July 15, 2025

Guru Nanak Dev Ji biography-गुरु नानक की जीवनी-Guru Nanak Dev Story in Hindi

Published on

spot_img

श्री नानक जी का जीवन परिचय- Biography of Guru Nanak Dev ji.

आइये आज आप को श्री नानक जी के जीवन परिचय- Biography of Guru Nanak Dev ji से परिचित करवाते है। श्री नानक जी पुण्यात्मा थे जिनका परमेश्वर में असीम प्रेम था। युगों-युगों से ब्रह्म की भक्ति करते हुए आ रहे थे। सत्ययुग में श्री नानक जी राजा अम्ब्रीष थे, त्रेता में यह आत्मा राजा जनक हुए, और कलयुग में यही आत्मा श्री नानक जी बने। पहले के जन्मों में श्री नानक जी के आसपास सब नौकर हुआ करते थे पुण्य के आधार पर। परमात्मा की सही भक्ति ना मिलने के कारण इनकी बैटरी चार्ज नहीं हुई।

फिर यह स्वयं एक सुल्तानपुर के नवाब के यहां मोदी खाने में नौकरी करते थे। मगर ऐसी आत्मा भक्ति के बिना रह नहीं सकती। बृजलाल पांडे इनको गीता जी पढ़ाया करते थे।  जैसा उन्हें लोक वेद के आधार पर मालूम था। ब्रह्मा, विष्णु, महेश सर्वेश्वर हैं और वह कृष्ण और राम के ऊपर किसी को नहीं मानते थे।

श्री नानक देव का जन्म हिन्दु परिवार में श्री कालु राम मेहत्ता (खत्री) के घर पाकिस्त्तान के जिला लाहौर के तलवंडी नामक गाँव में हुआ।  हिंदू परिवार में श्री नानक का जन्म होने के कारण वह सभी देवी देवता की पूजा करते थे। श्री नानक जी अपनी बहन के यहां रहते थे। उनके जीजा सुल्तानपुर के नवाब के यहां मोदी खाने में अच्छी नौकरी करते थे। श्री नानक जी सुल्तानपुर में बेई नदी बहती थी वहां प्रतिदिन स्नान करने जाते थे। कुछ देर वहां एकांत में बैठकर परमात्मा का चिंतन करते थे। जैसा बृजलाल पांडे ने उन्हें बताया उसी प्रकार, परमात्मा चारों युगों में आते हैं और अपनी हंस आत्माओं को सतलोक ले जाते हैं जैसे दादू जी, धर्मदास जी, घीसा जी और गरीब दास जी की आत्मा को सतलोक लेकर गए और दिखाया। उसी प्रकार एक दिन परमात्मा सतपुरुष कबीर देव जिंदा महात्मा के रूप में श्री नानक जी के पास गए। उनसे कहा कि हे महात्मा जी मैं बहुत भटक लिया हूं मुझे कोई सत मार्ग बताने वाला नहीं मिला, मुझे मार्ग बताओ जैसा बृजलाल पांडे ने तुम्हें बताया है उन्होंने लोक वेद के आधार से ज्ञान बताना शुरू किया।

नानक जी का कबीर साहेब जी को गुरु बनाना। | Guru Nanak Dev Story in Hindi

श्री नानक जी ने कबीर परमेश्वर से कहा कि आप मुझे गुरु बना लो बिना गुरु के मोक्ष नहीं हो सकता। परमात्मा पूर्णब्रह्म कबीर साहेब जी बोले कि मैं काशी में रहता हूं और मैंने स्वामी रामानंद जी को गुरु बनाया है लेकिन मेरा संशय समाप्त नहीं हुआ। कबीर परमेश्वर जी ने कहा हे गुरु नानक जी! मेरी शंका का समाधान करें। श्री नानक जी ने श्री बृजलाल पाण्डे से जो सुना था वही ज्ञान परमेश्वर को बताया कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव तीन लोक के प्रभु हैं। श्री कृष्ण जी सर्व लोकों का धारण, पोषण करते हैं। इनसे ऊपर कोई भगवान नहीं है। श्री कृष्ण जी अजर अमर हैं। जिंदा महात्मा रूप में कबीर परमेश्वर बोले–  गीता ज्ञान दाता प्रभु ने गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में कहा है कि मेरी पूजा भी अति घटिया है। इसलिए गीता अध्याय 15 श्लोक 4, अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपा से ही तू परम शान्ति तथा सनातन परम धाम सतलोक चला जाएगा। परमेश्वर ने सृष्टि रचना सुनाई और बताया कि श्री देवी महापुराण तीसरा स्कंद में स्वयं विष्णु जी ने कहा है कि मैं (विष्णु) तथा ब्रह्मा व शिव तो नाशवान हैं, अविनाशी नहीं हैं।


नानक जी श्री कृष्ण को ही सर्वेश्वर मानते थे। उन्होंने परमेश्वर कबीर साहिब से कहा कि आपकी बात को मेरा मन स्वीकार नहीं कर रहा है। श्री नानक जी की अरूचि देखकर परमात्मा वहां से चले गए। फिर श्री नानक जी जान गए कि मेरा ज्ञान पूर्ण नहीं है। इसलिए प्रतिदिन प्रार्थना करते थे कि एक बार वह संत मिल जाए। मैं उससे कोई वाद-विवाद नहीं करूंगा। कुछ समय के बाद जिन्दा फकीर रूप में कबीर जी ने उसी बेई नदी के किनारे पहुँच कर श्री नानक जी को राम-राम कहा। उस समय श्री नानक जी कपड़े उतार कर स्नान के लिए तैयार थे। जिन्दा महात्मा केवल श्री नानक जी को दिखाई दे रहे थे अन्य को नहीं। श्री नानक जी से वार्ता करने लगे।  परमेश्वर ने बताया कि एक पूर्ण परमात्मा है, उसका अमर स्थान सतलोक है। उस परमात्मा की भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

श्री नानक जी ने कहा कि मैं आपकी एक परीक्षा लेना चाहता हूँ। मैं इस दरिया में छुपूँगा और आप मुझे ढूंढ़ना। यदि आप मुझे ढूंढ दोगे तो मैं आपकी बात पर विश्वास कर लूँगा। यह कह कर श्री नानक जी ने बेई नदी में डुबकी लगाई तथा मछली का रूप धारण कर लिया। जिन्दा फकीर ने उस मछली को पकड़ कर जिधर से पानी आ रहा था उस ओर लगभग तीन किलो मीटर दूर ले गए तथा श्री नानक जी बना दिया।

कबीर साहेब जी का नानक जी को सृष्टि रचना सुनना।

तब नानक जी ने कहा कि मैं आपकी सारी बातें सुनूँगा। कबीर परमेश्वर ने सृष्टि रचना दोबारा सुनाई व बताया कि मैं ही पूर्ण परमात्मा हूँ मेरा स्थान सच्चखण्ड है। आप मेरी आत्मा हो। काल (ब्रह्म) ने सभी आत्माओं को गुमराह कर रखा है। 84 लाख योनियों में परेशान कर रहा है। मैं आपको सच्चानाम दूँगा जो किसी शास्त्र में नहीं है। कबीर साहेब जी श्री नानक जी की पुण्यात्मा को सत्यलोक ले गए। वहां कबीर परमेश्वर को जिन्दा रूप में बैठे देखा।तब नानक जी ने कहा कि वाहे गुरु। फिर नानक जी की आत्मा को साहेब कबीर जी ने वापस शरीर में प्रवेश कर दिया। तीसरे दिन श्री नानक जी होश में आऐ। उनको जीवित देखकर घर वालों की खुशी का ठिकाना न रहा।


श्री नानक जी अपनी नौकरी पर चले गए। मोदी खाने का दरवाजा खोल दिया तथा पूरा खजाना लुटा कर शमशान घाट पर बैठ गए। यह बात मालिक सुल्तानपुर के नवाब को पता चली तब उन्होंने खजाने का हिसाब करवाया तो सात सौ साठ रूपये अधिक मिले। नवाब ने क्षमा याचना की और नौकरी पर वापिस आने को कहा। लेकिन श्री नानक जी ने कहा कि अब सच्ची सरकार की नौकरी करूँगा।  उस दिन के बाद श्री नानक जी घर त्याग कर पूर्ण परमात्मा की खोज करने के लिए चल पड़े। जैसा की कबीर साहेब ने बताया था कि मैं बनारस (काशी) में रहता हूँ। धाणक (जुलाहे) का कार्य करता हूँ। तो नानक जी काशी पहुंच गए और श्री रामानन्द जी से वार्ता की तथा सच्चखण्ड का वर्णन शुरू किया।


रामानन्द जी ने बताया कि परमेश्वर स्वयं कबीर नाम से आया हुआ है तथा मर्यादा बनाए रखने के लिए मुझे गुरु कहता है परन्तु मेरे लिए प्राण प्रिय प्रभु है। श्री नानक जी ने पूछा कि कहाँ हैं कबीर साहेब जी? मुझे जल्दी मिलवा दें। रामानन्द जी ने एक सेवक को श्री नानक जी के साथ कबीर साहेब जी की झोपड़ी पर भेजा। उस सेवक से सच्चखंड की वार्ता हुई तब श्री नानक जी को आश्चर्य हुआ कि मेरे से तो कबीर साहेब के चाकर (सेवक) भी अधिक ज्ञान रखते हैं।

जब नानक जी ने देखा यह धाणक वही परमेश्वर है जिसके दर्शन सच्चखण्ड में किए तथा बेई नदी पर हुए थे। यहाँ जुलाहे के वेश में हैं। वही मोहिनी सूरत जो सच्चखण्ड में भी विराजमान था। वही करतार आज धाणक रूप में बैठा है। श्री नानक जी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आँखों में आँसू भर गए। तब श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी के चरणों में गिरकर सत्यनाम (सच्चानाम) प्राप्त किया। तब शान्ति पाई तथा अपने प्रभु की महिमा देश विदेश में गाई। जब सतनाम का जाप दिया तब नानक जी की काल लोक से मुक्ति हुई।

Guru Nanak Dev Ji Story

Latest articles

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?

World Population Day 2025: The best time for world’s Population to Attain Salvation

Last Updated 09 July 2025, 1:16 PM IST | World Population Day 2025: Today...
spot_img

More like this

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?