December 25, 2024

Rahul Bajaj Passed Away: बजाज स्कूटर को घर घर पहुंचाने वाले उद्योगपति राहुल बजाज का हुआ निधन

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Rahul Bajaj Passed Away: बजाज ऑटो के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का आज पुणे में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। बजाज समूह के एक बयान में कहा गया है कि उद्योगपति की “अपने करीबी परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में” मृत्यु हो गई। एक अधिकारी ने कहा कि राहुल बजाज कुछ समय से ठीक नहीं थे और आज दोपहर 2:30 बजे उनकी मृत्यु हो गई। महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि आज रविवार को उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी मृत्यु के बाद श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता लग गया है।

राहुल बजाज कौन थे?

राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कोलकाता में मारवाड़ी बिजनेसमैन कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर हुआ था। राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था। राहुल बजाज स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के पोते थे। 

Rahul Bajaj Passed Away: उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ से 12 हजार करोड़ तक पहुंच गया और वह देश की अग्रणी स्कूटर और दोपहिया वाहन बेचने वाली कंपनी बन गई थी। लेकिन बीते साल राहुल बजाज ने बजाज ऑटो के चेयरमैन का पद छोड़ दिया था। अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्होंने कंपनी के गैर-कार्यकारी चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके बाद नीरज बजाज को नया चेयरमैन बनाया गया।

राहुल बजाज (Rahul Bajaj) से जुड़ी अन्य जानकारी

  • बजाज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और बजाज मोटर्स के संस्थापक राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में 12 फरवरी, 2022 को दोपहर के समय पुणे में निधन हो गया। 
  • वे पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे। 
  • राहुल बजाज ने एक लंबे वक्त तक बजाज ग्रुप की जिम्मेदारी संभाली थी। 
  • साल 1965 में उन्होंने बजाज कंपनी की कमान अपने हाथ में ली। 
  • ‘आप बस बजाज को हरा नहीं सकते’ और ‘हमारा बजाज’ टैगलाइन से बजाज के स्‍कूटरों को घर-घर तक पहुंचाया।
  • राहुल बजाज करीब 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे। 
  • साल 2001 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • कैंसर क्या कैंसर से भी बड़ी और अनेकों लाइलाज बिमारियों को ठीक कर देते हैं संत रामपाल जी महाराज जी।

Rahul Bajaj Passed Away: अपने तीखे तेवरों के लिए भी जाने जाते थे राहुल बजाज

देश के सबसे सफलतम उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज को उनके खुलकर बोलने के लिये जाना जाता है और वह 2006 से लेकर 2010 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। नवंबर 2019 में मुंबई में एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में राहुल बजाज ने सरकार की आलोचना को लेकर उद्योगपतियों के डर के बारे में चुटकी लेते हुए कहा था कि हम सभी के दिमाग में डर का माहौल है और केंद्र अच्छा काम कर रही है, इसके बावजूद हमारे भीतर यह विश्वास नहीं है कि आप आलोचना को सराहेंगे।

राहुल बजाज (Rahul Bajaj Passed Away) ने बजाज कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाया था 

राहुल ने साल 1965 में 27 वर्ष की उम्र में ‘बजाज ऑटो लिमिटेड’ के सीईओ का पद संभाला था। बजाज ऑटो की सफलता में राहुल बजाज का बहुत अधिक योगदान रहा है। उन्होंने कंपनी का नेतृत्व करते हुये बजाज चेतक स्कूटर लांच किया जिसे मध्यम वर्ग के लिए ‘एस्पिरेशनल सिंबल’ माना गया। बजाज चेतक की सफलता के बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ती चली गई। 90 के दशक में भारत में उदारीकरण की शुरुआत हुई और जापानी मोटर साइकिल कंपनियों ने भारतीय दुपहिया वाहनों को कड़ी टक्कर दी लेकिन राहुल बजाज के नेतृत्व में कंपनी आगे बढ़ती रही।

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भारतीय कॉर्पोरेट विज्ञापन उद्योग में कंपनी के दोपहिया वाहन के लिए सबसे प्रसिद्ध टैगलाइनों में ‘आप बस बजाज को हरा नहीं सकते’ और ‘हमारा बजाज’ खूब लोकप्रिय रहे हैं। इन मशहूर टैगलाइन के साथ उन्‍होंने बजाज के स्‍कूटर को घर-घर में एक नई पहचान दिलाई। यह एक समय में मध्‍यमवर्गीय परिवार की पसंद हुआ करता था और ऐसे प्रसिद्ध टैगलाइनों के जरिये बजाज के दोपह‍िया वाहन को घर-घर में लोकप्रिय बनाने में राहुल बजाज का अहम योगदान रहा है।

राहुल बजाज की मृत्यु (Rahul Bajaj Passed Away) पर संवेदना व्यक्त करने वालों में हैं-

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी जिन्होंने ट्वीट कर राहुल बजाज को श्रद्धांजलि दी उन्होंने कहा कि “उनके चले जाने से उद्योग की दुनिया में एक शून्य रह गया है।”
  • पीएम मोदी ने राहुल बजाज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि “उद्योग जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। बिजनस के अलावा वह समाज के कामों में भी पूरा योगदान देते थे और एक महान वक्ता थे। उनकी मौत से दुखी हूं। उनके परिवार और दोस्तों के लिए संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।”
  • नितिन गडकरी ने लिखा- ‘यशस्वी उद्योजक, समाजसेवी और बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज जी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। पद्म भूषण से सम्मानित राहुल जी से मेरे अनेक वर्षों से व्यक्तिगत संबंध रहे हैं।’
  • श्रद्धाजंलि देने वालों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अभिषेक सिंघवी, बायकॉन चीफ किरण मजूमदार शॉ, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, उद्धव ठाकरे और भी अन्य नेता शामिल हैं।

क्या है मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य और हम करते क्या हैं?

अगम निगम को खोज ले, बुद्धि विवेक विचार।

उदय अस्त का राज मिलै, तो भी बिन नाम बिगार।।

कबीर परमात्मा अपनी वाणी में हम मनुष्य को समझाते हुए कहते हैं कि यदि आप पूरी पृथ्वी के राजा भी बन जाते हो और फिर भी सतभक्ति नहीं करते अर्थात तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति नहीं करते तो तुम पूरी पृथ्वी के राजा बन जाने के बावजूद भी अपना जीवन बर्बाद ही कर रहे हो क्योंकि

वो दिन कर ले याद, गर्भ में था डेरा,

रोवे था के भजन, करूंगा हरि तेरा।।

कबीर जी हमें याद दिलाते हैं कि जब तू मां के गर्भ में था तब रो रो के प्रभु को याद कर रहा था और कह रहा था हे प्रभु! मुझे सही सलामत गर्भ से बाहर निकाल दो मैं तेरा  भजन किया करूंगा और अब की बार सतभक्ति करके अपना उद्धार करा लूंगा। जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा लूंगा। कबीर साहिब जी कहते हैं कि उस वचन को याद करो और अब उस काम को करो जिसका वचन तुमने मां के गर्भ में दिया था।

मनुष्य जीवन का वास्तविक धन क्या है?

कबीर सब जग निर्धना, धनवंता नहीं कोई।

धनवंता सोई जानिए, जा पर राम नाम धन होय।।

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कितना भी कोई धनी बना रहे किंतु यदि उस के पास राम नाम का धन नहीं है अर्थात सतभक्ति की कमाई नहीं है तो वह सही मायने में धनी नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमें तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति करनी चाहिए और जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पानी चाहिए। यह सब पूर्ण राम की भक्ति करने से ही अर्थात सच्चे राम के नाम की कमाई करने से ही संभव हो सकता है।

वर्तमान में कौन है तत्वदर्शी संत?

श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 34, अध्याय 15 के श्लोक 1 से लेकर 5 के अनुसार वर्तमान में हिंदुस्तान की पावन धरा पर मौजूद एकमात्र तत्वदर्शी संत कोई और नहीं परम पूज्य परम आदरणीय जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं, जो कि सभी पवित्र पुस्तकों के एकमात्र ज्ञानी हैं और सभी धर्मों की सभी पवित्र पुस्तकों से प्रमाणित ज्ञान और मंत्र देकर सत भक्ति करवा रहे हैं, जिसकी वजह से उनके अनुयाई कैंसर और अन्य लाइलाज बीमारियों से निजात पाकर स्वस्थ और सुखी जीवन जी रहे हैं। ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त नंबर 82 मंत्र 1 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म दंडों का नाश करके सुखी जीवन प्रदान कर सकता है।

असली उद्योगपति कौन है?

  • नरसी नाम के एक भगत हुए हैं जिनके पास 64 करोड़ की संपत्ति थी उस वक्त यह बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी जब उन्हें पता चला कि मनुष्य जीवन किस लिए मिला है तो वह सर्वस्व दान करके परमेश्वर की शरण में आकर एक झोपड़ी डालकर बैठ गए और सतभक्ति करने लगे जिस कारण परमेश्वर ने उनके साथ बहुत से चमत्कार किए और अंततः उनका उद्धार किया।
  • सुल्तान अधम एक बहुत बड़ा मुस्लिम बादशाह था। उसकी 16 हजार रानियां थी 18 लाख घोड़े थे लेकिन परमेश्वर के लिए सभी कुछ त्याग कर एक मजदूर की जिंदगी जी कर भक्ति की और अपना उद्धार करवाया।
  • मीराबाई ने एक महारानी के जीवन को त्याग कर संत रविदास जी से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति की और अपना उद्धार करवाया।
  • पीपा राजा सीता रानी, और भी अन्य राजा रानियां और धनाढ्य व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने राज्य तक छोड़ दिए, संतों ने अपने शरीर गला दिए अर्थात इन सब को समझ में आया कि मनुष्य जीवन बहुत ही अनमोल है और सत भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति करना ही मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य है।

शुरु करे आज ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य!

हम सभी मनुष्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी जा रही सद्भक्ति को घर परिवार में रहकर, बच्चों का पालन पोषण करते हुए व काम धंधा करते हुए भी कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्ति कर सकते हैं। तो समझदार व्यक्तियों को चाहिए कि तुरंत सतभक्ति की राह चुनें।

मानव जीवन दुर्लभ है, मिले ना बारंबार।

तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार।।

कबीर परमेश्वर जी हमें समझाते हुए बताते हैं कि मानुष जीवन हमें बार-बार नहीं मिलता। यह एक बार हाथ से निकल गया तो दोबारा हाथ नहीं आएगा इसलिए समय रहते सतभक्ति करना शुरू करें, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘ज्ञान गंगा को अवश्य पढ़ें, सृष्टि रचना समझें और मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य को पहचानें।

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