September 11, 2025

Ganga Dussehra 2023 [Hindi]: क्या गंगा दशहरा स्नान से पाप कटेंगे?

Published on

spot_img

Updated on 30 May 2023: गंगादशहरा पर्व (Ganga Dussehra 2023) आज गंगादशहरा पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। लोकवेद कुछ भी कहता हो परंतु धर्मग्रंथों जैसे वेदों और गीता में तीर्थ स्नान को प्रमाणित नहीं किया है और पाप धुलने के लिए तो बिल्कुल नहीं।

Ganga Dussehra 2023 [Hindi]: मुख्य बिंदु

  • गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है जो कि गत दिवस मनाया गया।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा इस दिन पृथ्वी पर आई थीं।
  • गंगा दशहरा पर हरिद्वार आने के लिए उमड़ी भीड़
  • गंगा स्नान से नहीं धुलेंगे पाप: धर्मग्रंथ गीता

गंगा दशहरा पर्व

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। गंगा दशहरा धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन माता गंगा पृथ्वी पर आई थीं। इसके दूसरे दिन निर्जला एकादशी स्नान का प्रावधान लोकवेद में है। हालांकि स्नानादि क्रियाएँ शास्त्रों में वर्णित न होने से शास्त्र विरुद्ध हैं फिर भी लोगों की भीड़ तमाम घाटों पर देखते ही बनी जिसमें कोरोना के नियमों का नाममात्र पालन भी नहीं किया गया।

केवल रजिस्ट्रेशन करवाने के पश्चात ही जा सके श्रद्धालु

रविवार हरिद्वार में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी स्नान को लेकर पुलिस और यात्रियों की बहस पूरे दिन जारी रही। प्रशासन ने पहले ही उत्तर प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया था। पुलिस में केवल आरटीपीसीआर (RT PCR) निगेटिव रिपोर्ट साथ लाने वालों एवं 72 घण्टे पहले ही रजिस्ट्रेशन करवाने वालों को ही सीमा के भीतर प्रवेश करने की अनुमति दी। 

Also Read: जानिए केदारनाथ धाम की स्थापना का रहस्य

जबकि जो भी श्रद्धालु बिना कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के आये थे उन्हें बैरंग लौटा दिया। राज्य की सभी बोर्डरों नारसन बॉर्डर, काली नदी, मंडावर बॉर्डर, बालावाली व चिड़ियापुर पर पुलिस तैनात रही।

खोली गई हर की पैड़ी

भक्तों के पहले गंगा दशहरा पर सबसे पहले गंगा सभा के पदाधिकारियों ने स्नान किया। हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को ताक पर रखते हुए लोग आंखें मूंदकर गंगा स्नान के लिए पहुँचते गए तथा पुलिस बैरिकेट्स लगाकर भीड़ नियंत्रित करने का प्रयास करती रही। वहीं मेंहदी घाट पर इटावा, कन्नौज एवं हरदोई सहित कई जनपदों के लोग स्नान के लिए आये।

कोरोना गाइडलाइंस की हुई थी अवहेलना

एक ओर प्रशासन एवं पुलिस अपनी ओर से भीड़ नियंत्रित करने का प्रयास करती रही वहीं दूसरी ओर लोग जमकर सभी निर्देशों की अवहेलना करते हुए जमा होते गए। कोरोना गाइडलाइंस का पालन न के बराबर रहा। न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और न ही मास्क लगाया गया। इसके बावजूद प्रशासन ने बाहरी राज्यों से जाने वाली भीड़ को नियंत्रित करने का अथक प्रयास किया जिसके अंतर्गत बिना कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट एवं बिना रजिस्ट्रेशन करवाए आने वाले यात्री बैरंग वापस भेज दिए गए।

Ganga Dussehra: नहीं धुलेंगे पाप गंगा स्नान से

लोकवेद कुछ भी कहता हो परंतु हमारे धर्मग्रंथों में यानी वेदों और गीता में कहीं भी गंगा स्नान या किसी भी नदी में स्नान के लिए न तो कहा गया है और न ही इस तथ्य को प्रमाणित किया है कि गंगा स्नान से पाप धुलते हैं। 

लोकवेद के अनुसार की जाने वाली साधनाएँ जिनका शास्त्रों में प्रमाण न हो वे शास्त्रविरुद्ध साधनाएँ हैं एवं गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 के अनुसार शास्त्रविरुद्ध साधनाएँ करने वाले न सुख हासिल करते हैं, न सिद्धि प्राप्त करते हैं और न ही उनकी कोई गति होती है। कर्तव्य और अकर्तव्य की अवस्था में शास्त्र ही प्रमाण ठहराए गए हैं। अतः सिद्ध है कि किसी भी क्रिया को अंधाधुंध मानने से पहले एक बार शास्त्र पलट कर जरूर देखें। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

Ganga Dussehra [Hindi]: गंगा कहा से आई है?

गंगा नदी पृथ्वी लोक की नहीं है। गंगा नदी वास्तव में सतलोक (एकमात्र अमर लोक) के मानसरोवर से आई जलधारा है। सतलोक से परम् अक्षर ब्रह्म ने एक मुट्ठी मानसरोवर का जल गंगा नदी के रूप में पृथ्वी पर भेजा। गंगा नदी सतलोक से ब्रह्मलोक में आई और उसके बाद विष्णुलोक तथा फिर शिवलोक की जटाकुण्डली नामक स्थान पर आई थीं। मान्यता है कि एक भागीरथ नामके तपस्वी थे जिन्होंने गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए तप किया एवं तब वाष्प रूप में गंगा नदी पृथ्वी पर गोमुख में आईं किन्तु वास्तव में गंगा तो भेजी ही गई थी परमात्मा द्वारा ताकि हम प्रमाण देख सकें कि सतलोक कितना निर्मल है।

गंगा नदी का पानी सबसे निर्मल माना जाता है जो कभी खराब नहीं होता। गंगा नदी का जल इस बात का प्रमाण है कि इस मृतलोक या पृथ्वीलोक से उत्तम अन्य स्थान सतलोक है जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के पश्चात जाया जाता है, वहाँ कोई भी वस्तु, जल, खाद्य कभी खराब नहीं होते हैं। न वहाँ मृत्यु है, न बुढ़ापा न रोग, न कष्ट और न ही कोई शोक। लेकिन उस लोक के स्वामी सत्यपुरुष कबीर साहेब हैं जो तत्वदर्शी सन्त की लीला करनेभी लिए इस लोक में आते हैं। उस परमात्मा की भक्ति त्रिलोकीनाथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश एवं उनके पिता कालब्रह्म से भी उत्तम एवं अन्य है। गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में भी उसी सत्यपुरुष की शरण मे जाने के लिए कहा है जहाँ जाने के पश्चात जीव लौट कर संसार मे नहीं आते।

Latest articles

Engineers Day 2025: Know About The Principal Engineer Who Has Engineered This Entire Universe?

Engineers Day is about appreciating the efforts and the contributions of the engineers in building up the nation and the entire globe.

International Day of Democracy 2025: Spiritual Democracy Presents the Right to Choose the True Guru

Updated on 10 September 2025 IST: The world community celebrates the International Day of...

SSC CGL 2025 Admit Card Released: Download Link, Exam Dates and SSC’s Strict Guidelines

The wait is finally over for lakhs of aspirants. The Staff Selection Commission (SSC)...
spot_img

More like this

Engineers Day 2025: Know About The Principal Engineer Who Has Engineered This Entire Universe?

Engineers Day is about appreciating the efforts and the contributions of the engineers in building up the nation and the entire globe.

International Day of Democracy 2025: Spiritual Democracy Presents the Right to Choose the True Guru

Updated on 10 September 2025 IST: The world community celebrates the International Day of...