Last Updated on 2 December 2025 IST: Ambedkar Death Anniversary 2025 [Hindi]: 6 दिसंबर, भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Ambedkar Death Anniversary 2025 (महापरिनिर्वाण दिवस) के महत्वपूर्ण बिंदु जिनपर हम प्रकास डालेंगे
- परिनिर्वाण (Mahaparinirvan Diwas) का अर्थ क्या है?
- परिनिर्वाण के लिए डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी ने अपनाया था बौद्ध धर्म।
- निर्वाण कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
- डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी का संक्षिप्त जीवन परिचय।
- डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी का परिवार था कबीरपंथी।
- कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस?
- कौन है तत्वदर्शी संत?
- संत रामपाल जी महाराज जी खत्म कर रहे हैं समाज में व्याप्त पाखंड एवं अन्य बुराइयां।
Ambedkar Death Anniversary 2025 पर जानिए परिनिर्वाण का अर्थ
बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों में से एक परिनिर्वाण भी है। मृत्यु के बाद जो मोक्ष प्राप्त करता है उसी को निर्वाण कहा जाता है। निर्वाण का अर्थ है जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाना। परंतु मुक्ति किसी धर्म विशेष को अपनाकर प्राप्त नहीं की जा सकती। मुक्ति/मोक्ष/परिनिर्वाण/निर्वाण का साधन सतभक्ति में निहित होता है और सतभक्ति व्यावहारिक ( बौद्ध धर्म जहां व्यावहारिक ज्ञान को महत्व दिया जाता है और यही ज्ञान बांटा भी जाता है) ज्ञान से भिन्न है। सतभक्ति का ज्ञान, शास्त्र आधारित आध्यात्मिक ज्ञान /तत्वज्ञान से होता है और इसे प्राप्त करने के लिए मनुष्य को तत्त्वदर्शी संत की शरण में जाना अति आवश्यक होता है।
परिनिर्वाण के लिए डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी ने अपनाया था बौद्ध धर्म
परिनिर्वाण की महत्वता को जानने के बाद डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म अपनाया, डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी को जब यह ज्ञात हुआ कि निर्वाण अति आवश्यक है और यह संसार क्षणिक/ क्षणभंगुर है लेकिन संसार से जाने से पहले कुछ ऐसा करना है ताकि हम परिनिर्वाण को प्राप्त कर सकें, अर्थात जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा सकें, इसी कारण से डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म को अपनाया। आंबेडकर जी अपने मनुष्य जन्म के लक्ष्य को तो पहचान गए थे परंतु दुर्भाग्यवश हासिल न कर पाए।
निर्वाण कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
निर्वाण प्राप्त करने के लिए हमें आजीवन सदाचारी, चरित्रवान और सतभक्ति करनी होती है, निर्वाण प्राप्त करने के लिए हमें चाहिए कि हम शास्त्र अनुकूल साधना करें, निर्वाण प्राप्त करने के लिए हमें तत्वदर्शी संत की शरण में जाना चाहिए जो पूर्ण परमेश्वर की भक्ति विधि बता कर आपको निर्वाण प्राप्त कराएगा।
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी की पुण्यतिथि (Ambedkar Death Anniversary 2025) को महापरिनिर्वाण के रूप में क्यों मनाया जाता है?
भीमराव जी ने दलित पिछड़ा वर्ग आदिवासी इन सभी वर्गों की स्थिति में सुधार लाने के लिए काफी प्रयत्न किए। उन्होंने समाज कल्याण के लिए ही छुआछूत जैसी प्रथा को खत्म किया, जातिवाद की व्यवस्था को खत्म करना चाहा, उनके द्वारा किए गए सामाजिक एकता और अखंडता के कार्यों की वजह से भी उनकी पुण्य तिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में 6 दिसंबर, 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के भारतीय संविधान के निर्माण में उनके योगदान और सामाजिक न्याय के लिए उनके अथक संघर्ष की याद में मनाया जाता है।
इतिहास: 6 दिसंबर, 1956 को डॉ. अंबेडकर का निधन हुआ था।
महत्व: यह दिन भारत में लाखों लोगों के लिए सामाजिक न्याय, समानता और समावेशी समाज के उनके दृष्टिकोण को याद करने का एक अवसर है।
आयोजन: इस दिन पर अनुयायी मुंबई के चैत्य भूमि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित होते हैं, जहां डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस?
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी (Dr Bhimrao Ram Ambedkar) को आदर्श मानने वाले लोग इस मौके पर चैत्य भूमि जाकर संविधान सभा के निर्माता को श्रद्धांजलि देते हैं और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर द्वारा किए गए कार्यों को बढ़ाने, समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए विचार विमर्श करना इत्यादि शामिल हैं।
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी (Dr Bhimrao Ram Ambedkar) का संक्षिप्त जीवन परिचय
भीमराव रामजी आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आंबेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे।
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डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी का जन्म मध्यप्रदेश के छोटे से गांव में महार जाति में हुआ था। इनके पिता जी का नाम रामजी मलोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे । इनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुई थी । डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी के पुत्र का नाम यशवंत भीमराव आंबेडकर था, उनकी दूसरी पत्नी का नाम रमाबाई आंबेडकर था। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी (Dr Bhimrao Ram Ambedkar) प्रतिभाओं के धनी थे, इन्होंने अपने जीवन काल में बहुत सी सामाजिक और जातिगत भेदभाव का सामना किया, जिनमें मनुष्य निर्मित सामाजिक कुपरंपराए, पाखंड, रूढ़वादियां इत्यादि शामिल हैं।
डॉ.भीमराव आंबेडकर की मृत्यु की वजह
भीमराव अम्बेडकर कश्मीर में लगी धारा नंबर 370 के खिलाफ थे। 6 दिसंबर 1956 ई में खराब स्वास्थ्य के कारण आंबेडकर की मृत्यु हो गई।
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी का परिवार था कबीरपंथी
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जी का परिवार कबीरपंथी था और कबीर साहेब जी के ज्ञान को आधार बनाकर जीवन जीते थे। कबीर परमेश्वर जी ने पाखंडवाद को खत्म किया था, सामाजिक बुराइयां जैसे जातिवाद, कुपरंपराएं, गलत धार्मिक मान्यताएं, जीव हिंसा, नशाखोरी, साथ ही साथ सतभक्ति देकर लोगों का उद्धार किया। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर कबीर साहेब जी के विचारों को बहुत मानते थे, आज कबीर परमेश्वर जी के विचारों को पूरी तरीके से जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में फैला रहे हैं और पूरे विश्व से हिंदू ,मुस्लिम, सिख और इसाई सभी जाति व धर्म के लोग जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़ रहे हैं और कबीर साहेब को पूर्ण परमेश्वर के रूप में जान रहे हैं और मान रहे हैं।
कौन है तत्वदर्शी संत?
श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर संसार में कभी नहीं आते अर्थात् उनका फिर कभी जन्म नहीं होता।
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 तथा अध्याय 15 श्लोक 1-4 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताई गई है। कबीर साहिब जी के दिए हुए सच्चे ज्ञान और भक्ति विधि को बताने के लिए आज के समय में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत की भूमिका में हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख ,ईसाई और पारसी हर धर्म के व्यक्ति तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़कर निर्वाण प्राप्त कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी खत्म कर रहे हैं समाज में व्याप्त बुराइयां
पाखंडवाद , लोकवेद झूठा ज्ञान, छुआछूत, नशाखोरी, रिश्वतखोरी, दहेजप्रथा, जातिवाद, इत्यादि को खत्म करने के लिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी संपूर्ण मानवजाति के उद्धार के लिए प्रयत्नशील हैं। संत रामपाल जी के द्वारा समझाए कबीर ज्ञान/आध्यात्मिक ज्ञान को समझ कर तकरीबन एक करोड़ लोग सभी तरह के सामाजिक भेदभाव और बुराइयों का त्याग कर चुके हैं और समस्त विश्व को सतज्ञान समझाने का उनका प्रयत्न जारी है।
सभी दलित आदिवासी , भीमराव आंबेडकर जी के आदर्शों को मानने वालों और निर्वाण प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले भाई-बहनों से करबद्ध होकर प्रार्थना है कि तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित ‘अंधश्रद्धा भक्ति खतरा ए जान’ नामक पुस्तक को अवश्य पढ़ें।



