Shivaram Hari Rajguru Birth Anniversary [Hindi]: राजगुरु भारत की आज़ादी के संग्राम में क्रांतिकारी रहे थे। अदम्य साहस, सूझबूझ और मातृ भूमि के लिए अगाध प्रेम से भरे क्रांतिकारी का चरित्र आज भी इतिहास में जगमगा रहा है। राजगुरु को भगत सिंह और सुखदेव के साथ ही फांसी दी गई थी। आज राजगुरु का जन्मदिवस है।
Shivaram Hari Rajguru Birth Anniversary मुख्य बिंदु
- क्रांतिकारी राजगुरु का जन्मदिवस आज, भारत के वीर और साहसी पूत युवाओं के लिए मिसाल
- पुणे जिले के खेड़ा स्थान में जन्मे राजगुरु लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे
- राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को एकसाथ दी गई थी फाँसी
- तत्वज्ञान की कमी से भटके हैं आज के युवा, सन्त रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान मात्र है एक रास्ता बेहतर भविष्य के लिए
Shivaram Hari Rajguru (राजगुरु) का जीवन
राजगुरु का पूरा नाम था शिवराम हरि राजगुरु। राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में हुआ किन्तु 6 वर्ष की आयु में पिता की मृत्यु के पश्चात विद्याध्ययन के लिए वे वाराणसी आ गए। बनारस में ही इनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ था। राजगुरु अंग्रेजी पढ़ने की अपेक्षा सँस्कृत पर जोर देते थे। उनका मानना था कि जब अंग्रेजी सरकार की नौकरी करनी ही नहीं तो अंग्रेजी क्यों पढूं? बहुत कम आयु से ही इनके भीतर देश सेवा की इच्छा प्रबल हो गई थी।
राजगुरु संकल्प शक्ति के धनी थे एवं चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, यतीन्द्रनाथ उनके परम मित्र थे। जिस वर्ष राजगुरु का जन्म हुआ था उसी वर्ष खुदीराम बोस को फाँसी दी गई थी, उनकी निर्भीकता देखकर अक्सर लोग कहा करते थे कि उनके भीतर खुदीराम बोस की आत्मा घुस गई है। राजगुरु बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे एवं एक बार बहुत सी भीड़ को चीरते हुए एकदम तिलक के पास जा पहुँचे और चरण स्पर्श किया। तिलक इस बालक के साहस को देखकर दंग रह गए थे।
Shivaram Hari Rajguru (रघुनाथ) ने सांडर्स का किया वध
राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद की पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लकन आर्मी से जुड़ गए थे। पार्टी के अंदर उन्हें रघुनाथ नाम से जाना जाता था। लाला लाजपतराय की पुलिस द्वारा पीट पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। राजगुरु बहुत ही अच्छे निशानेबाज थे। राजगुरु का निशाना कभी चूकता नहीं था। इसके चलते राजगुरु ने भगत सिंह के साथ मिलकर 19 दिसम्बर 1928 को, लाहौर में,एक ब्रिटिश जूनियर अधिकारी जॉन सांडर्स को गोली मारी थी।
Shivaram Hari Rajguru: 23 मार्च 1931 को फांसी का फंदा चूमा था राजगुरु ने
- राजगुरु को पुणे से नागपुर जाते समय गिरफ्तार किया गया था।
- पुलिस अधिकारी सांडर्स को गोली मारने के जुर्म में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को एक साथ फांसी दी गई।
- महज़ 23 वर्ष की आयु में इस वीर सपूत ने “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे के साथ फाँसी का फंदा गले लगाया।
- चूकि अंग्रेज जानते थे कि तीनों की फाँसी के दिन उग्र प्रदर्शन होगा इसलिए फांसी के नियत दिन 24 मार्च से एक दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी।
आज के युवाओं को आवश्यकता है इतिहास से सीखने की
इतनी कम आयु में देश के लिए जान देने वाले इन सपूतों की जीवनी आज के युवाओं को जाननी चाहिए। राजगुरु ने बहुत कम उम्र में ही संस्कृत पढ़ते हुए धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था। विचारणीय तथ्य है कि यदि ये सपूत नशे, और पाश्चात्य संस्कृति की ओर भागने जैसी संकीर्ण मानसिकता के गुलाम होते तो देश हित में कुछ न कर पाते। आज युवाओं को ये गांठ बांध लेने की आवश्यकता है कि जिस नशे, पार्टी और धर्म से दूर भागने के “ट्रेंड” के पीछे वे भाग रहे हैं वे उनके लिए नरक का रास्ता है।
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हमारे धर्म ग्रन्थों में मानव जीवन का उद्देश्य छिपा है और उस उद्देश्य को पूरा करने का सारा सार तत्वदर्शी संत अपने तत्व ज्ञान के माध्यम से बताते हैं। यह खुशकिस्मती है कि देश आज़ाद है और आज के युवाओं के कंधों पर देश आजाद कराने का बोझ नहीं है, शांति स्थापित हो चुकी है। ऐसे समय में भी यदि मनुष्य जन्म का उद्देश्य याद नहीं आया तो चौरासी के चक्र में पड़ें रहेंगे।
क्या है मानव जन्म का उद्देश्य?
मानव जन्म का उद्देश्य पूर्ण परमेश्वर की शास्त्रानुकूल भक्ति है। वर्तमान में लोगों ने जन्म, शिक्षा, नौकरी, धन जोड़ने और मृत्यु को मानव जन्म का उद्देश्य बना रखा है। किन्तु सत्य को स्वीकार न करने पर भी सत्य सदैव सत्य ही रहेगा। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-
राम रटत दरिद्र भलो, टूटी घर की छान |
वो सुंदर महल किस काम के, जहां भक्ति नहीं भगवान ||
भक्ति मानव जीवन का उद्देश्य है और परमेश्वर को भक्ति करने वाले निर्धन से अधिक प्रेम है व भक्ति न करने वाले धनी व्यक्ति किसी काम के नहीं। गीता अध्याय 16 के श्लोक 24 में प्रमाण है कि कर्तव्य और अकर्तव्य की स्थिति में शास्त्र ही प्रमाण हैं। अतः शास्त्रों में वर्णित विधि के अनुसार तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उनसे सही भक्ति विधि प्राप्त करके भक्ति करना ही मानव जीवन का परम उद्देश्य है क्योंकि भोजन और प्रजनन सभी पशु भी करते ही हैं।
Shivaram Hari Rajguru Hindi Quotes
- राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है~भगत सिंह (राजगुरु के साथी)
- आदमी को मारा जा सकता है उसके विचारों को नहीं ~भगत सिंह (राजगुरु के साथी )
- लख बर सूरा जूझ ही, लख बर सावत देह। लख बर यति जहान में, तब सतगुरु शरना लेह।
- यह संसार समझदा नाहीं,कहन्दा शाम दोपहरे नूं | गरीबदास यह वक्त जात है रोवोगे इस पहरे नूं ||~संत गरीबदास
- कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होए | भक्ति करे कोई सूरमा, जाति वरण कुल खोय ||~संत गरीबदास
सन्त रामपाल जी महाराज के सत्संग खोलते हैं युवाओं के रास्ते
सन्त रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं। धर्म ग्रन्थों में तत्वदर्शी संत की पहचान के दिये सभी प्रमाण संत रामपाल जी महाराज पर सही उतरते हैं। संत रामपाल जी महाराज के सत्संग प्रत्येक आयु वर्ग के लिए होते हैं। तत्व ज्ञान के आधार पर युवा सत्य मार्ग की ओर अग्रसर हो रहे हैं जहाँ वे संतोष, विवेक और संयम का पाठ सीखते हैं। संत रामपाल जी महाराज के तत्व ज्ञान ने आज के युवाओं को दहेज रहित विवाह व नशा मुक्त जीवन की ओर प्रेरित किया है।
सभी धर्म ग्रन्थों का अर्थ और उनके गूढ़ रहस्य संत रामपाल जी महाराज ने बताए हैं। अविलंब ही उज्ज्वल भविष्य के लिए संत रामपाल जी महाराज से मंत्र नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन को सफल बनायें। “सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल” पर सत्संग श्रवण करें और “जीने की राह” पुस्तक पढ़ें।