Last Updated on 7 November 2022, 4:05 PM IST | Lunar Eclipse (Chandra Grahan 2022 in Hindi): ज्योतिष के अनुसार वर्ष 2022 में दो सूर्यग्रहण और दो चंद्र ग्रहण को मिलाकर कुल 4 ग्रहणों का संयोग था। हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का पहला चंद्रग्रहण आज की रोज यानी कि 16 मई 2022 वैशाख पूर्णिमा को निकल चुका है। सतभक्ति से करें जीवन के हर ग्रहण को खत्म। पढ़ें पूरा लेख और जाने विस्तार से।
Chandra Grahan 2022 (चंद्र ग्रहण): मुख्य बिंदु
- वर्ष 2022 में 4 ग्रहण, दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण का संयोग है।
- पहला चंद्र ग्रहण आज 16 मई को हुआ तथा आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवम्बर को लगेगा।
- क्या होता है चंद्र ग्रहण।
- चंद्र ग्रहण से जुड़ी वर्जनाएँ और सतभक्ति का प्रभाव।
- सतभक्ति से सभी आपदाएं होती हैं समाप्त।
वर्ष 2022 में कब-कब बनेगा चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan) का संयोग?
साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण पूरे देश में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण 8 नवंबर, 2022 को शाम 5:32 बजे चंद्रोदय के साथ शुरू होगा और शाम 6:18 बजे समाप्त होगा, जो कुल 45 मिनट और 52 सेकंड की अवधि तक दिखेगा।
Chandra Grahan 2022 [Hindi]: वर्ष 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण?
पूरा चंद्रग्रहण (Blood Moon Eclipse) इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। भारत में चंद्र ग्रहण 8 नवंबर, 2022 को देखा जाएगा। जानिए चंद्र ग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना है जिसके पीछे कोई आध्यात्मिक कारण नहीं है।
कब लगेगा वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण? (Chandra Grahan 2022, Date and Timing)
वर्ष 2022 का दूसरा चंद्रग्रहण नवंबर माह में 7 और 8 तारीख को होगा। भारतीय समय के अनुसार यह चंद्रग्रहण 8 नवंबर को इसका असर मोटे तौर पर शाम को 5.30 से लेकर 6.20 तक ही रहेगा। ये आपके टाइमजोन पर भी निर्भर करता है कि ये वहां किस वक्त होगा।
चंद्र ग्रहण 2022 (Lunar Eclipse 2022) कहाँ-कहाँ दिखेगा?
यह चंद्रग्रहण भारत के किसी भी विस्तार से नहीं देखा गया। यह ब्लड मून चंद्र ग्रहण पूर्वी यूरोप, उत्तरी यूरोप, एशिया प्रांत, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा.
क्या है चंद्र ग्रहण?
सर्व विदित है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के। अपनी परीधि में घूर्णन करते हुए जब ये तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं एवं पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है तब ग्रहण होता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की ऐसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। एक साल में अधिकतम तीन चंद्र ग्रहण हो सकते हैं। नासा का अनुमान है कि 21वीं सदी में कुल 228 चंद्र ग्रहण होंगे।
कितने प्रकार के चन्द्र ग्रहण होते हैं? (Types of Lunar Eclipse)
मुख्यतः चन्द्रग्रहण तीन प्रकार के माने गए हैं एक ग्रहण होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण, एक आंशिक चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण। जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद को पूरी तरह से ढक लेती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है।
■ Read in English | Chandra Grahan (Lunar Eclipse | How to watch Blood Moon from India?
वहीं, जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा के कुछ ही भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ पाती है, इसे ही आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपछाया चंद्र ग्रहण में सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं।
चंद्रग्रहण से जुड़ी वर्जनाएँ और सतभक्ति
चंद्रग्रहण से बहुत सी वर्जनाएँ जुड़ी हुई हैं जैसे कई कार्यों पर रोक लगना, सूतक मानना, बाहर न आना जाना आदि। ये सभी मान्यताएँ केवल मान्यताएँ ही हैं और ग्रहण एक खगोलीय घटना है। वास्तविक जीवन में व्यक्ति अपने कर्मफल भोगता और उसके ही कारण उसके जीवन में सुख, दुख, बीमारियाँ आतीं हैं। चूँकि ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है, इसे ज्योतिष भिन्न भिन्न राशियों और उन पर प्रभाव से भी जोड़कर देखते हैं। सतभक्ति सभी प्रकार के ग्रहण चाहे वो जीवन में हों या भाग्य में, से बचाती है।
पूर्ण परमेश्वर सच्चे साधक की रक्षा स्वयं करता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं इस बात की शास्त्र गवाही देते हैं। इस लोक में सबकुछ फना अर्थात नाशवान है। राजा, गांव, शहर, जीव-जंतु, वन, दरिया सब नाशवान है। शिवजी का कैलाश पर्वत तक नाशवान है। यह सब कृत्रिम संसार सब झूठ है। अतः तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर श्वांसों का स्मरण करके अविनाशी परमेश्वर की भक्ति करें।
गरीब, दृष्टि पड़े सो फना है, धर अम्बर कैलाश।
कृत्रिम बाजी झूठ है, सुरति समोवो श्वास ||
क्या है सतभक्ति?
सतभक्ति मंदिर जाना, उपवास करना और शास्त्रों का अध्ययन करना कतई नहीं है। सतभक्ति है गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहे अनुसार पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण खोजना और उससे अध्याय 17 श्लोक 23 में दिए तीन मन्त्रों को प्राप्त कर उनका जाप करना है। सतभक्ति केवल पूर्ण तत्वदर्शी संत ही समझा सकता है। वही शास्त्रानुकूल भक्ति बताते हैं और मोक्ष प्राप्त करवाते हैं। याद रखें कि सतभक्ति से केवल मोक्ष प्राप्ति नहीं होगी बल्कि इस लोक के सभी सुख और इन ग्रहण, सूतक, देवी-देवताओं से होने वाले कष्टों से भी राहत मिलती है। राहु-केतु हो या अकाल मृत्यु की चपेट में पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण में रहने वाला कभी नहीं आता। तत्वदर्शी संत पूरे विश्व में एक समय में एक ही होता है।
जगतगुरु रामपाल जी से नामदीक्षा लेकर जीवन में आने वाले कष्ट रूपी ग्रहणों से मुक्ति पाएं
वर्तमान में एकमात्र तत्वदर्शी संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने हर तरह के असाध्य कष्टों का निवारण करवाएं एवं भक्ति करके मोक्ष का रास्ता चुनें। यह समय विनाशकारी समय है और बिना तत्वदर्शी संत की शरण के जीवन, बिना पानी के कुएं की भाँति है। इस समय तत्वदर्शी संत की शरण में रहकर मर्यादा में भक्ति करने वाले ही मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।
Very nice explanation
बहुत अच्छी information है जी