October 9, 2025

ऋषि मुनीन्द्र, हनुमान जी और नल-नील की कथा [कहानी]

Published on

spot_img

Last Updated on 21 July 2024 IST: Munindra Rishi Story in Hindi: लाखो साल पहले त्रेता युग मे एक मुनीन्द्र नाम के ऋषि  थे। वो अपने आश्रम में रहते थे व घूम घूम कर लोगो को भगवान की कथा  सुनाते व भगति करने की सलाह देते। उनके आशीर्वाद से लोगो को बहुत से रोगों से छुटकारा मिलता व एक सुखपूर्ण जीवन का आधार मिलता। यहां तक कि श्रीरामचंद्र जी ,लंकापति रावण, हनुमान जी भी ऋषि मुनीन्द्र  जी के संपर्क में आये। व उनके अटके काम भी ऋषि मुनीन्द्र जी की कृपा से ही ठीक हुए।

  • नल व नील नाम के दो भाई थे ।उनको एक भयंकर रोग था। जिसके इलाज के लिए वो सब जगह गए लेकिन  कोई भी ठीक न कर सका। उनका रोग निवारण मुनीन्द्र ऋषि जी के आशीर्वाद से हुआ।
  • दोनों भाई मुनीन्द्र ऋषि के आश्रम में रहने लगे और वहां आने वाले भगतो की सेवा करने लगे।उनके कपड़े बर्तन आदि नदी में ले जाकर धो लाते।
  • दोनों भाई बहुत ही भोले भाले थे ।वे दोनों भाई नदी में कपड़ो को भिगो देते व बातें करने लग जाते। जब वो बातें करते तो कुछ कपड़े पानी मे बह जाते।
  • इससे जिन लोगो के कपड़े गुम होते उन्हें बहुत परेशानी आती।उन्होंने यह शिकायत मुनीन्द्र ऋषि जी से की नल नील के कारण कभी हमारे बर्तन तो कभी हमारे कपड़े गुम हो जाते है। इस लिए हम अपना काम खुद कर लेंगें।
  • नल नील ने जब ये सुना तो सेवा छिनने के डर से वे बहुत चिंतित हुए और ऋषि जी से प्रार्थना की “हे गुरुवर!ये सेवा हमसे मत छीनो हम आगे से और ज्यादा ध्यान रखेंगे”

ऋषि जी ने उनकी इस प्रार्थना से द्रवीभूत हो कर उनसे कहा कि

“तुम्हारी सेवा भावना को देखकर मैं तुम्हेआशीर्वाद देता हूँ कि आज के बाद तुम्हारे हाथ से कोई वस्तु पानी मे नहीँ डूबेगी।”

Munindra Rishi Story in Hindi: ऐसा ही हुआ दोनों भाइयों ने पत्थर बर्तन आदि सब पानी मे रखकर देखे लेकिन कोई भी वस्तु पानी मे नही डूबी। दोनों की खुशी का ठिकाना न रहा।

कुछ समय पश्चात अयोध्या के राजा श्रीराम लंका जाने के लिए वहां आये।उनकी पत्नी सीता जी को लंका के राजा रावण उठाकर ले गया था इस कारण श्रीराम लंका पर अपनी सेना सहित चढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन उनके सामने अथाह समुंदर था । उसे कैसे पार करे।श्रीराम जी मे तीन दिन तक पानी में खड़े रहकर समुंदर देवता से रास्ते की याचना की लेकिन कोई बात न बनी।इस पर क्रोधित होकर उन्होंने समुंदर को सुखाने के लिए अग्नि बाण निकाला ।तभी  समुंदर देवता प्रगट हुए और कहा कि

“आपकी सेना में नल व नील नाम के दो कारीगर है जिनके हाथ से पानी मे रखी कोई वस्तु  नही डूबती। जल के अंदर भी एक संसार बसा हुआ है यदी आप इसे सूखा दोगे  तो वह सारा नस्ट हो जाएगा।”

इस पर श्रीराम ने दोनों भाइयों को बुलाकर उनसे इस बारे में पूछा गया कि क्या आपमे ऐसी करामात है । दोनों ने अभिमान वश कहा कि :

“हाँ ,हमारे हाथ से रखी कोई वस्तु पानी मे नही डूबती।”

  • जब उनकी इस बात का परीक्षण करने के लिए पत्थर पानी मे रखा गया तो वो डूब गया।। समुंदर देवता ने कहा कि जरूर इन्होंने कोई गलती की है जो ये शक्ति आज इनके हाथ मे नही रही। इन्होंने अपने गुरुदेव को याद नही किया।
  • अपना काम न बनता देख श्रीराम जी व्याकुल हो गए।तभी वहां पर मुनीन्द्र ऋषि जी जो नल नील के गुरुदेव थे वहां आये ।श्रीराम जी ने अपनी सारी व्यथा उनको सुनाई व पुल की आवश्यकता बताई।

तब मुनीन्द्र जी ने पास ही एक पहाड़ी के चारो तरफ एक डंडी से रेखा खींच दी और कहा

“इस रेखा के अंदर से जो भी पत्थर उठाकर पानी  रखोगे वह डूबेगा नही।”

Munindra Rishi Story in Hindi: ऐसा ही हुआ। सभी ने मिलकर वहां से पत्थर उठाकर पानी मे रखे जिसे नल नील ने पानी मे सही तरीके से लगाया। व पुल बन कर तैयार हुआ. इस प्रकार समुंदर पर पुल मुनीन्द्र ऋषि जी के आशीर्वाद से बना।

ऋषि मुनीन्द्र जी लंका में रावण को तत्वज्ञान समझाने भी गए थे। रावण की रानी मंदोदरी थी उसके मनोरंजन के लिए एक चन्द्रविजय नामक भाट की पत्नी उसके पास आती थी।  मुनीन्द्र ऋषि जी ने चन्द्रविजय भाट को अपना शिष्य बनाया व बाद में उसका पूरा परिवार ऋषि मुनीन्द्र जी से उपदेशी हो गया। उपदेश लेने से पहले जब चन्द्रविजय की पत्नी रानी के पास जाती थी तो उसे असलील कहानी चुटकुले सुनाती थी लेकिन मुनीन्द्र जी से दीक्षित होने के बाद उसकी बातचीत का विषय बदल गया । जिससे मंदोदरी बहुत प्रभावित हुई। जब रानी मंदोदरी को यह पता चला कि यह परिवर्तन मुनीन्द्र ऋषि जी के कारण हैं तब उसने भी ऋषि जी दीक्षा ली।

Read Also: Who were the Seu & Samman: Motivational & Moral Story in Hindi

Munindra Rishi Story in Hindi: मंदोदरी ने जब मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा ली तब एक दिन उसने अपने गुरुजी से कहा कि मेरे पति रावण को भी आप सत्य ज्ञान बताकर अपनी सरन में लो । मंदोदरी के बार बार विनय करने पर ऋषि मुनीन्द्र ने कहा कि मैं रावण को समझाने उसके राज दरबार के चला जाऊंगा। ऋषि मुनीन्द्र जी रावण की गुप्त सभा मे प्रकट हुए व ज्ञान बताने की चेष्ठा की। जिससे रावण तिलमिला गया व क्रोधित होकर तलवार से अनगिन वार किए जिसे मुनीन्द्र जी ने झाड़ू की सिंख से रोक दिया। रावण थककर चूर हो गया व कहा कि-

” मैं तुम्हारी बात नही सुनुँगा तुम्हे जाना है तो जाओ।”

इस प्रकार रावण को समझाने  का भी ऋषि मुनीन्द्र जी ने बहुत प्रयास किया लेकिन अभिमान वश उसने उन्हें स्वीकार नही किया।

समुंदर पर पुल बनाने से पहले हनुमान जी भी ऋषि जी के संपर्क में आये थे। जब हनुमान जी लंका से सीता जी का पता लेकर उनके द्वारा दिया गया कंगन लेकर  वापिस आ रहे थे तो रास्ते मे हनुमान जी कंगन को एक पत्थर पर रखकर स्नान करने लगे  तभी एक बंदर ने वो कंगन उठा लिया

हनुमान जी कंगन के लिए उसके पीछे पड़ गए।तभी बंदर ऋषि मुनीन्द्र जी के आश्रम में प्रवेश कर गया वहाँ रखे बड़े से मटके में कंगन डालकर भाग गया। जब हनुमान जी ने मटके के अंदर देखे तो उसमें एक जैसे बहुत से कंगन थे। हनुमान जी उलझन में पड़ गए कि वास्तविक कंगन कौनसा है।

  • हनुमान जी ने इस विषय पर मुनीन्द्र ऋषि जी से पूछा। ऋषि जी ने बताया कि सभी कंगन असली है हनुमान ।
  • ये खेल बहुत बार हो चुका है। 30 करोड़ बार राम जा चुके है हर बार हनुमान आता है  कंगन को बंदर उठाता है व इस मटके में डाल जाता है व फिर इसमें से एक  कंगन हनुमान ले जाता है । हनुमान जी के यह पूछने पर की जब कंगन को हनुमान ले जाता है तो इसमें कहा से आये।

इस पर ऋषि जी हनुमान जी को समझाते है कि इस मटके में जैसे ही कोई वस्तु डलती है व तुरंत दो बन जाती है। मुनीन्द्र जी ने हनुमान जी को सच्चे राम की कथा सुनाई जो उन्होंने कुछ सुनी कुछ नही सुनी। लेकिन बाद में सीता जी के अयोध्या पहुंचने के बाद सीता जी की किसी कटु वचन पर व्यथित होकर हनुमान जी ने मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा लेकर अविनाशी राम की भगति की । इस पूरी घटना का वर्णन पवित्र कबीर सागर में हैं।

वास्तव में मुनीन्द्र ऋषि कोई और नही बल्कि खुद परमात्मा कबीर जी ही थे जो हर युग मे इस पृथ्वी पर आकर समाज मे भक्ति स्थापित करते है व साधको को सच्ची भगति बताकर उनका मोक्ष करते है। सतयुग में परमात्मा सत सुकृत नाम से इस पृथ्वी पर आए त्रेता में मुनीन्द्र नाम से वही द्वापर युग मे करुनामय नाम से उनका प्राकट्य हुआ । कलियुग में परमात्मा अपने वास्तविक नाम कबीर से 600 साल पहले कांशी शहर में अवतरित हुए।

कबीर जी की वाणी-

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा   –
त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा
द्वापर में करुनामय कहाया
कलियुग नाम कबीर धराया।

Latest articles

संत रामपाल जी महाराज ने पंघाल गांव में पहुंचाई लाखों की राहत सामग्री, तीन दिन में बदली बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की तस्वीर

हरियाणा के हिसार जिले की तहसील बरवाला के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंघाल हाल...

हरियाणा की महम चौबीसी खाप पंचायत देगी संत रामपाल जी महाराज को ऐतिहासिक “मानवता रक्षक” सम्मान 

हरियाणा की प्राचीन और प्रभावशाली महम चौबीसी खाप पंचायत ने घोषणा की है कि...

International Day of Girl Child 2025: Girls’ Vision for the Future Empowered By Equality & Spiritual Enlightenment

The International Day of the Girl Child celebrated on October 11, is an attempt to raise awareness about the issues that girls face. This year's events range from seminars to the launch of a campaign to end child marriage. To commemorate the occasion, the United Nations stated that this year they will advocate for equal access to the Internet and digital devices for girls, as well as targeted investments to provide them with meaningful opportunities to use, access, and lead technology.

World Mental Health Day 2025: Know The Most Effective Way To Stay Mentally Fit

World Mental Health Day: World Mental Health Day is an opportunity for the world to come together and redress the historical neglect of mental health. Serious commitments to scale up investment in mental health right now amid COVID-19 will save the community from severe consequences. The readers would know that a line of communication with the Supreme God eradicates sorrows. Reunite with The Supreme Kabir Saheb by taking Naam Diksha (initiation) from His Enlightened Saint Rampal Ji Maharaj.
spot_img

More like this

संत रामपाल जी महाराज ने पंघाल गांव में पहुंचाई लाखों की राहत सामग्री, तीन दिन में बदली बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की तस्वीर

हरियाणा के हिसार जिले की तहसील बरवाला के अंतर्गत आने वाला ग्राम पंघाल हाल...

हरियाणा की महम चौबीसी खाप पंचायत देगी संत रामपाल जी महाराज को ऐतिहासिक “मानवता रक्षक” सम्मान 

हरियाणा की प्राचीन और प्रभावशाली महम चौबीसी खाप पंचायत ने घोषणा की है कि...

International Day of Girl Child 2025: Girls’ Vision for the Future Empowered By Equality & Spiritual Enlightenment

The International Day of the Girl Child celebrated on October 11, is an attempt to raise awareness about the issues that girls face. This year's events range from seminars to the launch of a campaign to end child marriage. To commemorate the occasion, the United Nations stated that this year they will advocate for equal access to the Internet and digital devices for girls, as well as targeted investments to provide them with meaningful opportunities to use, access, and lead technology.