April 18, 2025

‘‘तम्बाकू सेवन करना महापाप है’’

Published on

spot_img

आज विश्व में कई लोग नशे के आदि हैं। नशे में तम्बाकू का प्रयोग कई गुना बढ़ा है। कई लोग तो इसे सिर्फ प्रतिष्ठा के लिए पीना शुरू करते हैं लेकिन धीरे धीरे वे इसके आदि हो जाते हैं। कुछ अन्य लोग इसलिए इसके आदि हो गए क्योंकि घर में बड़े बुजुर्ग इसे पीते थे। तम्बाकू का (हुक्का, बीड़ी, सिगरेट, चिलम आदि में डालकर भी) कभी सेवन नहीं करना चाहिए और अन्य नशीली वस्तुओं का प्रयोग भी नही करना चाहिए। इसके सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक नुकसान है। सिर्फ भारत में हर साल डेढ़ लाख लोग मुह के कैंसर से पीड़ित होते हैं जिसका प्रमुख कारण तम्बाकू सेवन है। इससे ग्रसित अधिकतर लोगों की उम्र 30 वर्ष से कम है। तम्बाकू पहले पृथ्वी पर नहीं पाया जाता था। इसके यहां आने के पीछे भी एक कारण है।

तम्बाकू की उत्पत्ति

एक बार एक ऋषि तथा एक राजा साढ़ू थे। एक दिन राजा की रानी ने अपनी बहन ऋषि की पत्नी के पास संदेश भेजा कि पूरा परिवार हमारे घर भोजन करने के लिए आऐं। ऋषि की पत्नी ने अपने पति से साझा किया तो ऋषि जी ने कहा कि तेरी बहन वैभव का जीवन जी रही है। राजा को धन तथा राज्य की शक्ति का अहंकार होता है। वे अपनी बेइज्जती करने को बुला रहे हैं क्योंकि फिर हमें भी कहना पड़ेगा कि आप भी हमारे घर भोजन के लिए आना। हम उन जैसी भोजन-व्यवस्था जंगल में नहीं कर पाऐंगे। आप यह विचार त्याग दें। हमारे न जाने में हित है। परंतु ऋषि की पत्नी नहीं मानी। ऋषि तथा पत्नी व परिवार राजा का मेहमान बनकर चला गया। वहां पर राजा के सैनिक ऋषि की पत्नी का उसकी बहन रानी से तुलना कर मजाक बना रहे थे। यह चर्चा ऋषि परिवार सुन रहा था। भोजन करने के पश्चात् ऋषि की पत्नी ने भी कहा कि आप हमारे यहाँ भी इस दिन भोजन करने आईएगा।

World no tobacco day
निश्चित दिन को राजा हजारों सैनिक लेकर सपरिवार साढ़ू ऋषि जी की कुटिया पर पहुँच गया। ऋषि जी ने स्वर्ग लोक के राजा इन्द्र से निवेदन करके एक कामधेनु (सर्व कामना यानि इच्छा पूर्ति करने वाली गाय, जिसकी उपस्थिति में खाने की किसी पदार्थ की कामना करने से मिल जाता है, यह पौराणिक मान्यता है) माँगी। उसके बदले में ऋषि जी ने अपने पुण्य कर्म संकल्प किए थे। इन्द्र देव ने एक कामधेनु तथा एक लम्बा-चौड़ा तम्बू (ज्मदज) भेजा और कुछ सेवादार भी भेजे। कामधेनु को ऋषि ने अपनी मनोकामना बताई। उसी समय छप्पन (56) प्रकार के भोग स्वर्ग से आए और टैण्ट में रखे जाने लगे। ऋषि जी ने राजा से कहा की भोजन खाओ। राजा ने बेइज्जती करने के लिए कहा कि मेरी सेना भी साथ में भोजन खाएगी। ऋषि जी ने कहा कि आप तथा सेना भोजन करें। राजा उठकर भोजन करने वाले स्थान पर गया। राजा देखकर आश्चर्यचकित रह गया। फिर चांदी की थालियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के भोजन ला-लाकर सेवादार रखने लगे। राजा ने देखा कि इसके सामने तो मेरा भोजन-भण्डारा कुछ भी नहीं था। मैंने तो केवल ऋषि-परिवार को ही भोजन कराया था।

वह भी तीन-चार पदार्थ बनाए थे। राजा शर्म के मारे पानी-पानी हो गया। अपने टैण्ट में जाकर ऋषि को बुलाया और पूछा कि यह भोजन जंगल में कैसे बनाया? न कोई कड़ाही चल रही है, न कोई चूल्हा जल रहा है। ऋषि जी ने बताया कि मैंने अपने पुण्य तथा भक्ति के बदले स्वर्ग से एक गाय उधारी माँगी है। उस गाय में विशेषता है कि हम जितना भोजन चाहें, तुरंत उपलब्ध करा देती है। राजा ने कहा कि मेरे सामने उपलब्ध कराओ तो मुझे विश्वास हो। गाय वहीं मौजूद थी व उसको जाने के लिए ऋषि जी की अनुमति का इंतजार था। राजा ने कहा कि ऋषि जी! यह गाय मुझे दे दो । मेरे पास बहुत बड़ी सेना है। उसका भोजन इससे बनवा लूंगा। ऋषि ने कहा, राजन! मैंने यह गऊ माता उधारी ले रखी है। स्वर्ग से मँगवाई है। राजा ने दूर खड़े सैनिकों से कहा कि इस गाय को ले चलो। ऋषि ने देखा कि साढ़ू की नीयत में खोट आ गया है। उसी समय ऋषि जी ने गऊ माता से कहा कि गऊ माता! आप अपने लोक में शीघ्र लौट जाऐं। उसी समय कामधेनु टैण्ट को फाड़कर सीधी ऊपर को उड़ चली। राजा ने गाय को गिराने के लिए गाय के पैर में तीर मारा। गाय के पैर से खून बहने लगा और पृथ्वी पर गिरने लगा। गाय घायल अवस्था में स्वर्ग में चली गई। जहाँ-जहाँ गाय का रक्त गिरा था, वहीं-वहीं तम्बाकू उग गया। फिर बीज बनकर अनेकों पौधे बनने लगे।

संत गरीबदास जी ने कहा है कि :- तमा + खू = तमाखू।

खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।। भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तम्बाकू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तम्बाकू का सेवन करने से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।

मुसलमान धर्म के व्यक्तियों को हिन्दुओं से पता चला कि तमाखू की उत्पत्ति ऐसे हुई है। उन्होंने गाय का खून समझकर खाना तथा हुक्के में पीना शुरू कर दिया क्योंकि गलत ज्ञान के आधार से मुसलमान भाई गाय के माँस को खाना धर्म का प्रसाद मानते हैं। वास्तव में हजरत मुहम्मद जो मुसलमान धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं, उन्होंने कभी-भी जीव का माँस नहीं खाया था। तम्बाकू पीने वाले आप तो तम्बाकू पीकर डूबते हैं और छोटे बच्चे भी उनको देखकर वही पाप करके नरक की काली धार में डूबेंगे, जो तम्बाकू पीते हैं, उनके तो भाग फूटे ही हैं। अन्य को तम्बाकू पीने के लिए उत्प्रेरक बनकर डुबोते हैं। उपरोक्त बुराई करने वाले तो अपना जीवन ऐसे व्यर्थ कर जाते हैं जैसे भड़भूजा बालू रेत को आग से खूब गर्म करके चने भूनता है। फिर सारा कार्य करके रेत को गली में फैंक देता है। इसी प्रकार जो मानव उपरोक्त बुराई करता है, वह भी अपने मानव जीवन को इसी प्रकार व्यर्थ करके चला जाता है। उस जीव को नरक तथा अन्य प्राणियों के जीवन रूपी गली में फेंक दिया जाता है। जो व्यक्ति उपरोक्त पाप करते हैं, वे भगवान के दरबार में क्या जवाब देंगे यानि बोलने योग्य नहीं रहेंगे।

भक्ति मार्ग में तम्बाकू सबसे अधिक बाधा करता है। जैसे अपने दोनों नाकों के मध्य में एक तीसरा रास्ता है जो छोटी सुई के छिद्र जितना है। जो तम्बाकू का धुँआ नाक से छोड़ते हैं, वह उस रास्ते को बंद कर देता है। वही रास्ता ऊपर को त्रिकुटी की ओर जाता है जहाँ परमात्मा का निवास है। जिस रास्ते से हमने परमात्मा से मिलना है, उसी को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। मानव जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए ही मिला है। परमात्मा को प्राप्त करने वाले मार्ग को तम्बाकू का धुँआ बंद कर देता है। इसलिए भी तम्बाकू हमारा महान शत्रु है। तम्बाकू हमारे लिए कितना खतरनाक है इस बात को हम ऐसे समझ सकते हैं कि एक बार शराब पीने वाला सत्तर जन्म कुत्ते का जीवन भोगता है। परस्त्री गमन करने वाला सत्तर जन्म अन्धे के भोगता है। मांस खाने वाला भी महाकष्ट का भागी होता है। उपरोक्त सर्व पाप सौ-2 बार करने वाले को जो पाप होता है। वह एक बार हुक्का पीने वाले अर्थात् तम्बाकू सेवन करने वाले को सहयोग देने वाले को होता है। तम्बाकू सेवन करने वाले हुक्का, सिगरेट, बीड़ी या अन्य विधि से सेवन करने वाले व तम्बाकू खाने वालों को क्या पाप लगेगा? घोर पाप का भागी होगा।

सरकार द्वारा लोगों को तम्बाकू के दुष्परिणाम के बारे में जागरूक बनाने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके बावजूद वे नशे की गिरफ्त से आजाद नहीं हो पा रहे। तम्बाकू के सेवन करने में सिर्फ पुरुष ही नहीं। हैं बल्कि महिलाएं भी इसका भरपूर सेवन कर रही हैं। लेकिन अब संतरामपालजी महाराज की दया से लोग इस बुराई से बच रहे हैं। संतरामपालजी महराज ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान के बल व अपने आशीर्वाद से लाखों लोगों को तम्बाकू से निजात दिला दी है। पूरे विश्व के लोगों को पहले तम्बाकू की बुराई से परिचित होना चाहिए तथा इसे सदा के लिए छोड़कर एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ना चाहिए।

World Tobacco Day

Latest articles

Good Friday 2025: Know About the God who Enlightened Jesus on this Good Friday

Last Updated on 17 April 2025 IST: Good Friday is the day observed by...

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...
spot_img

More like this

Good Friday 2025: Know About the God who Enlightened Jesus on this Good Friday

Last Updated on 17 April 2025 IST: Good Friday is the day observed by...

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...