Last Updated on 23 October 2024 IST | Dussehra in Hindi | दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध किए जाने के उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है। दशहरा का त्योहार दीपावली से कुछ दिन पूर्व मनाया जाता है। इस बार विजया दशमी (दशहरा 2024) का पर्व 12 अक्टूबर शनिवार की सुबह 10:58 बजे से शुरू और 13 अक्टूबर रविवार की सुबह 9:08 बजे को समाप्त होगा।
Dussehra in Hindi | दशहरा (विजयादशमी) 2024
हर साल यह पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। वैसे तो देशभर में दशहरा बहुत ही धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन हिन्दु धर्म में यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। पूरे देश में विजयादशमी के दिन रावण के पुतले को फूंकने की परंपरा है। विजयादशमी का यह त्योहार भारतीय संस्कृति में वीरता का प्रतीक है। व्यक्तियों और समाज में बुराई को समाप्त कर अच्छाई स्थापित हो इसलिए दशहरे (विजयादशमी) का उत्सव मनाया जाता है।
दशहरा का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे कई कारण हैं जैसे कि
- रावण की नाभि में अमृत होने के कारण वह स्वयं को अविनाशी मान रहा था लेकिन असली अविनाशी राम ने रावण की नाभि में तीर मारकर उसका वध किया।
- देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी।
- इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है इसीलिये दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
Dussehra in Hindi | रावण कैसे स्वभाव का व्यक्ति था?
लंकापति रावण दशानन के नाम से भी जाना जाता है। वह तमोगुणी शिव जी का परम भक्त था। रावण को चारों वेदों का ज्ञान था। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। वह मायावी भी था क्योंंकि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और कई तरह के जादू जंतर करने में माहिर था। उसने सारी लंका सोने की बना रखी थी जिसमें इटें, पत्थर, यहां तक गारा भी सोने का था। परंतु शिव की इतनी भक्ति करने के बावजूद उसमें कामवासना तथा अभिमान चरम सीमा पर थे जिसके परिणामस्वरूप उसका वंश ही समाप्त हो गया।
“एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
आज उस रावण के दीवा न बाती”।।
रावण कैसी मौत मारा गया और क्यों?
Dussehra in Hindi | रावण तमस, अंहकार और असुर स्वभाव का व्यक्ति था। कबीर साहेब जी ने मुनिन्दर ऋषि रूप में आकर अपनी शिष्या मंदोदरी (रावण की पत्नी) के प्रार्थना करने पर, रावण को समझाया था कि यह सीता लक्ष्मी का अवतार है जिसे तू उठा कर ले आया है। जिस शिव की तू भक्ति करता है यह उसकी भाभी है तेरी मां समान हुई। सीता को राम के पास छोड़ आ। परंतु मूर्ख न माना और सत्तर बार अपनी तलवार से ऋषि मुनिंदर रूप में आए परमात्मा पर वार किया परंतु परमात्मा का बाल भी बांका न कर सका और सर्व विदित है की रावण का अंत कितना कष्टकारी रहा।
किसने किया था राक्षस रावण का वध?
शिव जी से वरदान प्राप्त करने के बाद रावण बहुत शक्तिशाली हो गया था उसे पराजित करना नामुमकिन सा माना जाने लगा था। जब श्री राम और रावण का युद्ध हुआ तब रावण ने श्री राम के छक्के छुड़ा दिए। रावण इतना मायावी था कि उसे मारना कोई आसान कार्य नहीं था और श्री राम भी हार मानने लगे थे।
Dussehra in Hindi | विभीषण ने जब बताया कि इसकी नाभि में निशाना लगाओ, जहां अमृत है। परन्तु उसको भी श्री राम निशाना नहीं लगा पा रहे थे और अत्यंत दुखी होकर अंत में राम ने पूर्ण परमात्मा को याद किया तब परमात्मा ने सूक्ष्म रूप में वहां प्रकट होकर रावण को मारने में राम की मदद की थी। (राम की रूदन पुकार पर पूर्ण परमात्मा ने वहां प्रकट होकर राम के हाथों रावण का वध किया।) राम स्वयं रावण को मार सकने और पराजित करने में अक्षम थे। राम ने रावण के वध के पश्चात पूर्ण परमात्मा को नतमस्तक हो प्रणाम किया था।
■ Read in English: Dussehra (Vijayadashami): Is Lord Rama The True GOD?
Dussehra in Hindi | क्या श्री राम अविनाशी भगवान हैं?
भगवान राम, भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार थे जिनका जन्म त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। श्री राम ‘इक्ष्वाकु वंश ’ से संबंधित हैं जिसे राजा ‘इक्ष्वाकु’ जो भगवान सूर्य के पुत्र थे, उनके द्वारा स्थापित किया गया था, इसी वजह से रामचंद्र जी को ‘सूर्यवंशी राजा’ कहा जाता है। श्री राम जी के रूप में विष्णु जी का मानव अवतार हुआ और उन्होंने जिन भी कष्टों का सामना किया उससे साबित होता है कि सतोगुण विष्णु जन्म और मृत्यु के चक्र में हैं। वह शाश्वत नहीं है। श्रीमद् देवी भागवत (दुर्गा) पुराण और शिव महापुराण इस बात का प्रमाण देते हैं कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में हैं। वे नश्वर (नाशवान) हैं।
असली राम कौन है?
हर कोई राम को याद करता है लेकिन यह कोई नहीं जानता कि असली राम कौन है? एक आदि राम है जो अमर है और अविनाशी है।
राम राम सब जगत बखाने, आदि राम कोई बिरला जाने ||
“एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में बैठा।
एक राम का सकल पसारा, एक राम दुनिया से न्यारा।।
वह परम अक्षर पुरुष है जो पृथ्वी पर एक तत्वदर्शी संत के रूप में अवतार लेता है। वह अपनी प्यारी आत्माओं को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैैं और उन्हें जन्म मृत्यु से मुक्त करते हैं। सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान न होने के कारण पूरी दुनिया भगवान राम उर्फ भगवान विष्णु की ही पूजा करती है जो आत्माओं को जन्म और पुनर्जन्म के दुष्चक्र से मुक्त नहीं कर सकते क्योंकि वे स्वयं ब्रह्म-काल के जाल में फंसे हुए हैं।
किसके ज्ञान से हमारे भीतर का रावण समाप्त होगा?
Dussehra in Hindi | हम सबके अंदर भी रावण है। हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रूपी विकारों को हराकर अपने अंदर के रावण पर विजय पाने की आवश्यकता है। रावण एक असामाजिक प्रवृत्ति है, अहंकार और अज्ञानता का प्रतीक है, राक्षसी विचारधारा है। अगर अहंकार, असामाजिकता और आतंक जैसी राक्षसी बुराइयों का पुतला जलाना है तो क्यों नहीं पहले हम अपने अंदर इन प्रवृत्तियों को खत्म करें। असंख्य विकार, अकुंठित वासनाएं, राक्षसी स्वभाव सभी के अंदर गुठली मारे बैठा है जिस पर ज़रा सा घर्षण लगते ही सबका असली चेहरा सामने आ जाता है।
जो बड़ा ही खतरनाक है। दशहरा हमें ये भी संदेश देता है कि अगर कोई गलत कार्य कर रहा है तो उसका विनाश निश्चित है भले ही वह रावण जैसा महायोद्धा या मायावी क्यों न हो। हम जानते हैं कि त्रेतायुग का रावण तो मर गया लेकिन कलयुगी रावण जैसे दहेज, नशा, भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, धार्मिक असंतोष, माया की दौड़ इत्यादि आज भी समाज में विधमान हैं। धरती पर कई युगों के बाद यह दुर्लभ समय आया है जब संत रामपालजी महाराज पूर्ण संत रूप में आए हुए हैं और यही असली राम हैं उनके द्वारा दी जा रही आध्यात्मिक शिक्षा से ही पूरे मानव समाज का कल्याण होगा और हम असली राम को पहचान पाएंगे तथा अपने अंदर व बाहर मौजूद रावण को शांत कर सकेंगे।
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FAQ about Dussehra [Hindi]
यह राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की विजय और राक्षस महिषासुर पर मां दुर्गा की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है ।
रावण भगवान शिव की पूजा करता था। रावण ने भगवान शिव को दस बार अपना मस्तक काट कर भेंट में चढ़ाया था।
दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे राक्षसों के पुतले जलाने से अच्छा बलात्कार, स्त्री निंदा, भ्रूण हत्या, चोरी, भ्रष्टाचार, दहेज, छुआछूत, धार्मिक बंटवारा, क्रोध, वासना, अभिमान, लालच, ईर्ष्या, अन्याय, क्रूरता और अहंकार जैसे व्यक्तिगत दोषों और सामाजिक बुराइयों को हमेशा के लिए जला देना चाहिए।
नहीं, यह तीनों राक्षस आज भी मनुष्यों में किसी न किसी रूप में विधमान हैं। पहले इन्हें नष्ट करने की ज़रूरत है।
राम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न की बड़ी बहन का नाम शांता था।