January 24, 2025

फिल्मो की देन युवा हुए बैचेन

Published on

spot_img

कागभुसंड – विष्णुजी के वाहन गरुड़ की तरह एक जीव जिसके ऊपर का शरीर काग का है। कागभुसंड
बनने से पहले वह आत्मा मनुष्य शरीर में थी और तब उनके प्रदेश में अकाल पड़ गया था। जवान होने के कारण कागभुसंड तो बच गए पर उनके परिवार के सभी लोग मृत्यु को प्राप्त हुए। उस जगह को छोड़ वे आगे बढ़े और चलते चलते किसी अवंतिका नगरी में पहुचे। यहां एक साधु ने उन्हें खाना दिया और पुत्र की तरह प्रेम दिया। उन्हें वहां एक मंदिर में रहने की जगह दी। कागभुसंड वहाँ रोज़ सत्संग सुनते और साधु भी उन्हें नामदीक्षा लेने को कहता। पर कागभुसंड पर इनका कुछ असर नहीं हुआ। लेकिन छ: महीने मना करने के बाद धीरे धीरे वे बातें उनके मस्तिष्क में बैठ गई और वह नामदीक्षा लेने को तैयार हो गए। और फिर उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया। इसीको हम सिनेमा पर लागू करे तो हम सिनेमा को बचपन से देखना शुरू करते है। और फिर फ़िल्म में दिखने वाली घटना दिमाग मे पैठ जमा लेती है और हम थोड़ा सोचे तो पाएंगे कि समाज को सबसे ज्यादा नुकसान यदि किसी ने पहुंचाया है तो वह सिनेमा है।
Biggest cause of impatience among Youth
जब सिनेमा में कोई हीरो किसी हीरोइन को छेड़ता है, उसका पीछा करता है तो हम बड़े खुश होते हैं और हममें से कुछ ताली भी बजा देते हैं। फिर धीरे धीरे यही बातें लोगों के दिमाग में जगह बना लेती है। दिमाग में ऐसी बातें व्यक्ति के रहन सहन व समाज में उसकी गतिविधि को प्रभावित करती हैं। फिर इनमें से ही कुछ आदमी हमारी माताओं व बहनों को छेड़ते हैं। अब यहां पहुंचकर हमारी खुशी दुख में बदल जाती है।
समाज में शादी को बहुत पवित्र बताया गया है व वंश की गति के लिए ये आवश्यक भी है। लेकिन फिल्मों में इसे कामुकता के साथ दिखाया जाता है। खूब कामुक गाने भी गाए जाते हैं। जिससे लोगों में हवस बढ़ती है यही बाद में बलात्कार का रूप लेती है। आजकल आये दिन नन्ही नन्ही बच्चीयों के साथ हो रही ऐसी घटनायें भी इस कामुक सिनेमा की ही देन है। जब ऐसी घटना घटित होती है तो हम खूब मोमबत्ती जलाकर विरोध करते हैं और फिर अगले दिन घर पर या सिनेमाघर में फिर ऐसे सिनेमा को बढ़ावा देते हुए नज़र आते हैं। तो फिर हमें विरोध का बाहरी दिखावा करने की भी कोई जरूरत नहीं है।
फिल्मों के अंदर हम पैसे और वैभव का ज़बरदस्त प्रदर्शन देखते हैं। इसको देखकर आदमी और अधिक कमाने के लिए अपनी नींद खराब कर देता है। जितना कमाता है उसे वह उतना ही कम लगता है। अधिक कमाने में वह गलत काम करने से भी नहीं हिचकता। डॉक्टर है तो मरीज को लूटता है, वकील है तो अपने फरियादी को ठगता है, न्यायाधीश है तो पैसा लेकर गलत न्याय करता है, पुलिस है तो निर्दोष को परेशान करता है और फिर हम लोग ऐसे लोगों के बीच खुद को असहाय पाते हैं।
सिनेमा में हम देखते हैं अभिनेता नशा करते हैं। सिगेरट लेकर उसका धुंआ मस्ती में हवा में छोड़ते हैं। गाने भी गाते हैं जैसे ‘4 बोतल वोडका काम मेरा रोज़ का’। फिर यही गाने माता पिता अपने बच्चों से खूब खुश होकर गवाते हैं। फिर यही बच्चे शराबी बनते हैं। और समाज में चोरी, डकैती, बलात्कार, मर्डर को बढ़ावा देते हैं। फिल्मों में दिखाई जाने वाली हिंसा के कारण वास्तविक समाज में लोगों में दया खत्म हो जाती है। जिसके कारण छोटी छोटी बातों में मारपीट व मर्डर हो जाते हैं।
इन समस्याओं को आप समाज में नहीं रोक सकते। इनको रोकने के लिए इनके कारणों को खत्म करना होगा। और इनके कारणों में एक बहुत महत्वपूर्ण सिनेमा है। फिल्मो में काम करने वाले वहां नाटक करके खूब पैसा कमाते हैं। और एक सामान्य आदमी उनके द्वारा समाज को दिए धीमे ज़हर से रोज़ मरता है। यही समय यदि हम सत्संग में लगाएं तो उससे हमारे दिमाग में मानसिक शांति रहेगी व कागभुसंड की तरह धीरे धीरे हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।फिल्मों से दूर होकर ही हम भगवान के पास पहुच सकते हैं। क्योंकि फिल्मों की बुराइयां दिमाग में लेकर कोई व्यक्ति शाश्वत स्थान सतलोक नहीं जा सकता।

Latest articles

Know About the Best Tourist Destination on National Tourism Day 2025

Last Updated on 23 January 2025 IST | National Tourism Day 2025: Every year...

International Day of Education 2025: Know About the Real Aim of Education

International Day of Education is celebrated on January 24 every year. Due to Sunday...

National Girl Child Day (NGCD) 2025: How Can We Ensure A Safer World For Girls?

Last Updated on 22 January 2025 | National Girl Child Day 2025: The question...
spot_img

More like this

Know About the Best Tourist Destination on National Tourism Day 2025

Last Updated on 23 January 2025 IST | National Tourism Day 2025: Every year...

International Day of Education 2025: Know About the Real Aim of Education

International Day of Education is celebrated on January 24 every year. Due to Sunday...