Last Updated on 18 February 2025 IST: छत्रपति शिवाजी जयंती (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025): इस साल महान मराठा राजा की 393 वीं जयंती मनाई जा रही है। पाठक गण यहां जानेंगे मराठा राजा छत्रपति शिवाजी के कुछ प्रेरक उद्धरण। साथ ही यह जानना भी महत्वपूर्ण होगा कि शिवाजी महाराज यदि सतभक्ति में लग जाते और उन्हें तत्वदर्शी संत रामपाल जी जैसा सतगुरु मिला होता तो क्या वह युद्ध की अपेक्षा पूर्ण मोक्ष का मार्ग नहीं चुनते?
इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में शिवाजी महाराज
शिवनेरी से रायगढ़ तक: स्वराज की यात्रा
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ। उनकी माता जीजाबाई ने उन्हें रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास के वीर प्रसंगों से प्रेरित किया। बचपन से ही उनमें अन्याय के प्रति असहिष्णुता और स्वतंत्रता की प्रबल भावना थी। 16 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना पहला किला – तोरणा जीता, जिससे मराठा शक्ति की नींव रखी गई।
उनकी सेना ने बीजापुर, गोलकुंडा और मुगल सत्ता के विरुद्ध विजय अभियान चलाए। 1664 में सूरत पर आक्रमण, 1670 में दोबारा सूरत लूट, और 1674 में रायगढ़ में राज्याभिषेक— ये सभी घटनाएं उनकी असाधारण युद्धनीति और संगठन क्षमता को दर्शाती हैं।
शिवाजी महाराज ने “हिंदवी स्वराज्य” की अवधारणा को साकार किया। यह केवल एक भौगोलिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक स्वतंत्रता की भी नींव थी। उन्होंने भारतीय समुद्री शक्ति को पुनर्जीवित किया, पश्चिमी तट पर सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग और जंजीरा जैसे किलों का निर्माण कर नौसेना को मजबूत किया।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: शिवाजी पराक्रम, शौर्य और कुशल युद्ध नीति के धनी थे
भारतवर्ष के वीर सपूत छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) महाराज एक महान योद्धा एवं कुशल प्रशासक थे। उन्होंने अपने पराक्रम, शौर्य और कुशल युद्ध नीति का सफल उपयोग किया और इसके बल पर मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे। 6 जून, 1674 को उन्हें रायगढ़ के छत्रपति के रूप में औपचारिक रूप से ताज पहनाया गया था। शिवाजी महाराज के सम्मान में लोग कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और जुलूस का आयोजन करते हैं। शिवाजी के जीवन को दर्शाने वाले नाटक भी विभिन्न स्थानों पर खेले जाते हैं।
शिवाजी जयंती 2025: एक भव्य राष्ट्रव्यापी उत्सव
भारत में इस बार शिवाजी महाराज की जयंती को अभूतपूर्व स्तर पर मनाने की तैयारी है। महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में उनके जीवन और कर्तव्यों को सम्मान देने के लिए भव्य कार्यक्रम होंगे।
1. ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष आयोजन
रायगढ़ किला: जहां 1674 में राज्याभिषेक हुआ, वहां भव्य पुष्पांजलि, दीप प्रज्वलन, और पोवाडा गायन (मराठा वीरगाथाएं) होंगी।
शिवनेरी किला: बाल शिवाजी के जीवन पर आधारित विशेष प्रदर्शनियां और इतिहास यात्राएं आयोजित होंगी।
सिंधुदुर्ग किला: यहां समुद्री युद्ध तकनीकों पर विशेष प्रदर्शनी होगी।
2. सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम
विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिताएं, नाटक, और शिवाजी की शासन-नीतियों पर व्याख्यान।
पारंपरिक मराठी कला, जैसे लावणी, मर्दानी खेल और पोवाडा गायन का प्रदर्शन।
डिजिटल माध्यमों पर उनकी वीरगाथाओं को चित्रित करने के लिए वृत्तचित्र और विशेष फिल्म स्क्रीनिंग।
3. जन रैलियां और शोभायात्राएं
मुंबई, पुणे और औरंगाबाद में भव्य शोभायात्राएं निकाली जाएंगी।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसी ऐतिहासिक इमारतों को रोशनी से सजाया जाएगा।
4. सामाजिक कल्याण पहल
रक्तदान शिविर, गरीबों के लिए भोजन वितरण और शिक्षण सहायता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
युवा प्रेरणा शिविर, जिसमें शिवाजी की रणनीति और प्रशासनिक कौशल पर कार्यशालाएं होंगी।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025: मराठा राजा छत्रपति शिवाजी के प्रेरक उद्धरण (Quotes)
- “कभी भी अपना सिर न झुकाएं, इसे हमेशा ऊंचा रखें” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- “स्वतंत्रता वह वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर किसी को है” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- “जब इरादे पक्के हों तो पहाड़ भी मिट्टी के ढेर की तरह दिखता है” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- दुश्मन को कमजोर न समझें, लेकिन अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरें भी नहीं” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- “अपनी गलती से सीखने की अपेक्षा दूसरों की गलतियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- “भले ही हर किसी के हाथों में तलवार हो, लेकिन यह अपनी इच्छाशक्ति है जो सरकार स्थापित कराती है” -छत्रपति शिवाजी महाराज
- “आत्मविश्वास शक्ति प्रदान करता है, शक्ति ज्ञान प्रदान करती है, ज्ञान स्थिरता प्रदान करता है और स्थिरता जीत की ओर ले जाती है” -छत्रपति शिवाजी महाराज
यदि शिवाजी को तत्वदर्शी संत रामपाल जी जैसा सतगुरु मिलता तो पूर्ण मोक्ष का मार्ग चुनते
छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2025) बचपन से ही बहुत विधाओं के धनी थे। यदि उन्हें बचपन में ही तत्वदर्शी संत रामपाल जी जैसे सतगुरु मिल गए होते यह तो निश्चित था कि उनके जैसे व्यक्तित्व का व्यक्ति युद्ध कि अपेक्षा सतभक्ति को पूरे तन और मन से चुनता और निश्चित ही पूर्ण मोक्ष को प्राप्त होता। लेकिन उस काल में कोई सतनाम और सारनाम देने के अधिकारी संत नहीं थे और बचपन से ही उनकी माता ने उन्हें युद्ध की ओर प्रेरित किया था।
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इससे यह सबक लेने कि जरूरत है कि माता पिता की यह जिम्मेदारी है कि बच्चों को सतज्ञान का पाठ सिखाने के लिए सतगुरु रामपाल जी की शरण में तीन वर्ष की अवस्था से ही ले जाना चाहिए। परिणामस्वरूप बालक सतज्ञान में निपुण होकर सदाचार का व्यवहार करेगा और दुराचार से कभी भी नेह नहीं करेगा। एक आदर्श सेवाभावी इंसान बन कर प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीकर अंत समय में पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करेगा।
सतज्ञान को गहराई से जानने के लिए सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा रचित पवित्र पुस्तक जीने की राह पढ़नी चाहिए और सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग सुनने चाहिए।
क्या करना चाहिए सतमार्ग में आने के लिए
पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी लोक पर एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी की शरण में आना चाहिए और नाम दीक्षा लेकर सतगुरु द्वारा बताई गई मर्यादा में रहकर साधना करनी चाहिए। ऐसा करने से सर्वपाप कर्म कट जाएंगे और मनुष्य पूरे सुख भोगने का अधिकारी बन जाएगा। पूर्ण मोक्ष को प्राप्त कर परम धाम सतलोक गमन करेगा जहां जाकर पुनः जन्म मृत्यु के चक्र में नहीं जाना पड़ता। यही मनुष्य योनि में जन्म लेने का एकमात्र लक्ष्य भी है।