Last Updated 6 March 2024 IST: गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: 21 मार्च 2024 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 2079 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को संत गरीब दास जी का बोध दिवस है। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने संत गरीबदास जी महाराज को 10 वर्ष की आयु में दर्शन देकर ज्ञान उपदेश दिया था। बंदी छोड़ गरीबदास जी महाराज के ज्ञान बोध दिवस पर सभी सतलोक आश्रमों में अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है।
गरीब, सब पदवी के मूल हैं, सकल सिद्धि है तीर ।
दास गरीब सत पुरूष भजो, अविगत कला कबीर | |
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस पर 19 से 21 मार्च 2024 को तीन दिवसीय महासमागम का आयोजन किया जा रहा है इस पवित्र अवसर पर तीन दिवसीय अखण्ड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग समारोह, रक्तदान शिविर, दहेज रहित विवाह जैसे कई भव्य कार्यक्रम होंगे। जिसमें आप परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं।
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को संत गरीबदास जी का बोध दिवस
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: 21 मार्च 2024 को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 2079 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस तिथि को अमर ग्रंथ श्री सद्ग्रंथ साहेब के रचयिता संत गरीब दास जी का बोध दिवस है। सन 1727 अर्थात विक्रम संवत 1783 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को संत गरीबदास जी महाराज को 10 वर्ष की आयु में परमेश्वर कबीर साहेब ने पृथ्वी पर आकर जिंदा वेशधारी बाबा के रूप में दर्शन दिए। अपने साथ ऊपर के सभी लोकों के दर्शन और सहस्त्रबाहु काल ब्रह्म, दस सहस्त्र बाहु अक्षर पुरुष और सतलोक में अखंड ब्रह्मांडों के स्वामी सत्यपुरुष के सिंहासन के दर्शन भी कराए। ज्ञान उपदेश नाम दीक्षा देकर सत भक्ति करने के लिए पुनः पृथ्वी लोक में भेज दिया।
Sant Garibdas ji said,
— SA News Channel (@SatlokChannel) February 5, 2021
Surapaan madya maansahaari | gaman karae bhogae par naari ||
Sattar janm katat hain sheesham | sakshi Saheb hain JagdishM ||
Those who drink alcohol & practice adultery are beheaded for 70 births.
– Sant Rampal Ji Maharaj#fridaymorning#FridayMotivation pic.twitter.com/msn90hfJyQ
क्या है बोध दिवस?
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: बोध दिवस किसी व्यक्ति का जन्मदिन नहीं बल्कि आध्यात्मिक जन्मदिन है। बोध दिवस किसी व्यक्ति का जन्मदिन नहीं है। यह ऐसा शुभ दिन है जिस दिन पुण्यात्मा पूर्ण परमेश्वर और सतगुरु से ज्ञान उपदेश यानी नाम दीक्षा लेता है। एक सच्चे मुमुक्षु के लिए यही दिवस वास्तविक जन्मदिन है। ऐसे शुभ दिवस पर व्यक्ति को मनुष्य योनि में जन्म मिलने पर इस जीवन के वास्तविक कर्तव्य का बोध होता है। नाम दीक्षा ज्ञान उपदेश केवल पूर्ण परमात्मा या उनसे सीधे दीक्षित तत्वदर्शी संत से ही लिया जा सकता है। अनन्त कोटि ब्रह्मांड के स्वामी पूर्ण परमेश्वर कबीर जी को सतगुरु रूप में पाकर दादू जी ने सतगुरु की महत्ता को इस प्रकार जताया ।
जिन मुझको निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सिरजनहार।।
दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट। उनको कबहु लागे नहीं, काल वज्र कि चोट।।
21 मार्च 2024 संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर जानिए संत गरीबदास जी की जीवनी
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर गांव छुड़ानी में सन् 1717 (विक्रमी संवत 1774) में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री बलराम जी मूल रूप से हरियाणा प्रांत के रोहतक जिले के करोंथा गाँव के रहने वाले थे। उनकी माता श्रीमती रानीदेवी जी छुड़ानी निवासी श्री शिवलाल सिहाग जी की पुत्री थी। श्री शिवलाल जी के कोई पुत्र नहीं होने के कारण संत गरीबदास जी के पिता उनके नाना जी के पास छुड़ानी गांव में ही घरजवाँई के रूप में रहने लगे थे। पहले उनके पिता उनके नाना जी की 2500 बीघा (1400 एकड़) भूमि के अकेले वारिस थे और बाद में इकलौते पुत्र संत गरीबदास जी। बचपन से ही गरीबदास जी अपने पिता की 150 गायों को चरानें ग्वालों के साथ जाते थे ।
बालक गरीबदास जी का सत्यपुरुष कबीर साहेब से मिलना
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: जब गरीबदास जी 10 वर्ष की आयु के थे उस समय का एक वृतांत है। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे बैठ अन्य ग्वालों के साथ भोजन कर रहे थे। जांडी का यह पेड़ कबलाना गाँव से छुड़ानी गाँव के रास्ते पर स्थित था वर्तमान में वहाँ रास्ते का निर्माण कर दिया गया है। सतलोक से सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में जांडी के पेड़ से कुछ दूरी पर अवतरित हुए और छुड़ानी गाँव की ओर चल दिए। जब परमेश्वर जी वहाँ उपस्थित ग्वालों के पास आए तो सभी ग्वालों ने राम – राम करके बाबा जी से भोजन करने का अनुरोध किया जिसे बाबा जी ने अस्वीकार कर दिया। ग्वालों ने जोर देते हुए पुनः अनुरोध किया कि भोजन नहीं करते तो दूध तो अवश्य पीना पड़ेगा।
परमेश्वर जी दूध पीने के लिए राजी तो हो गए लेकिन कहा कि मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूँ। बड़ी उम्र के ग्वालों ने कहा कि कुंवारी गाय तो दूध नहीं देती है आप तो मजाक कर रहे हैं। लेकिन परमेश्वर जी की कुंवारी गाय के दूध पीने की दृढ़ इच्छा को देखकर गरीबदासजी अपनी प्यारी बछिया जो लगभग डेढ़ वर्ष की आयु की थी उसे ले आए। परमेश्वर ने गरीबदास जी की कुंवारी बछिया की कमर पर आशीर्वाद भरा हाथ रखा तो स्तन लंबे हो गए और 5 किलोग्राम की क्षमता का मिट्टी का पात्र स्तनों के नीचे रखने से दूध से भर गया।
■ Read in English: Sant Garibdas Ji Bodh Diwas: Know The Saint Who Has Become The Cause Of Salvation For Many
जिंदा बाबा रूप में परमात्मा ने थोड़ा दूध पिया और बचा हुआ दूध ग्वालों को पीने के लिए दे दिया। जादू टोना जैसा चमत्कार जानकर शंकित ग्वाले दूध पिए बिना दूर जाकर बैठ गए। बालक गरीबदास जी ने जिंदा बाबा से कहा आपका झूठा दूध अमृत है यह दूध मैं अवश्य पियूँगा ऐसा कहकर उन्होंने कुछ दूध पी लिया।
परमेश्वर जी द्वारा गरीबदास जी को ऊपरी रूहानी मंडलों के दर्शन कराना
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: तत्पश्चात जिंदा बाबा जी ने बालक गरीबदासजी को तत्वज्ञान (सूक्ष्म वेद ज्ञान) का बोध कराया। गरीबदासजी के अत्यधिक आग्रह करने पर जिंदा बाबा जी ने गरीब दास जी के शरीर से आत्मा को अलग किया और ऊपरी रूहानी मंडलों के दर्शन कराए। एक ब्रह्मांड के सर्व लोकों कों दिखाते हुए ब्रह्मा, विष्णु, महेश से मिलवाया। श्री देवी दुर्गा एवं सहस्त्रबाहु क्षरपुरुष कालब्रह्म के लोकों का अवलोकन कराया। स्मरण रहे श्रीमदभगवत गीता में अध्याय 10-11 में जिस प्रभु ने एक हजार हाथों वाला विराट स्वरूप दिखाया था वही 21 ब्रह्मांडों का स्वामी क्षरपुरुष कालब्रह्म है। परमेश्वर बालक गरीबदास जी को दसवें द्वार (ब्रह्मरंध्र) को पार करके काल ब्रह्म के 21 ब्रह्मांडों के अंतिम छोर पर स्थित ग्यारहवें द्वार को पार करके सात शंख ब्रह्मांडों वाले लोक में प्रवेश किया। परमेश्वर गरीब दास जी को सात शंख ब्रह्मांडों का भेद बताकर दस हजार भुजाओं वाले वहाँ के स्वामी अक्षरपुरुष से मिलाकर बारहवें द्वार से निकाल कर भंवर गुफा में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़े।
परमेश्वर कबीर साहेब ने गरीबदास जी को मंत्र भेद बताये
जिंदा बाबा वेशधारी परमेश्वर ने बालक गरीबदास जी को यह भेद भी बताया कि उन्होंने दसवें ब्रह्मरंध्र द्वार को सतनाम जाप से खोला था, ग्यारहवें द्वार को तत् सत् के सांकेतिक मंत्र जाप से खोला था और आगे बारहवें द्वार को सत् शब्द (सार नाम) से खोलेंगे। नाम जप कर परमेश्वर भंवर गुफा में प्रवेश कर गए। सतलोक में प्रवेश करके श्वेत गुंबद के सामने पहुँच कर हीरे की तरह प्रकाशमान सिंहासन पर तेजोमय श्वेत नर रूप में विराजमान परम अक्षर पुरुष (सत्य पुरुष) के सामने गए। उनके एक रोम में करोड़ सूर्यों और करोड़ चंद्रमाओं के मिले जुले प्रकाश से अधिक प्रकाश निकल रहा था। स्मरण रहे परम अक्षर पुरुष के पवित्र शरीर और उनके अमर लोक से निकलने वाले प्रकाश को चर्म दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है अपितु दिव्य दृष्टि से ही देखा जा सकता है।
जिंदा वेशधारी बाबा कबीर साहेब और सत्यपुरुष एक ही हैं
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: जिंदा बाबा बालक गरीबदास को सिंहासन के निकट ले आए और वहाँ रखे चँवर को उठाकर परमात्मा को चंवर करने लगे। गरीबदास जी सोचने लगे कि सिंहासन पर विराजमान तो परमात्मा हैं और उनके साथ आए जिंदा बाबा परमात्मा के सेवक। इतने में सिंहासन पर विराजमान तेजोमय परमात्मा उठकर खड़े हो गए और जिंदा बाबा से चँवर लेकर उन्हें सिंहासन पर बैठने का संकेत किया और उन्हे चँवर करने लगे। असंख्य ब्रह्मांडों के स्वामी जिन्दा वेशधारी बाबा सिंहासन पर विराजमान हो गए।
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बालक गरीबदास अब सोचने लगे कि जिंदा बाबा ही पूर्ण परमात्मा है। इतने में तेजोमय परमात्मा जिंदा बाबा के शरीर में समा गए और जिंदा बाबा के शरीर में उतना ही तेज हो गया जितना पूर्व में सिंहासन पर विराजमान सत्यपुरुष का था। कुछ समय के पश्चात सतपुरुष ने गरीब दास जी को बताया मैंने ही शब्द से सर्व ब्रह्मांडों, सर्वपदार्थों, सर्व आत्माओं, क्षरपुरुष और अक्षरपुरुष को उत्पन्न किया है। पवित्र वेदों में जो कविर्देव आदि नाम हैं वह मेरा ही बोध है। वेदों से पहले भी मैं सतलोक में विराजमान था, कबीर जुलाहे के रूप में मैने ही 120 वर्ष तक पृथ्वी पर उपदेश दिया।
सत्यपुरुष कबीर साहेब द्वारा सतलोक में स्थायी स्थान प्राप्त करने के लिए नाम दीक्षा उपदेश दिया
तीसरे पहर अन्य ग्वालों को बालक गरीबदास का ध्यान आया तो पाया उनका शरीर मृतप्रायः है। उन्होंने घर वालों को कुंवारी बछिया का वृतांत बताया। माता पिता नानी नाना और सभी ग्रामीण, बालक गरीबदास को मृत जानकर चिता पर लेटा कर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। तब परमेश्वर ने गरीबदास जी को पृथ्वी लोक में जाने की आज्ञा दी।
सतलोक से गरीबदास जी को पृथ्वी लोक नरक के समान दिखाई दे रहा था अतः उन्होंने सतलोक में ही रहने की आज्ञा मांगी। तब सत्यपुरुष कबीर साहेब ने पृथ्वी पर वापस जाकर उनके अनुसार बताई भक्ति को मर्यादा में रहकर करने का आदेश दिया ताकि सतलोक में स्थायी स्थान प्राप्त हो सके। तब परमेश्वर कबीर जी ने गरीबदास जी की जीवात्मा के ज्ञान चक्षु खोलकर अन्तःकरण में अध्यात्म ज्ञान डाल कर प्रथम मंत्र देकर आत्मा को पुनः शरीर में प्रवेश करा दिया। उन्होंने गरीब दास जी को पृथ्वी पर स्वयं आकर द्वितीय मंत्र सतनाम और तृतीय मंत्र सारनाम प्रदान करने का वायदा भी किया।
परमात्मा द्वारा प्रदत्त अमृतज्ञान को गरीबदास जी द्वारा दोहो, चौपाइयों और शब्दों के रूप में बुलवाना
अपने शरीर में पुनः प्रविष्ट होकर बालक गरीबदास जी ऊपर सतलोक की ओर देखकर स्वयं परमात्मा द्वारा प्रदान किए अमृतज्ञान को दोहों, चौपाइयों और शब्दों के रूप में बोल रहे थे। बालक को पुनर्जीवित पाकर हर्षित जन बालक को बड़बड़ाते देख गांव वालो ने बालक को जादू जंत्र से ग्रसित समझा। घर आने पर बहुत उपचार से भी ठीक न हुए बालक गरीबदास को ग्रामीण जन पागल मान बैठे थे ।
दादू दास जी के पंथ से दीक्षित संत गोपालदास से गरीबदास जी का मिलना
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: इस घटना के तीन वर्ष बीत जाने के उपरांत दादू दास जी के पंथ से दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार के थे और शिक्षित भी थे उस गांव में आए। गाँव वालों के निवेदन पर गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपाल दास जी समझ गए कि यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है। गोपाल दास जी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हें कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय संत गरीबदास जी ने उत्तर दिया कि मुझे जिंदा बाबा मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुटवाते हैं। गरीबदास जी ने बताया :-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन । झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान ।।
गरीब, शब्द स्वरूपी उतरे, सतगुरु सत कबीर । दास गरीब दयाल है, डिगे बँधावै धीर ।।
गरीब, ऐसा सतगुरु हम मिलया, है जिंदा जगदीश । सुन्न विदेशी मिल गया छात्र मुकुट है शीश ।।
गरीब, जम जौरा जासे डरें, धर्मराय धरै धीर । ऐसा सतगुरु एक है, अदली असल कबीर ।।
गरीब, माया का रस पीय कर, हो गए डामा डोल । ऐसा सतगुरु हम मिलया, ज्ञान योग दिया खोल ।।
गरीब, जम जौरा जासे डरें, मिटें कर्म के लेख । अदली असल कबीर है, कुल के सतगुरु एक।।
गरीबदास जी द्वारा तत्वज्ञान को हस्तलिखित अमर ग्रंथ श्री सद्ग्रंथ साहेब के रूप में लिपिबद्ध करवाना
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: ऊपर लिखित अमृतवाणी बोलकर गरीबदास जी वहाँ से चल दिए। गोपाल दास जी पीछे पीछे चले और गरीबदास जी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदास जी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदास जी ने बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ श्री ग्रंथ साहिब की रचना हुई। इस महान अमर ग्रंथ साहेब में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
गरीबदास जी सर्वप्रथम सत्यपुरुष की वंदना करते हुए कहते हैं :-
गरीब नमो नमो सतपुरुष कुं, नमस्कार गुरु कीन्ही ।
सुर नर मुनिजन साधवा, संतों सरबस दीन्ही ||
सतगुरु साहिब संत सब, दण्डौतं प्रणाम ।
आगे पीछे मध्य हुए, तिन कुं जां कुरबान ||
संत गरीबदास जी द्वारा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए मर्यादा पालन और सत भक्ति पर जोर
गरीबदास जी द्वारा बंधन मुक्त होने के लिए दिये गए सारशब्द पर दृढ़ रहने का उपदेश दिया है –
जो कोई कहा हमारा माने, सार शब्द कुं निश्चय आने ||
संत गरीबदास जी ने भौतिक जीवन में मर्यादा में रहने पर जोर दिया है –
सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करे भोगे पर नारी।
सत्तर जन्म कटत है शीशं , साक्षी साहिब है जगदीशं। |
पर द्वारा स्त्री का खोले , सत्तर जन्म अंध होए डोले।
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान कै जानी।|
भवसागर के बंधन से मुक्ति दिलाकर सुखसागर सतलोक ले जाने के कारण बंदी छोड़ कहे जाते हैं सत मार्ग के संत-
अमर करू सतलोक पठाउं, ताते बन्दी छोड़ कहाउं। |
गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। संत गरीबदास जी महाराज का एक भगत भूमड़ दास उनके सत्यलोक गमन की घटना से अपरिचित था। गरीबदास जी महाराज के सतलोक जाने के पश्चात अपने भक्त की करुण पुकार सुनते हुए गरीबदास जी उसी शरीर में सहारनपुर में उपस्थित हुए और उसके बगीचे में ही एक कुटिया बनवाकर रहने लगे और सत्संग सुनाने लगे। इस प्रकार 35 वर्ष वहाँ रहकर जब उन्होंने शरीर छोड़ा तो उनके परिवार वालों को छुड़ानी में खबर दी गई। विश्वास न होने पर छुड़ानी से घुड़सवार भेजे गए और गरीबदास जी महाराज का शरीर देखकर वे विस्मित हो गए। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार सहारनपुर में हुआ। वहाँ भी एक यादगार बनी हुई है।
संत गरीबदास जी द्वारा संत रामपाल जी के हरियाणा में अवतरण की भविष्यवाणी
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: बंदीछोड़ संत गरीबदासजी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है कि पूर्ण परमात्मा जिस क्षेत्र में आएं उस पवित्र स्थल के कारण आस-पास के क्षेत्र को हरिआना (हरयाणा) कहने लगें ।
पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण, फिरता दाने दाने नुँ।
सर्व कला सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नुँ।|
गरीबदास जी की भविष्यवाणी 1966 में सिद्ध हुई। सन् 1966 में पंजाब राज्य के विभाजन होने पर इस क्षेत्र का नाम हरियाणा पड़ा, जो परमात्मा के अवतरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हरियाणा में पहले तत्वदर्शी संत गरीबदास जी महाराज और वर्तमान में पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत जगतगुरु रामपाल जी महाराज के रूप में धरती पर अवतरित हुए हैं और सतज्ञान का जन जन को उपदेश दिया हैं।
इस साल बोध दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
गरीबदास जी महाराज बोध दिवस 2024: इस वर्ष भी बोध दिवस पर सतग्रंथ साहेब के अखंड पाठ और विशाल भंडारा, विशाल सत्संग, दहेज मुक्त विवाह आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है।
गरीब, शब्द स्वरूपी उतरे सतगुरु सत कबीर।
दास गरीब दयाल हैं डिगे बंधावैं धीर ||
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस पर 19 से 21 मार्च 2024 को तीन दिवसीय महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इस पवित्र अवसर पर अखण्ड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग समारोह जैसे कई भव्य कार्यक्रम होंगे जिसमें आप परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं जिसके आयोजन स्थल हैं-
- सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
- सतलोक आश्रम रोहतक (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम धूरी (पंजाब)
- सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब)
- सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
- सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
- सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश)
- सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)
आप सभी कभी भी संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित सतलोक आश्रमों में जाकर पवित्र पुस्तकों का अवलोकन एवं बहुत ही कम मूल्य में क्रय कर सकते हैं। मोक्ष की मुमुक्षु पुण्यात्माएं जो तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेना चाहते हैं उनके लिए भी यह अनुपम अवसर है। जो आत्माएं अपने मनुष्य जीवन को सार्थक करने के लिए शंका समाधान कराना चाहते हैं या अपने कष्टों को दूर करना चाहते हैं वे भी इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं।
गरीब, हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी माहीं कबीर हुआ।।
यह उत्सव सतज्ञान अर्जित करने का एक पावन अवसर है जिसमें पधारकर आप सत्संग श्रवण कर सकते हैं। जो पुण्यात्माएं इस अवसर पर आश्रम में नहीं पधार सकते हैं वे ऑनलाइन सीधा प्रसारण देख सकते हैं। इस भव्य कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 21 मार्च 2024 को सुबह 09:15 बजे से साधना टीवी पर और सुबह 09:15 बजे से पॉपुलर टीवी पर होगा।
इस विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं जो निम्न हैं:-
- Facebook page:- Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
- Youtube:- Sant Rampal Ji Maharaj
- Twitter :- @SaintRampalJiM
अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें। पवित्र पुस्तक जीने की राह पढ़ें।