November 27, 2024

Diwali 2024 (दीवाली): दीपावली पर जानिए कैसे होगा हमारे जीवन में मोक्ष रूपी उजाला?

Published on

spot_img

Last Updated on 28 October 2024 IST | दीपावली 2024 (Diwali in Hindi): दीपावली 2024 (Diwali in Hindi): दीपावली या दीवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक की अमावस्या को मनाए जाने वाला भारतवर्ष का वृहद त्योहार है जो इस वर्ष 31 अक्टूबर को है। लेकिन रावण वध के बाद राम जी के आगमन के बाद अयोध्यावासी दो वर्ष के बाद ही दीपावली के त्योहार को मनाना त्याग चुके थे। लोग पटाखों से अनावश्यक रूप से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैलाते हैं एवं शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। अब इस त्योहार ने मात्र आडम्बर का रूप ग्रहण कर लिया है। आइए इस लेख में हम जानेंगे इस त्योहार की प्रासंगिकता, पौराणिक महत्व व मनाने की सही विधि के बारे में।

Table of Contents

दीपावली के त्योहार की पौराणिक कथा (Diwali Story in Hindi)

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में विष्णु अवतार श्री राम जी और सीता जी को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। वनवास के दौरान ही रावण ने सीता जी का हरण किया। उसके बाद राम जी सीता जी को रावण से युद्ध कर लेकर आये। यही समय 14 वर्ष के वनवास के पूरे होने का भी था। अधर्मी रावण से सीता माता को वापस लेकर जब श्रीराम अयोध्या वापस लौटे तो अयोध्यावासियों की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था। अपने प्रिय राजा रानी के आगमन की शुभ सूचना पाकर अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर उस अमावस्या की अंधकारमयी रात्रि को भी जगमग और उज्वल किया और श्री राम और माता सीता के आगमन की खुशी मनाई। किन्तु दीपावली (Diwali in Hindi) का यह त्योहार आयोध्यावासियों द्वारा दो बार तक ही मनाया जा सका।

अयोध्या के एक धोबी ने राजा राम द्वारा रावण की बंदी रही सीता माता को साथ रखना अनुचित ठहराया। राम जी को जब इसकी भनक लगी तो उनके द्वारा सीता माता को गर्भावस्था में अयोध्या से निष्कासित किया गया। अयोध्यावासी इस घटना से इतने दुखी हो गए कि उसके पश्चात अयोध्यावासियों ने कभी भी दीवाली का त्योहार नहीं मनाया। किन्तु लोकवेद को सत्य मानकर अंध श्रद्धालुओं ने मनमाने रूप से पुनः इस त्योहार को मनाना शुरू कर दिया जिसका अब न तो कोई महत्व है और न ही कोई अर्थ।

सिक्ख धर्म में इस दिन का विशेष महत्त्व है। इतिहास में प्रमाण है कि मुगल बादशाह जहांगीर ने श्री हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में बंदी बना लिया था। कहा जाता है कि वर्ष 1609 से 1612 तक मुगल बादशाह जहांगीर ने श्री हरगोबिंद जी को लगभग तीन वर्ष नजरबंद रखा। वर्ष 1612 में श्री हरगोबिंद जी और 52 राजकुमार मुगलों की क़ैद से छूटे थे। इसी लिए उन्हें ‘बंदीछोड़’ भी कहा जाता है और उसी दिन से यह दिन सिक्ख धर्म में ‘बंदीछोड़ दिवस’ के नाम से जाना जाने लगा।

अयोध्यावासियों ने बंद कर दिया था दिवाली का त्योहार

दीपावली का त्योहार (Diwali Festival in Hindi) प्रतिवर्ष जोर शोर से मनाया जाता है। किंतु क्या आप जानते हैं जैसे ही माता सीता को अयोध्या से निकाल दिया गया था वैसे ही अयोध्यावासियों ने दीवाली का त्योहार मानना बंद कर दिया था। सीता माता एवं मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम अलग अलग हो चुके थे तथा अयोध्यावासियों के लिए दिवाली का कोई अर्थ नहीं रह गया था। प्रत्येक वर्ष लोकवेद के अनुसार मनमाने ढंग से ही सुख समृद्धि के लिए दिवाली मनाई जाती है। आइए जानें पूरे रहस्य को आखिर कौन है भगवान और कैसे मिलेगी सुख समृद्धि।

दीपावली 2024 (Diwali) का त्योहार कब मनाया जाता है?

Diwali in Hindi [2024]: दिवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक की अमावस्या को मनाए जाने वाला त्योहार है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। भारतवर्ष में केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि सिख और जैन धर्म के लोगों द्वारा भी इस त्योहार को मनाया जाता है। जैन धर्म के लोग इस दिन को महावीर जैन के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। तथा सिख समुदाय इसे बन्दीछोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं। यहाँ उल्लेख करना आवश्यक है कि वेदों में पूर्ण परमात्मा “कविर्देव का नाम लिखा है। उसी को बन्दीछोड़ भी कहा है। उसका नाम कबीर हैं। वह पापनाशक हैं और बन्धनों का शत्रु होने के कारण उसे बन्दीछोड़ कहा गया है। यदि सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर दीप प्रज्वलित करके हर दिन यह त्योहार को मनाए तो सर्व पापों से छुटकारा मिल सकता है।

दीपावली 2024 (Diwali) किस तरह मनाई जाती है?

दीपावली के त्योहार को अयोध्यावासी दो वर्ष के बाद ही मनाना त्याग चुके थे। लोग पटाखों से अनावश्यक रूप से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैलाते हैं एवं शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। अब इस त्योहार ने मात्र आडम्बर का रूप ग्रहण कर लिया है। 

गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 में शास्त्रविरुद्ध साधना करने वालो को कोई लाभ न मिलना व कोई गति न होना बताया गया है। भगवद्गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरूद्ध साधना करने से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 के श्लोक 12-15 में प्रमाण है। जो व्यक्ति तीन गुणों की पूजा करता है वो मूर्ख बुद्धि, मनुष्यों में नीच, राक्षस स्वभाव को धारण किये हुए होते हैं। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध साधना करने से न तो लाभ मिलेगा न ही गति होगी।

  • Q. दीवाली पर किसकी पूजा की जाती है?
    Ans. दीवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, परन्तु यह शास्त्रविरुद्ध साधना है जिससे कोई लाभ नही है।
  • Q. दीवाली कैसे मनाई जाती है?
    Ans. दीवाली घर-घर दिए जलाकर मनाई जाती है, परन्तु शास्त्रों में इस प्रकार की साधना का कोई वर्णन नही है।
  • Q. इस दीवाली पर क्या करें?
    Ans. इस दीवाली पर संत रामपाल जी महाराज जी से निशुल्क नामदीक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को सुख-समृद्धि से रोशन करें।
  • Q. इस दीवाली पर घरवालों को कौन सा उपहार (गिफ्ट) दें?
    Ans. इस दीवाली पर संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित ज्ञान गंगा पुस्तक पूरे परिवारजनों को गिफ्ट के रूप में दें, यह पुस्तक व्यक्ति के जीवन को सुख समृद्धि से भर देती हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार रंगोली बनाना एक कला है। श्री रामचंद्र जी जब लंका से विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे तो स्वागत के लिए अयोध्या को रंगोलियों से सजाया गया था। कुछ माताएं बहनें विशेष उत्सव पर भी रंगोली बनाती हैं। लोगो का मानना है कि रंगोली बनाने से सकारात्मक वातावरण और परिवार में खुशी का माहौल बना रहता है। सोचने वाली बात है कि वास्तविक खुशी तो इस लोक में है ही नहीं यहां तो दुःख का तांडव मचा हुआ है। घर में कोई बीमार है या कर्ज या किसी प्रकार की विपत्ति बनी ही रहती है तो फिर खुशी किस बात की मनाएं। यदि हमें पूर्ण सुख शांति चाहिए तो पूर्ण संत की शरण में जाना होगा और इस समय पूरे ब्रह्मांड में एकमात्र पूर्ण संत, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं।

दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है इस दिन लोग माता लक्ष्मी की उपासना करते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्री रामचंद्र जी 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे। रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंकापति रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से सजी हुई थी। कहते हैं कि भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई जाती है। लेकिन जब 2 वर्ष बाद जब सीता माता को घर से निकाल दिया गया था उसके पहचात दशहरा, दीवाली मनाना सब बंद हो गया था। क्योंकि राजा और रानी ही भिन्न भिन्न हो गए तो खुशी किस बात की। अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा।

परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं:


सदा दीवाली संत की, बारह माह बसंत।
प्रेम (राम नाम)रंग जिन पर चढ़े, उनके रंग अनंत।।

त्रेतायुग में जब श्री रामचंद्र जी, लक्ष्मण जी और सीता जी जब वनवास की अवधि पूरी कर वापस अयोध्या आए तो उस दिन उनके स्वागत के लिए नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसलिए इस दिन लाइट और लैंप जलाए जाते है, दूसरा कारण है कि अंधेरे को नकारात्मक शक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए अंधेरे को दूर करने के लिए लाइट और लैंप जलाए जाते हैं। लेकिन यह क्रिया क्षणिक हैं। वर्ष में 365 दिनों में 4 दिन दीप जलाने से नकारात्मक शक्ति खत्म नहीं होगी। इसलिए ऐसे स्थान पर जाए जहां हमेशा ही उजियारा हो। वह स्थान सतलोक है, जहां की हर वस्तु प्रकाशवान है, मानव शरीर भी 16 सूर्यों जितना प्रकाश युक्त है। सत्यलोक की संपूर्ण जानकारी प्रमाण सहित जानने के लिए डाऊनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App

दिवाली के अवसर पर सुबह की शुरुआत तेलस्नान से की जाती है। तेल स्नान से शरीर की सफाई होती है, सर्दी के समय में तेल स्नान से गर्मी महसूस होती है। लोकवेद की मान्यता अनुसार इससे आत्मा की सफाई होती हैं। तेल स्नान से शरीर की सफाई हो सकती है लेकिन आत्मा की सफाई के लिए तेल स्नान कारगर नहीं है। सर्व प्रकार की बुराइयों से दूर होना ही आत्मा की सफाई हैं। आत्मा की सफाई सत्संग से होती है। सत्संग उसे कहते है जहां सत्य भाषण हो झूठ का समावेश न हो। सत्संग सतगुरु यानि सच्चे संत ही करते है।

लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता हैं, लोकवेद के अनुसार धन प्राप्ति के लिए दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती हैं जो कि पूर्ण रूप से गलत है। वास्तविकता में देवी देवता कर्मो में लिखा है साधक को प्राप्त कर सकते हैं। प्रारब्ध से अधिक पाने के लिए साधक को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति करनी होती हैं।
गीता जी अध्याय 16 के श्लोक 23, 24 में प्रमाण है कि जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमानी पूजा करता है, उसे न तो कोई सुख होता है, न कोई सिद्धि अर्थात् कोई कार्य सिद्ध नहीं होता न ही परम गति होती है। इसलिए हे अर्जुन तू शास्त्र विहित कर्म कर लोकवेद अर्थात् सुनी सुनाई बातों पर मत जा और शास्त्र में वर्णित साधना कर।

Diwali (दीपावली 2024) मनाने से क्या लाभ है?

दीपावली 2024 या दिवाली शास्त्र विरूद्ध व लोकवेद पर आधारित मनमाना आचरण है, इस कारण इससे श्रद्धालुओं को कोई लाभ नहीं मिलता है। लक्ष्मी जी – गणेश जी की पूजा से कोई लाभ नहीं है क्योंकि यह शास्त्रों में वर्णित साधनाएं नहीं हैं। व्यक्ति अपने कर्मानुसार ही फल पाता है। निर्धन व्यक्ति कितना भी ध्यान से पूजा करे यदि उसके भाग्य में धन नहीं है तो उसे पूर्ण परमेश्वर कबीर के अतिरिक्त विश्व के अन्य कोई देवी देवता उसे धन नहीं दे सकते। भाग्य से अधिक आकांक्षा रखने वाले को पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करनी चाहिए।

क्या माता के गर्भ से जन्म लेने वाले ‘श्री राम’ भगवान है?

यह तो हम सभी जानते हैं कि जो जन्म लेता है वो मरता भी है लेकिन अगर बात करें परमात्मा की तो वो तो जन्म – मृत्यु से रहित है। तो क्या परमात्मा का जन्म आम इंसानों की तरह माँ के पेट से होता है? तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि परमात्मा की तीन प्रकार की स्थिति है। पहली स्थिति में वो ऊपर सतलोक में विराजमान रहता है, दूसरी स्थिति में वो जिंदा महात्मा के रूप में अपने भगतों को मिलता है और तीसरी स्थिति में वो विशेष बालक के रूप में एक तालाब में कमल के पुष्प पर प्रकट होकर धरती पर रहता है और कुंवारी गाय का दूध पीता है। इसका अर्थ यह हुआ कि श्री राम एक महान पुरुष तो माने जा सकते हैं लेकिन परमात्मा कदाचित नहीं। पूर्ण परमात्मा कोई और नहीं बल्कि कबीर साहेब हैं जो चारो युगों में आते हैं।

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।

द्वापर में करूणामय कहलाया, कलियुग में नाम कबीर धराया।।

दीपावली 2024 [Hindi]: हमें किसकी भक्ति करनी चाहिए?

देवी भागवत महापुराण में ही देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने के लिए कह रही है। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी से भी ऊपर अन्य कोई परमात्मा है जिसकी भक्ति करने के लिए दुर्गा जी निर्देश दे रही हैं। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी की भी भक्ति करना व्यर्थ है। वह पूर्ण परमात्मा तो कोई और है। पूर्ण परमात्मा की पूरी जानकारी तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी संत की खोज करने के लिए कहा है।

जानिए अविनाशी परमात्मा के प्रमाण 

  • गुरु नानक साहेब की वाणी में स्पष्ट है कि कबीर परमेश्वर कोई और नहीं बल्कि वही कबीर साहेब हैं जो धानक रूप में काशी में रहते थे। इसका प्रमाण श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29 में है-

एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआल।

कुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।

  • पूर्ण परमात्मा कविर्देव विशेष बालक के रूप में प्रकट होता है। उस परमात्मा का जन्म माँ के गर्भ से नहीं होता। वह बालक रूप में परमात्मा कुंवारी गाय का दूध पीता है l वह अपनी वाणी को सरल भाषा में अपने मुख से लोगों तक पहुंचाता है।

प्रमाण-: ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 1

  • गुरु नानक साहेब की अमृत वाणी से स्पष्ट है कि जो जिंदा महात्मा रूप में उन्हें मिले थे वो कोई और नहीं, बल्कि काशी वाले कबीर साहेब थे। नानक साहेब की वाणी में अनेकों प्रमाण हैं कि कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा सृष्टि के रचनहार हैं। इसी का प्रमाण गुरु गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में है –

“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।

नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक।।”

  • कुरान शरीफ में भी प्रमाण मिलता है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं। पवित्र कुरान शरीफ के सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 के अनुसार कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टि की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजे जिससे सिद्ध होता है कि परमात्मा साकार है ।
  • पवित्र बाईबल में भी यही प्रमाण है कि उस परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया।
  • आदरणीय दादू साहेब की वाणी में भी यह प्रमाण है जब वह सात वर्ष के थे तो परमात्मा कबीर साहेब उन्हें जिंदा महात्मा के रूप में मिले थे। कबीर जी उन्हें सतलोक लेकर गए और वापिस पृथ्वी पर छोड़ा।

जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।

दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।

हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।

जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

पूर्ण परमात्मा को पाने के लिए सतगुरु को कैसे ढूंढें?

श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 15 श्लोक 1-4, 16,17 के अनुसार तत्वदर्शी संत वह है जो संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी भागों को स्पष्ट बताएगा। तत्वदर्शी संत सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों में छुपे हुए गूढ़ रहस्यों को भक्त समाज के समक्ष उजागर करता हैं। यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25, 26 में भी पूर्ण तत्वदर्शी संत की पहचान दी है। साथ ही गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में ॐ-तत-सत तीन सांकेतिक मन्त्रों का ज़िक्र है जिनसे मुक्ति सम्भव है। ये मन्त्र भी एक पूर्ण तत्वदर्शी संत ही दे सकते हैं।

सतगुरु की पहचान संत गरीबदास जी की वाणी में:

गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद |

चार बेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध ||

पूर्ण संत चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण ज्ञाता होता है वह उनका सार जानता है। वर्तमान में इस पूरी धरा पर एकमात्र तत्वदर्शी जगतगुरु रामपाल जी महाराज हैं जो सभी धर्मों के ग्रन्थों से प्रमाणित गूढ़ रहस्यमयी ज्ञान बताते हैं। 

इस दीवाली (Diwali in Hindi 2024) पर पूर्ण परमात्मा को कैसे प्राप्त करें?

कबीर परमात्मा ही सर्वोच्च, सर्वसुखदायक, आदि परमेश्वर हैं। वे बन्दीछोड़ हैं व पापों के नाशक हैं। पूर्ण परमात्मा को पाने के लिए ऐसे महान सतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर उनसे पूर्ण परमात्मा प्राप्ति के बारे में यथार्थ भक्ति विधि के बारे सतज्ञान अर्जित करें। इस संसार में एक पल का भी भरोसा नहीं अतः अतिशीघ्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निशुल्क नाम-दीक्षा ले कर भक्ति करें। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें।

कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिलें न बारं-बार |

तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लागे डार ||

FAQ about Diwali 2024 [Hindi]

दीपावली 2024 कब मनाई जाएगी? 

दीपावली इस वर्ष 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

दीपावली (Diwali in Hindi) किस उपलक्ष्य में मनाई जाती है?

दीपावली का त्योहार अयोध्या में श्री राम तथा सीता के वनवास से लौटने की खुशी में मनाया जाता है।

दीपावली किस तिथि को मनाई जाती है?

दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक की अमावस्या को मनाई जाती है।

श्री रामचंद्र जी कितने वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापिस लौटे थे?

श्री रामचंद्र जी 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापिस लौटे थे।

दीपावली को सिक्ख धर्म में और किस नाम से जाना जाता है?

सिख धर्म में दीपावली को ‘बंदीछोड़ दिवस’ के नाम से जाना जाता है।

दीपावली किसका प्रतीक है?

दीपावली अंधेरे पर रोशनी, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है।

निम्नलिखित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 (International Gita Jayanti Mahotsav) पर जाने गीता जी के अनसुने रहस्य

Last Updated on 26 November 2024 IST | कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 (International...

26/11 Mumbai Terror Attack: The Heart Wrenching Story of 26/11

Last Updated on 24 November 2024 IST: In remembrance of the deadly 26/11 Mumbai...

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2024: Revelation From Guru Granth Sahib Ji

Last Updated on 23 November 2024 | Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day | Guru...

National Constitution Day 2024: Know How Our Constitution Can Change Our Lives

Every year 26 November is celebrated as National Constitution Day in the country, which commemorates the adoption of the Constitution of India
spot_img

More like this

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 (International Gita Jayanti Mahotsav) पर जाने गीता जी के अनसुने रहस्य

Last Updated on 26 November 2024 IST | कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 (International...

26/11 Mumbai Terror Attack: The Heart Wrenching Story of 26/11

Last Updated on 24 November 2024 IST: In remembrance of the deadly 26/11 Mumbai...

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2024: Revelation From Guru Granth Sahib Ji

Last Updated on 23 November 2024 | Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day | Guru...