झज्जर, हरियाणा – जहां एक ओर प्रशासनिक लापरवाही के चलते किसान अपनी ही जमीन को बेबस होकर देखने पर मजबूर थे, वहीं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने झज्जर के बीड़ छूछकवास गांव की तकदीर बदल दी है। पिछले दो से तीन दशकों से इस गांव की करीब 500 एकड़ उपजाऊ जमीन बाढ़ के पानी में डूबी हुई थी। लेकिन अब, संत रामपाल जी महाराज की कृपा से गांव में निराशा के बादल छंट चुके हैं और उम्मीद की नई सुबह हुई है।
एक गांव जो अपनी किस्मत मान बैठा था हार
तहसील मातनहेल, जिला झज्जर का गांव बीड़ छूछकवास, जिसे स्थानीय स्तर पर भालगढ़ पंचायत के नाम से भी जाना जाता है, पिछले 20-30 वर्षों से एक गंभीर समस्या से जूझ रहा था। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सरकारें आईं और गईं, लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हुई। जलभराव की समस्या इतनी विकराल थी कि ग्रामीणों ने इसे अपनी नियति मान लिया था। खेतों में पानी भरे होने के कारण न केवल फसलें बर्बाद हो रही थीं, बल्कि पशुओं के लिए चारा और बच्चों के स्कूल जाने के रास्ते भी बंद थे।
संत रामपाल जी महाराज: किसानों के लिए आशा की किरण
जब गांव के सरपंच अभिमन्यु और ग्रामीणों को जिला पार्षद वीरभान के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाई जा रही विशाल ‘बाढ़ राहत सेवा मुहिम’ के बारे में पता चला, तो उनमें एक नई उम्मीद जगी। उन्हें ज्ञात हुआ कि संत रामपाल जी महाराज बिना किसी भेदभाव के किसानों के मसीहा बनकर उनकी मदद कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत ने तुरंत लेटरहेड पर एक प्रार्थना पत्र तैयार किया और संत रामपाल जी महाराज से अपनी व्यथा साझा की। उन्होंने अपनी डूबी हुई जमीन को बचाने के लिए बड़ी मोटरों और पाइपलाइन की मांग की।
त्वरित सहायता
सरकारी दफ्तरों में जहां फाइलें सालों तक धूल फांकती हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज ने गांव की पुकार सुनते ही तत्काल मदद का आदेश दे दिया। मदद की गति इतनी तीव्र थी कि गांव वाले आश्चर्यचकित रह गए। सरपंच ने हैरान होकर कहा, “हम कल ही अर्जी लेकर गए थे और आज संत रामपाल जी महाराज ने सामान भिजवा भी दिया।”
राहत नहीं, यह एक उत्सव था
जब संत रामपाल जी महाराज द्वारा भेजा गया राहत सामग्री का काफिला गांव की सीमा पर पहुंचा, तो वह दृश्य किसी सामान्य राहत कार्य जैसा नहीं, बल्कि एक विजय उत्सव जैसा था।
- भव्य स्वागत: गांव के युवा और बुजुर्ग अपने ट्रैक्टर लेकर गांव के बाहर स्वागत के लिए खड़े थे।
- भक्ति का माहौल: ट्रैक्टरों पर डीजे की तरह संत रामपाल जी महाराज के रमैनी और शब्द बज रहे थे।
- सम्मान: गांव की महिलाओं और बुजुर्गों ने फूल-मालाओं के साथ काफिले की अगुवाई की और उसे नाचते-गाते गांव के अंदर लाए।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई 30 साल की समस्या का स्थायी समाधान
संत रामपाल जी महाराज ने समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए केवल अस्थायी मदद नहीं दी, बल्कि लाखों रुपये का सामान स्थायी रूप से गांव को भेंट कर दिया:

- दो विशाल 15 एचपी की मोटरें: जो भारी मात्रा में पानी खींचने में सक्षम हैं।
- 6000 फुट (8 इंची) पाइपलाइन: पानी को दूर तक निकासी करने के लिए।
- पूर्ण तकनीकी किट: स्टार्टर, हांडी, नट-बोल्ट और यहां तक कि पाइप जोड़ने वाला एढेसिव (Solution) भी।
संत रामपाल जी महाराज ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों को एक छोटी सी कील खरीदने के लिए भी बाजार न जाना पड़े।
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स्पष्ट आदेश: दिखावा नहीं, परिणाम चाहिए
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य केवल सामान देना नहीं, बल्कि किसानों के चेहरों पर खुशी लाना है। उन्होंने अपने अनुयायियों के माध्यम से स्पष्ट संदेश भिजवाया कि उन्हें लोक दिखावा नहीं चाहिए, बल्कि जमीनी स्तर पर काम चाहिए। संत रामपाल जी महाराज ने निर्देश दिया है कि इस कार्य की निगरानी तीन चरणों में की जाएगी:
- वर्तमान में डूबा हुआ गांव (ड्रोन वीडियो)।
- पानी निकलने के बाद सूखी जमीन।
- अंत में, जब खेतों में फसल लहलहाएगी।
उन्होंने कड़ा संदेश दिया कि यदि सामान मिलने के बाद भी पानी नहीं निकला, तो इसकी जिम्मेदारी गांव की होगी। उनका ध्येय स्पष्ट है: “कोई भी किसान भूखा न सोए और कोई भी खेत बंजर न रहे।”
ग्रामीणों की जुबानी: ‘ये संत नहीं, भगवान हैं’
राहत सामग्री प्राप्त करने के बाद ग्रामीणों की आंखों में खुशी के आंसू थे।
- कैप्टन रणबीर सिंह (सेवानिवृत्त): “मैंने देश की सेवा की है, लेकिन यहां सरकारों को फेल होते देखा। जो काम प्रशासन 20 साल में नहीं कर पाया, वो संत रामपाल जी महाराज ने 24 घंटे में कर दिखाया।”
- बुजुर्गों का आशीर्वाद: गांव के बुजुर्गों ने कहा, “हमारे लिए तो यही भगवान हैं। अब हमारी 500 एकड़ जमीन फिर से सोना उगलेगी।”
- मातृशक्ति की खुशी: गांव की महिलाओं ने कहा कि वर्षों बाद अब हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा।
कृतज्ञता व्यक्त करते हुए, ग्राम पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज को सम्मान स्वरूप ‘पगड़ी’ भेंट की। हरियाणवी संस्कृति में पगड़ी देने का अर्थ है अपना सब कुछ न्योछावर कर देना और सर्वोच्च सम्मान देना।
संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम
संत रामपाल जी महाराज ने 500 एकड़ जमीन को बंजर होने से बचाया। यह सहायता उधार नहीं, बल्कि उनका एक स्थायी उपहार है, जो पीढ़ियों तक गांव के काम आएगा। छूछकवास गाँव को दी गई सहायता कोई अकेली घटना नहीं है। यह “अन्नपूर्णा मुहिम” का हिस्सा है, जो संत रामपाल जी महाराज द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण और निरंतर बाढ़ राहत कार्य है। यह मुहिम, जो भोजन और आश्रय प्रदान करने के प्रयास के रूप में शुरू हुई थी, अब एक व्यापक मानवीय सहायता अभियान में विकसित हो गई है, जिसने 300 से अधिक गाँवों तक पहुँच बनाई है।
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ऐसी दुनिया में जहाँ नौकरशाही में देरी संकट को और बढ़ा सकती है, संत रामपाल जी महाराज ने दिखाया है कि अगर हम आध्यात्मिकता के सच्चे मार्ग का अनुसरण करें तो क्या किया जा सकता है।



