April 28, 2025

Hindu Nav Varsh 2024 (हिंदू नववर्ष) और आगामी वर्ष की भविष्यवाणी

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हिंदू नववर्ष 2024 (Hindu Nav Varsh 2024): हिंदू नववर्ष अर्थात सनातन धर्म में नववर्ष, हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। इस बार हिंदू नववर्ष 9 अप्रैल 2024 को प्रारंभ हुआ है। यह विक्रमी संवत् 2081 है। इस आलेख के माध्यम से जानें नववर्ष के विषय में विशेष।

  • हिंदू नववर्ष और सनातन संस्कृति में संबंध
  • हिंदू नववर्ष का इतिहास
  • भारत की विभिन्न संस्कृतियों में नववर्ष
  • जानें भविष्यवक्ताओं के अनुसार आगामी वर्ष
  • कैसे होगा विनाश से बचाव

आधुनिक समय में हम अंतर्राष्ट्रीय मानक के पंचांग (ग्रेगोरियन कैलेंडर) का प्रयोग करते हैं। किसी भी राष्ट्र की आपनी सभ्यता और संस्कृति होती है जिसके अनुसार उसके अपने रीति रिवाज और परंपराएं जुड़ी होती हैं। भारत वर्ष की सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी है और इसी कारण इसे सनातन सभ्यता कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के बारह महीने होते हैं चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण (सावन), भाद्रपद (भादों), आश्विन (क्वार), कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष (पूस) और फाल्गुन। हिंदू नववर्ष के अनुसार इसे हिंदी पंचांग के प्रथम माह यानी चैत्र की शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाता है जिसे भारत के अलग अलग भागों में अलग अलग नामों से जाना जाता है।

हिंदू नववर्ष 2024: हिंदू नववर्ष हिंदी पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। गौरतलब है कि इसे मनाने की शुरुआत उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के काल से हुई। उन्होंने प्रथम बार इस दिन को नव संवत्सर के रूप में घोषित किया था। सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के प्रसिद्ध विद्वान और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने खगोलशास्त्र की गहरी समझ के आधार पर ग्रह नक्षत्रों के अनुसार विक्रम संवत् मानने का प्रस्ताव रखा था। इसी कारण हिंदी पंचांग में इसे विक्रमी संवत् के नाम से जाना जाता है। विक्रमी संवत् ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे चलता है। इसी कारण 2024 में 57 जोड़कर देखें तो यह विक्रमी संवत् 2081 चल रहा है। वहीं पुराने शिलालेखों में शक संवत् भी दिया गया है जोकि ग्रेगोरियन कैलेंडर से 78 वर्ष पीछे चलता है।

हिंदू नववर्ष 2024: सनातन धर्म के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इस बार 9 अप्रैल 2024 को नववर्ष अर्थात विक्रमी संवत् 2081 प्रारंभ हो चुका है। भारत वर्ष में यह अलग अलग संस्कृति के अनुसार अलग अलग नामों से जाना जाता है यथा महाराष्ट्र और गोवा में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में चैत्र नवरात्रि महोत्सव के प्रथम दिवस के रूप में मनाया जाता है। नवम दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी के रूप में जाना जाता है। कश्मीर में सिंधी समुदाय इसे चेटीचंड महोत्सव तथा नवरेह, मणिपुर में साजिबु नोंगमा पंबा तथा हिंदी भाषी राज्यों में नव संवत्सर के रूप के मनाया जाता है। माना जाता है कि पांडवों का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। इस दिन लोग पूजा पाठ, ग्रहों की साज सज्जा, व्यंजन आदि का निर्माण करते हैं।

हिंदू वर्ष 2024: ज्योतिष, भारत की वह विद्या रही है जिसके अनुसार ग्रह और नक्षत्र की गणना के माध्यम से भविष्य में होने वाली घटनाओं के विषय में बताया जाता है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई हिस्सों में इसके माध्यम से भविष्य के विषय में बताया जाता है। ज्योतिष विद्या के अतिरिक्त पूर्व जन्म या वर्तमान जन्म के साधना युक्त साधक भविष्य के विषय में भी जानकारी देते हैं। 

■ यह भी पढ़ें: Baba Vanga and Nostradamus Predictions: भविष्यवाणियां जो हो सकती हैं सच!

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह वर्ष नकारात्मक बताया जा रहा है। बीमारियों, युद्ध, दुर्घटनाओं के चलते जन धन की हानि बताई जा रही है। कृषि के क्षेत्र में बीमारियों के कारण पशुधन की हानि और मौसम का नकारात्मक प्रभाव फसलों पर पड़ने से महंगाई का अनुमान है। राजनीतिक टकराव, विवाद और तनाव के साथ साथ बड़े आंदोलनों की आशंका जताई गई है। अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट की संभावना ज्योतिषाचार्यों द्वारा जताई गई है। अपराधों में वृद्धि तथा प्राकृतिक आपदा की आशंका जताई गई है। धार्मिक उन्माद की संभावना भी ज्योतिषाचार्यों ने जताई है।

हिंदू नववर्ष 2024: इन वर्षों के संबंध में विश्व के कोने कोने से अनेकों भविष्यवक्ता वर्तमान वर्षों के संबंध में भविष्यवाणियां कर चुके हैं। भविष्यवक्ताओं के अनुसार यह समय घोर तनाव, अमानवीय व्यवहार और उथल पुथल का होगा। प्राकृतिक आपदाएं तथा युद्ध की स्थिति मानव समाज को त्रस्त करेगी। समाज में चोरी, हिंसा, अपहरण, उपद्रव, सांप्रदायिक हिंसा, अशांति, भ्रष्टाचार बढ़ जाएगा। यह भविष्यवाणियां विश्व के अनेकों भविष्यवक्ताओं और ज्योतिषाचार्यों जैसे कीरो (इंग्लैंड), नास्ट्रेदमस (फ्रांस), जीन डिक्सन (अमेरिका), प्रो. हरार (इज़रायल), तुलसीदास (जयगुरुदेव पंथ, भारत),  वेजिलेटिन, श्री एंडरसन (अमेरिका), चार्ल्स क्लार्क (अमेरिका), बोरिस्का (हंगरी), जूलवर्न (फ्रांस) आदि अनेकों पहुंचे हुए विद्वान भविष्यवक्ताओं ने वर्तमान सदी के विनाश के बारे में पहले ही दे दी थी।

हिंदू नववर्ष 2024: आगामी वर्ष भी लगातार पतन और विनाश के बताए गए हैं। जन धन की हानि, नैतिकता का पतन, बीमारियों का प्रकोप, प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ युद्ध और हिंसा से सर्व विश्व त्रस्त होने की भविष्यवाणी है। किंतु इस पतन के अवसर पर ऐसी भविष्यवाणी भी इन्हीं भविष्यवक्ताओं ने की है कि भारतवर्ष (तीन ओर से समुद्र से घिरे देश) से एक विशाल व्यक्तित्व का धनी, पांच नदियों के नाम वाले राज्य के छोटे से गांव में जन्म लिया महापुरुष अपने तत्वज्ञान से आध्यात्मिक क्रांति लाएगा। यह आध्यात्मिक क्रांति सर्व विश्व को बचाएगी। वह पूर्ण संत भारत को विश्वगुरु बनाएगा तथा वह महान संत प्राकृतिक परिवर्तन करने में भी सक्षम होगा। पूरे विश्व को उसका आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करना होगा। वह धार्मिक क्रांति लाने वाला महान संत अपने अनुयाइयों के साथ युग परिवर्तन लाएगा 

ये सब केवल भविष्यवाणियां नहीं बल्कि यह घटनाएं शत प्रतिशत अपेक्षित हैं। इसलिए समझदार प्राणी इनसे पहले ही सावधान हो जाता है। इस बर्बादी के समय में केवल वे लोग ही बचेंगे जो सच्चे धर्म और सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान का सहारा लेंगे, पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण में होंगे। इस विनाश के कहर से मात्र तत्वदर्शी संत ही बचा सकता है क्योंकि वह परमेश्वर की शक्तियों से युक्त होता है। वह अपने शिष्यों की हिफाजत प्रलयकाल में हथेलियों पर रख कर करेगा और केवल वही कर सकता है। तत्वदर्शी संत के अतिरिक्त यह किसी देवी देव अथवा व्यक्तित्व के वश की बात नहीं है।

हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2024): वह महान संत कोई और नहीं बल्कि हिंदुस्तान के अविभक्त पांच नदियों के राज्य पंजाब के सोनीपत के छोटे से गांव धनाना के महान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं। इस विषय में फ्रांस के महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी भी महत्वपूर्ण है। ज्योतिषाचार्य या भविष्यवक्ता भविष्य की घटनाओं के विषय में बता देते हैं किन्तु उनसे कैसे बचाव संभव होगा यह केवल परमेश्वर के हाथ के खेल हैं। जब जब मानवता की हानि होती है स्वयं पूर्ण परमेश्वर तत्वदर्शी संत का रूप लेकर आते हैं और अपनी प्यारी आत्माओं का अपने विशेष तत्वज्ञान से कल्याण करते हैं। संत रामपाल जी महराज जोकि पूर्ण तत्वदर्शी संत हैं वे पृथ्वी पर आ चुके हैं। अधिक जानकारी के लिए विजिट करें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल या डाउनलोड करें संत रामपाल जी महाराज एप

हिंदू नववर्ष कब मनाया जाता है?

हिंदू नववर्ष हिंदी पंचांग के प्रथम महीने चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।

हिंदू नववर्ष किसने मनाना प्रारंभ किया?

हिंदू नववर्ष उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के समय से मनाना प्रारंभ हुआ।

हिंदू नववर्ष को पंचांग के अनुसार क्या कहते हैं?

हिंदू नववर्ष को विक्रमी संवत कहते हैं।

विक्रमी संवत अंतराष्ट्रीय मानक कैलेंडर से कितने वर्ष आगे चलता है?

विक्रमी संवत अंतराष्ट्रीय मानक कैलेंडर से 57 वर्ष आगे चलता है।

शक संवत् अंतराष्ट्रीय मानक कैलेंडर से कितने वर्ष पीछे चलता है?

शक संवत् अंतराष्ट्रीय मानक कैलेंडर से 78 वर्ष पीछे चलता है।

अंतर्राष्ट्रीय मानक कैलेंडर को क्या कहते हैं?

अंतर्राष्ट्रीय मानक कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर कहते हैं।

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