January 7, 2025

Kajri Teej 2024: कजरी तीज यानी अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान

Published on

spot_img

Last Updated on 19 August 2024 IST: kajri Teej 2024: आज देश के कई राज्यों में कजरी तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है आइए जानते हैं कि क्या गीता जी व अन्य धर्म ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है? सुहागिनों का पर्व कजरी या सातुड़ी तीज रक्षाबंधन पर्व के तीसरे दिन आता है और सावन के मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर भी तीन बार आता है। सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। इस दिन सातुड़ी तीज की कथा, नीमड़ी की कथा, गणेश की कथा और लपसी तपसी की कहानी सुनते हैं। इस पर्व पर सत्तु के बने व्यंजन बनाए और‌ खाए जाते हैं।

नोट: सत्य यह है कि सातुड़ी ,नीमड़ी , लपसी तपसी जैसी कोई कथा हमारे धर्मग्रंथों में वर्णित नहीं है । यह पूर्णतया लोकमान्यता और व्यक्ति विशेष के अपने जीवन पर आधारित घटनाओं से संबंधित हैं जिसे उसे जानने वालों ने अपनाया और इस नकली, झूठी कथा, व्रत को परंपरा बना कर परमात्मा से दूर करने वाली प्रथा बनाया और इसे आज तक ज़िंदा रखा हुआ है।

पूर्ण परमात्मा से दूर करने वाले इस व्यर्थ व्रत को राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की महिलाएं रखती हैं। कजरी तीज को सातूड़ी तीज या बूढी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

कजरी तीज का पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और इसे ‘बड़ी तीज’ भी कहा जाता है।

  • माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-शांत‍ि, समृद्धि, धन धान्य की प्राप्त‍ि होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये भी माना जाता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके इसी दिन भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसी कारण से इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
  • शिव और पार्वती की भक्ति मनुष्य को भरमाने यानी भ्रमित करने वाली है । इन्हें परमात्मा मानकर उनकी पूजा करना ग़लत है। इनकी पूजा करने की सलाह हमारे वेद , गीता और शास्त्र नहीं देते। गीता में केवल एक पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति करके भक्ति करने को कहा गया है।
  • रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिवजी की पूजा करने वालों को गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख कहा है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में उस पूर्ण परमात्मा की जानकारी दी गई है कि उसका नाम कविर्देव है जो इस प्रकार है:-

“शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वहिन मरूतः गणेन।
कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्रम् अत्येति रेभन्।

वह कबीर परमेश्वर सबका पालनहार है जो सतलोक में राजा के समान विराजमान हैं। गीता जी के अध्याय 15 के 1 से 4 व 16, 17 में भी उस पूर्ण संत की पहचान बताई है कि वह (कबीर परमेश्वर) अपने दोहे, वाणी वा शब्दावलियों से अपने साधकों को मिलता है तथा सत्य ज्ञान से परिचित करवाता है।

इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए रखती हैं । कई महिलाएं तो पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करती हैं। वहीं कुंवारी लडकियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। व्रत को रात्रि में चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देकर ही खोला जाता है।

kajri Teej 2024: चंद्रमा को अर्घ्य देना कजरी तीज व्रत में शुभ माना जाता है। सबसे पहले चंद्रमा को मौली, अक्षत और रोली अर्पित की जाती है। इसके बाद अपने यथा स्थान पर खड़े होकर चंद्रमा को अर्घ्य दी जाती है। उसके बाद व्रत को पानी या कुछ मीठा खाकर खोल लिया जाता है।

विचार करें , क्या परमात्मा आपका नौकर या दास है जो आपके व्रत अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति के कर्म निर्धारित करेगा। जो जैसा कर्म करता है उसका वैसा ही फल उसे मिलता है। यहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी आयु सीमा लिखवाकर लाता है । विवाहिता के व्रत रखने से उसके पति की आयु न तो अधिक होगी और न ही कम होगी। जितनी सांसें जो लेकर संसार में आया है उसे यहां उतने ही दिन जीवन की मौहलत है। यह भ्रम है कि व्रत रखने से अच्छा वर मिलता है । जोड़ियां तो परमात्मा बनाकर भेजता है । किसी भी प्रकार के व्रत से इसका‌ कोई लेन देन नहीं है।

शास्त्र विरूद्ध साधना करना हमारे पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार गलत है जैसे एकादशी, कृष्ण अष्टमी , रामनवमी, करवाचौथ, हरियाली तीज ,कजरी तीज या अन्य कोई भी व्रत शास्त्रों में वर्जित हैं। भगवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में बताया है कि बिल्कुल न खाने वाले यानि व्रत रखने वाले को कभी परमात्मा प्राप्ति नहीं होती। इसलिए व्रत रखना शास्त्र विरूद्ध होने से व्यर्थ है।

विचारणीय है कि जब गीता जी में किसी भी प्रकार का व्रत रखने, भूखे रहने, हठ योग करने के लिए मना किया गया है तो आप ऐसा क्यों कर रहे हैं। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप अंध विश्वास को बढ़ावा और अपने जीवन का चढ़ावा कर रहे हैं। इस दिन पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान की जाती हैं और उनका आशीर्वाद ग्रहण किया जाता हैं। विचार कीजिए कि क्या एक मनुष्य दूसरे व्यक्ति से आर्शावाद लेकर अपना लाभ कर और करवा सकता है। आशीर्वाद देने का अधिकार केवल पूर्ण परमात्मा का होता है।

आशीर्वाद, श्राप और बद्दुआ ना दें: कबीर परमात्मा

कबीर साहेब जी कहते हैं, हे भोले मानव न तो तू आशीर्वाद देने का अधिकारी है न श्राप देने का । आशीर्वाद, श्राप और बद्दुआ देकर तू स्वयं पर भार चढ़ाता है। पूजा के योग्य केवल एक पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है । सच्चे मंत्रो के जाप से मनुष्य को लाभ मिलता है। अन्धविश्वास पर आधारित भक्ति करने वाले मनुष्यों का जीवन सदा निष्फल जाता है जबकि सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।

ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 – 3 सतभक्ति करने वाले की अकाल मृत्यु नहीं होती जो मर्यादा में रहकर साधना करता है। वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मर चुके हुए साधक को भी जीवित करके 100 वर्ष तक का जीवन बढ़ा सकता है।

अंधविश्वास और लोकमान्यताओं पर आधारित कथा अनुसार एक समय की बात है एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, हे स्वामी आज मेरा तीज का व्रत है। इसलिए मेरे लिए चने का सत्तू लेकर आओ, ब्राह्मण ने कहा कि मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं, इस पर ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए।

यह बात सुनकर ब्राह्मण रात्रि को घर से निकल गया और वह सीधा साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बनाकर वापस घर की ओर चल पड़ा। तभी खटपट की आवाज सुनकर सेठ के नौकर जाग गए और उसे चोर-समझ कर पकड़ लिया।

यह भी पढें: Hariyali Teej: लोक मान्यताओं पर आधारित है हरियाली तीज 

ब्राह्मण ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है, इसलिए मैंने सिर्फ सवा किलो सत्तू की चोरी की है। ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो उसके पास सत्तू के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी, तब सेठ ने कहा कि आज मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानूंगा। सेठ जी ने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर विदा कर दिया और सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की।

आपको बता दें आप कजरी तीज के व्रत से जुड़ी सैंकड़ों तरह की अलग-अलग कथाएं गूगल पर पढ़ सकते हैं जो वाकई में जनमानस के कल्याण से नहीं बल्कि सर्वनाश के लिए बनी और गढ़ी गई हैं।

पवित्र श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 श्लोक 23 और 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते हैं तथा ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने ओम, तत्, सत ये तीन मंत्र मोक्ष के बताएं हैं इन तीन मंत्रों के जाप से ही मुक्ति संभव है तथा इसके अलावा गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में कहा है की उस तत्वज्ञान को तू उन तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ उनको दंडवत प्रणाम करने से वे तुझे तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे और फिर जैसे वे साधना बताएं वैसे भक्ति साधना कर उसी से तेरा मोक्ष संभव है।

Nepal 1 TV 05-08-2020 | Episode - 206 | Sant Rampal Ji शास्त्र अनुकूल भक्ति करने से लाभ होते हैं
Sant Rampal Ji Official Youtube

पूर्ण संत के विषय में परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि ;

सतगुरु के लक्षण कहूं मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छह शास्त्र कहै अठारा बोध।।

अर्थात पूर्ण गुरु तत्वदर्शी संत वह होता है जो चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण आदि के आधार पर सत्य भक्ति बताता है।

परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि

गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण।।

अर्थात गुरु के बिना यज्ञ, हवन तथा भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है।

वेद गवाही देते हैं कि 6 दिन में सृष्टि की रचना करने वाला परमात्मा पाप कर्मों को हरण करने वाला, वह सर्व उत्पादक प्रभु कबीर साहिब है जो सतलोक के तीसरे मुक्तिधाम में राजा के समान सिंहासन पर विराजमान है। ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 82 मंत्र 1 में लिखा है कि वह सर्वोत्पादक प्रभु , सृष्टि की रचना करने वाला, पाप कर्मो को हरण करने वाला राजा के समान दर्शनीय है। इससे सिद्ध हुआ कि परमात्मा साकार है।

पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य है।

पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति पांचवें वेद सूक्ष्मवेद में वर्णित विधि से होती है जिसके विषय में पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन! उस तत्वज्ञान को जो सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ। वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे।

पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में भी कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक कभी लौटकर इस संसार में नहीं आते अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं।

नोट: हमारा ध्येय आप तक वेदों,गीता, शास्त्र आधारित सत्य जानकारी पहुंचाना है ताकि आप अपने मनुष्य जन्म का सही उपयोग सतभक्ति करके उठा सकें। अब समय है जब सभी को पिछली पीढ़ी की भक्ति और रीति-रिवाज छोड़ कर धर्म ग्रंथों में वर्णित विधि के अनुसार परमात्मा को खोज कर उस एक परमात्मा की भक्ति पर सांसारिक ,आत्मिक व आध्यात्मिक सुखों की खोज करने के लिए आश्रित होना होगा।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

Shab-e-Barat 2025: Only True Way of Worship Can Bestow Fortune and Forgiveness

Last Updated on 11 June 2024 IST | Shab-e-Barat 2025: A large section of...

World Hindi Day 2025: Hindi and India’s Rise as a Global Spiritual Power

Vishwa Hindi Diwas 2025 (World Hindi Day): This day is a very special day...

Vishwa Hindi Diwas 2025: विश्व हिंदी दिवस पर जानिए हिंदी की संवैधानिक यात्रा के बारे में विस्तार से

हिंदी दिवस पर जानें कि कैसे हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला व कैसी रही हिंदी की संवैधानिक यात्रा
spot_img

More like this

Shab-e-Barat 2025: Only True Way of Worship Can Bestow Fortune and Forgiveness

Last Updated on 11 June 2024 IST | Shab-e-Barat 2025: A large section of...

World Hindi Day 2025: Hindi and India’s Rise as a Global Spiritual Power

Vishwa Hindi Diwas 2025 (World Hindi Day): This day is a very special day...