- 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर यानि बुधवार के दिन लग रहा है।
- यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नही देगा, जिस कारण भारतवासियों पर इसका प्रभाव शून्य रहेगा।
- यह ग्रहण 02 अक्टूबर की रात से 03 अक्टूबर की सुबह तक रहने वाली है।
- यह सूर्यग्रहण लगभग 6 घंटे की अवधि तक रहेगा
02 अक्टूबर को कहाँ और कब दिखेगा सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2024 October in Hindi)?
02 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। परंतु भारतीय समय अनुसार बुधवार 02 अक्टूबर को रात्रि 09:13 से मध्यरात्रि 03:17 बजे साल का दूसरा और अंतिम यह सूर्यग्रहण अमेरिका, समोआ, बरूनी, कंबोडिया, चीन, तिमोर, फिजी, जापान, मलेशिया, माइक्रोनेशिया, न्यूजीलैंड, सोलोमन, सिंगापुर, पपुआ न्यू गिनी, ताईवान, थाइलैंड, वियतनाम, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी हिन्द महासागर, इंडोनेशिया, फिलीपींस और दक्षिणी पेसिफिक सागर आदि में दिखाई देगा। ग्रहण के दौरान सूर्य ग्रसित हो जाता है जिसका प्रभाव हर किसी पर पड़ता है।
सूर्यग्रहण (Solar Eclipse 2023) पर बरतें ये सावधानियां
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसे आध्यात्मिक/ धार्मिक नहीं वैज्ञानिक तरीके से देखना चाहिए।
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूर्य ग्रहण को सीधा नग्न आंखों से न देखें। सूर्य से निकलती हुई हानिकारक किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- किसी भी प्रकार के अन्य चश्मे से सूर्य ग्रहण को देखने से बचें। केवल सोलर फिल्टर चश्मे का प्रयोग करें।
- बच्चों को यदि ग्रहण दिखा रहे हैं तो उन्हें भी सोलर फिल्टर वाले चश्मे से दिखाएं क्योंकि बच्चों की आंखें नाज़ुक होती हैं।
- यदि चश्मा उपलब्ध नहीं है तो किसी भी स्थिति में सूर्यग्रहण न देखें।
Surya Grahan 2024 Oct [Hindi]: सूर्य ग्रहण पर सूतक काल व्यर्थ परंपरा
ऐसे समय को सूतक काल कहते हैं और गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है लेकिन यह एक आम दिवस है जिसमें खगोलीय घटना हो रही है। सूतक और उसके प्रभाव आदि मानना व्यर्थ है। इन दिनों मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। किसी भी प्रकार की पूजा पाठ एवं देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना भी वर्जित माना जाता है।
■ Read in English | Solar Eclipse: Know the Guaranteed Solution to the Harmful Effects of Surya Grahan
लेकिन भगवान सदैव सबसे शक्तिशाली होते हैं और मंदिरों के पट बंद करके क्या वे कैद हो गए? क्या वे बाहर नहीं निकल पाएंगे? क्या वे केवल मंदिर में ही रहते हैं? नहीं। नकली धार्मिक गुरुओं ने ज्ञान न होने के कारण हमे वास्तविक ज्ञान से अनजान रखा और ग्रहण के साथ अन्य अंध श्रद्धा वाली भक्ति जोड़ दी।
शास्त्र विरुद्ध आचरण करने वाले किसी भी गति को प्राप्त नहीं होते
गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 2 में उल्टे वृक्ष के माध्यम से बताया गया है कि अविनाशी परमात्मा अलग है जो विवश नहीं है, किसी के आश्रित नहीं है, किसी विधि विधान से बंधा नहीं है, सारी चीजें बदलने का सामर्थ्य रखता है। वे अविनाशी परमात्मा कबीर परमेश्वर है। उनके बाद इस लोक का स्वामी क्षर पुरुष फिर अक्षर ब्रह्म, और फिर आते हैं तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश। इस प्रकार की सृष्टि रचना है जो ग्रहण जैसी घटनाओं से पूरी तरह अप्रभावित है। ग्रहण एक खगोलीय घटना है इसका भक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है। ग्रहण के कारण लोग सूतक और अशुभ समय मानते हैं। सनातन धर्म के आदि ग्रन्थ वेदों में कहीं भी इस अंध श्रद्धा का उल्लेख नहीं है। न ही भागवत गीता में है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध आचरण करने वाले किसी गति को प्राप्त नहीं होते हैं।
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2024) से जुड़ी वर्जनाएँ और सतभक्ति
सूर्य-ग्रहण (Surya Grahan 2023) से बहुत सी वर्जनाएँ जुड़ी हुई हैं जैसे कई कार्यों पर रोक लगना, सूतक मानना, बाहर न आना जाना आदि। ये सभी मान्यताएँ केवल मान्यताएँ ही हैं और ग्रहण एक खगोलीय घटना है। वास्तविक जीवन में व्यक्ति अपने कर्मफल भोगता और उसके ही कारण उसके जीवन में सुख, दुख, बीमारियाँ आतीं हैं। चूँकि ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है, इसे ज्योतिष भिन्न भिन्न राशियों और उन पर प्रभाव से भी जोड़कर देखते हैं। सतभक्ति सभी प्रकार के ग्रहण चाहे वो जीवन में हों या भाग्य में, से बचाती है।
पूर्ण परमेश्वर सच्चे साधक की रक्षा स्वयं करता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं इस बात की शास्त्र गवाही देते हैं। इस लोक में सबकुछ फना अर्थात नाशवान है। राजा, गांव, शहर, जीव-जंतु, वन, दरिया सब नाशवान है। शिवजी का कैलाश पर्वत तक नाशवान है। यह सब कृत्रिम संसार सब झूठ है। अतः तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर श्वांसों का स्मरण करके अविनाशी परमेश्वर की भक्ति करें।
गरीब, दृष्टि पड़े सो फना है, धर अम्बर कैलाश।
कृत्रिम बाजी झूठ है, सुरति समोवो श्वास ||
संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर कष्ट रूपी ग्रहणों से पाएं मुक्ति
जीवन के सभी कष्ट तीन ताप से जुड़े होते हैं और तीन ताप एक पूर्ण परमात्मा के अतिरिक्त कोई ख़त्म नहीं कर सकता हैं। चाहे वह कष्ट अध्यात्मिक हो, भौतिक हो या शारीरिक केवल सत्य भक्ति से ही ख़त्म हो सकते हैं। वर्तमान में एकमात्र तत्वदर्शी संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने हर तरह के असाध्य कष्टों का निवारण करवाएं एवं भक्ति करके मोक्ष का रास्ता चुनें। यह समय विनाशकारी समय है और बिना तत्वदर्शी संत की शरण के जीवन, बिना पानी के कुएं की भाँति है। इस समय तत्वदर्शी संत की शरण में रहकर मर्यादा में भक्ति करने वाले ही मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पुस्तक “ज्ञान गंगा“ और देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।
FAQs About Surya Grahan 2024 (Hindi)
सूर्यग्रहण 02 अक्टूबर को लगेगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, इसका भारतवासियों पर कोई सीधा प्रभाव नहीं होगा। यह मुख्यतः अर्जेंटीना, अमेरिका, ब्राजील, और अन्य देशों में दिखाई देगा।
सूतक काल को खगोलीय घटना से जोड़ना एक पारंपरिक मान्यता है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका कोई आधार नहीं है। ग्रहण के दौरान केवल खगोलीय घटनाएँ होती हैं, जो भक्ति या जीवनशैली पर कोई असर नहीं डालतीं।
सूर्यग्रहण को सीधा नग्न आँखों से देखना हानिकारक हो सकता है। केवल सोलर फिल्टर वाले चश्मे का प्रयोग करें। अन्य किसी चश्मे से ग्रहण को न देखें और बच्चों को भी सावधानीपूर्वक दिखाएँ।
पारंपरिक रूप से सूर्यग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा पाठ को वर्जित माना जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है और इसका भक्ति से कोई संबंध नहीं है।
जीवन के कष्टों से मुक्ति केवल सत्य भक्ति और तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन से संभव है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर तीन तापों से जुड़े कष्टों का निवारण किया जा सकता है।