Nag Panchami in Hindi: नाग पंचमी की पूजा श्रद्धालु बड़े भक्ति भाव से करते हैं । लेकिन इस पूजा का कोई लाभ नहीं। कैसे हो, नाग भी तो चौरासी लाख योनियों में से ही एक जीव है। आज पाठकगण जानेंगे संत रामपाल जी महाराज के द्वारा दिया गया सत-भक्ति करने का तत्वज्ञान ।
नाग पंचमी (Nag Panchami in Hindi): मुख्य बिन्दु
- नाग पंचमी उत्सव हर वर्ष सावन मास में मनाया जाता है
- मान्यता है, सावन पंचमी में नागों को दूध स्नान कराने से ये हानि नहीं पहुंचाते
- सांप फसल को नुकसान करने वाले जीव-जंतु, चूहे आदि से रक्षा करता है
- आठ नागों अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख की अर्चना
- चौरासी लाख शरीर धारी जीव योनियों में नाग भी है एक योनि दूसरे को लाभ नहीं करेगी
- गुरु नानक ने ॐ तत् सत् के अजपा जाप द्वारा परमात्मा में लौ लगाना बताया है
- तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सतज्ञान लेकर सांसारिक दुखों से छुटकारा पाएं
Nag Panchami [Hindi]-हिन्दू परंपराओं में नागपंचमी त्योहार
Nag Panchami in Hindi: हिंदू धर्म में प्रचलित कर्मकांडों के अनुसार देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की भी परंपरागत पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें जानवर, पक्षी, सृप, फूल और वृक्ष भी सम्मिलित है। हिंदुओं में विशेषकर पश्चिम भारत में महाराष्ट्र प्रांत में नाग पंचमी (Nag Panchami) की विशेष मान्यता है। नाग पंचमी का यह उत्सव हर वर्ष श्रावण मास (Sawan) में मनाया जाता है। इस वर्ष इसे शनिवार, 25 जुलाई 2020 को पंचमी होने के कारण मनाया जा रहा है।
नागपंचमी श्रावण मास में क्यों?
Nag Panchami in Hindi 2020: इसका एक कारण यह जान पड़ता है कि सावन का पूरा महीना वर्षा का होता है और बरसात में जमीन से नाग बाहर निकल आ जाते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि पंचमी के दिन यदि नागों को दूध स्नान कराया जाए, पूजा अर्चना की जाए तो ये किसी को हानि नहीं पहुंचाते।
Naag Panchami 2020 India: With Date, History, Significance, and Snake god, also know the true way of Worship to perform to get God's Protection.#NaagPanchamihttps://t.co/YMXVLYwgLY
— SA News Channel (@SatlokChannel) July 21, 2020
Nag Panchami 2020 [Hindi]-अलग अलग कारणों से मानते है पंचमी ?
कुछ कहते है, कृषि प्रधान भारत देश में सांप खेतों में फसल को नुकसान करने वाले जीव-जंतु, चूहे आदि से रक्षण करता है। उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। कुछ यह भी कहते हैं, हिन्दू धर्म में पशु-पक्षियों, मूर्तियों, पित्रों को पूजने का विधान है। वैसे भी सावन के महीने में कई प्रकार की पूजाएं कर्मकांड के अनुसार कराई जाती हैं। पंचमी को नागों की पूजा भी इसी कड़ी का अंश है। महाभारत में नागों से संबंधित वर्णन मिलते हैं । हिंदू धर्म में नागों को देवता भी कहा गया है। नागपंचमी के दिन आठ नागों अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख की पूजा अर्चना की जाती हैं।
नाग भी एक योनि है मनुष्य को लाभ नहीं दे सकती
Nag Panchami in Hindi 2020:सृष्टि के प्रारंभ में चौरासी लाख शरीर धारी जीव योनियों का सृजन किया गया। जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में उन चार वृहत श्रेणियों का विस्तृत वर्णन किया है । चार खानियों में ये चौरासी लाख योनियां समायोजित हैं । चार खानियों के जीव एक समान हैं । परन्तु उनकी शरीर रचना में तत्व विशेष का अन्तर है । स्थावर खानि में सिर्फ़ एक ही तत्व जल, ऊष्मज खानि में दो तत्व वायु और अग्नि, अण्डज खानि में तीन तत्व जल अग्नि और वायु और पिण्डज खानि में चार तत्व अग्नि, पृथ्वी, जल और वायु होते हैं ।
इन सबसे अलग मनुष्य शरीर में पाँच तत्व अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश होते हैं । मनुष्य योनि में नर और नारी दोनों में तत्व एक समान हैं । पाठक यह जानें कि नाग अंडज खानि में पैदा हुआ एक जीव है । कितनी बार अन्य योनियों में जन्म लिया होगा । आप समझ सकते हैं कि नाग पूजा किसी प्रकार भी मनुष्य के विकास में सहायक नहीं हो सकती । अतः इसे करना मनुष्य जीवन का महत्वपूर्ण समय व्यर्थ करना है ।
शास्त्र सम्मत साधना न करने से क्या हानि होती है ?
पाठकों के मन में प्रश्न होगा कि ऐसा क्या है जो मनुष्य जीवन में करना श्रेष्ठ है, जी ऐसा है जिसे हम आगे जानेंगे । अब श्रीमद्भगवद्गीता का मत जानते हैं, गीता अध्याय 9 श्लोक 25 के अनुसार देवताओं की पूजा करने वाले देवताओं प्राप्त होंगे, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होंगे और भूत-प्रेतों की उपासना करने वाले उन्हीं को ।
यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः |
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोSपि माम् || गीता 9:25||
नागों को पूजने वाले किसको प्राप्त होंगे, पाठक स्वयं निर्णय करें ।
शास्त्र अनुकूल भक्ति कैसे की जाती है?
जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में विस्तृत ज्ञान दिया है । श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 का श्लोक 23 के अनुसार ॐ मन्त्र ब्रह्म का तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है। ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का आदेश कहा है।
ॐ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः,
ब्राह्मणाः, तेन, वेदाः, च, यज्ञाः, च, विहिताः, पुरा।।गीता 17:23।।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्राण संगली-हिन्दी के पृष्ठ नं. 3 पर गौड़ी रंगमाला जोग निधि – महला 1 – पौड़ी नं. 17 को उदघृत करते हुए बताया है, नानक साहेब श्रीमद्भगवद्गीता 17:23 के ॐ, तत्, सत् नाम के अजपा जाप द्वारा सुरति का परमात्मा में लौ लगाने का रहस्य उजागर कर रहे हैं ।
पूर्ब फिरि पच्छम कौ तानै। अजपा जाप जपै मनु मानै।।
अनहत सुरति रहै लिवलाय। कहु नानक पद पिंड समाय।। प्राण संगली 1:17।।
संत रामपाल जी महाराज गुरु नानक जी देव की वाणी द्वारा समझाना चाहते हैं कि पूरा सतगुरु वही है जो दो अक्षर के जाप के बारे में जानता है। जिनमें एक काल व माया के बंधन से छुड़वाता है और दूसरा परमात्मा को दिखाता है और तीसरा जो एक अक्षर है वो परमात्मा से मिलाता है। वेद पुराणों के पढ़ने से मुक्ति नहीं होती, गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
वेद कतेब सिमरित सब सांसत, इन पढ़ि मुक्ति न होई।।
एक अक्षर जो गुरुमुख जापै, तिस की निरमल होई।।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से लें सत भक्ति का तत्वज्ञान
सतलोक में विराजमान पूर्ण ब्रह्म पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब (कविर्देव) की गुरु परंपरा के एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही गीता द्वारा निर्देशित और गुरु नानक द्वारा शिक्षित तत्वज्ञान को शास्त्र अनुकूल विधि से बताते हैं । अपना कल्याण चाहने वाली पुण्यात्माएं ऐसे तत्वदर्शी संत से नाम दान दीक्षा लेकर अपने सर्व पापों को कटवा कर इस मृत्यु लोक में सर्व सुख प्राप्त कर समय होने पर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करें । तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की सतज्ञान वर्षा और सतनाम/सारनाम कृपा से गुरु मर्यादा का पालन करते हुए सांसारिक दुखों से छुटकारा पाकर अपना और परिवार का कल्याण कराएं । सतगुरुदेव जी द्वारा लिखित पुस्तक “अंध श्रद्धा भक्ति खतरा-ए-जान” को पढ़ें, साधना और अन्य चैनलों पर सत्संग श्रवण करें ।
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असली नाग पंचमी का त्यौहार मनाने से हमारे लिए नुकसान देय ही नहीं घोर नरक में गिराने जैसा है।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताया गया साधना शास्त्र अनुकूल है।