April 2, 2025

Anant Chaturdashi 2024 [Hindi]: अनंत चतुर्दशी पर जानिए पांडव अनंत चौदस मना कर क्यों दुखी हुए?

Published on

spot_img

Last Updated on 17 September 2024 IST | Anant Chaturdashi 2024 Hindi: 2024 में 17 सितंबर भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी है। इस दिन को श्रद्धालुओं ने श्री विष्णु जी के लिए व्रत व पूजन के रूप में समर्पित माना है। इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। इस अवसर पर पाठक यह भी विस्तार से जानेंगे कि शास्त्र अनुकूल साधना कैसे की जाती है।

Anant Chaturdashi 2024 (अनंत चतुर्दशी) के मुख्य बिंदु

  • 17 सितंबर शुक्रवार के दिन है अनंत चतुर्दशी 2024
  • भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही अनंत चतुर्दशी कहते है
  • इस दिन को लोगों ने श्री विष्णु जी को समर्पित माना है
  • इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी किया जाता है
  • श्रीमद्भगवत गीता के अनुसार व्रत से नहीं होगा सुख और न होगी गति
  • केवल तत्वज्ञान ही प्रदान कर सकता है सारे सुख व मोक्ष

Anant Chaturdashi 2024 [Hindi]-क्या है अनंत चतुर्दशी?

Anant Chaturdashi in Hindi: हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा गया है। इस व्रत तिथि को अनंत चौदस भी कहते हैं। इस दिन को श्रद्धालु ने श्री विष्णु जी के लिए व्रत व पूजन के रूप में समर्पित माना है । इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करते है। आपको बता दे कि साथ में इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर 2024 को शुक्रवार के दिन पड़ रही है

गणपति यानी गणेश जी आज विसर्जित किये जायेंगे। श्री गणेश उत्सव का आयोजन बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी शासन में धर्म के नाम पर लोगों को एकत्रित करने के लिए किया था। इसका कोई शास्त्रीय महत्व नहीं है और न ही गणेशोत्सव का वर्णन शास्त्रों में कहीं है।

गणेश जी की मूर्ति दस दिनों तक घर मे रखने और आरती करके उसे 10 दिनों के पश्चात विसर्जित करना पूरी तरह मनमुखी साधना है यह शास्त्रों में वर्णित नहीं है। श्रीमद्भगवत गीता 16:23 में बताया है कि शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करने वाले किसी सुख या गति को प्राप्त नहीं होते हैं।

क्या अनंत चौदस शास्त्रानुसार है?

अनंत चौदस के दिन लोग व्रत करते हैं व विष्णु पूजन करते हैं। लेकिन अनंत चौदस शास्त्रानुकूल साधना नहीं है। इससे न तो मोक्ष प्राप्त होता है और न ही कोई गति। आइए जानें क्या है वास्तविकता। जो भी ईश्वर में श्रद्धा रखते है व मोक्ष प्राप्त करना चाहते है उनके लिए जान लेना आवश्यक है कि ब्रह्म लोक से लेकर ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि के लोक और स्वयं काल ब्रह्म भी जन्म-मरण में हैं। इसलिए ये सभी अविनाशी नहीं हैं। फलस्वरूप इनके उपासक भी जन्म-मरण में ही हैं। इसका प्रमाण आप खुद देख सकते है पवित्र श्रीमद्भगवत गीता 8:16, 9:7 में।

पांडवों ने मनाई पहली अनंत चौदस, रहे आजीवन दुख में

Anant Chaturdashi 2024 in Hindi: मान्यता कहती है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को 14 वर्षों तक लगातार करने से मनुष्य विष्णु लोक को प्राप्त करता है। इस व्रत को सर्वप्रथम पांडवो ने किया था।

■ यह भी पढें: गणेश चतुर्थी: Ganesh Chaturthi पर जानिए कौन है आदि गणेश? 

विचार करें यदि इस व्रत व पूजा से सुख शांति मिलती है तो पांडवों को अंत तक दुख दर्द क्यों मिला और साथ में मोक्ष मार्ग से दूर रहे। क्योंकि व्रत करना ही शास्त्रविरुद्ध साधना है और श्रीमद्भगवत गीता 7:14-15 के अनुसार तीन गुणों ब्रह्मा-विष्णु-महेश की भक्ति करने वाले पांडवों का उद्धार नहीं हो सकता था।

शास्त्रविरुद्ध साधना करने वाला नरक में जाएगा

देवी-देवताओं व तीनों गुणों की (रजोगुण ब्रह्मा,सतोगुण विष्णु, तमोगुण शिवजी ) की पूजा व भूत पूजा, पितर पूजा (श्राद्ध निकालना) अज्ञानवश साधना है। श्रीमद्भगवत गीता 6:16 में जो लोग व्रत करते है उन लोगों की भक्ति असफल बताई है। यदि हम परमात्मा के विधान और मर्यादा के विरुद्ध पूजाएं व व्रत करते है तो परमात्मा से लाभ प्राप्त नहीं कर सकते। प्रमाण के लिए देखें श्रीमद्भगवत गीता 7:12,15,20-23 तथा 9:25 में।

मोक्षदायिनी केवल पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति है

श्रीमद्भगवत गीता 18:62,66 में गीता ज्ञान दाता ने अर्जुन को अपनी पूजा भी त्याग कर उस एक परमात्मा की शरण में जाने की सलाह दी है जिसकी शरण में जाकर साधक का पूर्ण मोक्ष हो जाएगा। श्रीमद्भगवत गीता 15:4 में भी गीता ज्ञानदाता ने बताया है कि उसी अविनाशी परमेश्वर की शरण में वह स्वयं है। कबीर परमेश्वर ने स्पष्ट कहा है कि संसार रूपी वृक्ष की जड़ रूपी पूर्ण परमात्मा को पूजेंगे तभी सब कुछ फलेगा।

एकै साधै सब सधै, सब साधै सब जाय |

माली सींचै मूल को, फलै फूलै अघाय ||

गरीब दास जी समझाते है कि

यह संसार समझदा नाही, कहन्दा शाम-दोपहरे नूँ |

गरीबदास यह वक्त (समय) जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ ||

संत गरीबदास जी ने संसार के प्राणियों को समझाया है कि केवल सद्भक्ति ही सार है इस मानव जीवन में। जीवन के कष्टों को देखकर, प्रतिदिन मृत्यु होते देखकर भी लोगों को लगता है कि अभी समय है भक्ति के लिए जबकि मृत्यु ऐसा अटल सत्य है जो कभी भी हो सकती है। धन वृद्धि, सुख शांति और मोक्ष पाने की इच्छा वाले व्यक्तियों के लिए मुख्य बात यह है कि पूर्ण गुरु दीक्षा के रूप में जो शास्त्रानुकूल भक्ति साधना मंत्र के रूप में जाप करने को देते हैं जिसके करने से सांसारिक लाभ व मोक्ष प्राप्ति होती है।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त सतभक्ति से है मोक्ष संभव

ज्ञान समझ कर समय रहते लाभ लेना है तो वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जो वास्तविक तत्वज्ञान करा कर पूर्ण परमात्मा की शास्त्र अनुकूल पूजा आराधना बताते है। वह पूर्ण परमात्मा ही है जो धन वृद्धि कर सकता है, सुख शांति दे सकता है व रोग रहित कर मोक्ष दिला सकता है। सर्व सुख और मोक्ष केवल तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से सम्भव है। तो सत्य को जाने और पहचान कर पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से मंत्र नाम दीक्षा लेकर अपना जीवन कल्याण करवाएं । सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें और जीने की राह पुस्तक पढ़ें।

FAQs about Anant Chaturdashi (Hindi)

1)अनंत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?

उ–अनंत चतुर्दशी वह दिन है जिस दिन भगवान गणेश कैलाश पर्वत पर लौटते हैं। अनंत चतुर्दशी पर, हिंदू देवता की मूर्ति को एक जल निकाय में डुबोया जाता है, जिससे 10 दिवसीय गणपति उत्सव का समापन किया जाता है। यह एक मनमानी प्रथा है जो गीता और वेदों जैसे पवित्र शास्त्रों के विरुद्ध है।

2)अनंत भगवान कौन हैं?

उ–पवित्र श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 15 श्लोक 17 के अनुसार परम अक्षर ब्रह्म अनंत भगवान हैं। परम अक्षर ब्रह्म सर्वशक्तिमान भगवान कबीर साहेब जी हैं, जो सन् 1398 में काशी में एक कमल के फूल पर प्रकट हुए थे।

3)अनंत चतुर्दशी का महत्व क्या है?

उ–अनंत चतुर्दशी हमें याद दिलाती है कि भगवान गणेश अमर नहीं हैं और भगवान शिव सर्वशक्तिमान भगवान नहीं हैं। 

4)क्या अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना सही है? 

उ–नहीं। पवित्र श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार उपवास रखना एक मनमाना आचरण है जो ईश्वर के संविधान के विरुद्ध है। 

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

World Autism Awareness Day 2025: Autistic Persons Are Different But Not Less, Know Its Cure

Last Updated on 31 March 2025 IST: World Autism Awareness Day 2025: Autism is...

April Fool’s Day 2025: Who is Befooling Us and How?

April Fool's Day 2025: 1st April, the April Fool's day is observed annually and...

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): कथा और परंपरा से परे जानें शास्त्रानुकूल भक्ति के बारे में

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): गुड़ी पड़वा 2025 का त्योहार 30 मार्च...

Know the Right way to Please Supreme God on Gudi Padwa 2025

This year, Gudi Padwa, also known as Samvatsar Padvo, is on March 30. It...
spot_img

More like this

World Autism Awareness Day 2025: Autistic Persons Are Different But Not Less, Know Its Cure

Last Updated on 31 March 2025 IST: World Autism Awareness Day 2025: Autism is...

April Fool’s Day 2025: Who is Befooling Us and How?

April Fool's Day 2025: 1st April, the April Fool's day is observed annually and...

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): कथा और परंपरा से परे जानें शास्त्रानुकूल भक्ति के बारे में

गुड़ी पड़वा 2025 (Gudi Padwa in Hindi): गुड़ी पड़वा 2025 का त्योहार 30 मार्च...