हरियाणा के हिसार जिले के धीरणवास गांव में वह दृश्य देखने को मिला जिसने न केवल किसानों का उत्साह बढ़ाया बल्कि पूरे प्रदेश में एक नई उम्मीद भी जगाई। विशाल सिद्धार्थ स्टेडियम में हजारों किसानों, 85 गांवों के प्रतिनिधियों, 12 खाप पंचायतों, सरपंच एसोसिएशनों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मिलकर किसान मसीहा सम्मान समारोह का आयोजन किया। यह आयोजन किसी साधारण सम्मान का नहीं, बल्कि उस संत के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक था जिसने हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान किसानों के जीवन और फसलों को बचाने के लिए अभूतपूर्व सेवा कार्य किए।
पूरा पंडाल, मंच, स्वागत द्वार, झांकियां, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और गांव की भागीदारी—सब कुछ इस बात की गवाही दे रहा था कि संत रामपाल जी महाराज केवल आध्यात्मिक गुरु नहीं, बल्कि मानवता के पथप्रदर्शक और किसानों के वास्तविक संरक्षक बन चुके हैं। इसी कारण गांव-गांव के लोग उनके प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करते हुए इस किसान मसीहा सम्मान समारोह का आयोजन करने के लिए स्वयं आगे आए।
कार्यक्रम की भव्य तैयारी और अद्भुत दृश्य
धीरणवास का सिद्धार्थ स्टेडियम सुबह से ही जनसैलाब से भरने लगा था। हजारों कुर्सियों की व्यवस्था, अलग-अलग सेक्शन में माताओं-बहनों और पुरुषों के बैठने की व्यवस्था, विशाल पंडाल, दर्जनों एलईडी स्क्रीन, पेयजल, भोजन, पार्किंग और स्वच्छता सुविधाएं—हर व्यवस्था अनुशासन और योजनाबद्ध प्रयासों के साथ की गई थी।
स्टेज पर लगा विशाल पोस्टर अन्नपूर्णा मुहिम और बाढ़ राहत सेवा कार्यों का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत कर रहा था। मंच के दोनों ओर लगीं LED स्क्रीन ग्रामीणों को कार्यक्रम का हर क्षण सहजता से दिखा रही थीं।
कई जगहों पर संत रामपाल जी महाराज के स्वरूप और सेवा कार्यों के बैनर, फ्लैक्स और स्वागत द्वार लगाए गए थे। पंडाल के बाहर किलोमीटर तक फैले पोस्टरों ने इस आयोजन को एक ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान कर दिया।
झांकियों का भव्य काफिला और किसानों का उत्साह
इस किसान मसीहा सम्मान समारोह का सबसे बड़ा आकर्षण था—करीब 50 से अधिक ट्रैक्टरों का वह भव्य काफिला जो एक किलोमीटर दूर गांव से शुरू होकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचा। इस काफिले में तीन मुख्य झांकियां थीं:
- संत रामपाल जी महाराज का सजाया गया दिव्य स्वरूप
- अन्नपूर्णा मुहिम की झांकी, जिसमें झोपड़ी से महल बनने की यात्रा दर्शाई गई
- बाढ़ राहत सेवा झांकी, जिसमें मोटर-पाइप और किसानों को मिली राहत को प्रदर्शित किया गया
गांव के बच्चे, युवाओं की टुकड़ियां, महिलाएं, किसान और वरिष्ठ नागरिक—सब हाथों में झंडे लिए उत्साह से नारे लगाते हुए झांकियों के साथ चल रहे थे। गीत गूंज रहे थे—“किसान मसीहा संत रामपाल जी”, “धरती पर आया सतपुरुष का राज”—और पूरा वातावरण उल्लास से भरा हुआ था।
बाढ़ के कठिन समय में मिली जीवनदायी सहायता
कार्यक्रम में आए किसान, सरपंच और आम ग्रामीणों ने खुलकर बताया कि किस प्रकार बाढ़ के समय पूरा क्षेत्र पानी में डूब गया था। हजारों एकड़ फसल नष्ट हो गई थी, मोटरें बंद पड़ गई थीं, खेतों में पानी भर गया था और किसानों का मनोबल टूट चुका था।
उसी कठिन समय में संत रामपाल जी महाराज ने हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हिमाचल के 400 से अधिक बाढ़ग्रस्त गांवों में मोटरें, पाइप, पंप, भोजन, पानी, दवाइयां और आवश्यक सामग्री पहुँचवाई।
किसानों का कहना था—
- “जहां सरकार की व्यवस्था कमजोर पड़ गई, वहाँ गुरुजी ने किसानों की नैया पार लगाई।”
- “फसलें बच गईं, खेत फिर मुस्कुराए, और आज किसान फिर से बिजाई करने लायक हो सका।”
इसी सेवा और करुणा को देखते हुए हजारों किसानों ने उन्हें अपना “देवता”, “रक्षक” और “किसान मसीहा” कहा। यही भाव इस किसान मसीहा सम्मान समारोह की आत्मा था।
समारोह का धार्मिक और सांस्कृतिक पक्ष
मंच पर पहुंचने के बाद संत रामपाल जी महाराज के दिव्य स्वरूप का स्वागत पुष्प वर्षा, आरती और हरियाणवी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ किया गया। गांव की सरपंच प्रेरणा चौधरी और स्थानीय बहनों ने पारंपरिक वेशभूषा में आरती उतारी।
इसके बाद दीप प्रज्वलन हुआ। आयोजकों ने इसे मात्र कार्यक्रम नहीं, बल्कि वैचारिक क्रांति और भावनात्मक परिवर्तन का प्रतीक बताया।
इसके बाद संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान पर आधारित सत्संग हुआ, जिसे किसानों ने अत्यंत ध्यानपूर्वक सुना। ग्रामीण युवाओं ने कहा कि यह ज्ञान केवल अध्यात्म नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार का मार्ग दिखाता है।
किसानों और समाज का विशाल समर्थन
इस किसान मसीहा सम्मान समारोह में शामिल हुए:
- 85 गांवों के सरपंच
- 12 खाप पंचायतें
- किसान संगठन
- मुस्लिम, सिख और ईसाई समाज के प्रतिनिधि
- बार एसोसिएशन और कर्मचारी संघ
- हजारों ग्रामीण और युवा
यह सहभागिता बताती है कि संत रामपाल जी महाराज की सेवा केवल किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है; वह पूरे समाज को जोड़ने वाली प्रेरणा बन चुकी है।
समारोह में आए हुए अतिथियों के विचार
- रणवीर लोहान (समाजसेवी):
रणवीर लोहान ने संत रामपाल जी महाराज को सच्चा किसान मसीहा और संकट के समय किसानों-मजदूरों का वास्तविक सहारा बताया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा में जहाँ सरकार मदद नहीं पहुँचा सकी, वहाँ संत रामपाल जी ने 350 से अधिक गाँवों से पानी निकालकर जमीन को दोबारा गेहूं बोने योग्य बना दिया। मोटर-पाइप की विशाल सहायता, घर बनाने और भोजन उपलब्ध कराने जैसे कार्य उन्हें “साक्षात भगवान” सिद्ध करते हैं। उनके अनुसार देश भर का किसान आज संत रामपाल जी महाराज का ऋणी है।
- दलबीर किरमारा (हरियाणा रोडवेज यूनियन नेता)
दलबीर किरमारा ने संत रामपाल जी महाराज की निस्वार्थ सेवा और समाज सुधार के कार्यों की जोरदार सराहना की। उन्होंने कहा कि जहाँ आज कई संत सिर्फ़ छल करते है, वहीं संत रामपाल जी ने सत्य के लिए जेल तक का सामना किया। नशा-मुक्ति, जातिवाद-विरोध, जरूरतमंदों की सहायता और प्राकृतिक आपदा में किसानों को मोटर-पाइप उपलब्ध कराकर सैकड़ों गांवों का पानी निकालना—ये सभी कार्य उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने बताया कि जेल में भी संत ने रोडवेज कर्मचारियों की मदद की और हर वर्ग को सम्मान दिया।
- राजेंद्र सूरा (पूर्व चेयरमैन, जिला परिषद)
राजेंद्र सूरा ने कहा कि बाढ़ के दौरान जब सरकार असहाय थी, तब संत रामपाल जी महाराज “किसान मसीहा” बनकर सामने आए। उनके आदेश पर संगत ने मात्र चार दिनों में 500 गांवों का सर्वे कर मोटरें व पाइप लगाकर खेतों का पानी निकाल दिया, जिससे फसल बच सकी। उन्होंने गरीबों के मकान बनवाए, नशामुक्ति, बेटियों की शादी, शिक्षा और ब्लड डोनेशन जैसे कार्यों को भी सराहा। सूरा ने कहा कि सरकारें जो काम महीनों में न कर पाईं, संत रामपाल जी ने कुछ दिनों में कर दिखाया—इसलिए वे सच में इंसान रूपी भगवान हैं।
क्यों कहा गया—संत रामपाल जी महाराज हैं “किसान मसीहा”
किसानों ने एक स्वर में कहा कि जिन्हें भगवान ने शक्ति दी, उन्होंने उसका सही उपयोग किया और सबसे कठिन समय में किसानों का हाथ थामा। लाखों किसानों को जीवनदान देने वाली सेवाओं ने उन्हें वास्तविक अर्थों में किसान मसीहा बना दिया है।
इसलिए यह किसान मसीहा सम्मान समारोह केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि किसानों की कृतज्ञता का प्रतीक और ऐतिहासिक घोषणा है कि समाज ने अपने रक्षक को पहचान लिया है।
इतिहास में दर्ज होने वाला दिन
धीरणवास का यह आयोजन आने वाले समय में सामाजिक एकता, मानवता और अध्यात्म की मिसाल के रूप में याद रखा जाएगा। यह केवल सम्मान का उत्सव नहीं था, बल्कि उस विश्वास, उम्मीद और परिवर्तन का उत्सव था जो संत रामपाल जी महाराज के माध्यम से किसानों और समाज ने महसूस किया। किसान मसीहा सम्मान समारोह ने पूरे प्रदेश को यह संदेश दिया कि जब सेवा निस्वार्थ होती है, तो समाज स्वयं उसे स्वीकार करता है और उसका सम्मान करता है।



