December 6, 2024

माँ महागौरी पूजा (Maa Mahagauri Puja) पर जानें शास्त्र सम्मत मोक्षदायिनी भक्तिविधि?

Published on

spot_img

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के आठवें दिन दुर्गाजी के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा और अर्चना का विधान है, मां महागौरी की पूजा हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष की भांति आश्विन मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि अर्थात 13 अक्टूबर 2021 को की जाएगी। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि इनका वर्ण पूर्ण रूप से गौर अर्थात् सफेद है तथा इनके वस्त्र भी श्वेत रंग के हैं और सभी आभूषण भी श्वेत हैं जिस कारण इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है। तो आइए अवगत कराते हैं प्रिय पाठकजनों को, कि हमारे पवित्र सद्ग्रन्थ क्या कहते हैं देवी दुर्गा के इस अष्टम स्वरूप की पूजा के विषय में तथा साथ ही जानेंगे पवित्र सद्ग्रन्थों में छुपे हुए गूढ़ रहस्यों को, जिनका पाठकों को जानना अत्यंत आवश्यक है।

Table of Contents

माँ महागौरी पूजा (Maa Mahagauri Puja) सम्बंधित : मुख्य बिंदु

  • 13 अक्टूबर 2021 को होगी देवी दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा
  • इसे महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है
  • दो तिथियों के एक ही दिन के संयोग से इस बार नवरात्र 9 दिन के न होकर 8 दिन में सम्पन्न हो जाएंगे, जिस कारण 8 वें दिन के स्थान पर सातवें दिन होगी मां महागौरी की पूजा
  • देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा ने पर्वत राज हिमालय को अपनी साधना करने से मना किया हुआ है
  • पवित्र सद्ग्रन्थों के कथन अनुसार देवी दुर्गा या देवी दुर्गा के स्वरूपों की पूजा करने से ना तो कोई सांसारिक लाभ सम्भव है और ना ही पूर्ण मोक्ष
  • पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी सांसारिक लाभ के साथ-साथ पूर्ण मोक्ष देने वाले समर्थ परमात्मा हैं

कब है दुर्गा अष्टमी 2021 या महाष्टमी 2021 (Durga Ashtami 2021, Date)

नवरात्र के आठवें दिन देवी दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा अर्थात महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी की सही तारीख को लेकर लोगों में दुविधा की स्थिति है। इससे परेशान न हों। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को ही महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। 

इस वर्ष आश्विन शुक्ल अष्टमी ति​थि का प्रारंभ 12 अक्टूबर, मंगलवार की रात्रि 09:47 बजे से हो रहा है, जो 13 अक्टूबर, बुधवार को रात्रि 08:07 बजे तक है। 

मां महागौरी के नाम से जुड़ी कथा (Maa Mahagauri Story)

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।

ऐसा है मां महागौरी (Maa Mahagauri) का स्वरूप

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। 

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से स्प्ष्ट होता है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण का है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। 

अष्टवर्षा भवेद् गौरी अर्थात इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र श्वेत हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको। इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है।

दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी व्रत एवं पूजा विधि (Durga Ashtami or Maha Ashtami Vrat And Puja Vidhi 2021) की सच्चाई

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दिनों में अष्टमी और नवमीं के दिनों को उत्तम माना जाता है।

अगर शास्त्र सम्मत बात की जाए, कि क्या व्रत इत्यादि साधना से कोई लाभ सम्भव हैं? इस विषय में पवित्र सद्ग्रन्थों में स्प्ष्ट कहा गया है कि व्रत इत्यादि कर्मकांड से कोई भी भौतिक, शारीरिक या मानसिक लाभ सम्भव नहीं है पूर्ण मोक्ष तो बहुत दूर की बात है तो आइए जानते हैं विस्तार से कुछ विश्लेषणात्मक तथ्यों के द्वारा कि पवित्र सद्ग्रन्थों में क्या वर्णन है व्रत इत्यादि के विषय में

क्या व्रत करना शास्त्र सम्मत है?

इसका जवाब हमारे शास्त्रों में दिया गया है। गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में बताया गया है कि योग यानी परमात्मा से मिलने का उद्देश्य बिल्कुल न खाने वाले यानी व्रत रखने वाले का पूरा नहीं होता। इसलिए नवरात्रि के दौरान किए गए व्रत भी लाभकारी नहीं है।

पवित्र सद्ग्रन्थ क्या कहते हैं देवी दुर्गा की साधना के बारे में ?

नवदुर्गा की सभी देवियां दुर्गा माता का ही स्वरूप हैं उनका ही अंश है और माता दुर्गा, “देवी महापुराण के सातवें स्कंध पृष्ठ 562-563 में राजा हिमालय को उपदेश देते हुए कहा है कि हे राजन, अन्य सब बातों को छोड़कर, मेरी भक्ति भी छोड़कर केवल एक ऊँ नाम का जाप कर, “ब्रह्म” प्राप्ति का यही एक मंत्र है। यह केवल ब्रह्म तक ही सीमित है। जबकि सर्वश्रेष्ठ परमात्मा कोई और है। तो आइए जानते हैं उस पूर्ण परमात्मा के विषय में जिसकी साधना की अनुमति पवित्र सद्ग्रन्थ देते हैं

पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी हैं सर्व के पूजा के योग्य प्रभु, जो कि सर्व लाभ व पूर्ण मोक्ष देने में सक्षम हैं

  • ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 86 मंत्र 17, 18 ,19 और 20 में प्रमाण है कि वह एक परमात्मा सबका मालिक एक कबीर साहेब जी हैं। जिन्होंने हम सबकी रचना की है।
  • पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य हैं।

पवित्र सद्ग्रन्थों में दिए गए प्रमाणों से प्रिय पाठकगण यह तो जान चुके हैं कि वह पूर्ण परमात्मा कविर्देव है जो कि सर्व के पूजा के योग्य है, आइये अब जानते हैं कि उस पूर्ण परमात्मा कविर्देव को प्राप्त करने की भक्तिविधि क्या है, जिससे वह पूर्ण परमात्मा प्रसन्न होकर अपने साधक को सर्व लाभ व पूर्ण मोक्ष प्रदान करता है

पूर्ण परमात्मा कविर्देव को पाने की शास्त्र प्रमाणित भक्तिविधि प्रदान करने योग्य कौन है ?

पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो संत इस उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के मूल से लेकर पत्तों तक ठीक-ठीक बता देगा वह तत्वदर्शी संत होता है, जो पांचवें वेद यानी सूक्ष्मवेद का पूर्ण ज्ञाता होता है। पूर्ण परमात्मा का पूर्ण जानकार और कृपा पात्र संत भी।

वह तत्वदर्शी संत कौन है जिसके द्वारा दी हुई भक्तिविधि से सर्व लाभ व पूर्ण मोक्ष सम्भव है

अगर देखा जाए तो दुनिया में संतों की भरमार है पर पवित्र सद्ग्रन्थों में स्प्ष्ट वर्णन है कि संत तो कई हो सकते हैं पर पूर्ण संत अर्थात तत्वदर्शी संत सिर्फ एक समय में एक ही होता है और वर्तमान में वह पूर्ण संत अर्थात तत्वदर्शी संत, संत रामपाल जी महाराज हैं, जिनका अनमोल ज्ञान, वेद और शास्त्रों से मेल खाता है तथा जिनको पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति हुई।

प्रिय पाठगजनों से यही एकमात्र निवेदन है कि इस मूल्यवान मनुष्य जीवन की यथार्थ कीमत को जानें और अबिलम्ब पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त कर इसे व्यर्थ गंवाने से बचें और इस देह को सार्थक करें।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी के सतज्ञान को ग्रहण करें

वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत, पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज हैं जो वेद और शास्त्रों के अनुसार यथार्थ भक्ति मार्ग बता रहे हैं और जिनकी बताई भक्ति शास्त्र अनुकूल और मोक्षदायिनी भी है। परमेश्वर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब हैं जो तत्वदर्शी संत की भूमिका में संत रामपाल जी रूप में धरती पर अवतरित हैं। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर श्रवण करें।

Latest articles

World Soil Day 2024: Let’s become Vegetarian and Save the Earth! 

Every year on December 5, World Soil Day is observed to highlight the importance...

Indian Navy Day 2024: Know About the ‘Operation Triumph’ Launched by Indian Navy 50 Years Ago

Last Updated on 3 December 2024 IST: Indian Navy Day 2024: Indian Navy Day,...

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), जानिए सुख समृद्धि का शास्त्रानुकूल सहज मार्ग

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), एक कृषि त्योहार है जो ओडिशा प्रान्त में मनाया जाता...
spot_img

More like this

World Soil Day 2024: Let’s become Vegetarian and Save the Earth! 

Every year on December 5, World Soil Day is observed to highlight the importance...

Indian Navy Day 2024: Know About the ‘Operation Triumph’ Launched by Indian Navy 50 Years Ago

Last Updated on 3 December 2024 IST: Indian Navy Day 2024: Indian Navy Day,...

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), जानिए सुख समृद्धि का शास्त्रानुकूल सहज मार्ग

मानबसा गुरुवार (Manabasa Gurubar), एक कृषि त्योहार है जो ओडिशा प्रान्त में मनाया जाता...