जब समाज संकट में होता है, जब मानवता कराहती है, जब गरीब और बेसहारा लोग मदद की पुकार लगाते हैं, तब कोई न कोई ऐसा व्यक्तित्व सामने आता है जो न केवल राहत देता है, बल्कि समाज को नई दिशा भी देता है। संत रामपाल जी महाराज ऐसे ही एक युगपुरुष हैं जिन्होंने अपने सेवा कार्यों से हजारों लोगों का जीवन बदला है। उनके इसी योगदान को सम्मानित करने के लिए उन्हें हरियाणा की ऐतिहासिक धरती महम चौबीसी के चबूतरे से मानवता रक्षक सम्मान प्रदान किया गया।
यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस विचारधारा को समर्पित है जो कहती है कि धर्म का असली स्वरूप सेवा है, समानता है और करुणा है।
संत रामपाल जी को क्यों मिला मानवता रक्षक सम्मान
हरियाणा के कई गांव हाल ही में बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे थे। सरकारी तंत्र सीमित था, लोग निराश थे। ऐसे समय में संत रामपाल जी महाराज ने बिना किसी प्रचार के राहत सामग्री पहुंचाई, दवाएं दीं, भोजन और वस्त्र वितरित किए। उन्होंने यह साबित किया कि सच्चा धर्म वही है जो पीड़ितों के आंसू पोछे।
उनके कार्यों ने यह संदेश दिया कि जात-पात, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर सेवा करना ही सच्ची भक्ति है। यही कारण है कि उन्हें मानवता रक्षक सम्मान से नवाजा गया — एक ऐसा सम्मान जो केवल सेवा से मिलता है।
संकट के समय कौन बना सहारा

यह सम्मान इसलिए दिया गया क्योंकि संत रामपाल जी महाराज ने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान दिया, बल्कि सामाजिक असमानताओं को भी चुनौती दी। उन्होंने गरीबों को रोटी, कपड़ा, शिक्षा और मकान देने की मुहिम शुरू की। उन्होंने जात-पात और ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने का प्रयास किया।
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उनका उद्देश्य केवल प्रवचन देना नहीं था, बल्कि समाज को बदलना था। उन्होंने यह सिद्ध किया कि एक संत केवल धर्म का प्रचारक नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी होता है। इसीलिए उन्हें सम्मानित किया गया।
जानिए आयोजन की जगह
यह आयोजन हुआ हरियाणा के रोहतक जिले के महम कस्बे में स्थित महम चौबीसी के चबूतरे पर। यह स्थान केवल एक मंच नहीं, बल्कि हरियाणा की सामाजिक चेतना का केंद्र है। यहां पर वर्षों से सामाजिक और राजनीतिक निर्णय लिए जाते रहे हैं। यह वही धरती है जिसने 1857 की क्रांति से लेकर आधुनिक राजनीतिक संघर्षों तक की गवाही दी है।
महम चौबीसी के चबूतरे की गूंज: परंपरा, न्याय और बदलाव का संगम
महम चौबीसी के चबूतरे को हरियाणा की 24 गांवों की सामूहिक चेतना का प्रतीक माना जाता है। यहां पर खाप पंचायतें सामाजिक मुद्दों पर निर्णय लेती हैं। यह चबूतरा सामूहिक न्याय, भाईचारे और लोकशक्ति का प्रतीक रहा है। हाल ही में इसका आधुनिकीकरण भी हुआ है, जिसमें एक सेल्फी पॉइंट और सुंदर शेड बनाए गए हैं।

इस चबूतरे से संत रामपाल जी महाराज को सम्मानित करना एक ऐतिहासिक निर्णय था — क्योंकि यह स्थान हमेशा से सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ा रहा है। महम चौबीसी के चबूतरे से दिया गया सम्मान समाज की ओर से आभार का प्रतीक है।
सिर्फ प्रवचनकर्ता नहीं, बल्कि समाज सुधारक: संत रामपाल जी महाराज का परिचय
संत रामपाल जी महाराज का अवतरण 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के धनाना गांव में हुआ। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और सरकारी सेवा में कार्यरत रहे। लेकिन उनका उद्देश्य केवल नौकरी नहीं था — उन्होंने समाज में फैली असमानता, अंधविश्वास और धार्मिक पाखंड को खत्म करने का बीड़ा उठाया।
उनके गुरु स्वामी रामदेवनंद जी महाराज ने उन्हें तत्वज्ञान की दीक्षा दी और कहा:
“”अब आप इस धरती पर अपने मिशन को पूरा करें।” तभी से संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग, सेवा और समाज सुधार को अपना जीवन बना लिया”।
समारोह में आए सरपंचों ने संत रामपाल जी के बारे में क्या कहा?

“आज तक किताबों में सिर्फ मसीहा सुना सुना था। पहली बार मसीहा देखा तो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी हैं। गरीब को कपड़ा, मकान, रोटी, बीमार को इलाज और किसान मसीहा या तो पहले छोटूराम हुए थे नेताजी या आज गुरु रामपाल जी महाराज हैं। – वीरेंद्र सिंह, सिंहपुरा खुर्द”


“सतगुरु रामपाल जी, महाराज नहीं; ये भगवान का दूसरा अवतार हैं। – संदीप दहिया, संरपंच किशनगंज”
एक संत, सात संकल्प: संत रामपाल जी महाराज के मुख्य उद्देश्य
- जात-पात और ऊंच-नीच का अंत करना
- गरीबों को रोटी, कपड़ा, शिक्षा और मकान देना
- धार्मिक पाखंड का विरोध करना
- समानता और भाईचारे का संदेश देना
- प्राकृतिक आपदाओं में सेवा करना
- धर्मग्रंथों से प्रमाण देकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की पहचान कराना
- समाज को तत्वज्ञान से जोड़ना और अंधविश्वास से मुक्त करना
इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्होंने कई बार महम चौबीसी के चबूतरे से समाज को संबोधित किया और मानवता रक्षक सम्मान प्राप्त कर समाज को नई दिशा दी।
जब बाढ़ ने डुबोया गांव, तब संत रामपाल जी बने जीवन रक्षक
हरियाणा के कई गांवों में हाल ही में बाढ़ आई थी। प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर थी और लोग बेसहारा थे। ऐसे समय में संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनुयायियों के माध्यम से राहत कार्य शुरू किया।
- हिसार जिले का पंघाल गांव: बाढ़ से प्रभावित इस गांव में सार्वजनिक सुविधाएं जैसे स्कूल, पीएचसी, पशु अस्पताल और आवासीय कॉलोनियां जलमग्न हो गई थीं। संत रामपाल जी महाराज ने 20 लाख रुपये की राहत सामग्री 24 घंटे में पहुंचाई, जिससे किसानों और ग्रामीणों को भारी राहत मिली।
- भिवानी जिले का मुण्डाना गांव: यहां दो महीने से अधिक समय तक बाढ़ का कहर रहा। घर, स्कूल, और पशु अस्पताल 6-8 फीट पानी में डूब गए थे। किसानों के फसलें नष्ट हो गईं, पीने का पानी खत्म हो गया, और सड़कें बंद हो गई थीं। संत रामपाल जी महाराज ने बिना सरकारी मदद के राहत सामग्री पहुंचाई।
- भिवानी जिले का मण्ढ़ाणा गांव: बाढ़ पीड़ित इस गांव में संत रामपाल जी महाराज ने 20 लाख रुपये से अधिक की राहत सामग्री वितरित की।
- हिसार जिले का मतलोडा गांव: लगातार भारी बारिश के कारण यहां के लगभग 1000 से 1500 एकड़ खेत जलमग्न हो गए थे। संत रामपाल जी महाराज ने मोटर, पाइप और अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान की।
- हरियाणा का बधावड़ गांव: इस गांव में भी बाढ़ से फसलें और आवास प्रभावित हुए। संत रामपाल जी महाराज ने राहत सामग्री और आर्थिक सहायता दी।
- धनाना गांव: संत रामपाल जी महाराज का जन्मस्थान, जहां उन्होंने सामाजिक सुधारों के साथ-साथ बाढ़ राहत कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
- अन्य बाढ़ प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र: संत रामपाल जी महाराज के द्वारा कई अन्य गांवों में भी राहत कार्य किए गए।
राहत नहीं, जीवनदान: संत रामपाल जी की बाढ़ पीड़ितों के लिए सेवा
इन कार्यों ने उन्हें केवल संत नहीं, बल्कि मानवता रक्षक सम्मान के योग्य बना दिया। और यह सम्मान उन्हें महम चौबीसी के चबूतरे से मिला — जो हरियाणा की सामाजिक चेतना का प्रतीक है।
महम चौबीसी के चबूतरे से मिला मानवता रक्षक सम्मान: समाज का आभार
यह सम्मान एक संदेश है — कि सच्चा धर्म वही है जो सेवा करे, जोड़ने का काम करे, और दुखियों के आंसू पोछे। महम चौबीसी के चबूतरे से मिला सम्मान केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि समाज की ओर से आभार था।
धर्म, सेवा और समानता का संगम
संत रामपाल जी महाराज ने यह साबित किया है कि ज्ञान, सेवा और समानता के माध्यम से समाज को बदला जा सकता है। महम चौबीसी के चबूतरे से उन्हें मिला सम्मान एक ऐतिहासिक क्षण है — जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा।
अगर आज का युवा यह समझे कि धर्म केवल पूजा नहीं, सेवा भी है, तो समाज में क्रांति आ सकती है। संत रामपाल जी महाराज का जीवन इसी क्रांति का प्रतीक है।