Last Updated on 28 Oct 2023 IST: Lunar Eclipse (Chandra Grahan 2023 in Hindi): ज्योतिष के अनुसार, वर्ष 2023 में दो सूर्यग्रहण और दो चंद्र ग्रहण को मिलाकर कुल 4 ग्रहणों का संयोग रहा। जिसमें से पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को तो वहीं पहला सूर्यग्रहण 20 अप्रैल को और अंतिम सूर्य ग्रहण इसी माह की 14 अक्टूबर लगा था। वहीं साल 2023 का अंतिम आंशिक चंद्र ग्रहण आज 28 अक्टूबर की रात में लगेगा। चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण जैसी खगोलीय घटनाओं में न उलझकर सतभक्ति कर जीवन के हर ग्रहण को करें खत्म जिसे जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख और जाने विस्तार से।
Chandra Grahan 2023 (चंद्र ग्रहण): मुख्य बिंदु
- आंशिक चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 11 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर देर रात 29 अक्टूबर को 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा।
- वर्ष 2023 का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण कुल 2 घंटे 52 मिनट की अवधि का होगा।
- साल के अंतिम चंद्रग्रहण को यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर समेत दुनियाभर में देखा जा सकेगा।
- आज 28 अक्टूबर को लगने वाला साल का अंतिम चंद्रग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा।
- सतभक्ति से जीवन के सभी ग्रहण होते हैं समाप्त, मिलते हैं सभी सुख व मोक्ष।
- ग्रहण, सूतक, देवी-देवताओं से होने वाले कष्टों से सतभक्ति से मिलती है राहत।
वर्ष 2023 में पड़े सूर्यग्रहण और चन्द्र ग्रहण (Chandra Grahan)?
साल 2023 में ज्योतिषियों द्वारा कुल चार ग्रहण दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण निर्धारित थे। जिनमें से दो सूर्यग्रहण क्रमश: 20 अप्रैल और 14 अक्टूबर को लग चुके हैं तो वहीं साल का पहला चंद्रग्रहण 5 मई को लगा था और अंतिम आज 28 अक्टूबर को रात में लगने जा रहा है। वहीं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक अगला चंद्रग्रहण अगले साल 25 मार्च 2024 को लगेगा।
Chandra Grahan 2023 Date and Timing [Hindi]: वर्ष 2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण?
चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के एक रेखा में आने के समय चंद्रग्रहण लगता है। वर्ष 2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लग रहा है। आपको बता दें, इसके पहले 5 मई को इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण लगा था। वहीं इसी अक्टूबर महीने में 14 अक्टूबर को साल का दूसरा व अंतिम सूर्यग्रहण लगा था। चंद्र ग्रहण हो या सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसके पीछे कोई आध्यात्मिक कारण नहीं है। वहीं इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आज शनिवार को शरद पूर्णिमा पर लग रहा है। यह भारतीय समय अनुसार रात 11:32 से शुरू होकर देर रात 2:24 तक रहेगा, जोकि रात 1:45 पर अपने चरम पर होगा।
चंद्र ग्रहण 2023 (Lunar Eclipse 2023) कहाँ-कहाँ दिखेगा?
वर्ष 2023 का अंतिम चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, उत्तर व पूर्व दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका महासागर और हिंद महासागर में नजर आएगा। 28 अक्टूबर को लगने वाला साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा।
क्या है चंद्र ग्रहण?
सर्व विदित है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के। अपनी परीधि में घूर्णन करते हुए जब ये तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं एवं पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है तब ग्रहण होता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की ऐसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। एक साल में अधिकतम तीन चंद्र ग्रहण हो सकते हैं। नासा का अनुमान है कि 21वीं सदी में कुल 228 चंद्र ग्रहण होंगे।
कितने प्रकार के चन्द्र ग्रहण होते हैं? (Types of Lunar Eclipse)
मुख्यतः चन्द्रग्रहण तीन प्रकार के माने गए हैं एक ग्रहण होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण, एक आंशिक चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण। जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद को पूरी तरह से ढक लेती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है।
■ Read in English | Chandra Grahan (Lunar Eclipse | How to watch Blood Moon from India?
वहीं, जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा के कुछ ही भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ पाती है, इसे ही आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं।
चंद्रग्रहण से जुड़ी मान्यताएं और सतभक्ति
चंद्रग्रहण से बहुत सी वर्जनाएँ जुड़ी हुई हैं जैसे कई कार्यों पर रोक लगना, सूतक मानना, बाहर न आना जाना आदि। ये सभी मान्यताएँ केवल मान्यताएँ ही हैं और ग्रहण एक खगोलीय घटना है। वास्तविक जीवन में व्यक्ति अपने कर्मफल भोगता है और उसके ही कारण उसके जीवन में सुख, दुख, बीमारियाँ आतीं हैं। चूँकि ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है, इसे ज्योतिष भिन्न भिन्न राशियों और उन पर प्रभाव से भी जोड़कर देखते हैं। सतभक्ति सभी प्रकार के ग्रहण चाहे वो जीवन में हों या भाग्य में, से बचाती है।
पूर्ण परमेश्वर सच्चे साधक की रक्षा स्वयं करता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं इस बात की शास्त्र गवाही देते हैं। इस लोक में सबकुछ फना अर्थात नाशवान है। राजा, गांव, शहर, जीव-जंतु, वन, दरिया सब नाशवान है। शिवजी का कैलाश पर्वत तक नाशवान है। यह सब कृत्रिम संसार सब झूठ है। अतः तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर श्वांसों का स्मरण करके अविनाशी परमेश्वर की भक्ति करें।
गरीब, दृष्टि पड़े सो फना है, धर अम्बर कैलाश।
कृत्रिम बाजी झूठ है, सुरति समोवो श्वास ||
क्या है सतभक्ति?
सतभक्ति मंदिर जाना, उपवास करना और शास्त्रों का अध्ययन करना कतई नहीं है। सतभक्ति है गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहे अनुसार पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण खोजना और उससे अध्याय 17 श्लोक 23 में दिए तीन मन्त्रों को प्राप्त कर उनका जाप करना है। सतभक्ति केवल पूर्ण तत्वदर्शी संत ही समझा सकता है। वही शास्त्रानुकूल भक्ति बताते हैं और मोक्ष प्राप्त करवाते हैं। याद रखें कि सतभक्ति से केवल मोक्ष प्राप्ति नहीं होगी बल्कि इस लोक के सभी सुख और इन ग्रहण, सूतक, देवी-देवताओं से होने वाले कष्टों से भी राहत मिलेगी । पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण में रहने वाला कभी राहु-केतु या अकाल मृत्यु की चपेट में नहीं आता। तत्वदर्शी संत पूरे विश्व में एक समय में एक ही होता है।
जगतगुरु रामपाल जी से नामदीक्षा लेकर जीवन में आने वाले कष्ट रूपी ग्रहणों से मुक्ति पाएं
वर्तमान में एकमात्र तत्वदर्शी संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने हर तरह के असाध्य कष्टों का निवारण करवाएं एवं भक्ति करके मोक्ष का रास्ता चुनें। यह समय विनाशकारी समय है और बिना तत्वदर्शी संत की शरण के जीवन, बिना पानी के कुएं की भाँति है। इस समय तत्वदर्शी संत की शरण में रहकर मर्यादा में भक्ति करने वाले ही मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।
FAQs चंद्र ग्रहण 2023 (Lunar Eclipse 2023)
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है यानि जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तो इस खगोलीय घटना को ही सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) कहते हैं।
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं यानि जब पृथ्वी, चंद्रमा और पृथ्वी के मध्य से गुजरती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पड़ती है और कुछ समय के लिए चंद्रमा ढक जाता है तो इस खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) कहा जाता है।
अमावस्या के दिन को
पूर्णिमा के दिन
नहीं, क्योंकि यह एक खगोलीय घटना है इससे कोई नुकसान मानव पर नहीं होता।
जब चंद्रमा के केवल एक हिस्से पर ही छाया पड़ती है तो इसे आंशिक चंद्रग्रहण। संपूर्ण चंद्रमा पर छाया पड़ती है तो इसे पूर्ण चंद्रग्रहण और जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया की उपछाया से होकर गुजरता है, जो कम अंधेरा वाला क्षेत्र होता है तो इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।