प्राकृतिक आपदाएँ मानव जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों में से एक हैं। जब कभी लगातार वर्षा होती है तो ग्रामीण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। खेत, घर, मवेशी और जीवन-यापन के साधन सब कुछ नष्ट हो जाते हैं। हरियाणा के एक छोटे से गांव नहला फ़तेहबाद में भी यही स्थिति उत्पन्न हुई, जब लगातार बरसात ने पूरे गांव को जलमग्न कर दिया।
इस बाढ़ ने लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र को पूरी तरह डुबो दिया। 2000 से अधिक एकड़ भूमि पर 4 से 5 फीट पानी भर गया। ढाणियाँ खाली हो गईं, पशुओं के चारे की भारी समस्या खड़ी हो गई और बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई। प्रशासन से अपेक्षित सहायता न मिलने पर गांव के लोग गहरी निराशा में डूब गए। ऐसे विकट समय में संत रामपाल जी महाराज ने आशा की नई किरण जगाई और मात्र 24 घंटे में इस गांव को वह सहायता प्रदान की जो किसी चमत्कार से कम नहीं थी।
बाढ़ से तबाह हुआ नहला फ़तेहबाद
लगातार हुई बारिश ने नहला फ़तेहबाद हरियाणा को भारी संकट में डाल दिया। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, घरों के भीतर पानी भर गया और सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़े। ग्रामीणों ने स्वयं प्रयास किया कि किसी प्रकार मोटर लगाकर पानी बाहर निकाला जाए, लेकिन संसाधनों की भारी कमी के कारण उनका प्रयास सफल नहीं हो सका।
पंचायत ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन अपेक्षित मदद नहीं मिली। अंततः ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों से संपर्क करने का निर्णय लिया और उनकी शरण में अपनी पीड़ा व्यक्त की।
संत रामपाल जी महाराज को भेजा गया निवेदन
गांव की पंचायत ने लिखित रूप से एक प्रार्थना पत्र तैयार किया और मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट, कुरुक्षेत्र को सौंपा। इसमें स्पष्ट लिखा गया कि गांव जलमग्न है और ग्रामीण स्वयं पानी निकालने की शक्ति नहीं रखते। इस कार्य के लिए उन्हें निम्नलिखित सामग्री चाहिए:


- 15,000 फीट पाइप
- 15 एचपी व 20 एचपी की मोटर
- 600 फीट केबल
- 2 हैंडपंप
यह निवेदन ग्रामीणों की आखिरी उम्मीद थी। सबको विश्वास था कि यदि कहीं से सहायता मिलेगी तो वह संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम से ही मिलेगी।

24 घंटे में मिला अभूतपूर्व सहयोग
संत रामपाल जी महाराज ने जब यह निवेदन प्राप्त किया तो तुरंत आदेश दिया गया कि आवश्यक सामग्री तुरंत गांव तक पहुंचाई जाए। परिणामस्वरूप मात्र 24 घंटे के भीतर नहला फ़तेहबाद में मोटर, स्टार्टर, पाइप, केबल, हैंडपंप और अन्य सभी उपकरण पहुंचा दिए गए।
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यह देख कर ग्रामीण हैरान रह गए। जिस सहायता के लिए वे कई दिनों से तरस रहे थे, वह केवल एक दिन में उनके गांव पहुंच गई। यह न केवल राहत थी बल्कि विश्वास का प्रमाण भी था कि सच्चे संत ही समाज के असली रक्षक होते हैं।
संत रामपाल जी महाराज का विशेष निर्देश
सहायता सामग्री के साथ संत रामपाल जी महाराज का विशेष संदेश भी आया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस सामग्री का उपयोग पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से किया जाए। पंचायत को आदेश दिया गया कि 10 दिनों के भीतर पूरा पानी निकालना अनिवार्य है।
यदि यह कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ तो भविष्य में गांव को कोई सहायता नहीं दी जाएगी। इस कठोर शर्त का कारण यह था कि सामग्री का कहीं भी दुरुपयोग न हो।
पंचायत का लिखित संकल्प
गांव के सरपंच और पंचायत ने इस आदेश का सम्मान करते हुए लिखित रूप में संकल्प लिया कि वे निर्धारित समय में सारा पानी निकाल देंगे। इस पर पंचायत के सभी सदस्यों ने मुहर और हस्ताक्षर कर अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की।
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यह अनुशासन और जिम्मेदारी की मिसाल थी। सामान्यतः सहायता दी जाती है तो उसके उपयोग की कोई शर्त नहीं होती, लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने सहायता के साथ जिम्मेदारी भी सौंपी।
ग्रामीणों की भावनाएँ
जब सहायता सामग्री गांव में पहुंची तो महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की आंखों से खुशी के आंसू झलक पड़े। हर कोई यही कह रहा था कि इतनी बड़ी मदद केवल 24 घंटे में मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
ग्रामीणों का कहना था:
- “अब हमारे खेत बच जाएंगे और फसल का नुकसान कुछ हद तक कम होगा।”
- “बच्चों की पढ़ाई फिर से शुरू हो सकेगी।”
- “पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था आसान होगी।”
हर कोई संत रामपाल जी महाराज को धन्यवाद दे रहा था। पूरे नहला फ़तेहबाद हरियाणा में यह बात फैल गई कि आज सच्चे संत के कारण गांव को नया जीवन मिला है।
अन्नपूर्णा मुहिम का महत्व
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाई गई अन्नपूर्णा मुहिम का उद्देश्य है – भूखे को भोजन, बेसहारे को सहारा और संकट में फंसे लोगों को तत्काल मदद। यह केवल दान नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय संवेदना का प्रतीक है।
नहला फ़तेहबाद हरियाणा में दी गई सहायता ने यह साबित कर दिया कि यह मुहिम सिर्फ नाम की नहीं है, बल्कि वास्तविक रूप से जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने के लिए है।
सच्चे संत ही समाज के असली हितैषी
हरियाणा का नहला फ़तेहबाद हाल ही में एक बड़ी बाढ़ त्रासदी का शिकार हुआ। गांव का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया और लोग पूरी तरह निराश हो गए थे। प्रशासन की ओर से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर स्थिति और भी गंभीर हो गई।
लेकिन जब संत रामपाल जी महाराज से गाँव को नया जीवन मिला। मात्र 24 घंटे में पहुंची मदद ने यह प्रमाणित कर दिया कि सच्चे संत ही समाज के असली हितैषी होते हैं।
आज नहला फ़तेहबाद हरियाणा गर्व से कह सकता है कि उसके गांव को बचाने का श्रेय किसी प्रशासन को नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज की करुणा और सेवाभाव को जाता है। उनकी सहायता केवल भौतिक नहीं थी, बल्कि उसने ग्रामीणों के मन में विश्वास और आत्मबल भी जगाया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. नहला फ़तेहबाद हरियाणा में बाढ़ की स्थिति कैसी थी?
उत्तर: इस गांव का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा पानी में डूब गया था। 2000–2500 एकड़ खेतों में 4–5 फीट पानी भरा हुआ था और कई परिवारों को अपने घर खाली करने पड़े थे।
प्रश्न 2. संत रामपाल जी महाराज तक नहला फ़तेहबाद हरियाणा के ग्रामीण कैसे पहुंचे?
उत्तर: गांव की पंचायत ने मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट, कुरुक्षेत्र के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज को एक प्रार्थना पत्र भेजा, जिसमें बाढ़ से हुई कठिनाई और आवश्यक सामग्री की सूची बताई गई।
प्रश्न 3. संत रामपाल जी महाराज ने नहला फ़तेहबाद हरियाणा में कैसी मदद भेजी?
उत्तर: केवल 24 घंटे में 15,000 फीट पाइप, 15 एचपी और 20 एचपी की मोटर, 600 फीट केबल, हैंडपंप और अन्य उपकरण गांव में पहुंचा दिए गए, जिससे पानी निकालना संभव हो सका।
प्रश्न 4. अन्नपूर्णा मुहिम क्या है?
उत्तर: यह संत रामपाल जी महाराज द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सेवा योजना है, जिसका उद्देश्य भूखे को भोजन, बाढ़ या आपदा पीड़ितों को राहत और समाज को हर प्रकार से सहयोग देना है।



