भारत का किसान केवल खेत में फसल नहीं उगाता, बल्कि पूरे देश का भविष्य सींचता है। जब यही किसान प्राकृतिक आपदा की मार झेलता है और उसकी मेहनत पानी में डूब जाती है, तब उसके लिए सबसे बड़ा सहारा वही बनता है जो संकट की घड़ी में जमीन पर उतरकर समाधान देता है। जिला हिसार (हरियाणा) के डाया गांव में आयोजित ऐतिहासिक समारोह इसी भावना का जीवंत प्रमाण बना, जहां भारतीय किसान यूनियन(अ) द्वारा संत रामपाल जी महाराज को “किसान रत्न” सम्मान प्रदान किया गया।
यह सम्मान केवल एक मंचीय उपाधि नहीं था, बल्कि उन हजारों किसान परिवारों की भावनाओं की अभिव्यक्ति था, जिनके खेतों में बाढ़ का पानी भरा था और जिनके सामने जीवनयापन का गंभीर संकट खड़ा हो गया था।
बाढ़ की त्रासदी और किसान का टूटता आत्मबल
साल 2025 में उत्तर भारत के कई राज्यों में आई भीषण बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अनेक गांवों में खेतों में तीन से छह फुट तक पानी भर गया। कपास, धान, बाजरा जैसी खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं।
सबसे बड़ा संकट यह था कि अगर समय रहते खेतों से पानी नहीं निकाला जाता, तो अगली गेहूं की फसल की बुवाई भी संभव नहीं हो पाती। इसका सीधा अर्थ था—पूरा साल बर्बाद, कर्ज का बोझ बढ़ता हुआ और किसान मानसिक रूप से पूरी तरह टूटता हुआ।
संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम: राहत नहीं, स्थायी समाधान
इसी अंधकारमय समय में संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम किसानों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई। इस मुहिम का उद्देश्य केवल भोजन या अस्थायी सहायता देना नहीं था, बल्कि खेतों से पानी निकालकर किसानों को दोबारा आत्मनिर्भर बनाना था।
गांव-गांव में बड़े व्यास की पाइपें, उच्च क्षमता वाली मोटरें, जनरेटर, केबल, स्टार्टर और डीज़ल उपलब्ध कराए गए। जिन क्षेत्रों में बिजली केवल 2–3 घंटे आती थी, वहां जनरेटर के माध्यम से लगातार मोटरें चलाकर खेतों से पानी निकाला गया। यह कार्य तब तक जारी रहा, जब तक खेत पूरी तरह सूख नहीं गए और किसान अगली फसल की तैयारी करने योग्य नहीं हो गए।
डाया गांव: किसान सम्मान का ऐतिहासिक केंद्र
डाया गांव में आयोजित किसान रत्न सम्मान समारोह किसान समाज की एकजुटता और कृतज्ञता का प्रतीक बन गया। 100 से अधिक गांवों से किसान, मजदूर और ग्रामीण यहां पहुंचे। विशाल पंडाल, सुसज्जित मंच, एलईडी स्क्रीन, मीडिया व्यवस्था और अनुशासित आयोजन ने इसे ऐतिहासिक बना दिया।
किसानों ने संत रामपाल जी महाराज के स्वरूप को बैलगाड़ी में विराजमान कर ढोल-नगाड़ों, पुष्पवर्षा और जयघोष के साथ कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया। यह दृश्य केवल उत्सव का नहीं, बल्कि उस संघर्ष का प्रतीक था जिसमें किसान ने हार नहीं मानी।
किसान रत्न सम्मान का वास्तविक अर्थ
किसान रत्न सम्मान उस सोच का सम्मान है, जिसमें किसान को केवल पीड़ित नहीं बल्कि राष्ट्र की रीढ़ माना गया। यह सम्मान उन कार्यों की मान्यता है, जिन्होंने किसानों को आत्महत्या के कगार से लौटाकर खेतों में दोबारा जीवन दिया। हिसार के ढाया में आयोजित ‘किसान रत्न सम्मान समारोह’ में संत रामपाल जी महाराज का आभार व्यक्त करने वाले मुख्य अतिथियों के विचार:
चौधरी दिलबाग सिंह हुड्डा (प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन – अंबावता, हरियाणा)
- उन्होंने संत रामपाल जी को उन किसानों के लिए “भगवान का रूप” बताया जो विनाशकारी बाढ़ के कारण आत्महत्या करने को मजबूर थे।
- उन्होंने प्रकाश डाला कि जब सरकार और उद्योगपति मदद करने में विफल रहे, तब संत रामपाल जी ने 24 घंटे के भीतर खेतों से पानी निकालने के लिए हजारों फुट पाइप और मोटरें भेजीं।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि “किसान रत्न” की उपाधि इसलिए दी जा रही है क्योंकि महाराज जी ने हजारों परिवारों की आजीविका और अगली फसल को बचाया है।
- उन्होंने कहा कि जेल के भीतर रहकर महाराज जी ने “कमेरा वर्ग” (मजदूर-किसान) के कल्याण के लिए जो कार्य किए हैं, वे किसी भी राजनीतिक नेता से कहीं अधिक बड़े हैं।
चौधरी सूरजभान ढाया (किसान नेता और महेंद्र सिंह टिकैत के सहयोगी)
- 85 वर्षीय नेता के रूप में, उन्होंने महाराज जी के अभियान की तुलना द्वापर युग में इंद्र की वर्षा से लोगों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने से की।
- उन्होंने संत रामपाल जी को “कलियुग का अवतार” कहा क्योंकि वे उस समय किसानों के साथ खड़े हुए जब वे निराशा में डूबे हुए थे।
- उन्होंने महाराज जी की “निस्वार्थ सेवा” और सभी किसानों को अपने बच्चों की तरह मानने के लिए गहरा आभार व्यक्त किया।
- उन्होंने किसान समुदाय से जाति-पाति से ऊपर उठने और यह पहचानने का आग्रह किया कि महाराज जी ही उनके सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान के सच्चे मार्गदर्शक हैं।
डॉ. विक्रांत हुड्डा (युवा नेता और पीएचडी विद्वान)
- उन्होंने उल्लेख किया कि जुटी हुई यह विशाल भीड़ किसी राजनीतिक रैली के लिए नहीं, बल्कि उस संत के प्रति सच्चे प्रेम के कारण है जिसने उनके सबसे कठिन समय में उनका हाथ थामा।
- उन्होंने प्राकृतिक आपदा के बाद पूरे हरियाणा में किसानों की आत्महत्या की लहर को रोकने का श्रेय संत रामपाल जी के “एक आदेश” को दिया।
- उन्होंने दावा किया कि महाराज जी का “गवर्नेंस मॉडल” (रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान प्रदान करना) वह है जो वास्तव में सरकारों को करना चाहिए।
- उन्होंने किसानों को दहेज मुक्त विवाह और नशा मुक्त जीवन जैसे संस्कार देने के लिए महाराज जी का धन्यवाद किया, जो किसान के परिवार और आर्थिक स्थिति की रक्षा करते हैं।
संजीव कुहाड़ (प्रधान, जाट धर्मशाला हिसार एवं नंबरदार)
- उन्होंने उन किसानों की मानसिक पीड़ा की ओर इशारा किया जिनकी फसलें 7 फीट पानी में डूबी हुई थीं और प्रशासन कार्रवाई करने में विफल रहा था।
- उन्होंने महाराज जी का धन्यवाद किया कि जेल में होने के बावजूद उन्होंने अपनी चिंता छोड़ किसानों के खेतों से पानी निकालने की चिंता की।
- उन्होंने उल्लेख किया कि महाराज जी की टीम ने हजारों एकड़ जमीन को सुखाने के असंभव कार्य को वास्तविकता में बदल दिया, जिससे गेहूं की बिजाई का सीजन बच गया।
- उन्होंने कहा कि फसल बचाकर महाराज जी ने अनिवार्य रूप से हजारों ग्रामीण घरों की शादियों, शिक्षा और रोटी को बचा लिया है।
नरेश यादव (प्रसिद्ध किसान नेता, हांसी)
- उन्होंने स्वीकार किया कि महाराज जी हांसी और आसपास के ब्लॉकों के गांवों के लिए “संकट मोचन” बन गए हैं।
- उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जेल में रहते हुए भी महाराज जी का ध्यान पूरी तरह से गरीबों और “धरती पुत्रों” के कल्याण पर केंद्रित है।
- उन्होंने हांसी ब्लॉक की 12 पंचायतों की ओर से महाराज जी को और अधिक सम्मानित करने के लिए एक और सम्मान समारोह का आधिकारिक अनुरोध प्रस्तुत किया।
- उन्होंने महाराज जी को एकमात्र ऐसा “सच्चा संत” बताया जो अपने संसाधनों का पूरा उपयोग मानवता की सेवा और आध्यात्मिक जागृति के लिए करते हैं।
एक संदेश जो इतिहास बनेगा
यह ऐतिहासिक ‘किसान रत्न सम्मान समारोह’ इस बात का जीवंत प्रमाण है कि संत रामपाल जी महाराज आज के समय में करोड़ों किसानों और मजदूरों के लिए एक मसीहा और “साक्षात भगवान” के रूप में उभरे हैं। जब विनाशकारी बाढ़ के दौरान सरकार और प्रशासन के हाथ खड़े हो गए थे, तब महाराज जी ने जेल में रहते हुए भी अपनी चिंता त्याग कर किसानों की ‘फसल और नस्ल’ बचाने का जो बीड़ा उठाया, वह अविस्मरणीय है। उनके द्वारा भेजी गई हजारों फुट पाइप लाइनों और मोटरों ने न केवल खेतों से पानी निकाला, बल्कि किसानों के मुरझाए चेहरों पर फिर से मुस्कान और भविष्य की उम्मीद जगाई है।
किसानों ने उन्हें ‘किसान रत्न’ की उपाधि देकर अपनी उस कृतज्ञता को प्रकट किया है, जिसे शब्दों में बांधना असंभव है क्योंकि उन्होंने डूबते हुए किसान को तिनके का नहीं, बल्कि पूरे सहारा दिया है। यह आयोजन इस विश्वास के साथ समाप्त हुआ कि जब तक समाज में संत रामपाल जी महाराज जैसे सच्चे मार्गदर्शक हैं, तब तक मानवता और धर्म सुरक्षित हैं। उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन करते हुए संपूर्ण किसान समाज उन्हें इस निस्वार्थ सेवा के लिए हृदय से धन्यवाद देता है, जिन्होंने जेल की सलाखों के पीछे से भी मानवता की मशाल को प्रज्वलित रखा है। वास्तव में, उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि सच्चा संत वही है जो संकट की हर घड़ी में अपने बच्चों (भक्तों और जनता) के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहे।



