हरियाणा के हिसार जिले का जीतपुरा गांव 2025 की भारी बरसात का सबसे बड़ा शिकार बना। गाँव के छोटे किसान तबाह हो गए क्योंकि 90% से अधिक कृषि भूमि 4 से 5 फुट पानी में डूब गई। एक फसल पहले ही नष्ट हो चुकी थी और खेतों में भरा पानी निकलने का कोई साधन न होने से किसान आगामी गेहूँ की फसल भी नहीं बो पा रहे थे। प्रशासनिक दफ्तरों के अनगिनत चक्कर काटने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं मिला। यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि गाँव के सैकड़ों परिवारों का पूरा साल का भोजन, कमाई और भविष्य दाँव पर था।
जब हालात हद से ज्यादा बिगड़ गए और सारी उम्मीदें खत्म होने लगीं, तभी गाँव की पंचायत ने आखिरी उम्मीद के रूप में संत रामपाल जी महाराज के पास जाने का निर्णय लिया। इसके बाद जो हुआ, वह पूरे गाँव की किस्मत बदल देने वाला मानवीय इतिहास बन गया।
जीतपुरा गांव का विकट संकट और किसानों की हताशा
जीतपुरा गाँव के छोटे किसानों को भारी बाढ़ ने गहरी मार दी। लगातार बारिश के कारण गाँव की 90% खेती 4-5 फुट पानी में डूबी रही। एक फसल पहले ही नष्ट हो चुकी थी और खेतों से पानी न निकल पाने के कारण आगामी गेहूँ की फसल भी पूरी तरह खतरे में थी।
किसानों ने कई बार सरकारी दफ्तरों में गुहार लगाई, पर कोई राहत नहीं मिली। रोजी-रोटी पूरी तरह डगमगाने लगी थी। किसानों के लिए यह स्थिति जीवन-मरण जैसी थी, क्योंकि उनकी सारी उम्मीदें सिर्फ फसल पर ही टिकी होती हैं।
पंचायत की संत रामपाल जी महाराज से मदद की गुहार और वास्तविक हालात का वर्णन

एक किसान को संत रामपाल जी महाराज के किसी अनुयायी द्वारा दिया गया कार्ड मिला, जिसने नई उम्मीद जगाई। सरपंच संदीप कुमार (दीपू मास्टर) के नेतृत्व में पूरी पंचायत ने गुरुजी से सीधे मदद माँगने का निर्णय लिया और बरवाला में जाकर पंचायत ने प्रार्थना-पत्र दिया जिसके अंतर्गत निम्न सामग्री माँगी:
- 7200 फुट पाइपलाइन
- दो मोटरें (15 HP)
- एक मोटर (5 HP)
पंचायत सदस्यों ने गुरुजी के सामने गाँव का पूरा हाल बयाँ किया:
आबादी का पानी तो डीजल डालकर किसी तरह निकाल लिया गया, लेकिन खेतों में आज भी 4-5 फुट पानी जमा है। पानी को सीधा ड्रेन में भेजना संभव नहीं।
पंचायत सदस्य पूजा ने कहा –
“गाँव में बरसात का पानी भारी परेशानी दे रहा है, फसलें खराब हो गई हैं, इसलिए हम संत रामपाल जी महाराज के चरणों में आए हैं।”
राहत सामग्री का त्वरित और विशाल आगमन
प्रार्थना-पत्र जमा करवाने के कुछ ही दिनों में संत रामपाल जी महाराज के आदेश पर जीतपुरा गाँव में राहत का एक विशाल काफिला पहुँचा। गाँव में 10-11 गाड़ियाँ दाखिल हुईं, जिनमें किसानों के लिए नई उम्मीद भरी सामग्री थी।
राहत सामग्री में शामिल था:

- 7200 फुट लंबी 8 इंची उच्च गुणवत्ता वाली पाइपलाइन
- दो शक्तिशाली 15 HP मोटरें
- एक 5 HP मोटर
- स्टार्टर, भारी केबल, सुंडियाँ-हांडी, उच्च ग्रेड फेविकोल आदि
पूरा सेटअप कम्पलीट था ताकि ग्रामीणों को “एक नट-बोल्ट भी बाहर से न खरीदना पड़े” – बस लगाओ और पानी निकालो।
गुरुजी का “विशेष निवेदन पत्र” – स्पष्ट और सख्त निर्देश
सामग्री सौंपते समय गुरुजी की ओर से एक विशेष निवेदन-पत्र पढ़कर सुनाया गया। इसमें बहुत स्पष्ट व सख्त निर्देश थे कि:
सामग्री कितनी भी लगे, गाँव से पानी हर हाल में निकालना है
गेहूँ की बिजाई हर हाल में करवानी है। अगर निर्धारित समय में पानी नहीं निकला तो आगे कोई सहायता नहीं दी जाएगी। साथ ही पारदर्शिता के लिए तीन ड्रोन वीडियो बनाने के निर्देश दिए गए:
- पानी भरे खेतों का
- पानी निकलने के बाद का
- लहराती फसल का
ताकि संगत को पूरा विश्वास हो कि उनका दान निष्काम सेवा में ही लगा।
ग्रामीणों की खुशी और आभार की अभिव्यक्ति
जब गाड़ियाँ गाँव में पहुँचीं और सामग्री उतारी गई, तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कई किसानों ने कहा –
“ये तो किसी चमत्कार से कम नहीं… हमारी दिवाली आज है!”
गाँव में तुरंत लड्डू, बूंदी, चाय और समोसे बाँटे गए। लोग भावुक होकर बोले –
“जब कहीं कोई रास्ता नहीं बचा था, तब भगवान ने संत रामपाल जी महाराज के रूप में हमारी सुनी।”
सरपंच ने भरोसा दिलाया कि सामग्री का पूरा सदुपयोग होगा और पानी समय पर निकाला जाएगा।
सेवा का उद्देश्य और व्यापक प्रभाव
यह सेवा संत रामपाल जी महाराज द्वारा “अन्नपूर्णा मुहिम” का हिस्सा है। इसका मकसद सिर्फ अन्न देना नहीं, बल्कि अन्न उत्पन्न करवाना भी है। संत रामपाल जी महाराज का नारा है
“रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान – हर गरीब को दे रहा कबीर भगवान।”
संत रामपाल जी महाराज: कलयुग में मानवता के सच्चे रक्षक और पालनहार
जीतपुरा गाँव की यह घटना केवल एक समाचार नहीं, बल्कि मानवता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाने वाली गाथा है। जिस प्रकार संत रामपाल जी महाराज ने डूबते हुए गाँव को बचाया, वह सिद्ध करता है कि वे केवल एक संत नहीं, बल्कि दीन-दुखियों के सच्चे साथी और रक्षक हैं। उनकी दूरदर्शिता, सूक्ष्म नियोजन और निस्वार्थ भाव ने हजारों किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई है।
सरकार और प्रशासन जहाँ विफल रहे, वहाँ संत रामपाल जी महाराज की शक्ति और भक्ति ने विजय प्राप्त की। जीतपुरा का बच्चा-बच्चा आज संत रामपाल जी महाराज का ऋणी है और उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है। यह सहायता अभियान इस बात का प्रमाण है कि संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान समय में वास्तविक समाज सुधारक और जगतगुरु हैं।



