Delhi AQI (Air Quality Index Delhi 2020): दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण का स्तर। आतिशबाज़ी पर प्रतिबंध के बावज़ूद जमकर की गई आतिशबाजी। रविवार हुई बारिश के कारण प्रदूषण के स्तर गिरने की संभावना जताई जा रही है। एनजीटी के आदेश और दिल्ली सरकार के आग्रह को नजरअंदाज करते हुए दिल्लीवासियों ने जमकर आतिशबाजी की है।
Delhi AQI (Air Quality Index Delhi 2020): मुख्य बिंदु
- दिल्ली में जमकर हुई आतिशबाजी, दिल्ली सरकार और एनजीटी के आदेश को दिखाया ठेंगा।
- दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा, कई स्थानों पर AQI 999 रिकार्ड किया गया।
- रविवार दिल्ली में हुई जमकर बारिश से प्रदूषण के स्तर गिरने की संभावना। दिल्ली और अमृतसर में हुई बारिश
- आतिशबाज़ी नहीं है त्यौहार या दीपावली का हिस्सा
प्रतिबंध के बावज़ूद जमकर की गई आतिशबाज़ी
नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने दिल्ली एनसीआर में 30 नवम्बर तक सभी प्रकार के पटाखों की खरीददारी और बिक्री पर रोक लगा रखी है लेकिन उसके बाद भी दिल्ली में जमकर पटाखे फोड़े गए। पटाखों के बाद ही दिल्ली में हवा का स्तर बहुत अधिक खराब हुआ है। लोगों ने पर्यावरण की परवाह न करते हुए, दिल्ली सरकार के आग्रह और एनजीटी की रिपोर्ट को अनदेखा करते हुए आतिशबाज़ी की है। एनजीटी ने रोक लगाते हुए कहा था कि:
“पटाखे उत्सव और खुशी के लिए जलाए जाते हैं लेकिन मौतों और बीमारियों का जश्न मनाने के लिए नहीं फोड़े जाते हैं।”
हालांकि अब जब दिल्ली की हवा खराब हो चुकी उसके बाद नगर निगम की गाड़ियां राजधानी के कई स्थानों पर पानी का छिड़काव करने में लगी हुईं हैं।
रविवार हुई वर्षा के पश्चात वायु की गुणवत्ता में हुआ सुधार
रविवार को एनसीआर के कई हिस्सों में जमकर हुई बारिश के कारण सुधार हुआ है। मौसम विज्ञान विभाग द्वारा बारिश के आसार पहले से ही जताए गए थे। यह भी बताया गया था कि तेज हवा और वर्षा से दिल्ली की हवा में प्रदूषण से भी राहत मिल सकती है।
Delhi AQI इंडेक्स गम्भीर रूप से हुआ प्रभावित
दिल्ली की आतिशबाज़ी और सरकारी बैनरों को नजरअंदाज करने के फलस्वरूप एयर क्वालिटी इंडेक्स बुरे तरीके से प्रभावित हुआ।
- आनंद विहार में 572
- मंदिर मार्ग में 785
- पंजाबी बाग में 544
- सोनिया विहार में 462
- अमरिकी दूतावास के पास 610
- सत्यवती कॉलेज में 818
- जहांगीरपुरी में 773
- बवाना में 623 AQI दर्ज किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि 0 से 50 के बीच का AQI अच्छा, 51-100 के बीच संतोषजनक किन्तु 400 के ऊपर जाते ही गंभीर माना जाता है। नोएडा, गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद में भी AQI की स्थिति गम्भीर बताई गई है।
पटाखे नहीं हैं त्यौहार का हिस्सा
दीपावली का त्यौहार तीन लोकों के स्वामी विष्णु के अवतार राम और माता सीता के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटने की प्रसन्नता में मानया गया था। श्री राम और माता सीता के आगमन की प्रसन्नता में दीप जलाए गए थे और सजावटें की गईं थी, यह तो समझ योग्य है। पटाखों या आतिशबाज़ी का कोई अस्तित्व तब नहीं था। दो वर्ष पश्चात जैसे ही श्री राम द्वारा माता सीता को गर्भवती अवस्था में राज्य से वनवास कर निष्कासित किया गया तो अयोध्यावासी दुखी हो गए और उसके पश्चात कभी अयोध्या में इस त्यौहार को नहीं मनाया गया।
तो अब पहली बात तो यह कि त्यौहार लोकवेद के अनुसार देखा देखी मनाया जा रहा है जिसका शास्त्रों में कहीं कोई जिक्र नहीं। दूसरी बात यह कि त्यौहार अपने मूल रूप से इतर मात्र हो-हल्ले और आतिशबाज़ी मात्र रह गया है जिससे कोई लाभ नहीं अपितु नुकसान पहुंचाते हैं।
सन्तों की प्रतिदिन दीवाली होती है
कबीर साहेब कहते हैं-
सुरपति दुखिया भूपति दुखिया, रंक दुखी बपरीति हो |
कहैं कबीर और सब दुखिया, सन्त सुखी मन जीती हो ||
तत्वज्ञान समझकर भक्ति करने वाला सन्त सबसे सुखी होता है। उसकी प्रतिदिन दीवाली होती है वह नित ज्योति यज्ञ करता है, पूर्ण परमात्मा के गुण गाया करता है, पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से प्राप्त नाम मन्त्रों का जाप करता है जिनके बराबर तीनों लोकों की सम्पत्ति भी नहीं, उस सन्त की बारह मास दीवाली होती है। यहां सन्त अर्थात घरबार छोड़ कर भक्ति करने वाला नहीं बल्कि शास्त्रों के अनुसार तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर भक्ति करने वाला व्यक्ति है जो अपने कर्तव्यों के निर्वहन के साथ ही गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में दिए तीन सांकेतिक मन्त्रों का जाप करता है जो परमात्मा प्राप्ति का एकमात्र साधन हैं।
ये तीज और त्यौहार दो दिन के हैं व मनमुखी साधनाएं हैं। गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाला न तो कोई लाभ पाता है और न उसकी कोई गति होता है। वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज हैं उसने नामदीक्षा लेकर अपना जीवन सफल बनाएं। अधिक जानकारी के लिये देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।