मुसलमान धर्म में कुरान शरीफ़ को एक पाक किताब माना जाता हैं। मुस्लिम भाई, काजी, मुल्ला रोजाना पवित्र कुरान शरीफ़ को पढ़ते हैं। लेकिन फिर भी “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरान”, जबकि वर्तमान समय में आज का मुसलमान समाज शिक्षित और समझदार है। हर कोई कुरान शरीफ़ को समझ लें, तो बाखबर संत की क्या आवश्यकता है। लेकिन ऐसा नहीं है, बिना बाखबर संत के हम पवित्र कुरान शरीफ़ का ज्ञान समझ नहीं सकते हैं। क्योंकि पवित्र कुरान शरीफ़ में बाखबर संत की खोज करने को कहा है। वर्तमान समय में बाखबर संत कौन हैं इस ब्लॉग में आगे जानेंगे।
- पवित्र कुरान शरीफ़ में जो ज्ञान, जो शिक्षा दी गई हैं, क्या आज का मुसलमान समाज उस ज्ञान, शिक्षाओं पर चल रहा हैं?
- कहीं मुसलमान पवित्र कुरान शरीफ़ के ज्ञान, शिक्षाओं के विपरित चल कर गुनाह तो नहीं कर रहे हैं !?
आइए जानते हैं, हम इस ब्लॉग के माध्यम से “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरान” आखिर कुरान में ऐसा क्या ज्ञान दिया गया है जो आज तक मुसलमान भाई, काजियों, मुल्लाओ के लिए रहस्यमय बना है और वे पवित्र कुरान शरीफ़ में लिखें गूढ़ रहस्यों को समझ नहीं सकें। अल्लाह ताला को चाहने वाले सभी मुसलमान भाइयों से निवेदन है कि इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें और अमल करें।
रहमान और शैतान में क्या अंतर है ?
संसार में विशेषकर दो शक्तियां सब जीवों पर असर कर रही हैं।
- रहमान: रहमान इसका मतलब यह है कि रहम करने वाला। जो की सिर्फ दयालु कादर (समर्थ) अल्लाह (परमेश्वर) ही हैं। वे ही श्रृष्टि के रचयिता तथा पालनकर्ता हैं।
- शैतान: जो प्रत्येक प्राणी को गलत ज्ञान देकर अपने जाल में फसाकर रखता है। शैतान जिसको काल भी कहा जाता है गुप्त रहता है। उसका सिर्फ एक ही उद्देश है मानव को खुदा से दूर रखना।
पवित्र कुरान शरीफ़ का ज्ञान देने वाला अपने से ऊपर किस कादर अल्लाह के बारे में बता रहा हैं ?
वर्तमान में मुसलमान भाई, काजी, कुरान शरीफ का ज्ञान बोलने वाले को असली खुदा मानते हैं जबकि कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला खुदा नही है। वो अपने से ऊपर किसी और असली खुदा के बारे में बता रहा है। जिसका प्रमाण कुरान शरीफ़ सूरत फुरकानि (फुरकान) 25 आयत नं. 52 है जिसमें कुरान शरीफ़ का ज्ञानदाता बता रहा है कि जो कबीर को छोड़कर देवी देवताओं की पूजा करते है आप उनकी बात न मानना और कबीर साहेब के लिए संघर्ष करना।
यहां कुरान शरीफ का ज्ञानदाता बोलने वाला कह रहा है कि कबीर ही असली खुदा कादर “अल्लाह” है। कुरान शरीफ़ सूरत फुरकानि (फुरकान) 25 आयत नं. 53-59 में जिस “कबीर अल्लाह की महिमा बयान की गई है उसने श्रृष्टि की रचना की है।
हमें कबीर अल्लाह को छोड़कर किसी अन्य की पूजा “इबादत” क्यों नहीं करनी चाहिए?
पवित्र कुरान शरीफ में लिखा है कि जो लोग “कबीर अल्लाह” को छोड़कर अन्य देवी-देवताओं, पत्थर मूर्ति पूजा करते हैं उन लोगों को कोई लाभ नहीं होता हैं। यह सभी व्यर्थ की पूजा (इबादत) हैं। ऐसा करने से व्यक्ति को न तो कोई लाभ होता हैं और न ही हानि होती हैं। ऐसे व्यक्ति तो अपने असली खुदा सर्व सृष्टि रचनहार कुल के मालिक “अल्लाह कबीर” से मुंह मोड़ें हुए है। कादर अल्लाह कबीर साहेब जी की सतभक्ति (सच्ची इबादत) न करने से, उनको मृत्यु के बाद पछताना पड़ेगा।
मुसलमानो की फजाईले आमाल यह एक पाक पवित्र पुस्तक है। इस पवित्र पुस्तक में असली खुदा की इबादत की सही विधि तथा कादर अल्लाह कबीर साहेब जी का नाम विशेष रूप से वर्णन किया गया है। पवित्र पुस्तक फजाईले में आयत नं. 1,2,3,6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि पवित्र कुरान शरीफ़ का ज्ञान देने वाला ब्रह्म (काल अर्थात क्षर पुरुष/ज्योतिनिरंजन) कहता है कि तुम लोग कबीर अल्लाह की महिमा बयान करो। वह कबीर अल्लाह ही सभी पोसीदा और छोटी-छोटी चीजों को जानने वाला है और वह कबीर अल्लाह ही मर्तबे वाला है और आलीशान रुत्बे वाला है।
पवित्र फजाईले आमाल पुस्तक में दो कलमो का वर्णन है।
- “लाइला-ह-इल्लल्लाह”
- “अल्लाहु अक्बर”
यहां पर “अल्लाहु अक्बर” का मतलब है अल्लाह कबीर और फजाइले दरूद शरीफ में भी अल्लाह कबीर नाम की महिमा का प्रत्यक्ष प्रमाण छुपा नहीं है। इससे यह सिद्ध होता है कि कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला असली खुदा नहीं है। कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला ब्रह्म (काल अर्थात क्षर पुरुष/ज्योतिनिरंजन) है और इसी ब्रह्म (काल अर्थात क्षर पुरुष/ज्योतिनिरंजन) ने श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान दिया है। ब्रह्म (काल अर्थात क्षर पुरुष/ज्योतिनिरंजन) की उत्पत्ति कैसे हुई है आप आगे सृष्टि रचना में पढ़ सकते हैं l
अल्लाह साकार है या निराकार (बेचून)?
वर्तमान समय में देखा जाए तो सभी मुसलमान भाई काजी, मुल्ला, और अन्य धर्म के सभी लोग एक ही बात बोलते हैं कि भगवान, अल्लाह, गोड, रब निराकार (बेचून) हैं। जबकि सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रंथों में प्रमाण है कि अल्लाह साकार हैं मनुष्य जैसे आकार में है। मनुष्य जैसा है अर्थात परमात्मा सहशरीर हैं।
- पवित्र बाइबल में उत्पत्ति अध्याय नं. 1 के श्लोक नं. 26 में कहा है कि परमात्मा ने सबसे पहले सर्व सृष्टि की रचना की और फिर छठे दिन मनुष्यों को अपने जैसा बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने जैसे ही शक्ल-सूरत में बनाया है। इससे यह स्पष्ट है कि अल्लाह (परमात्मा) मनुष्य जैसे आकार में है, निराकार (बेचून) नहीं है।
- पवित्र कुरान शरीफ़ सूरत फुरकानि (फुरकान) 25 आयत नं. 52-59 में जिस “कबीर अल्लाह” के बारे वर्णन किया गया हैं हकीकत में वह कादर (अविनाशी) खुदा है। जिसे अल्लाहु अकबर (अकबीरू) भी कहते हैं। वास्तव में असली खुदा वह “कबीर” नामक अल्लाह ही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना तथा सबको उत्पन्न करने वाला दयालु अल्लाह कबीर है। कबीर अल्लाह ने छ: दिन में सृष्टि रचना की तथा सातवें दिन ऊपर सतलोक में सिंहासन पर जाकर बैठ गया। जब अल्लाह सिंहासन पर बैठा है तो वह साकार मानव समान है। मनुष्य जैसा आकार में है। इससे यह स्पष्ट होता हैं कि अल्लाह (परमेश्वर) साकार हैं। हम अल्लाह को देख सकते हैं, दीदार कर सकते हैं।
पवित्र कुरान में क्या अच्छी शिक्षा दी गई हैं ?
पवित्र कुरान मजीद पुस्तक में अनेकों नेक बातें हैं। उदाहरण के लिए कुछ पेश है;
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 13 :- अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत नही करना।
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 16 :- अल्लाह सब कुछ कर सकता है और उसे सबकी खबर है।
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 17 :- मालिक को हर पल याद रखो, नेकी पर चलो और मुसीबत में सब्र रखो।
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 18 :- अहम और अकड़ मत रखो।
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 19 :- अपनी चाल में संतुलन बनाए रख और अपनी आवाज़ तनिक धीमी रख।
- सूर: लुकमान-31 आयत नं. 22 :- अल्लाह नेक लोगों के साथ होता है और सारे मामलों का अंतिम निर्णय अल्लाह ही के पास हैं।
- सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 188 :- चोरी ठगी करना पाप है।
- सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 268 :- शैतान तुम्हें निर्धनता से डराता है और गलत काम करने के लिए उकसाता हैं। मगर अल्लाह तुम्हें अपनी बखशीश और उदार कृपा से उम्मीद दिलाता है। अल्लाह बड़ी समाई वाला और सर्वज्ञ है।
- सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 269 :- अल्लाह जिसको चाहता है उसे सतज्ञान देता है और उसे ही संसार की सबसे बड़ी दौलत मिलती है।
- कुरान सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 256 :- धर्म के विषय में कोई जोर जबरदस्ती नहीं।
- सूर: यूनुस-10 आयत नं. 99 :- किसी का भी जबरदस्ती धर्म परिवर्तन नही करना।
- सूर: अर-रहमान-55 आयत नं. 7-9 :- तोल करते समय चोरी ना करना, न्याय करना।
- सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 219 :- शराब तथा जुए में बड़ी खराबी है, महापाप है।
- कुरान मजीद सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 276 :- ब्याज लेना पाप है।
- सूर: अल् बकरा-2 आयत नं. 261 :- हमें “जकात” दान करना चाहिए।
क्या पवित्र कुरान में पुनर्जन्म का जिक्र हैं ?
पवित्र कुरान शरीफ में पुनर्जन्म यानी जन्म-मृत्यु का जिक्र है। लेकिन वर्तमान के मुसलमान भाई कहते हैं कि पुनर्जन्म नहीं होता है। जबकि पवित्र कुरान शरीफ में पुनर्जन्म होता है यह बताया गया है।
कुरान से पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूर: अल बकरा-2 की आयत नं. 25, सूर: अल बकरा-2 की आयत नं. 243 :
कुरान ज्ञान देने वाला ज्ञानदाता कह रहा है कि क्या तुमने उन लोगों के बारे कुछ सोचा है जो लोग मृत्यु के भय से अपने घर परिवार को छोड़कर निकल जाते थे और हजारों की भीड़ में थे अल्लाह ने उनको कहा तुम मर जाओं। फिर अल्लाह ने उनको दोबारा जीवित किया।
- क़ुरान शरीफ़, सूर: अम्बिया 21 आयत नं. 104 में लिखा है कि जिस प्रकार पहले सृष्टि की रचना की गई थी उसी प्रकार हम दुबारा रचना करेंगे। यह हमारा वादा हैं यह हम जरूर करेंगे। अर्थात पुनर्जन्म होता है।
- क़ुरान शरीफ़, सूर: अर रूम 30 आयत नं. 11 में कहा है कि खुदा ने जिस प्रकार पहले सृष्टि की रचना की है, उसे फिर से दोहराएगा अर्थात पुनरावृत्ति करेगा।
- क़ुरान मजीद, सूर: अल् बकरा 2 आयत नं. 28 :- खुदा ने तुम्हें जीवन प्रदान किया। फिर वहीं खुदा तुम्हारे प्राण ले लेगा। फिर तुम्हें दुबारा जीवन प्रदान करेगा। इससे यह स्पष्ट है कि जन्म-मृत्यु के बाद फिर जन्म-मृत्यु होती रहती है अर्थात पुनर्जन्म होता रहता है। इस प्रकरण से स्पष्ट है कि पुनर्जन्म होता है और मुस्लिम धर्म में पुनर्जन्म को लेकर जो धारणा है वह निराधार है।
क्या हज़रत मुहम्मद जी ने कभी मांस खाया था?
पवित्र कुरान शरीफ़ में कहीं पर भी बेजुबान जानवरों की कुर्बानी नहीं लिखी है। वहां पर कुर्बानी लिखीं हैं तो वहा कुर्बानी का मतलब है कि अल्लाह ताला की राहों पर अपनी बुराइयों को त्याग कर देना, ना कि बेजुबान जानवरो को काट देना। मुसलमान भाई ईद पर जितनी भी कुर्बानी देते हैं, वह सब पाप इकठ्ठे कर रहें हैं।
अगर मुल्ला-काजियों ने यह बात पहले बता दी होती तो आज मुसलमान समाज इन पापों से बच जाता। हजरत मुहम्मद तथा उनके एक लाख अस्सी हज़ार अनुयाई और आदम से मुहम्मद तक नबी हुए हैं, उन्होंने कभी मांस नहीं खाया तथा किसी जीव की हत्या नहीं की।
गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।
अर्स-कुर्स पर अल्लह तख्त है,खालिक बिन नहीं खालि।
वे पैगंबर पाक पुरुष थे, साहेब के अबदाली।।
इसका भावार्थ यह है कि, संत गरीब दास जी महाराज जी ने बताया है कि नबी मुहम्मद और उनके अनुयायियों ने कभी मांस नहीं खाया और ना ही कभी किसी जीव की हत्या की। वे तो परमात्मा के संदेहवाहक थे।
संत जम्भेश्वर जी की गवाही
मांस ना खाने की बात की गवाही संत जम्भेश्वर महराज जी ने भी दी हैं। शब्द संख्या 12 में उन्होंने लिखा है कि;
महमद-महमद न कर काजी, महमद का तो विषय विचारू।
महमद हाथ करद न होती, लोहे घड़ी न सारू।
महमद साथ पयबंर सीधा, एक लाख अस्सी हजारूं।
महमद मरद हलाली होता, तुम ही भए मुरदारूं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि हजरत मोहम्मद जी ने कभी जीव हिंसा नहीं किया और न हीं मांस खाया। हजरत मुहम्मद जी ने न ही किसी को जीव हिंसा करने को कहा है न ही मांस खाने को कहा है। जीव हिंसा करना घोर पाप हैं। परमात्मा ने हमें यहां कुछ नियम बनाकर भेजा था। अगर हम परमात्मा के नियमों का उलंघन करते हैं तो हम सीधा नरक में जाएंगे।
बाखबर संत किसे कहते हैं और वर्तमान में बाखबर संत कौन हैं?
पवित्र कुरान शरीफ़ का ज्ञानदाता बोलने वाला कह रहा है कि उस कादर अल्लाह कबीर साहेब जी की पूरी जानकारी किसी बाखबर संत से पूछों। वहीं बाखबर संत उस अल्लाह ताला की पूरी जानकारी रखता है। अर्थात उस कादर (समर्थ) अल्लाह की संपूर्ण जानकारी केवल बाखबर संत ही बता सकता हैं। पवित्र कुरान शरीफ़ सूर: लुकमान-32 आयत नं. 33 तथा सूर: फुरकान-25 आयत नं. 52-59 में इसका प्रमाण हैं।
बाखबर संत उसे कहते हैं जो “सभी धर्मों” के पवित्र सद्ग्रंथों का जानकार हो और उसे असली खुदा के बारे में पूरी जानकारी हो। जो पूजा (इबादत) की सही विधि और मोक्ष मंत्रों के गूढ़ रहस्य को उजागर करेगा, सभी धर्मों के सभी “पवित्र सद्ग्रंथों” के आध्यात्म ज्ञान को ठीक से समझाएगा, ज्ञान व अज्ञान के अंतर को समझा देगा, वास्तव में वह बाखबर संत हैं।
वर्तमान समय में बाखबर संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिन्होंने उस सच्चे अल्लाह की संपूर्ण जानकारी प्रमाणों के साथ सभी सद्ग्रंथों तौरेत, जबूर, इंजील कुरान शरीफ़, बाइबल, वेद, श्रीमद्भगवद्गत गीता, तथा गुरु ग्रंथ साहिब, आदि से प्रमाणित की है। एक कादर (समर्थ) अल्लाह (परमेश्वर) कबीर के बारे में बताया है और उस कादर अल्लाह की सच्ची इबादत (पूजा) करने का सही तरीका बताया है।
पृथ्वी पर बाखबर संत रामपाल जी महाराज आ चुके हैं।
अब समय आ गया है। अपने सच्चे अल्लाह को पहचानने का। हमें सच्चे अल्लाह की इबादत करनी होगी। इसके लिए हमें पुराने रिति-रिवाज छोड़ने पड़ेंगे। तभी हमारा मोक्ष हो सकता है। सतभक्ति करने से ही हमारा मोक्ष हो सकता हैं। वर्तमान समय में सतभक्ति केवल बाखबर संत रामपाल जी महाराज के पास है। विश्व के सभी मुसलमान भाइयों से प्रार्थना है कि समय रहते ही इस ज्ञान को समझ लें और ग्रहण कर लें। क्योंकि परमात्मा ने कहा है कि ;
गरीबदास यह वक्त जात है, रोओगे इस पहरे नूं।
यह सही बात है। जितना देर करेंगे हम इस सतभक्ति मार्ग को अपनाने में, बाद में हमारे हाथ कुछ नहीं लगेगा, रोने के सिवा। अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान। Play Store से “Sant RampalJi Maharaj App” डाउनलोड करें और अधिक जानकारी प्राप्त करे।