September 16, 2025

National Voters Day 2025 [Hindi]: 15वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर जान लीजिए ये तथ्य

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Last Updated on 24 January 2025 IST: National Voters Day 2025: भारत मे प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day 2025) के रूप में मनाया जाता है। 25 जनवरी 1950 को भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया था। इस कारण 25 जनवरी को ही राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। आइए इस अवसर पर जानें क्या है मतदाता दिवस एवं इसका इतिहास। 

Table of Contents

National Voters Day 2025: मुख्य बिंदु

  • 25 जनवरी 2025 को है राष्ट्रीय मतदाता दिवस।
  • 2011 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने की थी शुरुआत।
  • मतदान के अधिकार का प्रयोग है नागरिक का कर्त्तव्य।
  • इस वर्ष की थीम है – ‘चुनावों को समावेशी, सुगम और सहभागी बनाना’।
  • अपने आध्यात्मिक जीवन में भी करें सही चुनाव सुखसागर या भवसागर।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day) का इतिहास क्या है?

National Voters Day 2025: हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इस दिन भारत एक गणतांत्रिक देश बना। इसके ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई। भारत निर्वाचन आयोग का कार्य भारत में निष्पक्ष रूप से लोकतांत्रिक चुनाव को पूरा करवाना है। भारतीय निर्वाचन आयोग के 61वें स्थापना दिवस अर्थात वर्ष 2011 के साथ इस दिवस की शुरुआत हुई। वर्ष 2011 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इस दिन को राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day 2025) के रूप में मनाने की घोषणा की। 

लोकतंत्र में मतदाता की भूमिका

भारतीय लोकतंत्र को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का दर्जा प्राप्त है। यहाँ कई स्तरों पर चुनाव होते हैं—लोकसभा, राज्य विधानसभाएँ, स्थानीय निकाय आदि। लोकतंत्र की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की स्वतंत्रता और सुविधाजनक वातावरण मिले। जब अधिकतम लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं, तो सत्ता में आने वाले प्रतिनिधि वास्तविक जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • जागरूक मतदाता: एक सजग मतदाता, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के वादों एवं नीतियों की जाँच-पड़ताल करता है।
  • दृढ़ लोकतंत्र: व्यापक मतदाता भागीदारी से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
  • मतदान का महत्व: मतदान न केवल हमारा अधिकार है, बल्कि राष्ट्र को दिशा देने का एक सशक्त माध्यम भी है।

लोकतंत्र में मताधिकार का महत्त्व

  1. लोकतंत्र की नींव: मतदान के जरिए हर व्यक्ति अपनी सरकार चुनने में भाग लेता है, जिससे सत्ता में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहती है।
  2. सक्रिय भागीदारी: मतदाता दिवस हमें याद दिलाता है कि मतदान मात्र अधिकार ही नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दायित्व भी है। प्रत्येक नागरिक का वोट देश की दिशा तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  3. नए मतदाता और युवा: हर वर्ष बड़ी संख्या में युवा मतदाता 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर मतदान के योग्य हो जाते हैं। यह दिवस उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस का महत्व (Significance of National Voters Day)

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां लोग स्वयं अपनी सरकार चुनते हैं। प्रत्येक 18 वर्ष एवं इससे से अधिक आयु का वयस्क नागरिक मतदान करने का अधिकारी है। नागरिकों का मतदान का मतलब उनका अपनी सरकार चुनने में योगदान देने से है। प्रत्येक मतदान का अपना महत्व है क्योंकि बहुमत के आधार पर ही सरकार का निर्णय होता है अर्थात सरकारें बहुमत के आधार पर ही चुनी जाती हैं। 

यह दिवस भारत के सभी नागरिकों को अपने कर्त्तव्यों की याद दिलाता है। शपथ ग्रहण के साथ ही लोगों को मतदान के प्रति जागरूक भी किया जाता है। प्रतियोगिता, भाषण, मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) के वितरण के साथ इस दिन कई कार्यक्रम मनाए जाते है।

National Voters Day 2025 | राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने का उद्देश्य (Aim)

National Voters Day 2025: प्रत्येक वर्ष इस दिन मतदान केंद्रों पर मतदान के अधिकारी हो चुके नागरिकों की पहचान की जाती है एवं उन्हें मतदाता पहचान पत्र सौंपे जाते हैं। आज के दिन मतदाताओं को यह शपथ भी दिलाई जाती है कि वे जिम्मेदार नागरिक के तौर पर मतदान यानी वोटिंग करना नहीं भूलेंगे।

प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर एक विशिष्ट थीम निर्धारित की जाती है, जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करने व मतदाता नामावली (Electoral Roll) में नए नाम जोड़ने पर ज़ोर देना होता है। 2025 में भी देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होने की संभावना है, जिनमें शामिल हो सकते हैं:

  1. मतदाता जागरूकता रैलियाँ: कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और सामुदायिक समूहों द्वारा रैलियों तथा रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन, जिससे युवाओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़े।
  2. नव-मतदाता शपथ समारोह: 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को मतदाता पहचान पत्र सौंपकर लोकतंत्र को मज़बूत करने की शपथ दिलाई जाएगी।
  3. मीडिया और सोशल मीडिया अभियान: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर जागरूकता संदेशों का प्रसारण, ताकि देश के कोने-कोने तक जानकारी पहुँचे।
  4. निबंध, भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताएँ: स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवाओं को लोकतंत्र और मताधिकार के महत्व से जोड़ना।

मतदाता दिवस पर दिए जाते है यह पुरस्कार 

राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day 2025) पर स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर भारत के चुनावों में अहम भूमिका निभाने वालों को प्रोत्साहित किया जाता है। चुनावों में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाने के मामले में सरकारी विभागों में सबसे अच्छा काम करने वालों को पुरस्कार दिया जाता है। 

National Voters Day 2025: मतदान अधिकार है – नागरिक निभाएं कर्त्तव्य

National Voters Day 2025: मतदान चुनाव का अहम हिस्सा है। चुनाव के माध्यम से हम अपनी सरकार चुनते हैं। हमारे मौलिक अधिकारों के संरक्षण का जिम्मा हम सरकार पर छोड़ते हैं। इसके लिए हमें जागरूक रहना होगा कि कौन योग्य है। मतदान करना आवश्यक है। मतदान के माध्यम से आप लोकतन्त्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। 

Read in English: National Voters’ Day: Why We Left Our Real Home?

सभी का मतदान करना सही मायनों में देश को लोकतांत्रिक बनाता है। मतदान करना आपका अधिकार है और इस अधिकार का प्रयोग करना आपका कर्त्तव्य। राष्ट्रीय मतदान दिवस 2025 के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की तरह नागरिकों को इस कर्त्तव्य पालन की शपथ भी दिलाई जाएगी।

अपने जीवन में भी करें सही चुनाव

सरकार तो आप चुनते हैं लेकिन अपने जीवन संबंधी चुनाव के बारे में भी यह जानना जरूरी है कि मोक्ष और चौरासी लाख योनियों में आप क्या चुनते हैं। परमात्मा और काल में से किसे चुनते हैं। सत्यभक्ति और अंधविश्वास में से किसे चुनते हैं। बंधनों से छूटने एवं कर्मों की मार खाने में से किसे चुनते हैं। यह बहुत बार हमने सुना होता है कि जीवन में गुरु एवं भक्ति आवश्यक है किंतु चुनाव करते हुए यह नहीं भूलें कि गुरु तत्वदर्शी हो एवं भक्ति सत्यभक्ति हो। केवल यही आपको मोक्ष दिलाएगा। अन्य सभी गुरु, ऋषि, महर्षि या कितने भी बड़े साधु हों वे न तो नामदीक्षा देने के अधिकारी हैं और न ही उनसे आप मोक्ष के अधिकारी बन सकते हैं। 

आँखें खुली रखकर निष्पक्ष निर्णय लें

यह संसार नश्वर है और जीवन क्षणिक है। जीवन की भाग दौड़ में पता ही नहीं चलता कि एक के बाद एक कैसे पड़ाव आते जाते हैं और हम समय की कीमत अपनी आयु देकर चुकाते हैं। आइए समय रहते सही चुनाव करें एवं सतलोक एवं दुनिया में से अपने निजघर को चुनें। सतलोक स्थायी, सुख दायक, पूर्ण परमेश्वर का लोक है जबकि यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड अस्थायी है एवं स्वर्ग लोक भी अस्थायी हैं। आँखें खुली रखें निष्पक्ष निर्णय लें। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल 

स्वयं चुनाव करें कि आप बनें सतलोक के अधिकारी या बने रहें इस दुनिया के भिखारी

चुनाव सरकार का हो या आध्यात्मिक मार्ग का आँखे खुली रखना बेहद ज़रूरी है। सही तत्वदर्शी सन्त को पहचानें और अपनी यात्रा की शुरुआत करें। आप के इन चुनावों से निर्णय होगा सुखसागर या भवसागर अर्थात आप सतलोक के अधिकारी बनेंगे या बने रहेंगे इस दुनिया के भिखारी। क्योंकि सुख समृद्धि भी सत्यभक्ति से आएगी और मोक्ष भी उससे ही मिलेगा। यदि किसी पुण्यवश सुख मिलता है तो भी पुण्य खत्म होते ही आपसे सुख ऐसे छीने जाएंगे जैसे समय पूरा होते ही पद ले लिया जाता है। बुद्धिमानी से चुनाव करें। पूरी जानकारी के लिए पढें तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज कृत पवित्र पुस्तक ‘जीने की राह।  

1. जीवन में सही आध्यात्मिक चुनाव क्यों महत्वपूर्ण है?

जीवन में सही आध्यात्मिक चुनाव आपको मोक्ष का अधिकारी बनाता है। सत्यभक्ति और तत्वदर्शी संत का मार्ग अपनाने से व्यक्ति भवसागर से मुक्त होकर सतलोक का अधिकारी बन सकता है।

2. सत्यभक्ति और अंधविश्वास में क्या अंतर है?

सत्यभक्ति वह है जो तत्वदर्शी संत से प्राप्त होती है और मोक्ष का मार्ग दिखाती है। अंधविश्वास उन परंपराओं और विचारों का पालन है जो बिना किसी आध्यात्मिक आधार के होती हैं और जीवन में कोई स्थायी सुख या मोक्ष प्रदान नहीं करतीं।

3. सतलोक और इस दुनिया में क्या अंतर है?

सतलोक स्थायी, सुखदायक और पूर्ण परमेश्वर का लोक है, जहाँ कोई दुःख या बंधन नहीं है। इसके विपरीत, यह दुनिया और स्वर्ग जैसे स्थान अस्थायी हैं, जहाँ सुख-समृद्धि भी समाप्त हो सकती है।

4. राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य लोकतंत्र में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना, मतदान के अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाना और नागरिकों को जिम्मेदार मतदाता बनने के लिए प्रेरित करना है।

5. भारत के लोकतंत्र को दुनिया में सबसे बड़ा क्यों माना जाता है?

भारत का लोकतंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है क्योंकि यहाँ विभिन्न स्तरों पर चुनाव होते हैं, जैसे लोकसभा, राज्य विधानसभाएँ और स्थानीय निकाय। इसमें करोड़ों नागरिक स्वतंत्र और निष्पक्ष वातावरण में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

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