हिसार, हरियाणा – जब सरकारी तंत्र विफल हो जाता है और राजनीतिक वादे खोखले साबित होते हैं, तब मानवता की रक्षा के लिए एक मसीहा का उदय होता है। हिसार जिले की बरवाला तहसील के गांव संदलाना में ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला। संत रामपाल जी महाराज ने गांव के डूबते हुए भविष्य को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए और निराश किसानों के लिए आशा की एक नई किरण जगाई।
जब खेतों में फसल नहीं, सिर्फ पानी था
संदलाना गांव की स्थिति अत्यंत भयावह थी। गांव की लगभग 200 से 250 एकड़ उपजाऊ भूमि पर तीन-तीन फुट गहरा पानी जमा था। पिछली फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी और आने वाली गेहूं की बिजाई भी असंभव लग रही थी।
किसानों के सामने जीवन-मरण का प्रश्न था। जलभराव के कारण न केवल खेती ठप थी, बल्कि पशुओं के लिए चारे का संकट भी गहरा गया था। डिस्पेंसरी और स्कूल बंद होने के कगार पर थे। ग्रामीणों ने हर संभव दरवाजा खटखटाया, प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई और राजनीतिक नेताओं से मिन्नतें कीं, लेकिन उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी।
मदद की गुहार: संत रामपाल जी महाराज ही बने एकमात्र सहारा
जब हर तरफ से रास्ते बंद हो गए, तो ग्राम पंचायत संदलाना ने एक आखिरी उम्मीद के साथ संत रामपाल जी महाराज के दरबार में जाने का निर्णय लिया। सरपंच ईश्वर सिंह और अन्य पंचायत सदस्यों ने संत रामपाल जी महाराज के समक्ष अपनी व्यथा रखी और गांव से पानी निकालने के लिए मदद की प्रार्थना की।
पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज से निम्नलिखित सामग्री की मांग की:
- दो 15 एचपी (HP) की शक्तिशाली मोटरें
- 1000 फुट (8 इंच) पाइप
तत्काल कार्यवाही
संत रामपाल जी महाराज ने किसानों की पीड़ा को तुरंत समझा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके दरबार में राजनीति नहीं, बल्कि निस्वार्थ सेवा चलती है। संत रामपाल जी महाराज ने आदेश दिया कि बिना एक पल की देरी किए, गांव में मदद पहुंचाई जाए।
उनकी आज्ञा से राहत सामग्री का काफिला तुरंत संदलाना की ‘जय बाबा मौजनाथ गौशाला’ में पहुंच गया। यह मदद केवल नाममात्र की नहीं थी, बल्कि पूरी तरह से व्यवस्थित थी।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की गई सामग्री:
- दो विशाल 15 एचपी की मोटरें
- 1000 फुट उच्च गुणवत्ता वाली 8 इंची पाइपलाइन
- स्टार्टर और सभी आवश्यक जॉइंट्स
संत रामपाल जी महाराज ने यह सुनिश्चित किया कि किसान को एक छोटे से पेंच के लिए भी बाजार न जाना पड़े, इसलिए उन्होंने पूरा ‘सेट’ भिजवाया ताकि पानी निकालने का काम तुरंत शुरू हो सके।
जवाबदेही और परिणाम: दान का सदुपयोग
संत रामपाल जी महाराज ने केवल सामान नहीं भिजवाया, बल्कि एक कड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने एक लिखित पत्र के माध्यम से पंचायत को अवगत कराया कि यह सेवा ‘लोक दिखावे’ के लिए नहीं है। उनका उद्देश्य जमीनी स्तर पर परिणाम देखना है।
संत रामपाल जी महाराज ने स्पष्ट निर्देश दिए:
- परिणाम अनिवार्य है: सामान चाहे कितना भी लगे, गांव से पानी निकलना चाहिए और अगली फसल की बिजाई होनी चाहिए।
- ड्रोन निगरानी: संत रामपाल जी महाराज ने गांव की मौजूदा स्थिति की ड्रोन वीडियो बनवाई है। पानी निकलने के बाद और फिर फसल लहलहाने पर दोबारा वीडियो बनाई जाएगी।
- भविष्य की चेतावनी: यदि संसाधनों का सही उपयोग नहीं हुआ और फसल की बिजाई नहीं हो पाई, तो भविष्य में किसी भी आपदा के लिए मदद नहीं दी जाएगी।
यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि संगत द्वारा दिए गए दान के पैसे का एक-एक रुपया जनहित में लगे।
ग्रामीणों ने माना ‘मसीहा’
संत रामपाल जी महाराज द्वारा भेजी गई मदद को देखकर ग्रामीणों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने एक स्वर में कहा कि आज के दौर में संत रामपाल जी महाराज ही किसानों के सच्चे हितैषी हैं।

ग्रामीणों ने कहा, “सरकारों के चक्कर काटते-काटते हमारे जूते घिस गए, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। संत रामपाल जी महाराज ने हमारी एक पुकार सुनी और तुरंत समाधान भेज दिया। यह काम तो माननीय छोटू राम जैसा है ( सर छोटू राम एक अग्रणी उत्तर भारतीय किसान-अधिकार कार्यकर्ता और राजनेता थे, जिन्होंने विशेष रूप से 1920 के दशक से 1940 के शुरुआती वर्षों तक किसानों का शोषण रोकने के लिए कृषक सुधारों का समर्थन किया।), जो आज संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं।”
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सरपंच ईश्वर सिंह और ग्रामीण कपिल व संदीप ने बताया कि अब उन्हें पूरा विश्वास है कि पानी समय पर निकल जाएगा और गेहूं की फसल की बिजाई हो सकेगी। उन्होंने इस सहायता को किसानों के लिए जीवनदान बताया।
संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम
संत रामपाल जी महाराज ने 250 एकड़ जमीन को बंजर होने से बचाया। यह सहायता उधार नहीं, बल्कि उनका एक स्थायी उपहार है, जो पीढ़ियों तक गांव के काम आएगा। संदलाना गाँव को दी गई सहायता कोई अकेली घटना नहीं है। यह “अन्नपूर्णा मुहिम” का हिस्सा है, जो संत रामपाल जी महाराज द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण और निरंतर बाढ़ राहत कार्य है। यह मुहिम, जो भोजन और आश्रय प्रदान करने के प्रयास के रूप में शुरू हुई थी, अब एक व्यापक मानवीय सहायता अभियान में विकसित हो गई है, जिसने 300 से अधिक गाँवों तक पहुँच बनाई है।
ऐसी दुनिया में जहाँ नौकरशाही में देरी संकट को और बढ़ा सकती है, संत रामपाल जी महाराज ने दिखाया है कि अगर हम आध्यात्मिकता के सच्चे मार्ग का अनुसरण करें तो क्या किया जा सकता है। सभी प्रयासों का संपूर्ण कवरेज SA News Channel द्वारा सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दस्तावेजित और प्रकाशित किया जा रहा है और आप Flood Relief | SA News Channel पर पूरा कवरेज पढ़ सकते हैं



