जब प्राकृतिक आपदा आती है, तो वह केवल खेत और घरों को ही नहीं, बल्कि उम्मीदों को भी बहा ले जाती है। हरियाणा के हिसार जिले का सुरेवाला गाँव एक ऐसी ही निराशाजनक स्थिति से जूझ रहा था, जब संत रामपाल जी महाराज ने अपनी करुणा और अद्वितीय कार्यप्रणाली से न केवल गाँव को बचाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि पूर्ण संत की शक्ति किसी भी प्रशासन से कहीं अधिक होती है।
निराशा में डूबा सुरेवाला
कई दिनों से लगातार हो रही बारिश और बाढ़ ने सुरेवाला गाँव को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया था। स्थिति गंभीर थी:
- कृषि का विनाश: किसानों की सैकड़ों एकड़ फसलें पानी में डूब चुकी थीं, जिससे उनकी साल भर की मेहनत और आजीविका पर पानी फिर गया था।
- घरों में पानी: कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया था, जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।
- स्वास्थ्य का खतरा: गाँव के तालाब और गंदे नाले बाढ़ के पानी में मिल गए थे, जिससे जल-जनित बीमारियों के फैलने का गंभीर खतरा पैदा हो गया था।
- पशुओं की दुर्दशा: मवेशियों के लिए चारे की भारी कमी हो गई थी।
गाँव की पंचायत, सरपंच श्री जयपाल (जिन्हें ‘मानी पहलवान’ के नाम से भी जाना जाता है) के नेतृत्व में, मदद के लिए हर संभव प्रशासनिक दरवाजे पर गुहार लगा चुकी थी। लेकिन उन्हें खोखले आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिला। हर तरफ से निराश होकर, गाँव वाले खुद को असहाय और लाचार महसूस कर रहे थे।
आशा की एक किरण: संत रामपाल जी महाराज की मुहिम
ठीक जब गाँव वालों की उम्मीदें टूटने लगी थीं, तब उन्हें संत रामपाल जी महाराज द्वारा हरियाणा और अन्य राज्यों में चलाए जा रहे एक मानवीय सहायता अभियान “अन्नपूर्णा मुहिम” के बारे में सुना, जो अब बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाए जा रहे राहत अभियान में बदल चुकी थी। उन्होंने आस-पास के गाँवों में इस मुहिम के बैनर लगे ट्रैक्टरों को राहत सामग्री पहुँचाते देखा था। इस उम्मीद को और बल तब मिला जब पास के बिठमड़ा गाँव के सरपंच ने पुष्टि की कि संत रामपाल जी महाराज वास्तव में तत्काल और ठोस मदद पहुँचा रहे हैं।

बिना समय गवाए, सुरेवाला की पूरी पंचायत बरवाला पहुँची। वहाँ उन्होंने संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों से मिलकर अपनी पूरी समस्या बताई और पानी की निकासी के लिए आवश्यक संसाधनों की मांग करते हुए एक लिखित प्रार्थना पत्र सौंपा।
एक प्रार्थना और अभूतपूर्व प्रतिक्रिया
पंचायत की मांग स्पष्ट और सुनियोजित थी:


- 9,000 फीट लंबा 8-इंची पाइप
- दो 20-हॉर्स पावर की मोटरें
- 500 फीट बिजली का केबल (तार)
- मोटर के स्टार्टर, फिटिंग और अन्य सभी आवश्यक सामान
यह प्रार्थना पत्र तुरंत संत रामपाल जी महाराज तक पहुँचाया गया। इसके बाद जो हुआ, वह गाँव वालों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। संत रामपाल जी महाराज ने तत्काल उनकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए सभी मांगों को तुरंत पूरा करने का आदेश दिया।
24 घंटे के भीतर पहुंची जीवन-रक्षक सहायता
संत रामपाल जी महाराज का आदेश मिलते ही अभूतपूर्व गति से काम शुरू हुआ। कुछ ही घंटों में ट्रकों का एक काफ़िला तैयार किया गया और अनुरोध किए गए सभी सामानों के साथ सुरेवाला के लिए रवाना कर दिया गया। पंचायत द्वारा प्रार्थना पत्र देने के मात्र 24 घंटे के भीतर, राहत सामग्री से भरे ट्रक गाँव में पहुँच चुके थे। यह गति किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था के लिए लगभग असंभव है।
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पहुँचाई गई मदद सिर्फ़ सामान नहीं, बल्कि एक संपूर्ण समाधान थी। इसमें उच्च गुणवत्ता वाली मोटरें, हर परिस्थिति का सामना करने योग्य केबल और सिस्टम को तुरंत चालू करने के लिए आवश्यक हर एक नट-बोल्ट और फिटिंग शामिल थी।
ग्रामीणों के शब्द: “ऐसी सेवा हमने कभी नहीं देखी”
राहत सामग्री के पहुँचने पर गाँव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनकी आँखों में राहत और कृतज्ञता के आँसू थे। सरपंच जयपाल जी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा,
“मैंने अपने जीवन में इतनी तेज सेवा कभी नहीं देखी। पैसे देकर दुकानदार से सामान खरीदने पर भी वह एक-दो दिन लगा देता है। हमने कल प्रार्थना की थी और आज संत रामपाल जी महाराज ने पूरा सामान हमारे पास पहुंचा दिया है। हम उनका तहे दिल से धन्यवाद करते हैं।”
अन्य ग्रामीणों ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि यह मदद केवल एक अस्थायी राहत नहीं, बल्कि उनके भविष्य की गारंटी है। पानी निकलने के बाद वे न केवल बीमारियों से बचेंगे, बल्कि अपनी अगली फसल के लिए खेतों को तैयार कर सकेंगे, जिससे उनका जीवन फिर से पटरी पर लौट आएगा।
कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में, पूरी पंचायत और ग्रामवासियों ने संत रामपाल जी महाराज को एक सम्मान शॉल भेंट की।
निस्वार्थ सेवा का एक अद्वितीय उदाहरण
सुरेवाला में हुआ यह राहत कार्य कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाए जा रहे एक विशाल मानवतावादी मिशन का हिस्सा है। वे 100 से भी अधिक बाढ़-प्रभावित गाँवों तक अपनी मदद पहुंचा चुके है।
इस सेवा कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, संत रामपाल जी महाराज ने एक सख्त आदेश जारी किया है कि उनके सभी आश्रमों में चल रहे निर्माण कार्यों को तत्काल रोक दिया जाए और सारा धन, संसाधन और जनशक्ति बाढ़ राहत कार्यों में लगा दी जाए। यह निर्णय मानवता के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है।
संत रामपाल जी महाराज के इस कार्य ने यह सिद्ध कर दिया है कि पूर्ण संत किसी भी आपदा पर विजय प्राप्त कर सकता है। संकट के समय में, उन्होंने एक सच्चे मार्गदर्शक और संकटमोचक की भूमिका निभाई है, जिसे सुरेवाला और अनगिनत अन्य गाँवों के लोग हमेशा याद रखेंगे।