November 23, 2024

धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम क्यों है सनातन धर्म के शत्रु? 

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पिछले साल एक नए कथावाचक ने भारतीय धार्मिक भक्त समाज में ज़ोरदार एंट्री मारी और खूब वाहवाही और लोकप्रियता लूटी। अपने प्रवचन और नारों के कारण वह काफी चर्चा में रहते हैं। आज उन्हें भारत का हर व्यक्ति जानता है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जिनका वास्तविक नाम धीरेंद्र कृष्ण गर्ग है और जिन्हें बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हनुमान भक्त हैं। धीरेंद्र शास्त्री भारत में मध्य प्रदेश के एक धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम के पीठाधीश, मुख्य पुजारी हैं। वे लोगों के मन की बात को पढ़कर उनकी समस्याओं का निपटारा करने का दावा करते है। 

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सृष्टि के आरंभ से ही धर्मगुरुओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यही वे लोग हैं जिन्होंने सभी वर्गों के लोगों को परमात्मा की जानकारी देने में अहम भूमिका निभाते है। वर्तमान समय में एक युवा, बहुचर्चित और लोकप्रिय गुरु बनकर उभरे हैं बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री जी। बागेश्वर धाम के संचालक धीरेन्द्र शास्त्री ने बहुत ही कम समय में डंके की चोट और अज्ञानता के आधार पर और अपनी निम्न आध्यात्मिक जानकारी से शास्त्र विरुद्ध साधना, अंधविश्वास और पाखंडवाद को बढ़ावा देते हुए अपनी एक अलग पहचान बना ली है। धीरेंद्र शास्त्री जी मुख्य रूप से हनुमान कथावाचक हैं जो लोगों की समस्याओं को अपनी मनोवृति से जानकर बताने का दावा करते हैं जिससे हजारों लाखों लोग आज उन पर आसक्त हो चुके हैं और यह काफी स्वाभाविक सी बात भी है क्योंकि आम समाज चमत्कार को ही नमस्कार करता है चाहे वो क्षणभंगुर और असत्य ही क्यों न हो। चमत्कार, चमत्कार होता है समस्या का हल नहीं। चमत्कार देखकर आंखें चौंधिया ज़रूर जाती हैं और मन बार बार चमत्कार देखने को करता है पर इससे समस्या ज्यों की त्यों ही बनी रह जाती है।

मनुष्य भगवान कथा इसलिए सुनता है ताकि उसे परमात्मा से मिलने वाले लाभ प्राप्त हों और वह और अधिक दृढ़ता से भक्ति करे परंतु क्या एक मनोवृति जानने से परमात्मा प्राप्ति और परमात्मा से मिलने वाले सुख मिल सकते हैं? धीरेंद्र शास्त्री जी जो पूजा साधना समाज को बता रहे हैं, उसे देखकर ये लग रहा है कि उनका आध्यात्मिक ज्ञान से कोई सरोकार ही नहीं है। वह अपने आप को सनातनी तो मानते हैं परंतु सनातन धर्म के बिल्कुल विपरीत कार्य कर और करवा रहे हैं। महान संत रामपाल जी महाराज जी ने धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार की अज्ञानता की पोल, हिंदू धर्म के पवित्र शास्त्रों के आधार से खोलकर रख दी है। कैसे ? आइए आगे जानते हैं।

धीरेंद्र शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में 4 जुलाई, 1996 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। मां का नाम सरोज और पिता राम कृपाल गर्ग हैं, यह इनकी दो संतानों में सबसे बड़े थे। उनका पालन-पोषण एक हिंदू सरयू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता एक पुजारी थे। उन्होंने गंज के हाई स्कूल में पढ़ाई की। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी जिसके कारण उन्हें परिवार की देखभाल करनी पड़ती थी इसलिए वह अपने भाई के साथ मिलकर माता पिता की आर्थिक रूप में मदद करने लगे थे। वे लोगों के घर जाते और दान माँग कर लाते थे, उन्हें कहानियाँ भी सुनाते थे। वह अपनी शिक्षा के उपरांत, गांव-गांव में जाकर कथावाचन किया करते थे।

बचपन से ही धीरेंद्र शास्त्री लोगों को प्रभावित करने में माहिर हो गए। वो कम उम्र में ही गांव में लोगों के बीच बैठकर कथा सुनाने लगे। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 8-9 वर्ष की उम्र से ही बागेश्वर बालाजी की सेवा करनी शुरू कर दी थी। जब वो 12-13 वर्ष के हुए तो उन्हें यह अनुभव होने लगा कि उन पर बागेश्वर बालाजी की विशेष कृपा है। वह हनुमान जी के परम भक्त हैं और हनुमान जी को अपना ईष्ट मानते हैं। साल 2009 में उन्होंने अपनी पहली भागवत कथा सुनाई थी।

वे अपने दादा जी की तरह छतरपुर के गांव गढ़ा में बालाजी हनुमान मंदिर के पास दिव्य दरबार लगाते हैं। उनके दादा जी निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। इस जगह पर धीरेंद्र गर्ग भी भागवथ कथा का कई बार आयोजन करते हैं। जिसके बाद यह मंदिर बागेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया। अब उनके दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। लोग अपनी जिंदगी से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए बागेश्वर धाम आते हैं और बाबा उन्हें उनकी परेशानियों से निजात दिलाने का दावा करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण महाराज की ढेरों वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। वे आज के समय में वह एक सेलिब्रिटी कथावाचक से कम नहीं हैं।

  • बताया जाता है कि बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए हैं। 
  • अपने चमत्कार के कारण महाराज धीरेंद्र शास्त्री दुनियाभर में जाने जाते हैं। 
  • ये अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान पर्ची द्वारा करते हैं।
  • वह छतरपुर के बागेश्वर धाम में कथावाचन करते हैं।
  • लोगों द्वारा बिना समस्या बताए लोगों के मन की बात को पढ़ लेते हैं। 
  • व्यक्ति को देखकर उसकी भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी जान लेते हैं।
  • दुनिया में चमत्कार बाबा बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के नाम से मशहूर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) हैं।
  • व्यक्ति की समस्या को उससे बिना पूछे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री कागज पर लिख देते हैं और बिना बताए ही लोगों के मन की बात भी जान लेते हैं। यह दावा लाखों की संख्या में मौजूद धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के भक्त करते हैं।
  • इनके भक्तों का मानना है कि इनके गुरुजी पर भगवान हनुमान जी की असीम कृपा है। 
  • दिव्य दरबार में भगवान हनुमान जी और दिव्य शक्तियां उनको प्रेरणा देती हैं।
  • एक वायरल वीडियो में धीरेंद्र शास्त्री स्वयं हनुमान जी की मूर्ति और खुद पर कपड़ा डालकर मंत्र बुदबुदाते हुए हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करते देखे जा सकते हैं।
  • बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र कृष्ण के भारत और विदेशों में लाखों की संख्या में प्रशंसक और भक्त हैं। उनके चमत्कार देखने के लिए भी लोग इनके दरबार में पहुंचने लगे हैं।
  • बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है और वह यह भी कहते हैं ‘ना मैं संत हूं, ना कोई समस्या दूर करने का दावा करता हूं’।
  • हाल ही में उन्होंने एक पुस्तक लिखी है ‘सनातन धर्म क्या है?’ जिसे वह देशभर के स्कूलों में बच्चों को पढ़वाना चाहते हैं।

अपनी एक कथा के लिए डेढ़ लाख तक चार्ज करने वाले धीरेंद्र शास्त्री की नेटवर्थ फिलहाल लगभग 19.5 करोड़ रुपए हो गई है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मिलने के लिए इनके भक्त मध्य प्रदेश में स्थित छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा के प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम जाते हैं। जहां वह बागेश्वर धाम में उनके दरबार में उनसे मुलाकात करते हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने अपने दादाजी के बाद बागेश्वर धाम की विरासत को संभाला और वर्तमान समय में बागेश्वर धाम के पीठाधीश हैं।

कुछ समय पहले धीरेंद्र शास्त्री का एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने के बाद उन्होंने खुद को स्वयं ही संत घोषित कर दिया। जबकि वह यह कहते हैं कि ‘ना मैं संत हूं, ना कोई समस्या दूर करने का दावा करता हूं।’ वीडियो में स्वघोषित संत को अपने दरबार में दिव्य शक्ति के माध्यम से लोगों की समस्याओं का समाधान करते हुए देखा जा सकता है, कुछ ही रातों में उन्होंने बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल कर ली। शास्त्री अपने अनुयायियों से कहते हैं कि वह दिमाग पढ़ सकते हैं और उन्होंने सनातन धर्म की मंत्र की शक्ति में महारत हासिल कर ली है। 

■ Also Read: Dheerendra Shastri Expose Video : बागेश्वर धाम के नकली कथावाचक को सद्ग्रंथों का नहीं है ज्ञान | SA News

कई अनुयायियों ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी क्षमताओं का उपयोग अपनी दिव्य शक्तियों से उनकी समस्याओं को हल करने के लिए किया था जो उन्हें भगवान हनुमान जी से मिली थी। वह एक दिव्य दरबार लगाते हैं और ऐसी पुस्तकें लिखते हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इससे किसी व्यक्ति के अतीत और इच्छाओं का पता चलता है। श्री बागेश्वर धाम की महिमा यह है कि यहां आने वाले भक्तों की समस्याएं हनुमान जी का नाम लेकर बताई जाती हैं। यहां आने वाले दुखी भक्तों को बागेश्वर धाम के लिए आवेदन करना होता है और एक बार उनका आवेदन स्वीकार हो जाने के बाद (उन्हें इसके लिए शुल्क भी देना होता है) शास्त्री उनसे बात किए बिना ही धाम फॉर्म पर उनकी समस्याएं गिना देते हैं, फिर उस व्यक्ति से उन मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। 

आज धीरेन्द्र शास्त्री के पास पिछले जन्मों में की गई भक्ति के आधार से प्राप्त हुई छोटी सी सिद्धि है। हिंदी में एक मुहावरा है हल्दी की गांठ रखने से कोई पंसारी नहीं बन जाता। मनोवृति का तात्पर्य उस सिद्धि शक्ति से है जब कोई एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के मन की बात जान लेता है जो उसके जीवन में घटित हो चुकी है या होने वाली है। इसी प्रकार धीरेंद्र शास्त्री द्वारा बागेश्वर धाम में जो दरबार लगाया जाता है, उनमें आए कुछ श्रद्धालुओं के मन की बात को यह एक पर्ची में लिखकर बता देते हैं। जिससे बहुत से श्रद्धालु उन पर आसक्त हो जाते हैं और उनको एक विद्वान सिद्ध पुरुष मान लेते हैं। जिसके कारण वर्तमान समय में वह महिमा के पात्र बने हुए हैं। परंतु धीरेंद्र शास्त्री जी उनके दरबार में आए हुए सभी लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते क्योंकि वह सिद्धि अर्थात शक्ति उनके पास नहीं है। इनकी सिद्धि सीमित या यूं कहें नाममात्र है। जैसे मोबाइल को चलाने के लिए समय समय पर चार्ज करते रहना पड़ता है बिल्कुल उसी तरह।  

एक बार एक महिला इनके दरबार में आई इन्होंने उस महिला के बारे में दो चार बातें बता दी और कहा की तेरा सोना यानि ज़ेवर खो गया है वह बोली हांजी। शास्त्री जी बोले देखा बता दिया ना। वह महिला बोली किसने चुराया कब मिलेगा तो बोले यह काम पुलिस का है वह ढूंढेंगे। महिला की परेशानी ज्यों की त्यों बनी रही और समाधान शून्य।

कबीर साहेब जी की बाणी है जो यहां फिट बैठती है:

“रे भोली सी दुनिया गुरु बिन कैसे सरिया।।”

सत भक्ति करने से मनुष्य के पास 24 सिद्धियां आ जाती हैं। जैसे किसी के मन की बात जान लेना, आकाश में उड़ जाना, बहुत प्रकार के रूप बदल लेना, भूतकाल तथा भविष्य की देख लेना, झाड़फूंक कर देना इत्यादि जिनमें से एक सिद्धि धीरेंद्र शास्त्री के पास है। लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं। 

गरीब दास जी महाराज जी कहते हैं हमें किसी प्रकार की ऋद्धि-सिद्ध में नहीं फंसना चाहिए। यह एक प्रकार का असाध्य रोग है जिससे हम कभी भी छूट कर अपने असली ध्येय पर नहीं पहुँच सकते हैं। गरीब दास जी महाराज जी अपनी वाणी में कहते हैं 

गरीब सतगुरु के दरबार में, कमी काहे की हँस।

चार बातो की चाह हैं, ऋद्धि सिद्धि मान महन्त।।

भावार्थ यह है की भक्ति करने से ऐसी ऐसी 24 सिद्धियां मनुष्य को प्राप्त हो जाती हैं और भक्ति पुण्य समाप्त होते ही ये सिद्धियां निष्क्रिय हो जाती हैं। इन सिद्धियों के चक्कर में कभी नहीं पड़ना, इनसे आगे पूर्ण सिद्धि जिसे सिद्धियों की पटरानी कहते हैं उसके द्वारा ही हम जन्म-मरण के चक्कर से छुटकारा पा सकते हैं। यही सतलोक की प्राप्ति सतगुरु कबीर साहिब जी ने अपने हँसो को कराई। इसलिए सबको उस परमपिता परमेश्वर का चिंतन करना चाहिये। यदि तुम्हारा एक आधा वचन सत्य हो जाने से तुम अपने आप को सिद्ध मान लेते हो तो यह तुम्हारी बहुत बड़ी भूल है यदि तुम्हें 24 सिद्धियाँ भी प्राप्त हो जायें तो भी बिना आत्मज्ञान के कल्याण नहीं होगा।

धीरेंद्र शास्त्री ऐसे वैद्य हैं जो बीमारी तो बेशक बता सकते हैं परंतु बीमारी का पक्का इलाज इन्हें नहीं पता। अपने श्रद्धालुओं के समाधान हेतु यह विकल्प के तौर पर उन्हें शास्त्रविरूद्ध मनघड़ंत मंत्र प्रदान करते हैं जो काल्पनिक मंत्र है, किसी वेद, शास्त्र में ऐसा कोई मंत्र मौजूद ही नहीं है जैसेः 

बागेश्वर धाम का मूल मंत्र “ॐ बागेश्वराय नमः” है और सभी लोगों को इसी मंत्र का जाप करने को कहा जाता है। बागेश्वर धाम महाराज धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री इसी मंत्र का 

108 बार जाप करने को बोलते हैं और ऊं नमः शिवाय आदि मंत्र भी जाप करने के लिए कहते हैं और तो और पिण्ड दान, मूर्ति पूजा, पितृ पूजा, जल चढ़ाना आदि लोकवेद आधारित पाखंड पूजा की साधना बताते हैं। 

इस तरह की गलत साधना करने के कारण ही लोग परमात्मा से मिलने वाले लाभ से वंचित रहते हैं। दूसरी ओर जिनको गलत भक्ति करने के बावजूद थोड़ा बहुत लाभ मिल भी जाता है तो वह उनके पिछले प्रारब्ध के पुण्य होते हैं और वह अपनी पूजा साधना को श्रेष्ठ मानकर उस पर आरूढ़ रहते हैं और अपना जन्म व्यर्थ कर जाते हैं।

हिंदू धर्म के पवित्र शास्त्रों ने धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर धाम सरकार के अज्ञान की पोल खोल दी है। श्रीमदभगवत् गीता अध्याय 8 के श्लोक 13 में स्पष्ट लिखा हुआ है कि ॐ मंत्र का जाप करने से साधक को ॐ से मिलने वाली परम गति प्राप्त होती है। इसी प्रकार 8वें अध्याय के 16वें श्लोक के अनुसार ॐ का जाप करने से मनुष्य को ब्रह्मलोक की प्राप्ति तो हो सकती है परंतु जन्म मृत्यु बनी रहती है। मोक्ष प्राप्त नहीं होता अतः केवल ॐ मंत्र के जाप से भी परमात्मा प्राप्ति नहीं हो सकती। 

हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमदभगवत् गीता, चारों वेदों तथा अठारह पुराण आदि में धीरेंद्र शास्त्री द्वारा दिए गए मंत्र ॐ बागेश्वराय नमः का कोई प्रावधान नहीं है। श्रीमदभगवत् गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में साफ लिखा हुआ है कि पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति सिर्फ इन तीन मंत्रों के जाप से संभव है। 

गीता अध्याय 17 का श्लोक 23

ॐ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः,

ब्राह्मणाः, तेन, वेदाः, च, यज्ञाः, च, विहिताः, पुरा।।23।।

उस परमात्मा को पाने का ये तीन मंत्रों का जाप है। इसमें ॐ तो सार्वजनिक है और तत् और सत सांकेतिक हैं। इनकी जानकारी कोई तत्वदर्शी संत (सच्चा गुरु) ही बता सकता है। इन तीन मंत्रों के जाप करने से मनुष्य को ईश्वरीय लाभ मिलता है। इसके अलावा अगर हम बिना सतगुरु के कोई भी भक्ति साधना या मनमुखी मंत्रों का जाप करते हैं तो वह शास्त्र विरूद्ध साधना है। 

प्राचीन समय की बात है एक गुरु और शिष्य थे। वे गुरुजी अपने शिष्य को पाठ्य शिक्षा प्रदान करते थे। शिष्य के गुरु जी के पास जिन्न को वश में करने की सिद्धि थी। गुरु जी अपनी भक्ति करने के लिए समय बचाने के लिए अपनी सिद्धि के बल से, जिन्न को आदेश देकर, आश्रम के घरेलू कार्य करवाया करते थे, ताकि भक्ति करने के लिए समय अधिक मिल सके। गुरु जी ने अपने शिष्य को भी इस सिद्धि शक्ति से अवगत कराया। साथ ही गुरु ने शिष्य को यह भी निर्देश दिया था कि इसका उपयोग मेरी गैर हाजिरी में मत करना। वह शिष्य अपने गुरु के निर्देश से आगाह तो हो गया परंतु अपनी अनजान सोच से इस चेतावनी को नज़रंदाज कर गया।

कुछ समय पश्चात, गुरु जी को किसी कार्य वश आश्रम से दूर कहीं बाहर जाना पड़ा। शिष्य ने सोचा कि गुरु जी की अनुपस्थिति में इस सिद्धि को प्रयोग करके देखता हूं और सोचा कि जैसे गुरु जी उस जिन्न से अपने निजी कार्य कराते हैं, मैं भी इससे वही कार्य कराता हूं। 

शिष्य ने अपने गुरु की अनुपस्थिति में उस सिद्धि से जिन्न को वश में कर, अपने सारे घरेलू कार्य करवा लिए। अब शिष्य के पास उस जिन्न को काम बताने के लिए कुछ भी नहीं था। उस जिन्न की एक कमी थी कि जिन्न को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखना जरूरी था, नहीं तो जिन्न उसे आदेश देने वाले व्यक्ति को ही जान से मार देता था। अब उस शिष्य की जान पर बन आई और अपनी मृत्यु दिखाई देने लगी। उसी समय गुरु जी का आश्रम में वापस आना हुआ। उसने अपने गुरु के चरणों में सिर रखकर सारी बात बताई और उस जिन्न से अपनी जान बचाने की प्रार्थना करने लगा। तब गुरु जी ने अपने शिष्य को कहा कि मैंने पहले ही आगाह किया था की मेरी गैर हाजिरी में इस शक्ति का प्रयोग नहीं करना। बिना गुरु आदेश और निर्देश से किया गया कार्य असफल ही होता है। तभी उस गुरु जी ने अपने शिष्य को कहा कि इस जिन्न को आदेश दे कि एक लंबा बांस लेकर आए और बांस को जमीन में गाड़ कर अगले आदेश तक उस पर चढ़ता उतरता रहे। शिष्य ने ऐसा ही किया और जिन्न ऐसा आदेश पाकर यही क्रिया करने लगा और तब उस शिष्य की जान बची। 

यही स्थिति धीरेंद्र शास्त्री की है जो बिना किसी सच्चे गुरु की आज्ञा और आदेश के अपनी सिद्धि का प्रयोग कर रहे हैं और हनुमान जी को ईष्ट बताकर कथावाचन करते हैं जिसके कारण वह भगवान के संविधान के विरुद्ध कार्य कर और करवा रहे हैं। जिससे आने वाले भविष्य में उनको आध्यात्मिक तौर पर बहुत अधिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। वह अपने शिष्यों को शास्त्र विरुद्ध साधना बता कर स्वयं भी पाप के भागी बन रहे हैं। यह तो कथा करने के अधिकारी संत भी नहीं हैं क्योंकि इन्हें न तो तत्वदर्शी संत मिला है न इनके पास तत्वज्ञान है। यह तो केवल ऊहाबाई का ज्ञान कह रहे हैं।

क्या हनुमान जी की आराधना करने से साधकों को लाभ और मुक्ति मिलेगी?

हनुमान जी को ‘संकटमोचन’, ‘महाबली’, ‘चिरंजीवी’ माना जाता है, जो कई दैवीय शक्तियों से लैस हैं। उनकी पूजा के तरीके है ‘हनुमान चालीसा‘ या ‘सुंदरकांड का पाठ ‘ या ‘जय बजरंग बली’ जैसे मंत्रों का जाप या ‘ॐ श्री हनुमते नमः’ या यह गुप्त मंत्र ‘काल तंतु कारे चरन्तिए नरमरिष्णु, निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु’ जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस मंत्र के जपने से हनुमान अपने साधकों को दर्शन देते हैं तथा वे हनुमान जयंती जैसे त्योहार मनाते हैं। मंगलवार और शनिवार हनुमान की पूजा के सबसे शुभ दिनों के रूप में मानते हैं। लेकिन हनुमान की पूजा करने के बारे में किसी भी पवित्र शास्त्र में कोई सबूत नहीं मिलता है।

हनुमान जी की पूजा करना मनमानी पूजा है जो पवित्र श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 9 श्लोक 23, अध्याय 16 श्लोक 23, 24, अध्याय 17 श्लोक 6 के अनुसार व्यर्थ है। ऐसी पूजा जो शास्त्रों में निषेध हो, वह आत्माओं को काल के जाल से मुक्त नहीं कर सकती। ऐसी भक्ति करने से साधक स्वर्ग- नरक और 84 लाख प्रजातियों के जीवन को ही प्राप्त करते हैं। वे मोक्ष प्राप्त नहीं करते तथा जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र में ही फंसे रहते हैं।

आज के आधुनिक युग में मनुष्य सिर्फ भौतिक लाभ के अलावा कोई और वस्तु के बारे में सोचता ही नहीं है। ऐसा तत्वज्ञान के अभाव से होता है। तत्वज्ञान रहित धीरेंद्र शास्त्री जैसे नकली ज्ञान के अधूरे गुरुओं ने समाज को चौरासी लाख योनियों के कोल्हू में झोंक रखा है। न तो इनके पास आध्यात्मिक ज्ञान है, न असली परमात्म ज्ञान, तो फिर यह कैसे अपने पीछे लगे श्रद्धालुओं को सर्व सुख, निरोगी काया, आवश्यकता अनुसार धन, नौकरी, घर, संतान आदि का सुख प्राप्त करवा सकेंगे। यह ख़ुद अपने ग्रंथों से परिचित नहीं हैं। हम सभी ये भलीभांति जानते हैं कि मनुष्य जीवन हमें 84 लाख योनियों के बाद मिला है और हम फिर गलत साधना करके नरक की तरफ जा रहे हैं। ऐसे कथावाचक समाज और परमात्मा के दुश्मन का काम करते हैं जो मनुष्य को उसके जीवन के मूल उद्देश्य से भटका रहे हैं। 

नकली साधु संतों के पीछे जाने का कारण क्या है? सही अध्यात्म ज्ञान ना मिल पाना। सांसारिक सुख और माया की दौड़ में मानव इस कदर अंधे हो गए हैं मानो भगवान की चर्चा करना समय की बर्बादी समझते हैं। मनुष्य को सांसारिक सुख भी वही परमात्मा देगा जिसने इन समस्त ब्रह्माण्ड की रचना की है और वही हमारे सभी दुखों को दूर कर सकता है। इस संसार के भौतिक सुख भी परमात्मा ही देते हैं। सच्चे परमात्मा का भेजा संत अपने साधकों को सर्व सुख अपने आशीर्वाद मात्र से प्रदान कर देता है। सच्चा संत परमात्मा की तरह अपने भक्तों के अंग संग रहता है। तत्वदर्शी संत अपने भक्तों को जो सुख देता है वह चमत्कार से कम नहीं होते।

हम सभी यह बार बार सुनते हैं कि एक परमात्मा सबका मालिक है? जिसकी वेद गवाही देते है, जिसका प्रमाण पवित्र गीता जी में विद्यमान है। वह परमात्मा और कोई नहीं कबीर परमेश्वर है, जिसने समस्त सृष्टि की रचना की है जिसका प्रमाण यजुर्वेद अध्याय 29 के मंत्र 25 में इस प्रकार हैः

परमेश्वर कबीर स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और प्रभु प्रेमी आत्माओं को तत्वज्ञान देते हैं।

समि॑द्ध इति॒ समऽइ॑द्धः। अ॒द्य। मनु॑षः। दु॒रो॒णे। दे॒वः। दे॒वान्। य॒ज॒सि॒। जा॒त॒वे॒द॒ इति॑ जातऽवेदः। आ। च॒। वह॑। मि॒त्र॒म॒ह॒ इति॑ मित्रऽमहः। चि॒कि॒त्वान्। त्वम्। दू॒तः। क॒विः। अ॒सि॒। प्रचे॑ता॒ इति॒ प्रऽचे॑ताः ॥२५ 

सामवेद अध्याय 12 के खण्ड 3 श्लोक 5

भद्रा वस्त्रा समन्या३वसानो महान् कविर्निवचनानि शंसन्।

आ वच्यस्व चम्वोः पूयमानो विचक्षणो जागृविर्देववीतौ।।

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17

शिशुं जज्ञानं हर्यतं मृजन्ति शुम्भन्ति वहिन मरूतो गणेन।

कविर्गीभिः काव्येना कविः सन्त्सोमः पवित्रमत्येति रेभन्।।

उपरोक्त इन सभी श्लोकों और अन्य ग्रंथों से भी प्रमाणित है कि उस परमेश्वर का नाम कबीर है और वह चारों युगों में अपनी लीला करते हैं और मनुष्यों में बढ़़ रही नास्तिकता को आस्तिकता में बदल कर अपनी सच्ची भक्ति प्रवेश कराते हैं। जिससे मनुष्य को परमेश्वर से होने वाले लाभ निरंतर मिलते रहते हैं। वह अपनी सच्ची आत्माओं को मिलते हैं जो परमात्मा का गवाह बनते हैं। 

परमात्मा के जानकार विश्व में एक मात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं जो वेदों, गीता, शास्त्रों के अनुसार शास्त्र अनुकूल साधना बताते हैं जिससे साधक को सर्व लाभ और सुख मिलते हैं। अवश्य पढ़िए पुस्तक हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण।

दोनों के ज्ञान में ज़मीन आसमान का अंतर है। पहले जानते हैं 

बागेश्वर धाम धीरेन्द्र शास्त्री के विचार

️1. मनोवृत्ति शक्ति एक सही साधना 

2. मूर्ति पूजा करना सही साधना है

3. श्राद्ध निकालना हिंदू धर्म में सही

4. सनातन धर्म में हनुमान जी सबके ईष्ट 

5. लोकवेद आधारित ज्ञान बताते हैं, 

6. वेद, गीता से हैं कोसों दूर हैं 

7. सनातन धर्म के नाम पर हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं 

संत रामपाल जी के विचार

️1. मनोवृति उपयोग करना, गीता जी के विरुद्ध (गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 और 24 में प्रमाणित )

2. मूर्ति पूजा, मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करना, भूतपूजना, श्राद्ध निकालना, पिंड भरवाना, हवन करना, दरबार लगाना, तिलक लगाना, शास्त्रों के विरुद्ध मनमाना आचरण गीता अध्याय 16 श्लोक 23 व गीता जी अध्याय 9 के श्लोक 25 में प्रमाणित

3. सनातन धर्म में सबके ईष्ट केवल कबीर साहेब जी हैं, हनुमान तथा अन्य देव, भगवान नहीं जिसका प्रमाण गीता अध्याय 18 के श्लोक 24 में सांकेतिक शब्दों में है तथा गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार यह सभी मनमानी पूजाएं हैं

यानी संत रामपाल जी वेदों अनुसार सतभक्ति मार्ग बताते हैं। प्रत्येक प्राणी को मनुष्य जीवन रहते तत्वदर्शी संत की खोज कर उनकी शरण में जाना चाहिए (गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4)।  क्योंकि एक तत्वदर्शी संत सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष का प्रदाता है, जिसकी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। (गीता अध्याय 2 श्लोक 15-16 में भी यही प्रमाण उल्लिखित है।)

हिन्दू धर्म जो कि महान और सनातन है, इसमें समय के साथ साथ गलत मनगढंत साधनाएं चलने से मनुष्य परमात्मा से दूर होता गया है जिससे हम अपने पवित्र ग्रंथों के विपरीत ही चलते जा रहे थे। आज शिक्षित समाज होने के बावजूद भी हम अपने ग्रंथों से परिचित नहीं हैं। परंतु संत रामपाल जी महाराज अपने अद्वितीय ज्ञान को हमें हमारे सदग्रंथों से आसानी से समझा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग उनसे नाम दीक्षा लेकर सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने लोगों को अपने ग्रंथों से रूबरू कराया तथा कबीर साहेब जी पूर्ण परमात्मा हैं इसकी जानकारी अपने सत्संगो, स्वयं लिखित पुस्तकों और विभिन्न प्रकार के माध्यम से प्रदान की। पाखंडवाद हो या अन्य कुरुतियां, जो मानव समाज को खोखला किए जा रही थीं उन पर अंकुश लगाया। ऐसे महान संत की जिनती भी तारीफ की जाए, वह कम है।

कबीर परमात्मा इस समय धरती पर अवतरित हैं और जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के रूप में लीला कर रहे हैं, जो गारंटी देते हैं कि उनसे (रामपाल दास से) नाम दीक्षा लेकर और सतभक्ति करके ‘तीन ताप’ की पीड़ा यानी, भूत/प्रेत बाधा, पितर बाधा और अन्य ऐसी पीड़ाएँ हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी और साधक सतलोक, अविनाशी स्थान को प्राप्त होगा अर्थात पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति करेगा। अब निर्णय आपको करना है कि सही आध्यात्मिक ज्ञान और समस्या का सौ प्रतिशत समाधान, सुख और शांति चाहिए या किसी अज्ञानी सनातन धर्म के नाम पर हिन्दू राष्ट्र बनाने का दावा करने और समाज में विष घोलने वालों के पीछे भीड़ लगानी चाहिए।

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National Constitution Day 2024 [Hindi]: जानें 26 नवम्बर को, संविधान दिवस मनाए जाने का कारण, महत्व तथा इतिहास

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World Television Day 2024: Know what was Television Invented for

November 21 is observed as World Television Day every year. It is commemorated to...