April 15, 2025

शब-ए-बारात (Shab E Barat 2025) पर होगी गुनाहों की माफी और पूर्ण अल्लाह कबीर साहेब की पहचान

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Last Updated on 26 Feb 2025 IST: शब-ए-बारात 2025 (Shab E Barat Hindi) | शब-ए-बारात 2025 (Shab E Barat Hindi) | इस्लामिक लोक मान्यताओं के अनुसार शब-ए-बारात (Shab E Barat 2025) में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं इसलिए लोग शब-ए-बारात में अल्लाह की इबादत अधिक करते हैं और उनसे अपने गुनाहों को माफ़ करने की दुआ मांगते हैं। केवल दुआ मांगने और नमाज़ पढ़ने से नहीं सतभक्ति करने से कटते हैं पाप और मिलती है खुदा से माफ़ी यानी मगफिरत। शब-ए-बराअत (बारात) को मगफ़िरत यानी माफ़ी की रात भी कहा जाता है। बाख़बर संत की शरण में रहकर भक्ति करने से रूह को दोजख (नरक) और बिहिश्त (स्वर्ग) नहीं जाना पड़ता। सतभक्ति करने से होगा अल्लाह का जमीं पर दीदार।

Shab E Barat 2025 [Hindi]: (शब-ए-बारात) से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

  • इस्लामिक कैलेंडर का 8वां महीना शाबान होता है। इस महीने की 14वीं और 15वीं रात को शब-ए-बारात का पर्व मनाया जाता है। इस बार शब-ए-बारात की रात (Kab Hai Shab-e-Barat 2025) 13 फरवरी से 14 फरवरी तक रहेगी। इस बार 13 फरवरी को शब-ए-बारात मनाया जाएगा।
  • इस मौके पर मुस्लिम समाज में घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में भी खास तरह की सजावट की जाती है। साथ ही लोग अपने बुजुर्गों की कब्रों पर जाकर चरागां करते हैं और उनके गुनाहों की माफी के लिए दुआ मांगते हैं।
  • लोक मान्यता के मुताबिक चार मुकद्दस रातों, आशूरा की रात, शब-ए-मेराज और शब-ए-कद्र में से एक शब-ए-बारात भी है इसे बहुत ही मुकद्दस माना जाता है।
  • नमाज़, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम हैं।
  • ऐसी मान्यता कि इस रात सच्चे दिल से अगर अल्लाह की इबादत की जाए और अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह इंसान को हर गुनाह से बरी कर देता है। किंतु सच्चाई यह है कि बड़ा अल्लाह कबीर ही है जो सच्ची इबादत करने वाले अपने बंदे के गुनाहों को माफ कर देता है ।

Shab E Barat 2025 Date [Hindi]

शब ए बारात शाबान की 14वीं रात को मनाया जाता है जो इस्लामी कैलेंडर में आठवां महीना है। इस साल 2025 में शब ए बारात 25 फरवरी को है।

क्यों मनाया जाता है शब-ए-बारात (Shab E Barat in Hindi)?

लोक मान्यताओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस दिन अल्लाह अपने बंदों के कर्मों का लेखा जोखा करता है और कई सारे लोगों को नरक से आज़ाद भी कर देता है। इसी वजह से मुस्लिम लोग इस पर्व वाले दिन रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं। यह सब लोक मान्यताए है, सच्चाई का इससे कोई लेना देना नहीं है। 

शब-ए-बारात पर सुन्नी समुदाय में हलवा खाने की है रिवायत

इस दिन सुन्नी मुस्लिमों द्वारा हलवा खाने की भी परंपरा है। जिसके पीछे की मान्यता ये है कि इस दिन उहुद की लड़ाई में मुहम्मद साहब का एक दांत टूट गया था। जिस कारण इस दिन उन्होंने हलवा (आटे, घी और चीनी से बनी मिठाई) खाया था, यही कारण है कि इस दिन हलवा खाना सुन्नत माना गया है।

Read in English: Shab-E-Barat: Sat-Bhakti Can Bestow Fortune And Forgiveness

मुस्लिम समुदाय शब-ए-बारात (Shab E Barat 2025) को तकदीर तय होने का समय मानते हैं

मुस्लिम शब-ए-बारात को रात भर तिलावत, ज़ियारत करते हैं। शब-ए-बारात (Shab E Barat 2025 in Hindi) सिर्फ गुनाहों की माफ़ी और मरहूमों के लिए दुआओं की रात नहीं है, बल्कि कौन पैदा होगा, किसकी इस दुनिया से रुखसती होगी? किसे दुनिया में क्या हासिल होगा? कितनी रोज़ी मिलेगी? किसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे? यानी हर मुसलमान की तकदीर इस रात तय हो जाएगी, ऐसा माना जाता है।

जो लोग दुनिया से जा चुके हैं उनके लिए दुआएं मांगी जाती हैं। खुद के लिए अल्लाह से माफ़ी मांगते हैं और उन्हें जन्नत नसीब हो, उनकी रूह को सुकून मिले, इसके लिए अल्लाह से दरख्वास्त करते हैं ।

आइए आगे अब जानते हैं असलियत कि आखिर अल्लाह कैसे राज़ी होगा अपने बंदों पर और कैसे मिलेगी गुनाहों से मगफिरत 

पैगंबर हज़रत मुहम्मद को अल्लाह ने बाखबर की खोज कर इबादत करने को कहा था

इस्लाम के प्रवर्तक पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब ने इसे रहमत की रात कहा है। कुरान शरीफ के ज्ञानदाता ने हजरत मोहम्मद जी से कहा है कि बड़े अल्लाह कबीर की इबादत करने से सभी, गुनाह माफ हो जाते हैं अर्थात सभी पाप खत्म हो जाते हैं और उसकी इबादत के लिए किसी बाखबर की खोज करो, वही अल्लाह हू कबीर की इबादत की सच्ची विधि बताएगा।

कौन है व कैसा है वह अल्लाह जो करता है सबके गुनाहों को माफ़?

कुरान की सूरत फुरकानि 25, आयत नंबर 52,58,59 में बताया गया है कि

आयत 52:- फला तुतिअल् – काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा (कबीरन्)।

Shab E Barat Hindi: हज़रत मुहम्मद जी का खुदा कह रहा है कि हे पैगम्बर ! आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि की पूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को बड़ा अल्लाह नहीं मानते। आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही बड़ा अल्लाह है तथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना (लड़ना नहीं) अर्थात् उसके दिये ज्ञान व मर्यादा पर अडिग रहना।

आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा)।

हज़रत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर! उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह इबादत के योग्य है तथा अपने बंदों के सर्व गुनाहों को खत्म करने वाला है।

आयत 59:- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।

कुरान शरीफ बोलने वाला अल्लाह किसी बड़े अल्लाह की तरफ इशारा करते हुए कह रहा है कि वह बडा़ कबीर अल्लाह वही है जिसने ज़मीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टी की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सतलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उस बडे़ कबीर अल्लाह की जनकारी बाखबर (तत्वदर्शी) से पूछो, वो बाखबर ही आपको बड़े अल्लाह की इबादत का सही तरीका बताएगा।

निष्कर्ष

इन तीनों आयतों से यह सिद्ध होता है कि बड़ा अल्लाह कबीर ही इबादत के योग्य है, और वह साकार है क्योंकि तख्त पर बैठने वाला निराकार नहीं हो सकता और वही हमारे गुनाहों को माफ़ कर सकता है तथा किस प्रकार उस बडे़ अल्लाह कबीर  की इबादत करनी चाहिए, उसके लिए हमें बाखबर की खोज करनी होगी।

“शब-ए-बारात” 2025 पर जानें, वर्तमान में कौन है सच्चा बाखबर व अंतिम पैगंबर ?

वर्तमान में वह बाखबर व अंतिम पैगंबर कोई और नहीं बल्कि तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो सच्चे खुदा अल्लाह हू कबीर की इबादत का सही तरीका बताते हैं उनकी बताई हुई इबादत करके कई हिंदू – मुस्लिम भाई सच्चे व बड़े खुदा की सही इबादत करके सुखमय, निरोगी, जीवन व्यतीत कर रहे हैं और अल्लाह हू कबीर का दीदार कर रहे हैं। संपूर्ण जानकारी के लिए आप बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी का सच्चा कुरान शरीफ़ वाला ज्ञान यूट्यूबचैनल सतलोक आश्रम ” पर जाकर सुन सकते हैं। उनसे नाम उपदेश लेकर इबादत करें इससे आपको अविनाशी जन्नत प्राप्त होगी। उस अविनाशी जन्नत “सतलोक” “नूरी लोक” को प्राप्त किए हुए प्राणी फिर कभी संसार में लौट कर वापस नहीं आते वह हमेशा वहां पर सुखी रहते हैं और सच्चे बड़े खुदा अल्लाह हू कबीर का हरदम दीदार करके आनंदित रहते हैं। कुरान शरीफ का सटीक ज्ञान समझने के लिए आप हमारे अन्य दो चैनलों को भी सब्सक्राइब कर सकते हैं:

  • Al Kabir Islamic
  • Ibadahi Kabir Islamics

1. शब-ए-बारात की रात को गुनाहों की माफी कैसे मिलती है?
✦ इस्लामी मान्यता के अनुसार, शब-ए-बारात की रात अल्लाह अपने बंदों की तक़दीर लिखता है और उनकी दुआएँ कबूल करता है। लेकिन असली गुनाहों की माफी और मोक्ष केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सत्य भक्ति से संभव है, जैसा कि कुरान शरीफ में भी बताया गया है (सूरत फुरकान 25:58)।

2. क्या कुरान में कबीर को ही परम अल्लाह बताया गया है?
✦ हाँ, कुरान शरीफ में कई जगह “कबीर” शब्द आया है, जैसे कि सूरत फुरकान 25:52, 58, 59, जो दर्शाता है कि पूर्ण अल्लाह कबीर साहेब ही सच्चा उपास्य है और वही जीवों के सभी गुनाहों को माफ करने वाले हैं।

3. क्या नबी मुहम्मद साहब को जीवित परमात्मा कबीर मिले थे?
✦ हाँ, कुरान की सूरत फुरकान 25:58 में कहा गया है कि “उस पर भरोसा कर जो कभी मरता नहीं।” संत रामपाल जी महाराज के सत्संग से पता चलता है कि हज़रत मुहम्मद साहब को स्वर्ग में कबीर परमात्मा के दर्शन हुए थे, जिन्होंने उन्हें सच्ची इबादत बताई थी।

4. क्या सिर्फ शब-ए-बारात की रात इबादत करने से मोक्ष मिलेगा?
✦ नहीं, मोक्ष के लिए केवल एक रात की इबादत पर्याप्त नहीं है। इसके लिए तत्वदर्शी संत द्वारा बताए गए सही नाम (सत्य उपासना) की आवश्यकता है, जैसा कि कुरान (सूरत फुरकान 25:59) में कहा गया है कि “उस बाखबर (तत्वदर्शी) से पूछो, वही सही मार्ग बताएगा।”

5. क्या संत रामपाल जी महाराज कबीर अल्लाह की सही इबादत बता रहे हैं?
✦ हाँ, संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में तत्वदर्शी संत हैं, जो शास्त्र प्रमाणित भक्ति मार्ग बता रहे हैं। वे कुरान शरीफ, वेद, गीता और बाइबिल से प्रमाण देकर सिद्ध कर रहे हैं कि केवल कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं और उनकी दी गई सतभक्ति से ही मोक्ष संभव है।

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