Patanjali Ayurved Coronil Controversy News Update Hindi: आज पाठक जानेंगे कि पतंजलि ने कोरोनावायरस से मुक्ति दिलाने वाली दवा ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ (Divya Coronil Tablet) बना ली है और यह दावा किया गया है कि यह दवा सप्ताह भर में मरीजों को पूरी तरह ठीक करेगी। शक के आधार पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से कोविड की दवा की तत्व संरचना, अनुसंधान अध्ययन, और नमूना आकार समेत तमाम जानकारी साझा करने को कहा है। मंत्रालय ने संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, नैदानिक परीक्षण के लिये भारत में पंजीकरण और शोध अध्ययन के नतीजों का ब्योरा भी मांगा है। लेकिन पतंजलि कोरोना दवा विवाद में है.
मुख्य बिन्दु
- आयुष मंत्रालय द्वारा पतंजलि आयुर्वेद कोरोनील दवा की खबर का स्वः संज्ञान
- कंपनी को दवा विवरण प्रदान करने और इस मुद्दे की विधिवत जांच होने तक दावों का विज्ञापन या प्रचार बंद के आदेश
- सौ फीसदी इलाज होने का दावा करके पतंजलि संस्थापक रामदेव ने खड़ा किया बड़ा विवाद
- आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत सिद्ध होने पर 1 से 7 वर्ष का दंडनीय अपराध
- औषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के अंतर्गत उल्लंघन
- दुनिया में सौ से ज्यादा कंपनियां कोविड-19 की वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों के मात्र दो स्तर ही पूरा कर पाई
- उत्तराखंड सरकार ने मांगी पतंजलि आयुर्वेद कंपनी से लाइसेंस की जानकारी
- रामदेव की सफाई, कहा सरकार के साथ संवाद अंतर (कम्युनिकेशन गैप) हो गया था
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद दवा प्रसार पर लगाई पाबंदी
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोविड उपचार के लिए विकसित आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में खबर का संज्ञान लिया है। कंपनी को दवाओं का विवरण प्रदान करने और इस मुद्दे की विधिवत जांच होने तक ऐसे दावों का विज्ञापन या प्रचार बंद करने के लिए कहा गया है ।
Patanjali Ayurved Coronil Controversy: जहां पूरी दुनिया में सौ से ज्यादा कंपनियां कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में जुटी है और नैदानिक परीक्षणों का अभी पहला और दूसरा स्तर ही पूरा कर पाई है, कोरोनावायरस की दवा से सौ फीसदी इलाज होने का दावा करके पतंजलि संस्थापक योगाचार्य रामदेव ने बड़ा विवाद खड़ा किया है। रामदेव ने मंगलवार को ऐलान किया कि पतंजलि ने कोरोनावायरस से मुक्ति दिलाने वाली दवा ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ (Divya Coronil Tablet) बना ली है और यह दवा सप्ताह भर में मरीजों को पूरी तरह ठीक करेगी।
पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने निम्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और संस्थापक डॉ. प्रो. बलवीर सिंह तोमर को भी इसका श्रेय दिया। रामदेव के 23 जून की दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में किये दावों को सभी टीवी चैनलों पर लाइव चलने के बाद वैश्विक महामारी के चलते केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा और दवा के प्रचार पर रोक लगानी पड़ी और पतंजलि से स्पष्टीकरण भी मांगा।
सौ फीसदी उपचार का दावा DMA कानून का उल्लंघन
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति गलत दावा करता है तो इसे दंडनीय अपराध माना जाता है। जहां तक कोरोनिल दवाई को लेकर दावे की बात है तो वो संबंधित कानूनी प्रावधान का उल्लंघन है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोनिल के दावे पर कानून क्या कहता है?
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उल्लंघन – 1 से 7 साल तक की सजा
कानून के जानकार कहते हैं कि कानून दवा बनाने के लिए अनुज्ञापत्र देता है, दावा करने के लिए नहीं। शत प्रतिशत ठीक करने के दावे के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत आपत्ति इसी दावे को ठोंकने के कारण है। भारतीय कानून के अंतर्गत कार्यवाही करने पर एक साल से सात साल तक की सजा हो सकती है। पाठकों को स्मरण रहना चाहिए कि कोविड-19 वैश्विक महामारी है अतः विदेशों में भी मुकदमे दर्ज हो सकते हैं। इसी प्रकार के अनेकों मुकदमे अमेरिका में चीन के खिलाफ दर्ज हुए हैं।
औषधि और चमत्कारिक उपचार अधिनियम, 1954 का उल्लंघन
आयुष मंत्रालय ने समाचारों के आधार पर इस मामले को पहले ही संज्ञान में ले लिया है। मंत्रालय का मानना है कि पतंजलि की तरफ से जो दावा किया है उसके तथ्यों और वैज्ञानिक अध्ययन को लेकर मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं दी गई है। आयुष मंत्रालय ने कंपनी को इस संबंध में सूचित करते हुए कहा है कि इस तरह का प्रचार करना कि किसी विशेष दवाई से कोरोना का सौ प्रतिशत इलाज होता है, औषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के अंतर्गत उल्लंघन है।
दवा के विज्ञापन पर मोदी सरकार ने लगाई रोक, मांगे परीक्षण ट्रायल के सबूत
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से कोविड की दवा की तत्व संरचना, अनुसंधान अध्ययन, और नमूना आकार समेत तमाम जानकारी साझा करने को कहा है। मंत्रालय ने कंपनी से दवा के बारे में पूरी जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही यह भी पूछा है कि संबंधित अस्पताल कहाँ स्थित हैं जहां इसका अध्ययन हुआ है। इसके अलावा मंत्रालय ने संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण के लिये भारत में पंजीकरण (सीटीआरआई रजिस्ट्रेशन) और शोध अध्ययन के नतीजों का ब्योरा भी मांगा।
Patanjali Ayurved Coronil Controversy: पाठकों को स्मरण रहे कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने नैदानिक (क्लिनिकल) परीक्षण के लिये भारत में पंजीकृत कंपनियों और संगठनों के लिये परीक्षण के परिणामों को जारी करना अनिवार्य कर दिया है। अब इन कंपनियों को नैदानिक परीक्षण समाप्त होने के एक वर्ष के अंदर परीक्षण के परिणामों की जानकारी उजागर करनी अनिवार्य होगी।
उत्तराखंड सरकार ने लाइसेंस की मांगी जानकारी
पाठक गण जानते होंगे कि पतंजलि आयुर्वेद उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जनपद में स्थित है। इसलिए उत्तराखंड सरकार ने भी पतंजलि आयुर्वेद कंपनी से इस आयुर्वेदिक दवा के लाइसेंस इत्यादि के बारे में जानकारी मांगी है।
पतंजलि का स्पष्टीकरण
Patanjali Ayurved Coronil Controversy: हालांकि बाद में पतंजलि के रामदेव ने सफाई में कहा कि सरकार के साथ संवाद अंतर (कम्युनिकेशन गैप) हो गया था, इसलिए ऐसी स्थिति आई। रामदेव ने कहा कि यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन और गौरव देने वाली है, जो संवाद अंतर (कम्युनिकेशन गैप) था, वह दूर हो गया है और यादृच्छिक कूटभेषज नियंत्रित नैदानिक परीक्षण (Randomized Placebo Controlled Clinical Trials) के जितने भी मानक मापदंड (स्टैंडर्ड पैरामीटर्स) हैं उन सबको 100% पूरा किया गया है। इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है। हालांकि अभी तक भारत सरकार के अंतर्गत आयुष मंत्रालय ने ‘कोरोनिल’ के संबंध में पतंजलि के दावे से सहमति नहीं जताई है।
Patanjali Ayurved Coronil Controversy: क्या है पतंजलि का दावा
पतंजलि का दावा है कि ‘कोरोनिल’ से कोरोनावायरस का शत प्रतिशत इलाज किया जा सकता है। पतंजलि के संस्थापक रामदेव ने कहा है कि ‘कोरोनिल’ दवाई से सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगी ठीक हो गए हैं। ‘कोरोनिल दवा’ को देने से कोरोना के रोगियों की मृत्यु दर शून्य फीसदी है। ।
Patanjali Ayurved Coronil Controversy: पतंजलि आयुर्वेद ने विश्वव्यापी फैली घातक कोरोनावायरस बीमारी के प्रसार से निपटने और रोकने के लिए ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ कोविड निरोधी दवा बनाने की घोषणा कर दी है। निम्स विश्वविद्यालय जयपुर में आयोजित नैदानिक विभाग के साथ पतंजलि शोध संस्थान द्वारा शोध किया गया, जिसे पतंजलि संस्थापक रामदेव ने मंगलवार को कोरोना निरोधी दवा का शुभारंभ किया। कंपनी ने कहा कि नैदानिक नियंत्रण परीक्षण और दवा की प्रभावकारिता का मूल्यांकन दवा की खोज के मानकीकृत प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किए गए थे । साथ में यह घोषणा भी की कि यह कोविड-19 निरोधी दवा 3 से 15 दिनों की अवधि के भीतर, सभी कोरोना संक्रमित रोगियों को बिना किसी भी मृत्यु दर के और बिना किसी अन्य नकारात्मक प्रभाव के ठीक करती है ।
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पतंजलि की कोविड-19 की चिकित्सा करने की कोरोनिल दवा 15-80 वर्ष की आयु के बीच के वयस्कों के लिए उपयुक्त है । जबकि बच्चों को वयस्कों के लिए निर्धारित खुराक की आधी लेने की सलाह दी गई है । साथ ही पतंजलि ने लोगों को सलाह दी है कि वे कोरोनावायरस संक्रमण से सुरक्षित रहने और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक दिन प्रातः काल योगाभ्यास अवश्य करें। पतंजलि ने यह भी दावा किया है कि शरीर की फुफ्फुसीय स्वांस तंत्र को स्वस्थ करने के अलावा ये आयुर्वेदिक दवाएं मानव शरीर को मजबूत करती हैं ताकि कोविड-19 संक्रमण का सामना किया जा सके ।
आयुष मंत्रालय भी बना रहा है दवाई
आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने कहा कि हमारी आपत्ति ‘अनुमति नहीं लेने’ से है। अगर कोई कंपनी कोरोना को ठीक करने की दवाई बनाती है और बाजार में उतारती है तो हमें सदैव प्रसन्नता होगी। हमें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है। आयुष मंत्रालय भी कोरोना उपचार के लिए अपनी दवाई बनाने पर शोध कार्य कर रहा है और आशा है कि जुलाई महीने तक आयुष मंत्रालय कोरोनावायरस की दवाई लेकर बाजार में आ सकता है।
जानिए क्लिनिकल ट्रायल क्या होते हैं ?
नए किये गए शोध अध्ययन में विकसित किये गए विशेष चिकित्सकीय प्रणाली, दवा अथवा चिकित्सकीय उपकरण मनुष्य के उपयोग के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं, इसका नैदानिक परीक्षण से पता चलता है।
- इन शोध अध्ययनों से यह भी जान सकते हैं कि किसी रोग या लोगों के समुदाय विशेष के लिये कौन-सी चिकित्सकीय पद्धति उपयुक्त रहेगी।
- चूंकि इन शोधों का उद्देश्य अनुसंधान है, अतः इनके लिये विशिष्ट वैज्ञानिक मानकों का पालन किया जाता है।
- ऐसे परीक्षण एक नए विचार या प्रयोग से प्रारंभ किये जाते है और आशाजनक परिणाम प्राप्त हो जाने पर पशुओं पर परीक्षण किया जाता है।
- जानवरों पर किये जाने वाले नैदानिक परीक्षण से ज्ञात होता है कि दवा अथवा चिकित्सा पद्धति जीवित शरीर पर कैसे प्रभाव डालती है और हानिकारक है या नहीं।
- जानवरों पर किये जाने वाले परीक्षण सकारात्मक परिणाम दे तो ऐसा निश्चित नहीं कि मनुष्यों पर भी सकारात्मक परिणाम हो। अतः मनुष्यों पर परीक्षण करना आवश्यक है।
- हालांकि जानवरों और मनुष्यों पर किये जाने वाले नैदानिक परीक्षणों को लेकर पूरे विश्व में विवाद जारी है।
- कंपनियों की अपारदर्शिता, मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति तथा संवेदनशीलता की कमी के कारण नैदानिक परीक्षण विवादित हैं।
- कई पशु-अधिकार संगठन मानवाधिकार संगठन नैदानिक परीक्षणों का लगातार विरोध कर रहे हैं।
पतंजलि के दावे से ICMR ने भी झाड़ा पल्ला
नैदानिक परीक्षण अध्ययन के लिए देश के अलग अलग शहरों के 280 रोगियों को लिया गया, जिसमें सौ फीसदी मरीज संक्रमण मुक्त हुए। एक भी मृत्यु का मामला सामने नहीं आया। नैदानिक परीक्षण में 3 दिन में 69 फीसदी रोगी ठीक हुए अर्थात कोरोनावायरस संक्रमण से असंक्रमित हो गए। दावे के अनुसार सात दिन के अंदर सौ फीसदी रोगी ठीक हुए। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इसकी कोई पुष्टि नहीं की।
पतंजलि की दवा ‘कोरोनिल’ जड़ी-बूटियों से बनी है
पतंजलि के दावे के अनुसार कोरोनील दवाई को बनाने में सिर्फ देसी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया है। इसमें मुलैठी, गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासरि रस और अणु तेल इत्यादि का प्रयोग किया गया है। पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बालकृष्ण के अनुसार यह दवा दिन में दो बार सुबह और शाम ली जा सकती है।
इंदौर, जयपुर में हुआ नैदानिक परीक्षण
पतंजलि के बालकृष्ण के अनुसार सरकारी नियामक संस्था की अनुमति के पश्चात दवा का नैदानिक परीक्षण इंदौर और जयपुर में किया गया।
वायरस पर कैसे प्रभाव डालती है ‘कोरोनिल’
पतंजलि के अनुसार, अश्वगंधा कोरोनावायरस को मनुष्य के शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं में घुसने नहीं देता और गिलोय कोरोना संक्रमण को रोकता है। तुलसी कोविड-19 के RNA पर आक्रमण करती है और उसे बढ़ने से रोकती है।
भारत में कोरोना की एलोपैथिक दवाएं भी आई है
देश में कोविड-19 के इलाज के लिए मुख्य रूप से तीन दवाएं- सिपरेमी (Cipremi), फेबिफ्लु (FabiFlu) और कोविफ़ोर (Covifor) पिछले सप्ताह जारी की गई हैं। इनमें से सिपरेमी और कोविफ़ोर ऐंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर के जेनेरिक वर्जन हैं। वास्तव में फेबिफ्लु गोली इन्फ्लुएंजा की दवा फेविपिरावीर (Favipiravir) का जेनेरिक रूप है। अब देखना है कि पतंजलि की ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ (Divya Coronil Tablet) को सरकार की अनुमति मिलती है या नहीं।
आध्यात्मिक गुरु के पास तो राम नाम की प्रभावी औषधि होती है
अनेकों धर्म गुरु वास्तविक ज्ञान की अज्ञानता के कारण अन्य आडंबरों में पड़ जाते हैं। वास्तविक गुरु तो रामनाम की औषधि से सटीक उपचार करते हैं। यह उपचार इस दुनिया में रहते नाना प्रकार के कष्टों को तो दूर करता ही है, यहाँ से जाते समय वृद्धावस्था और लख चौरासी के रोगों को भी सदा के लिए काट देता है। आइए आप भी यदि धर्मगुरुओं से परेशान हैं और सांसारिक कष्टों से त्रस्त हैं तो तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दान ले और सर्व सुख प्राप्त करें।