Last Updated on 5 April 2023, 1:55 PM IST: Indian National Maritime Day 2023: भारत में एक इतिहास तब रचा गया जब द सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड के पहले जहाज एसएस लॉयल्टी ने यूनाइटेड किंगडम की यात्रा की। यह भारत के नौवहन इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था जब समुद्री मार्गों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। आपको बता दें कि दुनिया भर में अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य और अर्थव्यवस्था के बारे में लोगों को जानकारी देने और जागरूकता फैलाने के लिए पहली बार यह दिन 5 अप्रैल 1964 को मनाया गया था। इस वर्ष भारत में 59वा राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जायेगा जिसके विषय में विस्तार से जानने के लिए कृपया पूरा लेख पढ़े।
Indian National Maritime Day 2023: मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय समुद्री दिवस 5 अप्रैल को मनाया जाता है, इसकी शुरुआत 5 अप्रैल 1964 से हुई थी जबकि विश्व समुद्री दिवस 30 सितंबर को मनाया जाता है।
- वर्तमान समय में भारत का लगभग 90% अंतरराष्ट्रीय व्यापार समुद्र के माध्यम से होता है।
- एस. एस.लॉयल्टी (S.S. loyalty) को भारत का पहला व्यापारी जहाज भी माना जाता है।
- राष्ट्रीय समुद्री दिवस पर समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को “वरुण पुरस्कार” दिया जाता है।
- 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा मैरिटाइम इंडिया विजन 2030 जारी किया गया था।
- राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2023 की थीम है “शिपिंग में अमृत काल”
राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime Day) की शुरुआत कैसे हुई?
5 अप्रैल 1919 को पहली बार भारतीय कंपनी सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी लिमिटेड का एस. एस. लॉयल्टी (S.S. Loyalty) नामक जहाज भारत से लंदन व्यापार करने के लिए गया था। उसकी यादगार के रूप में और लोगो को समुद्री व्यापार के प्रति जागरूक और आकर्षित करने के लिए भारतीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime Day) के रूप में मनाया जाता है। 5 अप्रैल 1964 को पहली बार राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया गया था जबकि इस वर्ष 59वा समुद्री दिवस मनाया जाएगा।
Indian National Maritime Day 2023 Theme: क्या है राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2023 का विषय?
राष्ट्रीय समुद्री दिवस 2023 का विषय था “शिपिंग में अमृत काल” इस वर्ष की थीम को पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा अभी तक जारी नहीं किया गया।
राष्ट्रीय समुद्री दिवस का महत्व (Importance of Indian National Maritime Day )
यह 5 अप्रैल, 1964 था, जब भारत सरकार को अंतरमहाद्वीपीय वाणिज्य और आर्थिक दुनिया के बारे में जागरूकता फैलाने के महत्व का एहसास हुआ। सरकार ने इस पर जोर दिया क्योंकि उस समय भारत ने पहली बार जहाज को यूनाइटेड किंगडम भेजकर भारतीय नेविगेशन में इतिहास रचा था। यह भारत के नौवहन इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था जब समुद्री मार्गों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। हर साल, वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए यह दिन मनाया जाता है, जो दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक सामान पहुंचाने का सबसे सुव्यवस्थित, सुरक्षित और पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ तरीका है।
मैरी टाइम इंडिया विजन 2030 (Maritime India Summit 2030)
मैरी टाइम इंडिया विजन मैरी टाइम इंडिया शिखर सम्मेलन 2021 (Maritime India Summit 2021) में प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा जारी किया गया था, इसका उद्देश्य 2030 तक भारत में जलमार्ग को बढ़ावा देना और जहाज निर्माण उद्योग को और अधिक विकसित करके भारतीय समुद्री व्यापार को बढ़ाना है। इसी के साथ क्रूज पर्यटन में वृद्धि लाना और रोजगार के नए अवसर प्रदान करना भी इसका एक मुख्य उद्देश्य है जिससे कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा सके और देश के विकास में योगदान मिल सके।
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इसके लिए सरकार द्वारा इस परियोजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने का अनुमान सरकार द्वारा लगाया गया है जिससे देश के आर्थिक विकास को गति मिलने की उम्मीद जताई गई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का समुद्र से संबंध
Indian National Maritime Day: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में वहां के व्यापार का बहुत अधिक महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत का लगभग 90% विदेशी व्यापार समुद्र मार्ग द्वारा किया जाता है। इसलिए भारतीय समुद्री व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। जब किसी देश का व्यापार बढ़ता है तो उस देश के युवाओं को रोजगार मिलता है और साथ ही लोगों की जीवन शैली में सुधार होता है। इससे देश की प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय बढ़ती है और देश की प्रगति को चार चांद लग जाते है, इसलिए सरकार द्वारा विभिन्न आयोजनों के माध्यम से लोगों को समुद्री व्यापार की तरफ आकर्षित किया जाता है।
राष्ट्रीय समुद्री दिवस पर जानिए क्या आपकी नौका भवसागर से पार कर पाएगी?
जैसा कि हम जानते हैं कि अगर हमको किसी सागर या बड़ी नदी को पार करना होता है तो हम नाव द्वारा सागर या नदी को पार करते हैं। यदि हम किसी नाव में सवार हैं और हमने नाव में बैठने से पहले नाव की सही से जांच नहीं की और हम नाव में बैठ गए और बीच नदी या समुद्र में जाकर हमको पता चला कि हम जिस नाव में बैठे हैं उसके अंदर कोई समस्या है या फिर नाव चलाने वाला नाविक ठीक नहीं है तो जाहिर सी बात है कि हमको अपनी जान जाने का खतरा हो जाता है।
इसी प्रकार हम भवसागर से पार जाने के लिए यानि मोक्ष प्राप्ति के लिए अगर किसी नाव में बैठे हैं मतलब कोई गुरू धारण किया हुआ है या जो भक्ति साधना करते है और अगर कोई कहता है कि आपकी नाव ठीक नहीं है यानि आपकी भक्ति विधि सही नहीं है या उसका नाविक सही नहीं है मतलब आपका गुरु पूरा नहीं है तो हमको एक बार अवश्य विचार करना चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति ऐसा क्यों कह रहा है। इसलिए हमको भवसागर से पार होने के लिए नाव में बैठने से पहले अपनी भक्ति विधि रूपी नाव और नाविक रूपी गुरु की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए।
विश्व समुद्री दिवस पर जानिए पूर्ण संत की पहचान क्या है जो हमें भवसागर से पार करेंगें?
हमारे सभी पवित्र शास्त्रों एवं ग्रंथों में बताया गया है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म की वृद्धि होती है तब तब पूर्ण परमात्मा स्वयं इस धरती पर आते हैं या अपने किसी अवतार को इस धरती पर धर्म की पुनः स्थापना के लिए भेजते हैं। पूर्ण संत की पहचान के विषय में संत गरीब दास जी महाराज जी की वाणी है,
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।
सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि पूर्ण संत वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा।
सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता है। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 30 मे बताया गया है कि पूर्ण सन्त उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। जो अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है। पूर्ण सन्त उसी से दान ग्रहण करता है जो उसका शिष्य बन जाता है फिर ऐसा व्यक्ति गुरू देव से दीक्षा प्राप्त करके फिर दान दक्षिणा करता है उस से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज दावा करते हैं कि संपूर्ण विश्व में उनके अलावा किसी भी धार्मिक संस्था या धर्म गुरु के पास भक्ति की सत्य विधि नहीं है जो आप को भवसागर से पार कर सके यानि पूर्ण मोक्ष प्राप्ति करा सके तो हमारा एक शिक्षित और समझदार व्यक्ति होने के नाते यह कर्तव्य बनता है कि एक बार अवश्य देखें संत रामपाल जी महाराज ऐसा क्यों कह रहे हैं और अपनी भक्ति विधि और गुरु की जांच अवश्य करें। वर्तमान समय में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज इन सभी प्रमाणों के अनुसार तत्वदर्शी संत हैं जो दुनिया को सत भक्ति देकर मोक्ष प्रदान करने के लिए इस पृथ्वी पर आए हुए हैं अतः हमारा सभी पाठक जनों से अनुरोध है कि संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को समझें और उनसे दीक्षा लेकर अपने मनुष्य जीवन का कल्याण करवाएं।