Story of Kabir Saheb Prakat 2D Animation Video | ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) को कबीर परमेश्वर सतलोक से सशरीर शिशु रूप में काशी के लहरतारा नामक तालाब में प्रकट हुए थे। नीरू-नीमा निःसंतान दंपति प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व लहरतारा तालाब में स्नान करने जाते थे। वे इस दिन भी ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म महूर्त का समय सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टा पहले होता है) में स्नान करने के लिए जा रहे थे। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया, उस समय तक तो अंधेरा था। जब कपड़े बदल कर पुनः तालाब पर उस कपड़े को धोने के लिए गई, जिसे पहन कर स्नान किया था, उस समय नीरू तालाब में प्रवेश करके गोते लगा-लगा कर मल मल कर स्नान कर रहा था। नीमा की दृष्टि एक कमल के फूल पर पड़ी जिस पर कोई वस्तु हिल रही थी। प्रथम नीमा ने जाना कोई सर्प है जो कमल के फूल पर बैठा अपने फन को उठा कर हिला रहा है। उसने सोचा कहीं यह सर्प मेरे पति को न डस ले नीमा ने उसको ध्यानपूर्वक देखा वह सर्प नहीं है कोई बालक था।
जिसने एक पैर अपने मुख में ले रखा था तथा दूसरे को हिला रहा था। नीमा ने अपने पति से ऊँची आवाज में कहा देखिये जी! एक छोटा बच्चा कमल के फूल पर लेटा है। वह जल में डूब न जाए। नीरू स्नान करते-करते उस की ओर न देख कर बोला नीमा! बच्चों की चाह ने तूझे पागल बना दिया है। अब तूझे जल में भी बच्चे दिखाई देने लगे हैं। नीमा ने अधिक तेज आवाज में कहा मैं सच कह रही हूँ, देखो सचमुच एक बच्चा कमल के फूल पर। देखिये 2D एनिमेशन वीडियो में परमेश्वर कबीर जी के प्रकट की सच्ची घटना….