झज्जर (हरियाणा)। झज्जर जिले के गांव सुर्ख़पुर टप्पा हवेली में बाढ़ के कारण उत्पन्न गंभीर संकट के बीच, संत रामपाल जी महाराज की ओर से भेजी गई राहत सामग्री ने पूरे गांव को नई आशा और राहत प्रदान की। खेतों में भरे पानी, घरों में घुसे जलभराव और बीमारियों के खतरे के बीच जहां ग्रामीण लंबे समय से प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काट रहे थे, वहीं एक प्रार्थना के बाद मात्र 24 घंटे से भी कम समय में पहुंची सहायता ने गांव के हालात बदल दिए।
ग्रामीणों के शब्दों में, “ऐसा काम तो कोई भगवान ही कर सकता है। यह आम इंसान के बस की बात नहीं है।” राहत सामग्री के बाद गांव में उत्साह और भावनात्मक माहौल देखने को मिला, और अनेक ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज को “मसीहा” तथा “भगवान का रूप” कहकर अपना आभार व्यक्त किया।
खेत जलमग्न, घरों में पानी और बढ़ता बीमारी का खतरा
लगातार बारिश और बाढ़ के कारण सुर्ख़पुर गांव की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई थी। गाँव का पानी खेतों से निकल कर घरों तक पहुँच चुका था।
- खेतों में पानी भर जाने से फसल पूरी तरह डूब गई
- कई घरों में जलभराव से रहन-सहन बाधित हुआ
- गलियां तालाब जैसी बन गईं
- स्कूल और डिस्पेंसरी तक प्रभावित रहे
- पशुओं के चारे और पेयजल की भी समस्या बढ़ गई
ग्राम पंचायत के सरपंच और सदस्य कई दिनों तक संबंधित विभागों के पास सहायता के लिए जाते रहे, लेकिन समाधान नहीं मिल सका। इस दौरान ग्रामीणों में निराशा और चिंता का माहौल था। अंततः पंचायत की ओर से संत रामपाल जी महाराज के आश्रम में प्रार्थना पत्र भेजा गया, जिसके बाद हालात बदलने लगे।
24 घंटे से भी कम समय में ‘सुपरफास्ट राहत’, तीन मोटरें और 8000 फुट पाइप उपलब्ध
प्रार्थना प्राप्त होते ही संत रामपाल जी महाराज की ओर से गांव के लिए बड़ा राहत काफिला रवाना किया गया। राहत सामग्री में शामिल था
- तीन 15 HP की बड़ी मोटरें
- 8000 फुट 8-इंची पाइप
- स्टार्टर, नट-बोल्ट, बैंड, टॉप वाल्व सहित सभी आवश्यक उपकरण
- संचालन हेतु तकनीकी सहयोग
ग्रामीणों ने बताया कि सहायता इतनी संगठित थी कि किसी भी वस्तु के लिए बाजार जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
सरपंच ने कहा,
“इतनी तेज सेवा तो नकद पैसे देने पर भी नहीं मिलती। 24 घंटे पूरे होने से पहले ही सारा सामान गांव में पहुंच गया। यह हमारे लिए वरदान साबित हुआ।”
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राहत सामग्री को गांव में विधिवत हैंडओवर किया गया और पानी निकासी की प्रक्रिया तत्काल शुरू कर दी गई।
गांव में भावनात्मक दृश्य, महिलाओं-बुजुर्गों ने लगाए संत रामपाल जी महाराज के जयकारे
राहत सामग्री पहुंचते ही गांव का वातावरण बदल गया। डीजे में भजन बज रहे थे! लोगों की आँखों में उम्मीद की नमी थी और हृदय में संत रामपाल जी महराज जी के लिए नतमस्तक विचार
- ग्रामीणों ने स्वागत जुलूस निकाला
- भजनों के साथ तालियों और जयकारों की गूंज सुनाई दी
- कई स्थानों पर मिठाइयां बांटी गईं
- किसान और मजदूर भावुक होकर धन्यवाद व्यक्त करते दिखाई दिए
एक बुजुर्ग किसान ने बताया कि सरकार के पास बार-बार गए, किसी ने नहीं सुना। जब सरकारी सहायता नहीं मिली तो हम महाराज जी के पास गए और चौबीस घंटों के अंदर हो अंदर हमें भगवान की मदद मिल गई। रामपाल महाराज ने हमारी पुकार तुरंत सुन ली। हमारे लिए वही भगवान का रूप हैं। पूरा गांव आज संत रामपाल जी महाराज जी के स्वागत में इकट्ठा हुआ है।
एक अन्य ग्रामीण ने कहा,
“हम प्यासे थे और हमें पूरा सागर मिल गया। आज गांव में फिर से जीवन लौटा है।”
पूरे गाँव में किसान भावुक और प्रसन्न रहे, जब सहायता सामग्री गाँव पहुँची तो संत रामपाल जी महाराज के सेवादारों को और सामग्री को पैदल गाड़ी में भजन बजाते हुए लेकर आए। यह दृश्य समाज का संत रामपाल जी के प्रति अद्भुत प्रेम, श्रद्धा और विश्वास का दृश्य था जिसकी भविष्यवाणी वर्षों से की जा रही थी।
केवल राहत नहीं, जिम्मेदारी भी, किसानों से फसल बचाने का संकल्प
राहत सामग्री के साथ गांव को एक निवेदन पत्र भी सौंपा गया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि सामान कितना ही ले सकते हैं लेकिन पानी समय पर बाहर निकालना ग्रामीणों की सामूहिक जिम्मेदारी है, उपकरणों का सदुपयोग किया जाए और हर हाल में अगली फसल की बुवाई सुनिश्चित की जाए। कबीर भगवान की दया से यह सामग्री संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी को यह सुविधा स्थायी रूप से प्रदान की है। पत्र में यह भी उल्लेख था कि सहायता का उद्देश्य केवल आपदा राहत नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समाधान उपलब्ध कराना है।

सरपंच ने ग्रामवासियों के साथ संत रामपाल जी महाराज जी के नारे लगाए और पंचायत की ओर से आश्वासन दिया, “हम सब मिलकर पानी निकालने का कार्य समय पर पूरा करेंगे और गांव की फसल तथा आजीविका को पुनः सुरक्षित बनाएंगे।”
पत्र में बताया गया कि तीन वीडियो ड्रोन के माध्यम से बनाई जाएंगी। एक अभी जलभराव की बना ली गई है दूसरी बनाई जाएगी पानी निकलने के बाद और जब फसलें लहलहाएँगी तब तीसरी वीडियो बनाई जाएगी, जिसे प्रत्येक स्मगल में अपमे आश्रमों में दिखाई जाएँगीं।
“अन्नपूर्णा मुहिम” के अंतर्गत जारी है व्यापक जनसेवा
सेवादारों के अनुसार यह सहायता अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत प्रदान की गई, जिसके माध्यम से अभी तक चार सौ से भी अधिक गांवों में राहत कार्य किए जा चुके हैं।
इस मुहिम के अंतर्गत
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री
- जरूरतमंद परिवारों के लिए सहायता
- छात्रों, मरीजों और गरीब परिवारों के लिए सहयोग
लगातार जारी है। - चिकित्सा, शिक्षा, आवास निर्माण और राशन से जुड़ी सुविधाएँ
ग्रामीणों ने कहा कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा दान की गई राशि को केवल जनसेवा में लगाया जाता है और यही कारण है कि लोग उन पर विश्वास करते हैं।
किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान “अब फिर बोवाई होगी, घरों में चूल्हा जलेगा”
पानी निकासी की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही किसानों के चेहरों पर राहत और उम्मीद साफ दिखाई देने लगी।
एक किसान ने कहा “फसल बच जाएगी, गेहूं बो पाएंगे। किसान का घर चलेगा तो मजदूर का घर भी चलेगा।”
दूसरे ग्रामीण बोले “आज असली दिवाली है। हमने संकट से निकलने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन अब गांव फिर जीवित हो उठा है।”
गाँव में उठी संत रामपाल जी महाराज के जयकारों की गूँज
सुर्ख़पुर गांव में जब राहत काफिला पहुंचा तो पूरा गांव एकजुट दिखाई दिया। महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और बच्चे सभी मौजूद रहे, ग्राम पंचायत ने स्मृति-चिह्न भेंट कर आभार व्यक्त किया जिस पर परम पूज्य संत रामपाल जी महाराज जी के सम्मान और उनके अतुलनीय दान के लाये आभार व्यक्त किया गया था। शील्ड में स्पष्ट रूप से सुर्ख़पुर टप्पा हवेली ग्राम की ओर से अंकित था कि हम संत रामपाल जी भगवान जी का हार्दिक धन्यवाद करते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, यह केवल राहत कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनशीलता, सामाजिक एकजुटता और सेवा भावना का जीवंत उदाहरण है। संत रामपाल जी महराज ने जो अन्नपूर्णा मुहिम चलाई है वह स्पष्ट प्रमाण है कि ज़मीन पर गरीबों और बेसहारा लोगों की कोई सुध लेके वाला है तो वो हैं संत रामपाल जी महाराज। क्योंकि उनकी मुहिम साधारण व्यक्ति चलाना तो क्या सोच भी नहीं सकता।
संत रामपाल जी महराज जी ने संकट के बीच की रक्षा
सुर्ख़पुर की यह घटना केवल बाढ़ राहत का प्रसंग नहीं, बल्कि विश्वास, करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी की कहानी है। जहां किसान और ग्रामीण निराशा में घिर चुके थे, वहीं समय पर मिली सहायता ने न केवल गांव को राहत दी, बल्कि उनके मनोबल को भी पुनः सशक्त बनाया। ग्रामीणों के शब्दों में- “जो दूसरों के काम आता है, वही सच्चा जीवन जीता है।
आज यह बात हमने अपने गांव में सच होते देखी।” संत रामपाल जी महाराज के लिए भगवान, परमेश्वर का रूप संबोधन यों ही नहीं किए जाते। संत रामपाल जी महराज ने उस समय किसानों की और गरीबों की सुनी है जब उनके पास कोई उपाय नहीं था, उन्हें ग़म की मौत निगल रही थी धीरे धीरे! अन्नदाता हार मान चुका था। देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था संकट में थी।



