Last Updated on 14 August 2024 IST | Subhadra Kumari Chauhan Jayanti 2024 [Hindi]: भारत की प्रसिद्ध सत्याग्रही और कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की 120वीं जयंती (Subhadra Kumari Chauhan Jayanti) 16 अगस्त को मनाई जा रही है। इस कवयित्री के जन्मदिवस के अवसर पर जानें कुलमालिक और वेदों में वर्णित कविर्देव के विषय में।
Subhadra Kumari Chauhan Jayanti: मुख्य बिंदु
- सुभद्रा कुमारी चौहान की 120वीं जयंती 16 अगस्त को मनाई जा रही है।
- प्रसिद्ध भारतीय कवियत्री जो कलम के माध्यम से क्रांति लाई।
- सुभद्रा कुमारी चौहान महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला थी
- कवि और कवयित्री से इतर वेदों में वर्णित कविर्देव कौन हैं?
सुभद्रा कुमारी (Subhadra Kumari Chauhan) चौहान की जीवनी
सुभद्रा कुमारी चौहान जयंती 2024: सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त सन 1904 को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले के निहालपुर में हुआ था। सुभद्रा कुमारी चौहान ने जिस समय रचनाएं लिखना आरम्भ किया था वह समय कविताओं आदि लिखने को व्यर्थ समझने वाला समय था। प्रसिद्ध साहित्यकार महादेवी वर्मा उनके समकालीन रही हैं। सुभद्रा जी ने 9 वर्ष की आयु में पहली कविता लिखी थी। उनके दो कविता संग्रहों के नाम हैं- मुकुल और त्रिधारा। साथ ही उनके तीन कहानी संग्रह हैं जिनके नाम हैं बिखरे मोती, उन्मादिनी और सीधे साधे चित्र। उनकी रचनाओं में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर लिखी कविता बहुत प्रसिद्ध हुई है।
जबलपुर की निवासी सुभद्रा
Subhadra Kumari Chauhan Jayanti 2024 [Hindi]: सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयागराज में हुआ एवं विवाह खंडवा निवासी लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ। बाद में यह दंपत्ती जबलपुर आकर बस गए। दोनों ही कांग्रेस के लिए काम करते थे और आजादी की लड़ाई में कई बार जेल भी गए। जेल यातनाओं को सुभद्रा कुमारी चौहान ने कहानियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया। इस तरह सुभद्रा कुमारी केवल कवियित्री नहीं बल्कि कथाकार और स्वतंत्रता सेनानी भी रही हैं।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी कविता सुभद्रा जी की देन
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी” बच्चे बच्चे की ज़बान पर है। यह विद्यालयों के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा है। वास्तव में सुभद्रा कुमारी चौहान स्वयं भी मर्दानी की तरह अपने व्यक्तिगत जीवन मे संघर्ष करती रही हैं। महादेवी वर्मा के द्वारा उकेरे गए शब्दचित्र माध्यम से सुभद्रा कुमारी हमारे समक्ष संघर्ष की प्रतिमूर्ति बनकर आ खड़ी होती हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान ने न केवल एक रचनाकार की भूमिका निभाई बल्कि वह आज़ादी की क्रांति के कारण जेल में बंद पति और घर पर दो बच्चों के साथ दौड़ती भागती संघर्ष करती रही। अफसोस कि बात है कि ये गौरवशाली महिला अधिक समय तक नहीं जी सकीं। 44 वर्ष की आयु में ही उनका निधन 15 फरवरी 1948 को मध्यप्रदेश में एक दुर्घटना में हो गया था।
असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला सुभद्रा
केवल 17 वर्ष की आयु में सुभद्रा कुमारी असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला रही और इस प्रकार सुभद्रा भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाली पहली सत्याग्रही महिला कहलाईं। सुभद्रा कुमारी चौहान की फड़क और देशभक्ति केवल रचनाओं में नहीं बल्कि असली जीवन में भी देखने मिलती है। सुभद्रा स्वयं आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गईं एवं अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत रही।
सुभद्रा कुमारी (Subhadra Kumari Chauhan) जी की प्रसिद्ध कविताएं निम्नलिखित हैं
- अनोखा दान
- आराधना
- इसका रोना
- उपेक्षा
- उल्लास
- बालिका का परिचय
- कलह-कारण
- कोयल
- कठिन प्रयत्नों से सामग्री
- झांसी की रानी
सुभद्रा कुमारी चौहान के पुरस्कार
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं ‘मुकुल’ कविता संग्रह में संग्रहित हैं। इनकी कुछ रचनाएं ‘त्रिधारा’ में भी संकलित हैं। ‘मुकुल’ कविता संग्रह 1930 में प्रकाशित हुआ था। इसके लिए उन्हें 1931 में सेकसरिया पुरस्कार मिला था। सुभद्रा कुमारी चौहान ने कहानियां भी लिखी थीं। इनका कहानी संग्रह ‘बिखरे मोती’ के नाम से है इसके लिए भी उन्हें 1932 में सेक्सरिया पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1976 में भारतीय डाक ने सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का डाक टिकट जारी किया था।
वेदों में वर्णित कविर्देव/ कविः देव
कविर्देव या कविः देव कौन हैं जिनका वर्णन वेदों में पूर्ण परमात्मा के रूप में किया है। वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं जिन्होंने 6 दिनों में सर्व सृष्टि की रचना की। परमात्मा पृथ्वी पर आकर अच्छी आत्माओं को मिलते हैं एवं तत्वज्ञान से परिचित करवाते हैं। सभी को वे गूढ़ तत्वज्ञान सुंदर और कर्णप्रिय लगने वाली वाणियों के माध्यम से सुनाते हैं जिस कारण जन समुदाय उन्हें न पहचानकर कवि की उपाधि देता है। इसका प्रमाण ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17 में दिया है। पढ़ें पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब के विषय में शास्त्रों में प्रमाण।
प्रत्येक युग में आते हैं कविर्देव
पूर्ण परमेश्वर प्रत्येक युग में आते हैं, सतयुग में सत सुकृत ऋषि नाम से, त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के नाम से, द्वापरयुग में करुणामय नाम से और कलियुग में अपने वास्तविक नाम कबीर धारण करते हैं। प्रत्येक युग में परमेश्वर बिना माता के गर्भ से जन्म लिए आते हैं एवं कुंवारी गायों के दूध से पोषण प्राप्त करते हैं। ऐसा वेदों में प्रमाण है। जिस समय परमेश्वर यहां नहीं होते उस समय पृथ्वी पर वे तत्वदर्शी सन्त के रूप में होते हैं। क्योंकि जिस गूढ़ तत्वज्ञान को, शास्त्रों के अधूरे रहस्यों को स्वयं क्षर पुरूष यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पिता नहीं समझ पाए तो कोई साधारण सन्त भला कैसे समझेगा।
इसी कारण पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब स्वयं भी अन्य रूपों में तत्वदर्शी सन्त की भूमिका में पृथ्वी पर आते हैं एवं अपना तत्वज्ञान समझाते हैं। इसी कारण गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में तत्त्वदर्शी सन्त की खोज करने, उनकी शरण मे जाने एवं उन्हें दण्डवत प्रणाम करके तत्वज्ञान प्राप्ति के लिए कहा है।
गरीब, समझा है तो सिर धर पांव,| बहुर नहीं रे ऐसा दाँव ||
यह संसार समझदा नांही, कहंदा शाम दोपहरे नूं ||
गरीबदास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूं ||
सन्त रामपाल जी महाराज हैं पूर्ण तत्त्वदर्शी सन्त
वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त (तत्वदर्शी सन्त एक समय पर पूरे विश्व में एक ही होता है) सन्त रामपाल जी महाराज हैं। शास्त्रों में वर्णित सभी लक्षण सन्त रामपाल जी महाराज पर खरे उतरते हैं। साथ ही सूक्ष्म वेद यानी कबीर सागर में भी कबीर साहेब ने पूर्ण तत्वदर्शी सन्त के लक्षण बताये हैं। श्रीमद्भगवतगीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 के अनुसार सच्चिदानंद घन ब्रह्म को पाने के लिए तीन मन्त्रों का ज़िक्र है जिसे केवल सन्त रामपाल जी महाराज बता रहे हैं। हज़ारों वर्षों से की जाने वाली भविष्यवाणियाँ केवल सन्त रामपाल जी के विषय में सिद्ध हो रही हैं। पूर्ण मोक्ष और भाग्य से अधिक सुख सुविधाएं प्राप्त करने के लिए पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की भक्ति करनी ही होगी। केवल ब्रह्मा – विष्णु – महेश और काल निरजंन की आराधना से कुछ भी हासिल नहीं होगा। यह गीता में अनुत्तम साधना बताई गई है। इससे मोक्ष प्राप्ति नहीं होती क्योंकि ये अवतार स्वयं भी जन्म मृत्यु में हैं। परमात्मा कहते हैं-
ब्रह्मा विष्णु शिव गुण तीन कहाया, शक्ति और निरजंन राया |
इनकी पूजा चलै जग मांह, परम पुरुष कोई जानत नांही ||
अतः समय रहते चेतें वास्तविक कविर्देव को पहचानें वही आदि राम, आदि गणेश, नारायण और वासुदेव है क्योंकि तीनों लोकों का धारण पोषण वही परम् पुरूष कबीर साहेब करते हैं। कबीर साहेब कहते हैं-
सतगुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छिड़ै मूढ किसाना |
सतगुरु बिन बेद पढें जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी |
वस्तु कहीं खोजे कहीं, किस विद्य लागे हाथ |
एक पलक में पाईए, भेदी लिजै साथ |
FAQ About Subhadra Kumari Chauhan Jayanti [Hindi]
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में हुआ।
सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु 15 फरवरी 1948 में सड़क दुर्घटना में हो गई।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ।
सुभद्रा कुमारी चौहान के कविता संग्रह मुकुल और त्रिधारा हैं।