पंजाब के अमृतसर जिले का मलकपुर गाँव इस वर्ष आई भीषण बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल रहा। कई स्थानों पर खेतों में 8 से 10 फुट तक पानी भर गया था, जिससे धान की पूरी फसल नष्ट हो चुकी थी। हालात इतने भयावह थे कि गेहूं की आगामी बुवाई की कोई संभावना नजर नहीं आ रही थी। किसान परिवार आर्थिक रूप से टूट चुके थे, पशुओं के चारे का संकट गहराता जा रहा था और गाँव के रास्तों से लेकर घरों तक पानी घुस आया था। जनजीवन पूरी तरह ठहर चुका था और हर चेहरे पर चिंता व असहायता साफ झलक रही थी।
सरकारी स्तर पर कुछ प्रयास जरूर हुए, लेकिन वे इस विशाल संकट के सामने अपर्याप्त साबित हुए। कई दिनों तक गाँव के लोग इंतजार करते रहे, परंतु स्थिति जस की तस बनी रही। ऐसे कठिन समय में मलकपुर के ग्रामीणों को संत रामपाल जी महाराज के कार्यों के बारे में जानकारी मिली, जहाँ बाढ़ पीड़ित गाँवों को स्थायी समाधान के साथ राहत दी जा रही थी। यही वह क्षण था जब ग्रामीणों को एक नई आशा की किरण दिखाई दी।
ग्रामीणों की प्रार्थना लेकर संत रामपाल जी महाराज के चरणों में पहुँची पंचायत
मलकपुर गाँव के पंच, सरपंच और जिम्मेदार ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया कि अब अंतिम उम्मीद के रूप में संत रामपाल जी महाराज के चरणों में प्रार्थना रखी जाए। पंचायत की ओर से औपचारिक रूप से एक प्रार्थना पत्र भेजा गया, जिसमें गाँव से पानी निकालने के लिए 9400 फुट 8-इंच पाइप, 20 HP की मोटरें, भारी-भरकम तार, फिटिंग एक्सेसरीज़ और अन्य आवश्यक उपकरणों की मांग रखी गई।
ग्रामीणों का कहना था कि खेत दलदल में बदल चुके हैं, जमीन में लगातार पानी खड़ा रहने से बीमारी का खतरा बढ़ गया है और यदि समय रहते पानी नहीं निकाला गया, तो आने वाला पूरा कृषि वर्ष बर्बाद हो जाएगा। पंचायत प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि यदि संत रामपाल जी महाराज सहायता कर दे, तो मलकपुर गाँव को बचाया जा सकता है।
संत रामपाल जी महाराज के आदेश से त्वरित सहायता
ग्रामीणों को यह अंदाजा नहीं था कि उनकी प्रार्थना पर इतनी जल्दी और इतने व्यवस्थित तरीके से कार्रवाई होगी। संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के तहत तत्काल सहायता के आदेश दिए और कुछ ही दिनों में ट्रकों का एक बड़ा काफिला मलकपुर गाँव पहुँच गया। यह केवल राहत सामग्री नहीं थी, बल्कि उन किसानों के लिए नया जीवन थी, जो निराशा की कगार पर खड़े थे।
इस सहायता में 9400 फुट उच्च गुणवत्ता वाली 8-इंच पाइप लाइन, 20 HP की शक्तिशाली मोटरें, मोटरों को चलाने के लिए केबल और स्टार्टर, पाइप जोड़ने के लिए संपूर्ण फिटिंग सामग्री जैसे नट-बोल्ट और जॉइंट्स शामिल थे। इसके अतिरिक्त अन्य जरूरी सामान भी दिया गया, ताकि किसानों को बाजार जाकर किसी भी चीज़ के लिए परेशान न होना पड़े।
गाँव वालों ने बताया कि जो सामग्री उन्होंने मांगी थी, उससे अधिक और बेहतर गुणवत्ता का सामान उन्हें प्राप्त हुआ। यह पूरी सहायता बिना किसी शुल्क, बिना किसी शर्त और बिना किसी दिखावे के सीधे गाँव तक पहुँचाई गई।
| क्रमांक | सामग्री का नाम | मात्रा / विवरण |
| 1 | पाइपलाइन | 9400 फुट, 8-इंच उच्च गुणवत्ता पाइप |
| 2 | हेवी-ड्यूटी मोटरें | 20 HP की शक्तिशाली मोटरें |
| 3 | स्टार्टर सेट | प्रत्येक मोटर के लिए पूर्ण स्टार्टर |
| 4 | विद्युत केबल | मोटर संचालन हेतु भारी-भरकम केबल |
| 5 | नट-बोल्ट | पाइप और मोटर फिटिंग हेतु पूरा सेट |
| 6 | जॉइंट्स / कपलर | पाइप जोड़ने के लिए आवश्यक संख्या |
| 7 | फिटिंग एक्सेसरीज़ | मोटर व पाइपलाइन स्थापना हेतु संपूर्ण सामग्री |
| 8 | सहायक सामग्री | किसानों को बाज़ार न जाना पड़े, इसलिए सभी छोटे-बड़े उपकरण |
मलकपुर गाँव में खुशी और राहत का माहौल
जैसे ही राहत सामग्री से भरे ट्रक गाँव में पहुँचे, मलकपुर में खुशी की लहर दौड़ गई। महिलाएँ, बुजुर्ग और किसान सभी बाहर निकल आए। कई महीनों बाद लोगों के चेहरों पर मुस्कान दिखाई दी। ग्रामीणों ने कहा कि वे पूरी तरह टूट चुके थे, लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने उन्हें फिर से खड़े होने का साहस दिया।
कई किसानों ने भावुक होकर कहा कि इतनी बड़ी मदद इतनी जल्दी मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। पंचायत सदस्यों का कहना था कि यदि यह सहायता समय पर न मिलती, तो पूरा इलाका लंबे समय तक जलमग्न रहता और गेहूं की बुवाई का प्रश्न ही समाप्त हो जाता।
अन्नपूर्णा मुहिम की विशेषता: राहत के साथ स्थायी समाधान
संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम केवल तात्कालिक राहत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थायी समाधान पर आधारित है। मलकपुर गाँव के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए कि पाइप लाइनों को जमीन में स्थायी रूप से दबाया जाए, ताकि भविष्य में जलभराव की स्थिति बनने पर पानी तुरंत निकाला जा सके।
इसके साथ ही जलनिकासी की प्रगति को पारदर्शी रखने के लिए तीन चरणों में निगरानी की व्यवस्था की गई—पहले पानी भरे खेतों की स्थिति, फिर पानी निकलने के बाद की स्थिति और अंत में फसल लहलहाते समय की स्थिति। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दी गई सहायता का उपयोग सही उद्देश्य के लिए हो और दान का सदुपयोग पूरी ईमानदारी से दर्ज रहे।
लाभार्थी परिवार और प्रभावित क्षेत्र की स्थिति
मलकपुर गाँव का लगभग पूरा कृषि क्षेत्र बाढ़ की चपेट में था। दर्जनों परिवार ऐसे थे जिनकी आजीविका पूरी तरह खेती पर निर्भर थी। इस सहायता से न केवल किसानों के घरों में रोज़ी-रोटी की उम्मीद लौटी है, बल्कि खेतों में उत्पादन का अवसर भी फिर से बन रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि अब उनके पास ऐसी स्थायी व्यवस्था मौजूद है, जो आने वाले वर्षों में भी उन्हें बाढ़ जैसी समस्या से सुरक्षित रखेगी। यह सहायता केवल वर्तमान संकट तक सीमित नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा का आधार भी बन चुकी है।
मलकपुर में नई शुरुआत और विश्वास का संचार
आज मलकपुर गाँव में सकारात्मक माहौल है। हर ओर यही चर्चा है कि अब पानी पूरी तरह निकलेगा, खेत सूखेंगे और गेहूं की बुवाई समय पर होगी। जो लोग बाढ़ के कारण अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों के पास चले गए थे, वे अब वापस लौटने की तैयारी कर रहे हैं। खेतों में फिर से हल चलने की उम्मीद जाग चुकी है।
ग्रामीण कहते हैं कि यह केवल राहत नहीं, बल्कि उनके जीवन का पुनर्निर्माण है। संत रामपाल जी महाराज द्वारा अन्नपूर्णा मुहिम के तहत की गई यह सहायता मलकपुर गाँव के लिए एक नई शुरुआत बन चुकी है।
सेवा का संदेश
अन्नपूर्णा मुहिम यह सिद्ध करती है कि जब सेवा निस्वार्थ हो और समय पर पहुँचे, तो सबसे बड़ा संकट भी छोटा पड़ जाता है। संत रामपाल जी महाराज की यह मुहिम न केवल मलकपुर, बल्कि सैकड़ों बाढ़ प्रभावित गाँवों में आशा, विश्वास और स्थायित्व का प्रतीक बन रही है।



