November 18, 2024

सच्चे गुरु की पहचान क्या है? जानिए प्रमाण सहित

Published on

spot_img

आज हम आप को इस ब्लॉग के माध्यम से सच्चे गुरु की पहचान के बारे में बताएँगे, जैसे वर्तमान में सच्चा गुरु कौन है?, सच्चे गुरु को कैसे पहचाने?, सच्चा गुरु कहां और कैसे मिलेगा? आदि.

सच्चे गुरु की पहचान

भारतीय संस्कृति बहुत पुरातन है और इसमें गुरु बनाने की परंपरा भी बहुत पुरानी रही है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाता है ताकि गुरु उनके जीवन को नई सकारात्मक दिशा दिखा सके। जिस पर चलकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल व सुखमय बना सके एवं मोक्ष प्राप्त कर सके।

गुरु की महत्ता को बताते हुए परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि

कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुराण।।

कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।

भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी हमें बता रहे हैं कि बिना गुरु के हमें ज्ञान नहीं हो सकता है। गुरु के बिना किया गया नाम जाप, भक्ति व दान- धर्म सभी व्यर्थ है।

■ उपर्युक्त लिखी गई कुछ पंक्तियां एवं दोहों से हमें यह तो समझ में आ गया कि बिना गुरु के ज्ञान एवं मोक्ष संभव नहीं है।

वर्तमान में व्यक्ति के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि यदि वह गुरु धारण करना चाहे तो वह किसे गुरु बनाए? उसकी सामर्थ्य और शक्ति का मापदंड कैसे निर्धारित किया जाए । वर्तमान में बड़ी संख्या में गुरु विद्यमान हैं और अधिकतर से धोखा ही धोखा है ऐसे हालात में क्या हम एक सच्चे और नेक गुरु को खोज पाएंगे? आज पूरे विश्व में धर्म गुरुओं व संतों की बाढ़ सी आई हुई है । मुमुक्षु को समझ में नहीं आता है कि सच्चा (अधिकारी) सतगुरु कौन है जिनसे नाम दीक्षा लेने से उसका मोक्ष संभव हो सकता है?

वर्तमान में सच्चा गुरु कौन है एवं उसकी पहचान क्या है?

वेदों, श्रीमद्भगवद गीता आदि पवित्र सद्ग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है व अधर्म की वृद्धि होती है तथा नकली संतों, महंतों और गुरुओं द्वारा भक्ति मार्ग के स्वरूप को बिगाड़ दिया गया होता है। तब परमेश्वर स्वंय आकर या अपने परम ज्ञानी संत को भेजकर सच्चे ज्ञान के द्वारा धर्म की पुनः स्थापना करते हैं और भक्ति मार्ग को शास्त्रों के अनुसार समझाकर भगवान प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त करते हैं।

#GodMorningSaturday
पूर्ण गुरु की पहचान गीता जी अध्याय 15 मंत्र 1 से 4 में वर्णित है
In present time, Complete Guru is only Saint rampal ji Maharaj
अधिक जानकारी के देखी Saint Rampal ji Maharaj Satsang साधना चैनल पर 7:30 बजे#5thApril pic.twitter.com/5qQ7JoVWf3

— Harish Sethi ?? (@Harish7Sethi) April 4, 2020

हमेशा से ही हम गुरु महिमा सुनते आए हैं । इतना तो हर कोई समझने लगा है कि गुरु परम्परा का जीवन मे बहुत महत्व है। एक बार सुखदेव ऋषि अपनी सिद्धि शक्ति से उड़कर स्वर्ग पहुच गए थे लेकिन विष्णु जी ने उन्हें यह कहकर स्वर्ग में स्थान नही दिया कि सुखदेव ऋषि जी आपका कोई गुरु नहीं है  अंततः सुखदेव ऋषि को धरती पर वापस आकर राजा जनक जी को गुरु बनाना पड़ा था।कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु ही सद्गति का एकमात्र जरिया है।

  • गु : अर्थात् अंधकार
  • रु : अर्थात् प्रकाश

गुरु ही मनुष्य को जन्म मरण के रोग रूपी अंधकार से पूर्ण मोक्ष रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, पाखंडवाद और अंधभक्ति की गहरी नींद से जगाकर समस्त जनसमूह को वास्तविक और प्रमाणित भक्ति प्रदान करते हैं।

इतिहास गवाह है कि जितने भी महापुरुष व संत इस धरती पर हुए हैं सभी ने गुरु किए चाहे वह विष्णु के अवतार राम हो या कृष्ण या फिर गुरु नानक देव जी या गरीब दास जी महाराज। इन्होंने अंतिम स्वांस तक गुरु की मर्यादा में रहकर भक्ति की । श्री रामचंद्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाकर उनसे नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राजकाज में गुरु वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर ही कार्य करते थे।

कबीर,सतगुरु के दरबार मे, जाइयो बारम्बार
भूली वस्तु लखा देवे, है सतगुरु दातार।
हमे सच्चे गुरु की शरण मे आकर बार बार उनके दर्शनार्थ जाना चाहिए और ज्ञान सुनना चाहिए।
सच्चे गुरु की पहचान करने के लिए अवश्य पढ़ें गीता अध्याय 15 श्लोक 1#Secrets_Of_BhagavadGita
https://t.co/np4UYjfUaC

— Mãhëñdrâ Graphics Mahi ? (@Graphicssrdr) December 8, 2019

श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनी जी गुरु बना कर शिक्षा प्राप्त की थी। आज हम अक्षर ज्ञान तो ग्रहण कर रहे हैं लेकिन अध्यात्म ज्ञान से कोसों दूर होते जा रहें हैं और इतने सारे धर्मगुरु व संतों के होने के बावजूद भी लोग नास्तिकता की ओर बढ़ते जा रहे हैं और भगवान में हमारी आस्था खत्म होते जा रही है।

नास्तिकता के पीछे का कारण क्या है?

हमें जो भक्ति हमारे धर्म गुरुओं व संतों द्वारा दी जा रही है, क्या वह सही नहीं है? गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानी मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।

सच्चे गुरु की पहचान: तो क्या आज तक भक्त समाज को सच्चा सतगुरु नहीं मिला है। गीता ज्ञान दाता खुद बोल रहा है कि शास्त्र विरुद्ध साधना व्यर्थ है और अनअधिकारी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से हमें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है अर्थात हमें सच्चा सद्गुरु ढूंढना होगा। तो चलिए हमारा जो प्रश्न था कि सच्चा सतगुरु कौन है हम इस प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं और देखते हैं कि हमारे सद्ग्रंथ व जिन महान संतों को परमात्मा खुद आकर मिले थे अपने तत्वज्ञान से परिचित कराया था उन्होंने सच्चे सद्गुरु की क्या पहचान बताई है?

पवित्र सदग्रंथों के आधार पर सच्चे सद्गुरु की पहचान

सबसे पहले हम पवित्र गीता जी से प्रमाण देखते हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।

यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25 व 26 में लिखा है कि वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा। वह तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार एवं संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता है।

तीन बार में नाम जाप देने का प्रमाण:-

गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में लिखा है कि

ऊं, तत् , सत् , इति, निर्देश: , ब्रह्मण: , त्रिविध: , समृत: ।
ब्राह्मणा: , तेन, वेदा: , च, यज्ञा: , च , विहिता: , पुरा।।

भवार्थ:- (ऊं) ब्रह्म का (तत्) यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का (सत्) पूर्णब्रह्म का (इति) ऐसे यह (त्रिविध:) तीन प्रकार के (ब्रह्मण:) पूर्ण परमात्मा के नाम सिमरन का (निर्देश:) संकेत( समृत:) कहा है (च) और (पुरा) सृष्टि के आदिकाल में (ब्राह्मण:) विद्वानों ने बताया कि (तेन) उसी पूर्ण परमात्मा ने (वेदा:) वेद (च) तथा (यज्ञा:) यज्ञ आदि (विहिता:) रचे।

यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 30 मे:-

व्रतेन दीक्षाम् आप् नोति दीक्षया आप् नोति दक्षिणाम् ।
दक्षिणा श्रध्दाम् आप् नोति श्रध्दया सत्यम् आप्यते।।

भावार्थ:- इस वेद मंत्र में सच्चे गुरु की पहचान बताते हुए कहा गया है की सच्चा सतगुरु उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है ।

महान संतों के आधार पर सच्चे सतगुरु की पहचान क्या है?

कबीर साहेब सच्चे सद्गुरु की पहचान बताते हुए अपनी वाणी में कहते हैं कि

जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मै तो से वर्णी।।

भावार्थ:- कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में यह समझा रहे हैं कि जो मेरा संत अर्थात् सच्चा सतगुरु जब समाज को सत भक्ति मार्ग बताएगा तब वर्तमान के धर्मगुरु उसके विरोध में खड़े होकर राजा व प्रजा को गुमराह करके उसके ऊपर अत्याचार करेंगे एंव उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे।

गरीब दास जी महाराज अपनी वाणी में कहते हैं कि

सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद षट् शास्त्र, कहै आठरा बोध।

अर्थात जो गुरु चार वेद छह शास्त्र और 18 पुराणों आदि सभी सद्ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा वही सच्चा सतगुरु होगा।

गरीब दास जी महाराज अपनी अमृतवाणी में लिखते हैं कि

गरीब स्वांसा पारस भेद हमारा, जो खोजे सो उतरे पारा।
स्वासा पारा आदि निशानी, जो खोजे सो होय दरबानी।।
स्वांसा ही में सार पद , पद में स्वांसा सार।
दम देही का खोज करो, आवागमन निवार।।

जैसा कि हमने ऊपर में पवित्र श्रीमद्भगवद गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 मे प्रमाण देखा कि सच्चा सतगुरु तीन बार में नाम जाप देते हैं । इसी का प्रमाण अब हम संतों की वाणी में देखते हैं।

गुरु नानक देव जी की वाणी में प्रमाण:-

चहुऊं का संग , चहुऊं का मीत , जामै चारि हटावै नित।
मन पवन को राखै बंद , लहे त्रिकुटी त्रिवेणी संध।।
अखण्ड मण्डल में सुन्न समाना , मन पवन सच्च खण्ड टिकाना।

अर्थात पूर्ण सतगुरु (सच्चा सतगुरु) वही है जो 3 बार में नाम दें और स्वांस की क्रिया के साथ सुमिरन का तरीका बताएं जिससे जीव का मोक्ष संभव हो सके। सच्चा सतगुरु तीन प्रकार के मंत्रों को तीन बार में उपदेश करेगा इसका वर्णन कबीर सागर ग्रंथ पृष्ठ नंबर 265 बोध सागर में भी मिलता है ।

तो चलिए हम वर्तमान में उपस्थित कुछ संतो के विचार व उनके अध्यात्मिक ज्ञान को लेते हैं और जांच करते हैं कि उपर्युक्त सभी प्रमाण किन महान संतों पर बैठता है।

प्रश्न:- क्या परमात्मा अपने साधकों को पाप से मुक्त कर सकता है अर्थात प्रारब्ध के पाप कर्मों को नष्ट कर सकता है या नहीं ?
भारत देश के तमाम धर्मगुरुओं जैसे

  1. श्री आसाराम जी महाराज
  2. श्री शिव दयाल जी महाराज
  3. श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
  4. श्री रुक्मणी कृष्ण प्रभु जी महाराज
  5. जैन साध्वी वैभवश्री जी
  6. श्री तुलसीदास जी महाराज

इन सभी का मानना है कि साधक को प्रारब्ध के पाप कर्म भोगने ही पड़ेंगे।

जबकि संत रामपाल जी महाराज ने सद्ग्रंथों से यह प्रमाणित करके बताया है कि परमात्मा साधक के घोर से घोर पाप को भी काट कर उनकी आयु 100 वर्ष कर देता है।

प्रमाण:- पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13

परमात्मा साकार है या निराकार?

उपर्युक्त संतों का जवाब होता है कि परमात्मा निराकार है। जबकि संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगो में हमारे पवित्र वेदों से प्रमाणित करके बताते है कि परमात्मा साकार और मानव सदृश है तथा ऊपर के लोक में विराजमान हैं।

प्रमाण:- ऋग्वेद मंडल 9 , सूक्त न० 86 के मंत्र 26 व 27 में।

इन प्रश्नों से हमें यह तो पता चलता है कि संत रामपाल जी महाराज को छोड़कर बाकी अन्य धर्म गुरुओं के पास शास्त्र अनुकूल साधना नहीं है ना ही वे शास्त्रों के अनुसार मंत्र व भक्ति बताते हैं । क्योंकि यदि वह शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताते तो कदापि नहीं कहते की भक्ति साधना से साधक का प्रारब्ध पाप कर्म नहीं कट सकता है और उसे तो भोगना ही पड़ेगा। सभी संत महापुरुषों को सच्चे नामों के बारे में पता नहीं है अपने सद्ग्रंथों से दूर वे अपने साधकों को मनमुखी नाम देते हैं जिसका हमारे किसी भी सद्ग्रंथ में प्रमाण नहीं है।

शास्त्र विरुद्ध मंत्र का जाप करने से न सुख होता है और ना ही मुक्ति होती है। गीता अध्याय 9 के श्लोक में हठ योग तप इत्यादि को मना किया गया है जबकि ये अपने साधकों को तप हवन यज्ञ आदि करने को कहते हैं और आंख कान और मुंह बंद करके अंदर ध्यान लगाने की बात कहते हैं जो कि मनमुखी साधना है और इसी कारण से आज पूरे विश्व में हजारों लाखों धर्मगुरु के होने के बावजूद भी लोग नास्तिकता की ओर बढ़ते जा रहे हैं। दूसरी तरफ जब हम सभी उपर्युक्त प्रमाण को संत रामपाल जी महाराज के विचारों से मिलाते हैं तो हमें सभी प्रमाण संत रामपाल जी महाराज के विचार से मिलता हुआ प्रतीत होता है।

संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु है

शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भी आसान हो जाता है। अंततः हमने अपने सद्ग्रंथों एवं परमात्मा प्राप्त संतो की वाणियों की मदद से सच्चे सतगुरु को ढूंढ ही लिया। तो देर ना करें बिना अमूल्य समय गवाएं हुए संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर उनकी शरण ग्रहण करें सद्भक्ति करके इस लोक का भी सर्व सुख पाए एवं मोक्ष का प्राप्त करें।

सच्चे गुरु की पहचान व आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं। अधिक जानकारी के लिए आप पढ़ें आध्यात्मिक ज्ञान की पुस्तक ज्ञान गंगा

Latest articles

God is One, Still Many Religions: The Untold Reality 

This question must have bothered you sometimes: if there is only one God, then...

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे पाएँ सद्भक्ति और सुख समृद्धि

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा...

International Men’s Day 2024: Empowering Men’s Health And Wellness

Last Updated on 13 November 2024 IST: International Men's Day 2024 falls annually on...

National Press Day 2024: Is the Fourth Pillar of Democracy Failing Its Duty?

National Press Day is observed annually to highlight the need for the independence of the press in a democratic nation. Know its History & Theme
spot_img
spot_img

More like this

God is One, Still Many Religions: The Untold Reality 

This question must have bothered you sometimes: if there is only one God, then...

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे पाएँ सद्भक्ति और सुख समृद्धि

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा...

International Men’s Day 2024: Empowering Men’s Health And Wellness

Last Updated on 13 November 2024 IST: International Men's Day 2024 falls annually on...