July 6, 2025

CoronaVirus Lockdown Impact on Nature [Hindi]: लॉकडाउन से बदला प्रकृति का रंग

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आज हम आपको बताएँगे की कैसे CoronaVirus Lockdown (लॉकडाउन) के कारण प्रकृति का रंग बदल गया है, तथा प्रकति में एक नई बहार देखने को मिल रही है. आइये जानते है विस्तार से CoronaVirus Lockdown Impact on Nature Hindi के बारे में.

साफ नीले आकाश में आनंद और अध्यात्म से भरपूर समाज

आज लॉक डाउन का असर पुरे भारत सही विश्व में दिख रहा है, कोरोना वायरस के कारण आज दुनिया को लॉक डाउन का सामना करना पड़ रहा है.

CoronaVirus Lockdown Impact on Nature Hindi

  • नीला आकाश दूर तक साफ दिखाई दे रहा है
  • गंगा यमुना ऐसे दिखती है जैसे सीधे गंगोत्री यमुनोत्री से आ रही हों
  • शुद्ध वातावरण से मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है
  • मंदिर – मस्जिद नहीं लोग मन मंदिर में रहकर परमात्मा से वार्तालाप कर रहे हैं
  • धर्म से कहीं अधिक अब अध्यात्म पर जोर
  • स्वयं से कर रहे हैं लोग वार्तालाप
  • धूल और कार्बन रहित वायु : वायु गुणवत्ता इंडेक्स एक्यूआई बहुत नीचे
  • कार्बन में कमी आने से ओज़ोन परत में सुधार, अधिक वाष्पीकरण, अधिक बादल, अच्छा मानसून
  • भले ही डर में, लेकिन ध्यान रख रहें हैं लोग अपने भोजन में संयम का
  • पशु पक्षी, वन्य प्राणी, पेड़ पौधे सभी को राहत, जैव विविधता अपने वास्तविक रूप में
  • लॉकडाउन उठने के उपरांत नदियों के जल, आकाश, वायु गुणवत्ता स्तर को ऐसा बनाए रखने की चुनौती

पक्षी एवं वन्य प्राणी निर्भय और आनंद में

पूरी दुनिया में कोरोनावायरस से एक विचित्र परिस्थिति का निर्माण हुआ है । कहीं पूर्ण लॉकडाउन है तो कहीं लॉकडाउन जैसी स्थिति । जैसा भी हो लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हैं । कारखाने, ऑफिस, पर्यटन सभी कुछ बंद हैं । प्रकृति तो अपना काम जैसे पहले से तेज कर रही है ।

CoronaVirus Lockdown Impact on Nature [Hindi]: मानव ने पूरी धरती को ऐसे जकड़ कर रखा हुआ था मानो जैसे सब चीजों पर उनका ही एकाधिकार हो । ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति ने कोरोनावायरस के माध्यम से दूसरे जीवों को उनका अधिकार लौटाया हो । जो अभी तक अपने घर में कैद होने को मजबूर थे वो स्वच्छंद होकर सैर सपाटा कर रहे हैं । दुनिया भर के देशों की तस्वीर बदल गई है ।

  1. साफ हुईं इटली की नदियां और सैर कर रहे हैं हंसो के जोड़े
  2. पोलैंड की सड़कों से लोग नदारद, दिख रहे हैं हिरणों के झुंड
  3. सिंगापुर के पार्कों में ऊदबिलावों की मन रही है पिकनिक
  4. इस्राइल में उमड़े गीज पक्षियों के परिवार
  5. इटली के समुद्री तटों में जहाज की जंगह डॉल्फिन लौटी
  6. जापान की लोगों से पटी रहने वाली सड़कों पर अब हिरण
  7. भारत के शहरों में नाना प्रकार के पक्षी, नील गाय, हिरण और बाघ

भारत में लॉकडाउन ने महामारी रोकने का काम ही नहीं अपितु कई बड़ी बड़ी समस्याओं को अनायास ही हल किया है । भले ही कोविड-19 एक महामारी के रूप में अभिशाप है परंतु इसे रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन प्रकृति के एक वरदान ही साबित हो रहा है ।

जल-वायु प्रदूषण में आई कमी

भारत के कई बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुम्बई , कोलकाता, बैंगलुरु और हैदराबाद आदि में वायु प्रदूषण हो रहा था। लॉकडाउन के चलते इन सभी शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु को प्रदूषित करने वाले उद्योग धंधे सब बन्द हैं । जिसके कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण आदि सब में कमी आई है । सड़क पर दौड़ने वाले वाहन जो वायु को प्रदूषित कर रहे थे, लॉकडाउन के चलते ये सब भी नहीं दौड़ रहे है।

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धूल कणों और कार्बन से भरा वातावरण अब बदल गया है । वायु में घुला विष अब समाप्त होने की ओर है। कल्पना में कभी न ठीक हो सकने वाले वातावरण में वायु गुणवत्ता इंडेक्स एक्यूआई बहुत नीचे आ गया है । शहरों की स्थिति दिन प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है। कुछ लोग तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि यही क्रम रहा तो वातावरण की शुद्धता स्विट्जरलैंड के समान हो जाएगी।

ओज़ोन परत पर प्रभाव

भारत सहित कई देशों में लॉकडाउन हो चुका है । इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा है । पिछले कई दशकों से पृथ्वी पर हमारी रक्षा कर रही ओजोन परत को जो उद्योगों से नुकसान पहुंच रहा था , कार्बन में कमी आने से ओज़ोन परत में सुधार आएगा। इसका प्रभाव ग्लेशियर पर पड़ेगा । कार्बन की परत टूटने से अधिक वाष्पीकरण हो सकेगा और अधिक बादल बन सकेंगे, परिणाम स्वरूप अच्छी वर्षा होगी ।

अच्छे मानसून और अच्छी कृषि की संभावना

भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान होने के कारण मौसम का सीधा असर लोगों की आय पर पड़ता है । वर्षा पर्याप्त मात्रा में होने से कृषकों को बाह्य संसाधनों पर निर्भर नहीं होना पड़ता । कृषकों के खर्च में कटौती संभव है और अच्छी फसल होने की संभावना है।

प्रदूषण सुधार से मन और शरीर पर प्रभाव

प्रदूषण में भारी कमी होने से कई प्रकार के मरीज राहत महसूस कर रहे हैं । श्वांस, फेफड़ों, वायरल, संक्रमण, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द इत्यादि बीमारियां सर्वाधिक हैं । इन सभी बीमारियों का संबंध प्रदूषण, कार्बन एवं धूल के अधिक होने से है । यह प्रदूषण स्तर यदि लगातार अपने सही स्तर पर रहे तो जीवन शैली से जुड़ी बहुत सी समस्याएं कम हो जाएंगी ।इसके परिणाम स्वरूप अनायास होने वाली मृत्यु दर कम हो जाएगी ।

आध्यात्मिकता का वातावरण

लॉकडाउन के चलते लोगों ने अपनी जीवन शैली में बहुत बदलाव किया है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और व्यक्तिगत स्वच्छता पर अधिक जागृति से लोगों के मन,शरीर और विचारों में परिवर्तन आया है। हर उम्र के लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म ग्रंथ, अच्छे धारावाहिकों को देखने का समय मिल रहा है और वे सभी अच्छा महसूस कर रहे हैं ।

हाँ, कुछ लोग जो इस समय का लाभ आध्यात्मिक रूप से नहीं उठा रहे हैं । कोरोना के भय में हैं ऐसे भी कुछ लोग हैं जो अवसाद के शिकार हो रहे हैं, यहाँ तक कि कुछ तो डर के कारण आत्महत्या तक कर चुके हैं ।

सृजनशीलता

ऐसे भी लोग हैं जो समय के अभाव में अपने मन में छिपी कलाओं, रचनात्मक क्रिया कलापों को सँजोए बैठे थे, लेकिन क्रियान्वित नहीं कर पा रहे थे । लॉकडाउन का पूरा लाभ उठाकर संगीत, कला, संस्कृति, नाट्य, पेंटिंग, नाना प्रकार के खेल इत्यादि पर लोग अपना समय लगा रहे हैं ।

लॉकडाउन समाप्त होने के बाद की चुनौतियाँ

वास्तव में लॉकडाउन के बहुत फायदे देखने को मिले है। यह भी ज्ञात हो गया है कि वातावरण के सुधारने की कितनी संभावनाएं थी। आज एक नया मानक खड़ा हो गया है । विष रहित वायु, बिना दुर्गंध का साफ सुथरा नदियों का नीला दिखता जल, नीलवर्ण आकाश इन सभी को लॉकडाउन के बाद सुसज्जित रखना अब सरकारों, वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों और नीतिकारों के लिए चुनौती बनेगा । उनको निर्धारित करना होगा कितना बिगाड़े और कैसे बचाएं ।

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