Last Updated on 14 January 2024 IST | Indian Army Day 2024 [Hindi]: फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) मनाया जाता है। इस वर्ष भारत 76वां सेना दिवस मना रहा है। इस दिन पूरा देश थल सेना के अदम्य साहस, शौर्य गाथा और बलिदान को याद करता है। आइए इस अवसर पर जानते है कि शूरवीरता के साथ सतभक्ति करने से कैसे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है?
Indian Army Day 2024 के मुख्य बिन्दु
- प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है
- फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस
- इस वर्ष भारत 76वां सेना दिवस मना रहा है
- इस दिवस पर थल सेना के अदम्य साहस, शौर्य गाथा और बलिदान को याद करते हैं
- भारतीय सेना ने अपने मेजर द्वारा बनाई पहली यूनिवर्सल बुलेटप्रूफ जैकेट ‘शक्ति’ की प्रदर्शित
- शूरवीरता के साथ सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है
कब और क्यों मनाते हैं भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day 2024)?
प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस (Indian Army Day 2024) मनाया जाता है। इस वर्ष भारत में 76वां सेना दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को फील्ड मार्शल के एम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) के सम्मान में मनाया जाता है। वर्ष 1949 में इसी दिन ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर (General Sir Francis Butcher) से स्वाधीन भारत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा ने कार्य भार ग्रहण किया। जनरल करियप्पा ने 1947 के युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी।
कैसे मनाते हैं भारतीय सेना दिवस?
भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day 2024) सैन्य परेड, सैन्य प्रदर्शनियों और अन्य अनेकों कार्यक्रमों के साथ भारतीय राजधानी दिल्ली और सेना मुख्यालयों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरा देश थल सेना के अदम्य साहस, शौर्य गाथा और उनके बहादुरों के बलिदान को याद करता है।
स्वतंत्रता के समय क्या स्थिति थी भारतीय थल सेना की?
वर्ष 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के उपरांत देश ने अनेकों प्रशासनिक समस्याओं का सामना किया। तब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाया जाना ही समाधान था। भारतीय सेना के बड़े अधिकारी ब्रिटिश नागरिक होते थे। 15 जनवरी 1949 को जब पहले भारतीय फील्ड मार्शल के एम करियप्पा भारतीय सेना प्रमुख बने उस समय भारतीय सेना में केवल 2 लाख सैनिक ही थे।
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फील्ड मार्शल के एम करियप्पा के बारे में
के एम करियप्पा ऐसे पहले अधिकारी थे जिन्होंने फील्ड मार्शल की रैंक प्राप्त की थी। उन्होंने 1947 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व भी किया था। वर्ष 1953 में करियप्पा सेवा निवृत्त हुए थे। 94 वर्ष की आयु में वर्ष 1993 में उनका निधन हो गया था। प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को उन्हीं के सम्मान में परेड और झांकियां निकाली जाती हैं।
नई उपलब्धियां जिनको भारतीय सेना ने सेना दिवस (Indian Army Day 2024) पर किया है प्रदर्शित
भारतीय सेना ने अपनी कई नई उपलब्धियों को सेना दिवस (Army Day) पर प्रदर्शित किया है।
- भारतीय सेना (Indian Army) के मेजर अनूप मिश्रा (Major Anoop Mishra) ने यूनिवर्सल बुलेटप्रूफ जैकेट (world’s first universal bulletproof jacket) विकसित की है। दुनिया की पहली इस स्वदेशी बुलेटप्रूफ जैकेट को ‘शक्ति’ (Shakti)के नाम से सम्मानित किया गया है। इस जैकेट को महिला और पुरुष दोनों प्रयोग कर सकते हैं इसी कारण से यह विश्वभर की बुलेटप्रूफ जैकेट से अलग है। यह जैकेट विश्व में अपने प्रकार का पहला फ्लेक्सिबल बॉडी आर्मर (world’s first flexible body armour) है।
- भारतीय सेना ने भारतीय सीमाओं पर चौकसी मजबूत करने के लिए स्विच ड्रोन (Switch drone) भी खरीदने का समझौता किया है। आसमान की ओर वर्टिकल उड़ान भरने और पृथ्वी पर लैंड करने में सक्षम ड्रोम (vertical take-off & landing drone) 4500 मीटर की अधिकतम ऊंचाई पर 2 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकते हैं।
- सेना के अधिकारी कैप्टन राजप्रसाद ने आईईडी के निपटान और खदानों की सुरक्षा के लिए मानव रहित रोबोट प्लेटफार्म (Unmanned Robotic Platforms) तैयार किए हैं। साथ ही उन्होंने भारतीय सेना के लिए लक्ष्यों की लंबी दूरी की फायरिंग के लिए वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेशन सिस्टम (Wireless Electronic Detonation Systems) भी बनाए हैं।
सद्भक्ति द्वारा पूर्ण मोक्ष और मनुष्य देह की सार्थकता
कामी, क्रोधी, लालची इनसे न भक्ति होय।
भक्ति करे कोई शूरमा जाती बरन कुल खोय।।
एक सैनिक अदम्य साहस से परिपूर्ण होता है यदि वह यह जान ले कि किस उद्देश्य से उसे यह नर तन मिला है तो वह देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करने के साथ, पूर्ण गुरु से नामदीक्षा लेकर, सत्भक्ति कर पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी मनुष्य जन्म की सार्थकता का वर्णन अपनी अमृतमयी वाणी में करते हुए कहते हैं-:
कबीर, या तो माता भक्त जनै, या दाता या शूर।
या फिर रहै बाँझड़ी, क्यों व्यर्थ गंवावै नूर।।
अर्थात पूर्ण परमेश्वर कविर्देव जी ने अपनी अमृतमयी वाणी में इस अनमोल मनुष्य देह के मूल उद्देश्य की सार्थकता का बखान करते हुए बताया है कि या तो माता भक्त को जन्म दे जो शास्त्र में प्रमाण देखकर सत्य को स्वीकार करके असत्य साधना त्यागकर अपना जीवन धन्य करे। या किसी दानवीर बालक को जन्म दे जो दान-धर्म करके अपने शुभ कर्म बनाये।
या फिर किसी शूरवीर बालक को जन्म दे जो परमार्थ के लिए कुर्बान होने से भी न डरता हो। सत्य का साथ देता है, असत्य तथा अत्याचार का डटकर विरोध करता है। उसके चलते या तो वह स्वयं मर जाता है या अत्याचारी की सेना को मार डालता है। अपने उद्देश्य से डगमग नहीं होता है। यदि ऐसी अच्छी सन्तान उत्पन्न न हो तो निसंतान रहना ही अच्छा है।
पूर्ण संत से सद्भक्ति प्राप्त करें
पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी कहते हैं कि मनुष्य देह बड़े संस्कारों से प्राप्त होती है और इस मनुष्य देह के प्राप्त होने के बाद अगर सतगुरु मिल जाएं तो तत्पश्चात मनुष्य जीवन का मात्र एक ही उद्देश्य रह जाता है वह उद्देश्य है उन पूर्ण संत से सद्भक्ति अर्थात सतनाम (सच्चानाम) प्राप्त कर अपने जीवन का वास्तविक उद्देश्य प्राप्त करना अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त करना।
तज पाखण्ड सत नाम लौ लावै, सोई भव सागर से तरियाँ।
कह कबीर मिले गुरु पूरा, स्यों परिवार उधरियाँ।।
मनुष्य देह की सार्थकता से परिचित होने हेतु देखें, सुनें तथा पढ़ें
प्रिय पाठकजनों से निवेदन है कि इस सम्पूर्ण धरा पर जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी ही एकमात्र पूर्ण संत हैं अतः संत रामपाल जी महाराज जी की अमृतमयी वाणी का श्रवण करने के लिए अवश्य देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल तथा पूर्णसंत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा का अवश्य नियमित रूप से पाठन करें। अतः इस स्वर्ण समय का सदुपयोग कर संत रामपाल जी महाराज जी से आज ही निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त करें।