Hartalika Teej 2023 (हरितालिका तीज) हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत त्यौहार 18 सितंबर को है। आइए जानें इस व्रत के पीछे की सच्चाई?
Hartalika Teej 2023: मुख्य बिंदु
- भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है हरतालिका तीज
- हरितालिका तीज 2023 आज 18 सितंबर को है
- इस व्रत से पति की आयु बढ़ना और कुंवारी लड़कियों का विवाह होना, शास्त्र विरोधी है
- श्रीमद्भागवत गीता व्रत, पूजा और आन उपासना का समर्थन नहीं करते
- आयु वृद्धि व सर्व दुख समाप्त करने की सही साधना सतभक्ति है
Hartalika Teej 2023 | हरतालिका तीज कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल हरतालिका तीज का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत आज 18 सितंबर को है। इस व्रत त्योहार को विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों में महत्व दिया जाता है।
क्या है हरितालिका तीज त्योहार?
इस त्योहार पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और तरक्की की कामना को धारण किेए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। तीज व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। मनचाहे पति की कामना को पूरा करने के लिए कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत करती हैं।
किंतु यह विचारणीय विषय है कि क्या इस व्रत से वाकई आयु बढ़ती है? विवाह होते हैं? यदि ऐसा होता तो फिर संसार में मृत्यु का क्या स्थान है? यदि इस व्रत से आयु बढ़ती तो सरहद पर ऐसे में कोई जवान शहीद न होता, कोई भाई दुर्घटना में न मरता, अस्पतालों में बीमारों की संख्या घट जाती। ये मात्र तार्किक दलीलें नहीं हैं बल्कि शास्त्र सम्मत बातें हैं जैसा हमारे धर्मग्रंथों में लिखा है। इतने बड़े स्तर पर किया जाने वाला व्रत गलत है? क्या इतने सभी लोग गलत हैं? आइए जानें क्या कहते हैं शास्त्र।
Hartalika Teej 2023: क्या कहती है गीता व्रत के विषय में?
गीता के अध्याय 6 के श्लोक 16 में वर्णन है कि योग न तो बिल्कुल न खाने वाले का और न बहुत अधिक खाने वाले का, न बहुत शयन करने वाले का और न ही बिल्कुल न शयन करने वाले का सिद्ध होता है। अतः व्रत किसी भी तरह का हो शास्त्र विरुद्ध साधना है। इसके बाद अध्याय 16 के श्लोक 23 में कहा गया है कि शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करने वालों को न सुख प्राप्त होता है और न गति प्राप्त होती है। इस प्रकार गीता में एकादशी, तीज, सोलह सोमवार या शुक्रवार आदि सभी प्रकार के व्रत वर्जित हैं।
Hartalika Teej 2023: हरितालिका तीज की पौराणिक कथा क्या है?
ऐसी मान्यता है कि पार्वती ने शिव भगवान की तपस्या की थी और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए आज भी महिलाएं इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए व्रत मानकर मनमुखी रूप में करती हैं। यह मनमुखी साधना इसलिए है क्योंकि यह शास्त्रों में बताई गई साधना नहीं है।
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विचार कीजिए केवल तत्वज्ञान के अभाव में इस तरह की मनमुखी साधनाएं जो न सुख देती हैं ना गति, सारा समाज कर रहा है। मां से बेटी, बहुएं और उनसे आगे की पीढ़ियों तक इस तरह के व्रत देखादेखी कर लिए जाते हैं। इसे करने से कुछ भी हासिल नहीं होता बल्कि ये सभी साधनाएं शास्त्र विरुद्ध हैं। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-
तज पाखण्ड सत नाम लौ लावै, सोई भव सागर से तरियां |
कह कबीर मिले गुरु पूरा, स्यों परिवार उधरियाँ ||
क्या है मुक्ति का साधन? दीर्घायु कैसे हो? अच्छा पति कैसे मिले?
श्रीमद्भगवत गीता 8:16 में बताया है कि ब्रह्म लोक पर्यंत सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं। अर्थात जन्म मरण में हैं। इस अनुसार ब्रह्मा-विष्णु-महेश और इनके लोक भी जन्म मरण में हैं और इनके पिता ज्योति निरंजन या काल ब्रह्म का लोक भी जन्म मृत्यु में है, जब ये सभी देवता स्वयं जन्म मृत्यु के बंधन में हैं तो आपको कैसे दीर्घायु या मोक्ष देंगे? अविनाशी परमात्मा कौन है? अविनाशी परमेश्वर है कविर्देव।
पूर्ण अविनाशी परमेश्वर के बारे में गीता 8:20 में लिखा है कि वह सब के नष्ट होने के बाद भी नष्ट नहीं होता। वह परम अविनाशी परमात्मा है। उसी परमेश्वर की शरण में जाने के लिए गीता 18:62, 66 में भी कहा है। केवल वही पूर्ण अविनाशी परमेश्वर भाग्य से अधिक दे सकता है, मृत्यु को टाल सकता है और विधि का विधान बदल सकता है। वही पूर्ण परमेश्वर आयु बढ़ा सकता है और रुके कार्य पूरे करवा सकता है।
कैसे करें पूर्ण परमेश्वर की भक्ति?
गीता 4:34 में गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने को कहा है। वही तत्वदर्शी सन्त गीता 17: 23 में दिए सांकेतिक मन्त्रों ॐ-तत-सत के सही जाप और विधि बताते हैं जिनसे मुक्ति सम्भव है और पूर्ण परमेश्वर की सही भक्ति से ही सभी आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं।
आर्थिक लाभ, स्वास्थ्य लाभ और कलह-क्लेश भी दूर होते हैं जिससे व्यक्ति का यह जन्म भी सुखी होता है एवं मृत्योपरांत मोक्ष प्राप्ति होती है। मोक्ष प्राप्ति के बाद जीव का संसार में आना नहीं होता है वह सनातन परम धाम सतलोक में रहता है। वहां मृत्यु, बुढ़ापा, रोग किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं है।
केवल शास्त्रानुसार भक्ति ही सुख दे सकती है
बेद पढैं पर भेद न जानें, बांचें पुराण अठारा |
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा ||
शास्त्रों में दिए श्लोकों व गूढ़ रहस्यों के सही अर्थ केवल पूर्ण परमेश्वर द्वारा भेजा तत्वदर्शी सन्त ही बता सकता है। अतः देखादेखी पूजा, व्रत एवं आन उपासना से बेहतर है अपने शास्त्रों के अनुसार भक्ति करें एवं तत्वदर्शी सन्त से नाम दीक्षा लें तथा अपने प्रियजनों व परिवारजनों को भी दिलाएँ जिससे इस लोक में भी सुख हो और आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति हो।
तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से लें नाम दीक्षा
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