November 25, 2024

हिंदू सद्ग्रंथो से कोसों दूर हिंदू समाज : मेरे अज़ीज़ हिंदुओं, स्वयं पढ़ो अपने ग्रंथ

Published on

spot_img

आज पूरे विश्व में चारों तरफ सनातन धर्म का डंका बज रहा है। विशेष कर हिंदू समाज का प्रत्येक मनुष्य सनातनी होने पर गर्व महसूस कर रहा है। परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि सनातन शब्द किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं है बल्कि सनातन का शाब्दिक अर्थ है वह धर्म जिसमें एक परमात्मा की शास्त्र अनुकूल भक्ति की जाती हो परंतु आज हिंदू समाज में लोग अपने सद्ग्रंथों को छोड़कर मनमाना आचरण कर रहे हैं। किसी भी धर्म के लोगों के लिए जरूरी है कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए अपने पवित्र धर्म ग्रंथो को समझें और जानें।

निःसंदेह हिंदू समाज अपने सद्ग्रंथो को सत्य मानते हैं। गीता जी, चारों वेद, 18 पुराण और छह शास्त्र और सब एक परमात्मा की भक्ति करने का आदेश देते हैं परंतु नकली धर्म गुरुओं और सत्य ज्ञान के अभाव से वर्तमान में हिंदू समाज में कुछ आडंबरों का समावेश हो गया है। गौरतलब है कि पिछले कई सालों से संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों द्वारा ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम और हर सोशल साइट्स पर शास्त्र अनुकूल भक्ति करने के लिए हिंदू समाज से लगातार अनुग्रह किया जा रहा है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि वर्तमान में हिंदू समाज में चल रही भक्ति विधि जैसे व्रत करना, श्राद्ध निकलना, पितृ तर्पण करना तथा तीर्थ यात्रा सदग्रंथों के अनुसार उचित है या नहीं।

आप सभी ने कभी न कभी अज्ञानी संतो तथा कथावाचको को व्रत करने के फायदे तथा महत्व बताते अवश्य सुना होगा पर क्या कभी आपने ध्यान दिया हैं कि इन अज्ञानी गुरुओं तथा संतों द्वारा किसी भी सद्ग्रंथ का जिक्र नहीं किया जाता। जबकि संत रामपाल जी महाराज जी ने गीता अध्याय 6 श्लोक 16 से यह सिद्ध कर दिया है कि व्रत करना शास्त्र अनुकूल क्रिया नहीं है क्योंकि इस श्लोक में लिखा है कि हे अर्जुन! यह भक्ति न तो अधिक खाने वाले की और न ही बिल्कुल न खाने वाले की अर्थात् यह भक्ति न ही व्रत रखने वाले, न अधिक सोने वाले की तथा न अधिक जागने वाले की सफल होती है। इसलिए सभी हिंदू भाइयों तथा बहनों से समय समय पर संत रामपाल जी महाराज के अनुयाइयों द्वारा अपने सद्ग्रंथों को जानने का आग्रह किया जाता है।

आजकल लगभग सभी हिन्दू परिवार नक़ली संतों तथा अज्ञानी गुरुओं की सलाह को मानते हुए श्राद्ध का आयोजन करते हैं लेकिन इसके बावजूद किसी के भी परिवार पितरों द्वारा सम्पन्न नहीं किए जा रहे हैं। यहां तक कई परिवार श्राद्ध के बाद भी पितृदोष से परेशान हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह इस क्रिया का शास्त्र विरुद्ध होना है।

पूर्ण परमात्मा कबीर जी बताते हैं कि:

जीवित बाप से लट्ठम-लठ्ठा, मूवे गंग पहुँचईयाँ |

जब आवै आसौज का महीना, कऊवा बाप बणईयाँ ||

अर्थात जब तक कि इन अंध भक्ति करने वालों के माता पिता जीवित होते हैं तब तक वे अपने माता पिता को प्यार और सम्मान भी नहीं दे पाते। मृत्यु के बाद श्राद्ध करते हैं जो कि पूर्ण रूप से शास्त्रों के विरुद्ध साधना हैं।

संक्षिप्त मार्कण्डेय पुराण पृष्ट संख्या 250-251 में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमे एक रुची नाम का ब्रह्मचारी साधक वेदों के अनुसार साधना कर रहा था। वह जब 40 वर्ष का हुआ तब उसे अपने चार पूर्वज जो मनमाना आचरण व शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितृ बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, वे दिखाई दिए। पितृरों ने उससे श्राद्ध की इच्छा जताई। इस पर रूची ऋषि बोले कि वेद में क्रिया या कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को अविद्या यानि मूर्खों की साधना कहा है। फिर आप मुझे क्यों उस गलत (शास्त्रविधि रहित) रास्ते पर लगा रहे हो। इस पर पितृरों ने कहा कि बेटा आपकी बात सत्य है कि वेदों में पितृ पूजा, भूत पूजा के साथ साथ देवी देवताओं की पूजा को भी अविद्या की संज्ञा दी है। फिर भी पितृ रों ने रूचि ऋषि को विवश किया एवं विवाह करने के उपरांत श्राद्ध के लिए प्रेरित करके उसकी भक्ति का सर्वनाश किया।

विचार करने योग्य : पितृ खुद कह रहे हैं कि पितृ पूजा वेदों के विरुद्ध है पर फिर लाभ की अटकलें खुद के मतानुसार लगा रहे हैं जिनका पालन नहीं किया जा सकता। क्योंकि ये आदेश वेदों में नहीं है, पुराणों में आदेश किसी ऋषि विशेष का है जो कि खुद के विचारों के अनुसार पितृ पूजने, भूत या अन्य देव पूजने को कह रहा है। इसलिए हिंदू भाइयों से अनुरोध है कि गीता जी तथा चारों वेदों का ज्ञान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग के माध्यम से समझ कर शास्त्र अनुकूल भक्ति करें।

संत रामपाल जी महाराज जी ने गीता के अध्याय 9 के श्लोक 25 से स्पष्ट किया है देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात् भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात् ब्रह्मलोक के स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं और पुण्यरूपी कमाई खत्म होने पर फिर से 84 लाख योनियों में प्रवेश कर जाते हैं।

 ये श्लोक देखकर हिंदू भाइयो को ये बात समझ आ जानी चाहिए कि इन नक़ली संतों ने हमारे पूर्वजों के पूर्वज भूत बनवा दिये जो कि उन योनियों में कष्ट झेल रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज द्वारा वह सत साधना प्रदान की जा रही है जिससे साधक को सर्व सुख सहित मोक्ष की प्राप्ति हो रही हैं।

वर्तमान के ऋषियों, नकली संतों तथा अज्ञानी गुरुओं द्वारा लोककथाओं और किंवदंतियों को सुनाकर भक्तों को गुमराह किया जा है और भोले भाले भक्तों को पूर्ण परमात्मा की पूजा से विमुख कर मनमाना आचरण जैसे तीर्थ स्थानों पर जाना जो कि केवल अंध पूजा है पर दृढ़ किया जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी ने तीर्थ के विषय में श्री देवी पुराण (केवल हिंदी) छठा स्कंध अध्याय 10 पृष्ठ 428 से प्रमाणित किया है कि तीर्थ आदि से तन की सफ़ाई तो हो सकती है लेकिन मन की सफ़ाई नही। उपरोक्त प्रमाण में व्यास जी ने बताया है कि तीर्थ स्थल से उत्तम तीर्थ चित्तशुद्ध (तत्वदर्शी संत के ज्ञान से चित्त की शुद्धि तीर्थ) है। ऐसे तत्वदर्शी संत वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज हैं।

आज वर्तमान में सभी भाई बहन शिक्षित है तथा अच्छे बुरे का ज्ञान रखते हैं। जैसे कि उपरोक्त लेख में सद्ग्रंथों के प्रमाणों से यह सिद्ध है कि अपने शास्त्रों की पूरी जानकारी ना होने के कारण भक्त समाज नकली संतो के हाथ की कठपुतली बन के रह गया था। परंतु पिछले कई सालों से संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्यों द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया पर तत्वज्ञान का प्रचार करते हुए हिंदू भाई बहनों से यह विनय किया जा रहा है कि वह अपने धर्म ग्रंथो को पढ़े, समझे तथा सही गलत का स्वयं फैसला करें। पूर्ण परमात्मा कबीर जी बताते हैं कि

कबीर, जान बूझ साची तजै, करै झूठ से नेह।

ताकि संगत हे प्रभु! स्वपन में भी ना देह ।।

अर्थात : जो आँखों देखकर भी सत्य को स्वीकार नहीं करता, ऐसे शुभकर्महीन से मिलना भी उचित नहीं है। जाग्रत की तो बात छोड़ो, ऐसे कर्महीन से तो स्वपन में भी सामना ना हो।

इसलिए आप सभी से करबद्ध हो कर अनुरोध है कि भक्ति मार्ग में सफल होने के लिए नकली संतों द्वारा बताई गई शास्त्रविहीन साधना को त्याग कर अपने धर्म ग्रंथो को पढ़े तथा उनमें वर्णित साधना का पालन करते हुए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करें ताकि जल्द से जल्द आपको पूर्ण परमात्मा से मिलने वाले लाभ तथा मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

26/11 Mumbai Terror Attack: The Heart Wrenching Story of 26/11

Last Updated on 24 November 2024 IST: In remembrance of the deadly 26/11 Mumbai...

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2024: Revelation From Guru Granth Sahib Ji

Last Updated on 23 November 2024 | Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day | Guru...

National Constitution Day 2024: Know How Our Constitution Can Change Our Lives

Every year 26 November is celebrated as National Constitution Day in the country, which commemorates the adoption of the Constitution of India

National Constitution Day 2024 [Hindi]: जानें 26 नवम्बर को, संविधान दिवस मनाए जाने का कारण, महत्व तथा इतिहास

National Constitution Day 2024 : 26 नवम्बर का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक...
spot_img

More like this

26/11 Mumbai Terror Attack: The Heart Wrenching Story of 26/11

Last Updated on 24 November 2024 IST: In remembrance of the deadly 26/11 Mumbai...

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2024: Revelation From Guru Granth Sahib Ji

Last Updated on 23 November 2024 | Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day | Guru...

National Constitution Day 2024: Know How Our Constitution Can Change Our Lives

Every year 26 November is celebrated as National Constitution Day in the country, which commemorates the adoption of the Constitution of India