हरियाणा के जिला भिवानी अंतर्गत तहसील बवानी खेड़ा के गांव सिप्पर में पिछले ढाई महीनों से व्याप्त जल प्रलय और प्रशासनिक उदासीनता के बीच संत रामपाल जी महाराज की ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ एक नई किरण बनकर उभरी है। उनके मार्गदर्शन में चलाए जा रहे इस विशेष बाढ़ राहत सेवा अभियान ने गांव को डूबने से बचाने और किसानों की उजड़ती आजीविका को पुनर्स्थापित करने के लिए अभूतपूर्व सहायता प्रदान की है। शनिवार को जब सेवादारों का विशाल काफिला राहत सामग्री लेकर गांव सिप्पर पहुंचा, तो ग्रामीणों की आंखों में हताशा के स्थान पर भविष्य की सुनहरी फसल की उम्मीद दिखाई दी।
ढाई महीने का सन्नाटा और प्रशासनिक विफलता
गांव सिप्पर और उसके आसपास का लगभग 250 से 300 एकड़ कृषि क्षेत्र पिछले 75 दिनों से पूरी तरह जलमग्न था। कपास, बाजरा और ज्वार जैसी खरीफ की फसलें पानी में गलकर नष्ट हो चुकी थीं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खेतों में दो से ढाई फुट तक पानी खड़ा होने के कारण न केवल वर्तमान फसल बर्बाद हुई, बल्कि आगामी रबी सीजन की बिजाई (गेहूं की बुवाई) पर भी संकट के बादल मंडरा रहे थे।
ग्रामीणों ने बताया कि 15 वर्षों तक स्थानीय विधायक रहे नेताओं और वर्तमान सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। खेतों का पानी माइनर (नहर) से काफी दूर होने के कारण बिना आधुनिक संसाधनों के निकासी असंभव थी।
संत रामपाल जी महाराज का आदेश और सहायता
जब सरकारी तंत्र और राजनीतिक नेतृत्व ग्रामीणों की समस्या हल करने में विफल रहा, तो ग्राम पंचायत सिप्पर ने संत रामपाल जी महाराज के बरवाला स्थित कार्यालय में अपनी अर्जी लगाई। संत जी ने मामले की संवेदनशीलता और किसानों की पीड़ा को समझते हुए अविलंब राहत सामग्री भेजने का सख्त निर्देश दिया।
राहत काफिले के माध्यम से गांव को सौंपी गई सामग्री
- 12,000 फुट लंबा 8 इंची पाइप
यह विशाल पाइपलाइन खेतों के बीच फँसे पानी को मुख्य निकासी स्रोत तक पहुँचाने के लिए भेजी गई है। - दो विशाल 15 एचपी की मोटरें
पानी को त्वरित गति से बाहर फेंकने के लिए शक्तिशाली मोटरों का पूरा सेट उपलब्ध कराया गया है। - संपूर्ण इंस्टॉलेशन किट
इसमें नट-बोल्ट से लेकर पाइप जोड़ने वाले हर आवश्यक उपकरण शामिल हैं, ताकि ग्रामीणों को एक रुपया भी बाहर खर्च न करना पड़े।
अन्नपूर्णा मुहिम: ‘जमीनी सेवा, न कि दिखावा’
संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ के सेवादारों ने स्पष्ट किया कि गुरु जी का मुख्य उद्देश्य किसान की फसल बचाना है। अब तक इस अभियान के तहत हरियाणा और अन्य राज्यों के 300 से अधिक गांवों में इसी प्रकार की सेवा प्रदान की जा चुकी है। सेवादारों ने बताया कि संत जी स्वयं किसान परिवार से हैं, इसलिए वे फसल बर्बादी से होने वाले सामाजिक और आर्थिक दर्द को गहराई से समझते हैं। यह मुहिम केवल लोक दिखावा नहीं, बल्कि उन किसानों के चूल्हे जलाने की कोशिश है जिनकी आय का एकमात्र स्रोत खेती है।

शर्तों के साथ सेवा: जवाबदेही और पारदर्शिता का अनूठा मॉडल
इस राहत सेवा के साथ संत रामपाल जी महाराज ने ग्राम पंचायत को एक आधिकारिक पत्र भी प्रेषित किया है, जिसमें सेवा के सदुपयोग पर कड़ा रुख अपनाया गया है। पत्र के अनुसार, यदि इस राहत सामग्री के बावजूद निर्धारित समय में पानी निकासी नहीं की जाती और अगली फसल की बिजाई नहीं होती, तो भविष्य में ट्रस्ट द्वारा गांव की कोई सहायता नहीं की जाएगी।
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पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ‘ड्रोन’ तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। सेवादारों ने बताया कि जलभराव की ड्रोन वीडियो बनाई जा चुकी है। अब पानी निकलने के बाद और फिर फसल लहलहाने पर पुनः वीडियो बनाई जाएगी। इन वीडियो को संत रामपाल जी महाराज के सतलोक आश्रमों में श्रद्धालुओं को दिखाया जाएगा ताकि उन्हें विश्वास हो कि उनके द्वारा दिए गए दान का पाई-पाई का उपयोग मानवता की भलाई में हो रहा है।
ग्रामीणों का भावुक आभार और मरणोपरांत मिला नया जीवन
राहत सामग्री प्राप्त होने पर गांव के बुजुर्गों और सरपंच ने इसे ‘ईश्वरीय मदद’ करार दिया। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने स्थानीय बोली में कहा कि
“रामपाल महाराज ने तो मौज कर दी, हमारे लिए तो वही भगवान हैं।”
ग्रामीणों का कहना है कि जलभराव के कारण घरों में दरारें आ गई थीं और पशुओं के चारे तक का संकट पैदा हो गया था। सरपंच ने विश्वास दिलाया कि पूरा गांव मिलकर 36 बिरादरी के हित में इस पानी को निकालेगा और अगली फसल की बिजाई सुनिश्चित करेगा।
ग्राम पंचायत सिप्पर ने संत रामपाल जी महाराज के सम्मान में एक स्मृति चिन्ह (मोमेंटो) भी भेंट किया, जिस पर 12,000 फुट पाइप और मोटरों की सहायता के लिए आभार व्यक्त किया गया है।
धार्मिक संस्थाओं के लिए एक नई नजीर
पत्रकारिता के दृष्टिकोण से यह घटनाक्रम अन्य धार्मिक संस्थाओं और कथावाचकों के लिए एक चुनौती और प्रेरणा दोनों है। जहां कई कथावाचक करोड़ों रुपये दान के रूप में लेते हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज ने उस धन को सीधे जनहित और आपदा प्रबंधन में लगाकर एक नया मापदंड स्थापित किया है। सिप्पर की यह कहानी केवल एक गांव की राहत की नहीं, बल्कि उस अटूट भरोसे की है जो तब जागता है जब सत्ता और प्रशासन हाथ खड़े कर देते हैं।



