हरियाणा के हिसार जिले की हांसी तहसील (वर्तमान में जिला) के अंतर्गत आने वाला गांव भाटला पिछले दो महीनों से प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा था। मूसलाधार बारिश के बाद खेतों में जमा दो से तीन फीट पानी ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। स्थिति इतनी भयावह थी कि लगभग 400 एकड़ उपजाऊ भूमि जलमग्न थी, जिससे रबी की फसल (गेहूं) की बिजाई पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। जब प्रशासनिक तंत्र और सरकारी सहायता की उम्मीदें धूमिल होने लगीं, तब संत रामपाल जी महाराज की ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ इस गांव के लिए एक संजीवनी बनकर उभरी।
प्रशासनिक विफलता और भाटला पंचायत की गुहार
ग्रामीणों और सरपंच सुनील बेरवाल, जिन्हें गांव में ‘सीलू फौजी’ के नाम से जाना जाता है, ने बताया कि उन्होंने जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाई। प्रशासन ने संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए थे। सड़कों के ऊपर से पानी बह रहा था और आवागमन पूरी तरह बाधित था। पशुओं के लिए चारे की फसल नष्ट हो चुकी थी और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे। इस निराशाजनक माहौल में, ग्राम पंचायत ने बरवाला स्थित कार्यालय में संत रामपाल जी महाराज के चरणों में सहायता की प्रार्थना लगाई।
अन्नपूर्णा मुहिम: हथेली पर सरसों हरी करने जैसा चमत्कार
भाटला के बुजुर्गों ने संत रामपाल जी महाराज की कार्यशैली को “हथेली पर सरसों हरी करना” करार दिया। इस मुहावरे का अर्थ है—असंभव कार्य को अत्यंत कम समय में कर दिखाना। सरपंच सुनील ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जहां सरकारी फाइलों को एक टेबल से दूसरे टेबल तक जाने में हफ़्तों लग जाते हैं, वहीं संत जी के पास परसों प्रार्थना भेजी गई और आज लाखों रुपये की राहत सामग्री गांव की चौपाल में खड़ी थी। यह त्वरित कार्रवाई किसी चमत्कार से कम नहीं थी, जिसने किसानों के चेहरे पर खोई हुई मुस्कान वापस लौटा दी।
राहत सामग्री का विस्तृत विवरण और तकनीकी सहायता
संत रामपाल जी महाराज के मुनींद्र ट्रस्ट कुरुक्षेत्र की ओर से भेजी गई सहायता केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि पूरी तरह से समाधान-उन्मुख थी। राहत काफिले में निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपकरण शामिल थे:

- पाइप लाइन: कुल 9,000 फीट लंबी 8-इंच की भारी पाइप लाइन, ताकि पानी को लंबी दूरी तक सफलतापूर्वक निकाला जा सके।
- पंप सेट (मोटर): कुल तीन उच्च क्षमता वाली मोटरें भेजी गईं, जिनमें दो मोटर 10 HP (हॉर्स पावर) की और एक मोटर 7.5 HP की है।
- सहायक उपकरण: मोटरों को संचालित करने के लिए आवश्यक स्टार्टर, केबल और पाइप जोड़ने के लिए सभी जरूरी एक्सेसरीज।
सेवादारों ने स्पष्ट किया कि यह सामग्री तब तक गांव में रहेगी जब तक खेतों से पानी की अंतिम बूंद नहीं निकल जाती।
सख्त आदेश: सेवा के साथ जवाबदेही का संकल्प
राहत सामग्री सौंपते समय संत रामपाल जी महाराज की ओर से एक विशेष संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। इसमें स्पष्ट किया गया कि संत रामपाल जी महाराज केवल दान देना ही नहीं जानते, बल्कि उसके सदुपयोग की निगरानी भी करते है। सेवादारों ने बताया कि गांव की वर्तमान स्थिति की ड्रोन से वीडियोग्राफी की जा चुकी है। इसके बाद, पानी निकलने की और फसल लहलहाने की वीडियो भी बनाई जाएगी।
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यह पारदर्शिता इसलिए सुनिश्चित की जाती है ताकि दानकर्ताओं को विश्वास रहे कि उनका पैसा वास्तविक परमार्थ में लग रहा है। संत रामपाल जी जी का सख्त निर्देश है कि यदि इस सहायता के बाद भी बिजाई नहीं हुई, तो भविष्य में कोई मदद नहीं दी जाएगी।
ग्रामीणों का उद्गार: “संत नहीं, साक्षात भगवान”
भाटला निवासी कर्मवीर और कुलदीप सिंह ने भावुक होकर कहा कि आज के दौर में जहां तथाकथित कथावाचक लाखों रुपये लेकर केवल प्रवचन देते हैं, वहीं संत रामपाल जी महाराज बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ या वोट की लालसा के निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है और उसके घर का चूल्हा जलेगा तभी मजदूर का पेट भरेगा। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा कि जिस तरह अस्पताल पहुंचाने वाला व्यक्ति भगवान का रूप होता है, उसी तरह हमारी डूबती फसलों को बचाने वाले संत रामपाल जी हमारे लिए साक्षात कबीर भगवान का स्वरूप हैं।
मोमेंटो और आभार प्रदर्शन: एक ऐतिहासिक क्षण
गांव की मुख्य चौपाल में आयोजित कार्यक्रम में सरपंच सुनील बेरवाल और समस्त पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज की टीम को एक विशेष ‘फोटो फ्रेम मोमेंटो’ भेंट किया। इस पर गांव की ओर से आभार संदेश अंकित था। सरपंच ने स्वीकार किया कि यदि यह मदद न मिलती, तो किसान आर्थिक रूप से कई साल पीछे चले जाते। ग्रामीणों ने जयकारे लगाते हुए कहा कि संत रामपाल जी महाराज की यह ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ पूरे देश में सफलतापूर्वक चल रही है, जो राष्ट्र निर्माण और समाज सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है।
मानवता का सर्वोच्च मार्ग
भाटला गांव की यह घटना यह सिद्ध करती है कि जब सरकारी तंत्र सीमाएं दिखाने लगता है, तब आध्यात्मिक और सेवाभावी संस्थाएं ही समाज का संबल बनती हैं। संत रामपाल जी महाराज ने इस राहत कार्य को एक मिशन की तरह लिया है। भाटला के खेतों से निकलता पानी न केवल फसलों को बचाएगा, बल्कि समाज में इस विश्वास को भी पुख्ता करेगा कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।



