September 20, 2024

भारत देश का कानून अंधा , बहरा और बिकाऊ है।

Published on

spot_img

संत रामपाल जी महाराज जी के मामले में सभी सुबूतों को अनदेखा किया गया है। न्यायालय में न्याय का मखौल बना कर जनता के सामने केवल झूठ परोसा गया है। निर्दोष संत व शिष्यों को जबरन गुनहगार घोषित कर उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई है।

कानून की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी भी 11 अक्टूबर, 2018 को तब आंसुओ से भीग गई जब जज डी आर चालिया ने गलत और अनोखा फैसला सुनाया कि संत रामपाल जी महाराज जी सतलोक आश्रम बरवाला कांड, नवंबर 2014 में हुई छह मौतों (जिसे पुलिस और कोर्ट ने हत्या का रूप दे दिया है) के ज़िम्मेदार हैं और 16-17 अक्टूबर के दिन सज़ा के लिए नियुक्त कर दिए गए।
16 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को आए कोर्ट ने गलत सज़ा सुनाते हुए संत रामपाल जी और उनके 15 शिष्यों को उम्र कैद की सज़ा और एक – एक लाख रुपए जुर्माना देने की सज़ा सुनाई। सारे सबूतों को अनदेखा, अनसुना और दरकिनार करते हुए सरकार के दबाव में दबे हुए जज चालिया ने आखिरकार सरकार और आर्य समाजियों की खुशी और खुद को बचाने के लिए निर्दोष संत रामपाल जी महाराज जी के खिलाफ गलत फैसला सुनाया।
जिसे सुनकर संत जी के शिष्य विचलित नहीं हुए, जनता में संत जी के लिए संदेह बना रहा, विरोधी नाचते रहे और बरवाला कांड के असली गुनाहगारों में सरकार, दोषी जज, पुलिस अधिकारी, भ्रष्ट नेता, जेलर और आर्य समाजी खुशी की सांसें ले रहे थे और बिकाऊ मीडिया कोर्ट के झूठे और गलत फैसले का महिमा मंडन करती रही।

11 अक्टूबर को क्या हुआ था?

संत रामपाल जी महाराज जी के ऊपर लगाए गए 429, 430 (हत्या के) केसों का फैसला 11 अक्टूबर को आया। संत रामपाल जी महाराज जी के वकील ए पी सिंह जी हिसार कोर्ट पहुंचने के लिए अपनी गाड़ी से निकल चुके थे।
हरियाणा सरकार के आकाओं के षड्यंत्र का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हिसार पहुंचते समय वकील की स्टीकर लगी गाड़ी को भी हर नाके पर पुलिस ने रोक कर चैक किया। जब तक वकील ए पी सिंह जी हिसार कोर्ट के बाहर पहुंचे हरियाणा के शातिर पुलिस अधिकारियों के इशारे पर उन्हें वहीं रोक दिया गया कि आप कोर्ट में दाखिल नहीं हो सकते क्योंकि अंदर जाने वालों की लिस्ट में आपका नाम नहीं है। वकील ID दिखाता रहा की मुझे जज के सामने अपने मुवक्किल की बेगुनाही पेश करनी है। मैं ही पिछले चार सालों से संत रामपाल जी महाराज जी के केस लड़ रहा हूं। इतने में कोर्ट का फैसला आ जाता है जिसमें कोर्ट द्वारा संत रामपाल जी महाराज जी को हत्या का दोषी करार देते हुए सज़ा के दिन 16/17 अक्टूबर घोषित कर दिए जाते हैं। चित भी दोषियों की और पट भी। वकील अंदर नहीं जा सका, आरोपी की सुनी नहीं गई।

शिकायतकर्ता शिवपाल ने दिया था एफिडेविट।

शिवपाल (सरिता मृतक ) का पति ऑडियो/विडियो और सोशल मीडिया में हजारों बार बयान दे चुका है और कोर्ट में एफिडेविट भी दे चुका है की संत रामपाल जी महाराज जी निर्दोष हैं। मैंने कोई FIR, 2014 में संत जी के खिलाफ नहीं लिखवाई। मैं अपनी पत्नी सरिता (मृतक) और बच्चे के साथ अपनी मर्जी से सतलोक आश्रम बरवाला सत्संग सुनने गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह साफ हो चुका है कि मेरी पत्नी की मौत पुलिस कार्रवाई में दम घुटने से हुई थी। पुलिस ने धोखे से कोरे कागजों पर मुझसे यह कह कर हस्ताक्षर करवाए थे कि तेरी पत्नी का शव तुझे देना है। पुलिस ने मेरे हस्ताक्षर का गलत प्रयोग करते हुए मेरे ही नाम से मेरे गुरुदेव संत रामपाल जी महाराज जी पर FIR दर्ज़ कर दी।

जज अजय पराशर ने कहा था यहां कोई न्याय नहीं मिलेगा।

जज चालिया से पहले संत रामपाल जी महाराज जी के केस में जज रहे अजय पराशर ने तो साफ कह दिया था कि शिवपाल ,” मैं नहीं मानूंगा तेरी बात की तेरी पत्नी की मौत दम घुटने से हुई है। मेरे ऊपर सरकार का बहुत दबाव है तुम्हें जो करना है कर लो। हाई कोर्ट में जाओ या इंटरनैशनल कोर्ट में। न्याय के दरवाज़े वहां खटखटाओ।” यहां तुम्हें कोई न्याय नहीं मिल सकता।

हरियाणा और केन्द्र दोनों सरकारों ने अपने बल और पद का दुरूपयोग किया महान समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज जी के विरुद्ध। जो संत चींटी और मच्छर तक को भी नहीं मारने की सीख अपने शिष्यों को देता है उस संत पर सरकार ने अनेकों झूठे केस लगा कर जेल में डाल दिया। देश की जनता चुप है और बेकसूर संत और शिष्यों के साथ अन्याय हो रहा है और समाज मूक दर्शक बने बैठा है। संत रामपाल जी महाराज जी से वैर रखने वाले ही केवल उनके खिलाफ चल रही कानूनी साजिशों पर विश्वास कर सकते हैं।

षड्यंत्रकारियों की पूरी कोशिश रही है कि संत रामपाल जी महाराज जी किसी भी कीमत पर पूर्णतया बरी नहीं हों क्योंकि इस सब में इनकी पोल खुल जाएगी। पुलिस अधीक्षक, अधिकारी, जज, आला नेता आर्य समाजी सभी फंस जाएंगे। यह स्वयं को बचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी को दोषी बनाते आए हैं। इनके इशारों पर ही संत जी व उनके शिष्यों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई है।

पुलिस ने FIR 430 दर्ज की थी कि बंधक बनाने से 6 लोगों की मौत हुई है। जबकि विचार करने वाली बात है कि बंधक बनाने वाले केस में संत रामपाल जी महाराज जी पहले ही बाइज्जत बरी हो चुके थे। 11 अक्टूबर को आया गलत फैसला जज महोदय पर दबाव होने के कारण दिया गया। संत रामपाल जी महाराज जी के खिलाफ सभी केस झूठे थे।
देशद्रोह का झूठा मुकदमा बनाया गया था- FIR no. 428/2014 पुलिस स्टेशन बरवाला (P.S.Barwala) दिनाँक 18.11.2014 में इतनी धाराएं लगा दी जितनी भारत के संविधान यानि IPC में हैं, जैसे :-107, 147, 148, 149, 186, 188,120, 224, 225, 307, 332, 342, 353, 436, 121, 121-A, 122, 123 I.P.C 25/27/30 – 59 A/Act Explosive Substance Act, PDP-P Act & 16, 18, 20, 22-C, 23 Unlawful activity.
इनमें से 121, 121-A, 122, 123 आदि-आदि धाराऐं देशद्रोह की हैं जो आतंकी कसाब पर लगी थी, जिसको फाँसी की सजा दी गई जो जायज थी। यही धाराऐं एक समाज सुधारक, आत्म उधारक, मानव कल्याण के लिए कार्यरत एक संत पर लगाई गई हैं जो देश को विकार रहित, शुद्ध, समृद्धिवान बनाकर फिर से सोने की चिड़िया बनाने में कार्यरत है, ऐसे भारत देश को विश्व में चमकाने के लिए जे.ई. (सिंचाई विभाग हरियाणा) की नौकरी से त्याग पत्र देकर एक संत जो सन् 1994 से दिन-रात एक कर रहा है। सर्व सद्ग्रन्थों के सही अर्थों को समझकर, उनका निष्कर्ष निकालकर, सत्संग करके, अनमोल ज्ञान प्रचार व प्रसार करके भारत की जनता से नशा-माँसाहार, भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या तथा दहेज प्रथा को समाप्त कर रहा है तथा शास्त्रानुकूल सत्य भक्ति गीता-वेदों आदि-आदि सद्ग्रन्थों अनुसार करा रहे थे।

पदाधिकारियों, सत्ताधारियों, सरकार, पुलिस, जजों और आर्य समाजियों ने निर्दोष संत रामपाल जी महाराज जी व उनके शिष्यों पर अन्याय करने की सारी हदें पार कर दी। इन्होंने देश विदेश में संत रामपाल जी महाराज जी को मीडिया द्वारा बदनाम करवाया। ग़लत झूठे षड्यंत्र में फंसा कर चार साल से जेल में रखा हुआ है। विश्व 18 नवंबर, 2014 को काले दिन के रूप में सदा याद रखेगा। संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण रूपेण धार्मिक आस्था के व्यक्ति हैं। वह परमात्मा पर उनके विधान पर पूरा विश्वास करते हैं। और देश की न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हैं।

झूठा मुकदमा नं. 429 दिनाँक 19.11.2014 की सच्चाई

पुलिस की बर्बर घिनौनी कार्रवाई के दौरान किए गए लाठीचार्ज से, अश्रु गैस व रॉकेट बम के बेशुमार गोले दागने से, सर्दी में 4 घण्टे पानी की अत्यधिक बौछार करने से आश्रम के छः श्रद्धालु (5 स्त्रियों, एक डेढ़) वर्ष का बालक मारे गए। उनमें से एक महिला सरिता पत्नी श्री शिवपाल (दिल्ली) भी मारी गई। श्री शिवपाल ने ऐफिडेविट दिया कि पुलिस ने झूठ बोलकर खाली कागज पर हस्ताक्षर करा लिए कि तेरी पत्नी का शव देना है, इसलिए लिखा-पढ़ी करनी है। बाद में उसी को दरखास्त बनाकर धारा 429/ 2014 दिनाँक 19.11.2014 काटकर संत रामपाल जी महाराज जी तथा अन्य भक्त तथा बहनों-माताओं पर झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया गया। जब भक्त शिवपाल जी को पता चला तो उसने शपथ पत्र लिखकर न्यायालय में दे दिया।

दिनाँक 18.11.2014 को प्रशासन ने आगे देखा न पीछे, बेरहमी से ज़ुल्म ढ़हा दिया। 5 भक्त बहनों तथा एक डेढ़ वर्ष के बच्चे को भ्रष्ट जज व जालिम पुलिस वाले खा गए। झूठे केस पुलिस बनाती है। भ्रष्ट जज न्याय करने को तैयार नहीं, स्वयं झूठे केस पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट के भ्रष्ट जज स्वयं बनाने लगे, ये भारत देश के दुश्मन हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य यह है कि भारतवर्ष नशा, माँसाहार, भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा तथा भ्रूण हत्या आदि-आदि बुराईयों से पूर्ण रूप से मुक्त हो ताकि भारत फिर से सोने की चिड़िया के नाम से विश्व में प्रसिद्ध हो। जीवित उदाहरण :- परमार्थ करते-करते संत जी के 940 अनुयायी केन्द्रीय कारागार नं. 1 हिसार में झूठे देशद्रोह के मुकदमे में बंद रहे। उनमें से कोई भी माँसाहार तथा नशा नहीं करता और न ही भ्रष्टाचार करता है। इसके अतिरिक्त संत रामपाल जी महाराज जी के लाखों अनुयायी भारत के अनेकों राज्य में हैं, उनकी जांच करें? वे कितने अच्छे नागरिक हैं, क्या इतने नेक व्यक्ति देशद्रोही हो सकते हैं? कभी नहीं। जिनके प्रवचनों से वे नेक नागरिक बने हैं, क्या वह संत देशद्रोही हो सकता है? जो व्यक्ति ऐसे नेक संत के साथ रहकर सत्संग में आने वाले देश के नागरिकों की सेवा करते थे तथा संत जी का विशेष सहयोग दे रहे थे, क्या वे देशद्रोही हो सकते हैं? कभी नहीं। एक बहुत बडे़ षड़यंत्र के तहत देश के प्रधानमंत्री जी तथा प्रदेश (हरियाणा) के मुख्यमंत्री जी को सच्चाई से दूर रखा जा रहा है जिसके पीछे किसी शातिर व्यक्ति की योजना कार्य कर रही है। (लेख में लिखे कुछ अंश पुस्तक बरवाला की घटना से साभार हैं )
‘‘कुछ डरो परमात्मा से, जो बल का दुरुपयोग करते हैं, वे किया अपना भरते हैं।।’’ (पुस्तक बरवाला की घटना से साभार)।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले एकमात्र संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। यहां के जज अपनी मर्जी से या दबाव में जो फैसला सुनाएंगे वह संत जी व शिष्यों को सहर्ष स्वीकार्य होगा। पर क्या ग़लत फैसला देने और बल व पद का दुरूपयोग करने वालों को परमात्मा क्षमा करेगा?

नोट: कोर्ट ने 11अक्टूबर 2018 को यह फैसला सुनाया कि संत रामपाल जी महाराज जी बरवाला आश्रम में हुई छह हत्याओं के दोषी हैं।
16-17 अक्टूबर,2018 सज़ा के दिन रखे गए।
सज़ा में उम्र कैद की सज़ा और एक-एक लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है।
वकील ए.पी सिंह का कहना है की संत रामपाल जी को ज़बरदस्ती दोषी बना कर बहुत गहरे षड्यंत्र में फंसाया गया है। हम हाईकोर्ट में जाएंगे और सच्चाई के लिए लड़ेंगे।

Latest articles

International Daughters Day 2024: How Can We Attain Gender Neutral Society?

On September 26, 2024, every year, International Daughters Day is observed. Every year on the last Sunday of September, a special day for daughters is seen. This is a unique day that commemorates the birth of a girl and is observed around the world to eradicate the stigma associated with having a girl child by honoring daughters. Daughters have fewer privileges in this patriarchal society than sons. Daughters are an important element of any family, acting as a glue, a caring force that holds the family together. 
spot_img

More like this

International Daughters Day 2024: How Can We Attain Gender Neutral Society?

On September 26, 2024, every year, International Daughters Day is observed. Every year on the last Sunday of September, a special day for daughters is seen. This is a unique day that commemorates the birth of a girl and is observed around the world to eradicate the stigma associated with having a girl child by honoring daughters. Daughters have fewer privileges in this patriarchal society than sons. Daughters are an important element of any family, acting as a glue, a caring force that holds the family together.