Earthquake in Lucknow [Hindi]: लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में शुक्रवार की रात करीब 1 बजकर 15 मिनट पर भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.2 मैग्नीट्यूड मापी गई। जानकारी के मुताबिक भूकंप देर रात में 1 बजकर 15 मिनट पर आया था, जन्माष्टमी की वजह से लोग घरों में जाग रहे थे। भूकंप का झटका महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल गए। भूकंप के झटकों के बाद बताया जा रहा है कि जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ किंतु रात भर लोग डरे रहे।
लखनऊ भूकंप (Earthquake in Lucknow) : मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश में लखनऊ (Earthquake in Lucknow) और सीतापुर समेत कई जिलों में देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए
- भूकंप रात करीब 1:15 मिनट पर आया।
- लोगों ने बताया कि झटका इतना तेज था कि घरों में रखा हुआ सामान कूलर, फ्रिज इत्यादि कुछ देर तक के लिए हिलने लग गए।
- भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.2 मापी गई।
- लखनऊ में देर रात आए 5.2 तीव्रता के भूकंप का केंद्र राजधानी से 139 किमी दूर उत्तर-पूर्व की ओर बताया जा रहा है।
- नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूंकप के झटके लखनऊ के आसपास लखीमपुर खीरी के अलावा मुरादाबाद और नोएडा में भी महसूस किए गए।
- इस भूकंप का केंद्र लखनऊ था। वहीं, जन्माष्टमी मना रहे लोग भी घबराकर पंडालों से बाहर निकल आए।
- इससे पहले शुक्रवार को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भी हल्के झटके महसूस किए गए, जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.6 मापी गई।
- एनसीएस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हेनले गांव के दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में रिक्टर पैमाने पर 3.1 तीव्रता का एक और भूकंप आया था।
भूकंप या भूचाल किसे कहते हैं?
भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है।
भूकंप या भूचाल क्यों आता है?
अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण इसके मुख्य दोष हैं। भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु केन्द्र या हाईपो सेंटर कहलाता है। शब्द उपरिकेंद्र का अर्थ है, भूमि के स्तर पर ठीक इसके ऊपर का बिन्दु।
भूकंप केंद्र किसे कहते हैं?
Earthquake in Lucknow: भूकंप के उद्भव स्थान को उसका केंद्र कहते हैं। भूकंप के केंद्र के पास P, S और L तीनों प्रकार की तरंगे पहुंचती हैं। पृथ्वी के भीतरी भागों में ये तरंगे अपना मार्ग बदलकर भीतर की ओर अवतल मार्ग पर यात्रा करती हैं। भूकंप केंद्र से धरातल के साथ 11,000 किमी की दूरी तक P और S तरंगे पहुंचती हैं।
Earthquake in Lucknow [Hindi] | भूकंप या भूचाल कितने प्रकार के होते हैं?
- सामान्य भूकंप या विवर्तनिक भूकंप (Tectonic Earthquake) :- यह भूकंप भ्रंस तल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
- ज्वालामुखी जन्य भूकंप (Volcanic Earthquake) :- यह भूकंप ज्वालामुखी के उत्पन्न होने से होता है तथा यह अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक सीमित रहते हैं।
किस भूकंप में सबसे ज्यादा जानें गई थीं?
मौतों के लिहाज से दुनिया का सबसे खतरनाक भूकंप चीन में 1556 में आया था, जिसमें 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी। 25 अप्रैल 2015 को सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इस विनाशकारी भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए और 23,000 से ज्यादा घायल हुए। जान-माल के नुकसान के हिसाब से यह भूकंप सबसे ज्यादा खतरनाक रहा है।
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अब तक का सबसे तेज भूकंप कब आया था?
Earthquake in Lucknow [Hindi]: अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप चिली में 22 मई 1960 को आया था। रिक्टर स्केल पर 9.5 तीव्रता वाले इस भूकंप की वजह से आई सुनामी से दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में भयानक तबाही मची थी। तीव्रता के हिसाब से यह भूकंप सबसे ज्यादा खतरनाक और विध्वंसक रहा है।
भारत में सबसे सबसे तेज भूकंप और उनसे हुए नुकसान
- वर्ष 1905 में हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप में 20,000 लोगों की मौत हुई थी।
- वर्ष 1934 में बिहार में आए भूकंप में 30,000 लोगों की जान चली गई थी।
- 15 अगस्त 1950 को उत्तरी असम में आए 8.5 तीव्रता वाले भूकंप ने 11,538 लोगों की जान ले ली थी।
- वर्ष 1993 में लातूर (महाराष्ट्र) में आए भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
- 26 जनवरी 2001 में गुजरात में 23.40 अक्षांश और 70.32 देशांतर तथा भूतल में 23.6 किमी. की गहराई पर भूकंप का एक तेज झटका आया। 2001 में गुजरात में आए इस भूकंप में 30,000 लोग मारे गए थे और इसमें गुजरात के कई कस्बे पूरी तरह से नष्ट हो गए थे।
- वर्ष 2005 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भूकंप आया था जिसमें 1,30,000 लोग मारे गए थे।
जानहानि के लिहाज से विश्व में आए सबसे खतरनाक भूकंप
- इस प्रकार का पहला भूकंप 12 जनवरी 2010 को हैती में आया था। इस भूकंप में 3,16,000 लोगों की मौत हुई थी इसकी तीव्रता 7.0 थी और इस देश का इतिहास और भूगोल हमेशा के लिए बदल गया था। यह एक ऐतिहासिक और विनाशकारी भूकंप था।
- दूसरा भूकंप 27 जुलाई 1976 को चीन के तांगशान में आया था। 7.5 की तीव्रता से आए इस भूकंप में 2,42,769 लोगों की जानें चली गई थीं।
- तीसरा भूकंप 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.1 की तीव्रता से आया था। जिसमें 2,27,898 मौतें हुई थीं। इसका असर कई देशों पर पड़ा और यहां के लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ। इसने कई लोगों का जीवन पूरी तरह बदल दिया था।
- ऐसा चौथा विनाशकारी भूकंप 16 दिसंबर 1920 को चीन के हाईयुआन में 7.8 तीव्रता से आया था जिसमें 2,00,000 लोगों की मौत हुई।
- पांचवां बड़ा भूकंप 1 सितंबर 1923 को जापान के कांतो में आया, जिसकी तीव्रता 7.9 की थी और इसमें 1,42,800 लोगों की मौत हुई थी।
जानहानि के लिहाज से ये दुनिया के सबसे विनाशकारी भूकंप माने जा सकते हैं। लेकिन धनहानि और विनाश की दृष्टि से और भी भूकंप आए हैं। कुल मिलाकर भूकंप की वजह से समय- समय पर विश्व को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
खतरे के हिसाब से भूकंप को कितने ज़ोन में बांटा गया है?
खतरे के हिसाब से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है, जैसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। जोन-1 में पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।
भारत के किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं?
एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में विभाजित किया जाता है। सबसे ज्यादा भूकंप का खतरा भारत के जिन क्षेत्रों में है उन्हें जोन 5 कहा जाता है। इसमें कश्मीर, वेस्टर्न और सेंट्रल हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय भूभाग शामिल है।
रिक्टर स्कैल/ पैमाने से नापिए भूकंप का खतरा
- 0 से 1.9 : भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलेगा।
- 2 से 2.9 : रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर हल्का कंपन।
- 3 से 3.9 : इस पैमाने पर लगेगा आपके बगल से भारी वाहन तेजी से गुजरा हो।
- 4 से 4.9 : घर के कांच टूट सकते हैं। सीलिंग फैन हिलने लगेंगे।
- 5 से 5.9 : खिड़की दरवाजे हिलेंगे। मेज के सामान गिर जाएंगे।
- 6 से 6.9 : घरों की नींव भी दरक सकती है। पहले मंजिल के ऊपर की इमारत गिर सकती है।
- 7 से 7.9 : यह खतरनाक स्थिति का पैमाना है। इसमें काफी नुकसान होता है।
- 8 से 8.9 : घर, पुल व बड़े निर्माण गिर जाते हैं।
- 9 और उससे ज्यादा : भारी तबाही वाला पैमाना। नंगी आंख से धरती हिलते देखा जा सकता है। समुद्र पास है तो सुनामी जैसा नुकसान हो सकता है।
भूकंप (Earthquake) के समय अपनाएं यह उपाय
- भूकंप की स्थिति में लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। जितना जल्दी हो सके घर/बिल्डिंग से बाहर निकलने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- घर की इलेक्ट्रिसिटी/ करंट को ऑफ कर दें ।
- अगर घर या बिल्डिंग के अंदर फंस जाएं तो घर में रखे डाइनिंग टेबल, डेस्क के नीचे बैठ जाएं।
- भूकंप के समय दौड़ें और अनावश्यक चलें नहीं। केवल एक सुरक्षित स्थान की तरफ जाएं।
- यदि आप उस समय कार चला रहे हैं तो कार की स्पीड धीमी करें और एक खाली स्थान पर ले जाकर पार्क कर दें। तब तक कार में बैठे रहें जब तक झटके खत्म नहीं हो जाएं।
- पेड़ों और बिजली के तारों से दूर रहें।
- अगर आप बाहर सड़क पर या बाजार में हों तो पास में मैदान या खुली जगह में पहुंच जाएं।
बहुत जल्द हो सकता है प्राकृतिक परिवर्तन
प्राकृतिक आपदाएं मनुष्यों, जीव-जंतुओं और सृष्टि के कई क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। जहाँ बनाने में वर्षों का समय लग जाता हैं वहीं भूंकप, बाढ़, सुनामी और अन्य तूफान सब कुछ मिटा देने की शक्ति रखते हैं। मिटाने वाला काल है और बचाने वाला रक्षक परमात्मा है। क्या आप जानते हैं प्रत्येक स्थिति में हमारी रक्षा हो सकती है और रक्षा करने वाला कोई और नहीं बल्कि हमारे परम पिता सृष्टिकर्ता पालनहार कबीर परमात्मा हैं जिनके अवतार से होगा पृथ्वी का उद्धार।
अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणियों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल ऑफ सेंसेशनल कल्चर’ नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा। पश्चिमी देशों के विलासितापूर्ण जीवन जीने वालों में निराशा, बेचैनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेंगी जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा कि चारों ओर हाहाकार मच जाएगा।
अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चालर्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी। भारत से उठ रही आध्यात्मिक क्रांति भयंकर प्राकृतिक और भौतिक परिवर्तन को भी ठीक कर देगी।
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FAQ about Earthquake in Lucknow
भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्र से किया जाता है, जिसे सीस्मोग्राफ कहा जाता है।
झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। परंतु अब इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
रिक्टर स्केल का विकास 1945 ईस्वी में अमेरिका के भू वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रांसीसी रिक्टर द्वारा किया गया था।
यह पैमाना 1 से 10 तक के अंकों के आधार पर भूकंप के वेग को नाप सकता है। जहां 1 का अंक न्यूनतम वेग और 10 अधिकतम वेग को दर्शाता है।