November 16, 2024

2 दिन शेष: 8 सितम्बर अवतरण दिवस

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8 सितंबर को सभी श्रद्धालु भक्त सतगुरु रामपाल जी का अवतरण दिवस की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पूरे विश्व में वर्तमान में सतगुरु रामपाल जी महाराज के अतिरिक्त कोई अन्य वास्तविक भक्ति बताने वाले तत्वदर्शी संत नहीं है। सतगुरु रामपाल जी कहते हैं कि जिन साधकों ने साधना के द्वारा प्रकाश देखा है वे परमात्मा के लाभ से पूरी तरह से वंचित है। जो भी उपलब्धि शरीर में होगी वह तो काल ब्रह्म तक की ही है, क्योंकि पूर्ण परमात्मा का निज स्थान सत्यलोक तथा उसी के शरीर का प्रकाश तो परब्रह्म आदि से भी अधिक तथा बहुत दूर है।

वास्तविक सत्यलोक स्थान तो शरीर और ब्रह्मांड से पार है, जिसे पा लेने के बाद माता के गर्भ में उलटे लटकने का कष्ट समाप्त हो जाता है और जन्म-मृत्यु चक्र से छूटकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। संत रामपाल जी महाराज सर्व प्रभु प्रेमी श्रद्धालुओं से प्रार्थना कर रहे हैं, “मुझे प्रभु का भेजा हुआ दास जान कर परमात्मा को प्राप्त करने की विधि मुझ दास के पास से निःशुल्क प्राप्त करें।“

आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अनुसार सतगुरु की पहचान

साक्षात पूर्ण ब्रह्म सत्पुरुष कबीर साहेब ने सतगुरु रूप में नानक जी को दीक्षा दी थी। आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित श्री गुरु नानक जी की अनेकों वाणियों में सतगुरु की महिमा को उजागर किया गया है। नानक जी ने जोर दिया है कि सतगुरु से नाम दीक्षा लिए बिना भक्ति सफल नहीं हो सकती। यह भी कहा है कि सतगुरु पूरा होना चाहिए तभी पूर्ण मोक्ष संभव है। पाठकों की सुविधा के लिए इस लेख में आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में सतगुरु नानकदेव जी की वाणियों के आधार पर जानेंगे कि तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज में वे सभी गुण विधमान हैं जो उन्हें पूरे ब्रह्मांड के एकमात्र सतगुरु की संज्ञा देना प्रमाणित करते हैं।

श्री गुरु नानक ने सतगुरु धारण करना क्यों अनिवार्य बताया है?

श्री गुरु नानक जी ने बताया है कि सतगुरु से सतभक्ति के बिना मुक्ति संभव नहीं चाहे कितने भी अन्य उपाय कर लें। इसलिए हर मानव को अपना यह जीवन सिद्ध करने के लिए सतगुरु बनाना जरूरी है।

  • श्री नानक देव जी ने आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में पृष्ठ 1342 पर कहा है:-

‘‘गुरु सेवा बिन भक्ति ना होई, अनेक जतन करै जे कोई’’

  • श्री गुरु नानक जी ने आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में पृष्ठ 946 पर कहा है:-

‘‘बिन सतगुरु भेंटे मुक्ति न होई, बिन सतगुरु भेंटे महादुःख पाई।’’

आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 946 पर स्पष्ट किया है कि:-

बिन सतगुरु सेवे जोग न होई। बिन सतगुरु भेटे मुक्ति न होई।
बिन सतगुरु भेटे नाम पाइआ न जाई। बिन सतगुरु भेटे महा दुःख पाई।
बिन सतगुरु भेटे महा गरबि गुबारि। नानक बिन गुरु मुआ जन्म हारि।

मनमुखी साधना को श्री गुरु नानक जी ने बताया है गलत

बहुत से महापुरुष सच्चे नामों के बारे में नहीं जानते। वे मनमुखी नाम देते हैं जिससे न सुख होता है और न ही मुक्ति होती है। संसार में ऐसे अनेकों गुरु हैं जो जप, तप, हठ इत्यादि के द्वारा परमात्मा के दर्शन प्रकाश रुप में कराने का दावा करते हैं परंतु सतगुरु नानक इसे झुठलाते हैं। बाह्य क्रियाओं जप, तप, हठ निग्रह जैसे आंख, कान और मुंह बंद करके अन्दर ध्यान लगाना इत्यादि मनमुखी साधना का प्रतीक है। सतगुरु के बताए रास्ते पर चलकर परमात्मा सहज मिल जाते हैं।

आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में जी पृष्ठ 436 (गुरु महिमा) रागु आसा महला 1 छंत घरू 1

जपु तपु करि करि संजम थाकी हठि निग्रहि नही पाईऐ।।
नानक सहजि मिले जगजीवन सतिगुर बूझ बुझाईऐ।।2।। गुरु सागरो

मनमुखी और गुरुमुखी साधना में क्या अंतर है?

श्री गुरु नानक जी ने मनमुखी साधना को पूरी तरह से नकारकर केवल गुरुमुखी साधना करने पर जोर दिया है। नानक साहेब ‘सोहं‘ शब्द के भेद को जानने के लिए कह रहे हैं। पूर्ण परमात्मा कुल का मालिक है और एक घर सतलोक है और दूसरा कुछ नहीं।

प्रमाण के लिए आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ नं. 59.60 पर सिरी राग महला 1 (शब्द नं.11)

बिन गुर प्रीति न ऊपजै हउमै मैलु न जाइ।।
सोहं आपु पछाणीऐ सबदि भेदि पतीआइ।।
गुरमुखि आपु पछाणीऐ अवर कि करे कराइ।।
मिलिआ का किआ मेलीऐ सबदि मिले पतीआइ।।
मनमुखि सोझी न पवै वीछुडि़ चोटा खाइ।।
नानक दरु घरु एकु है अवरु न दूजी जाइ।।

गुरुमुखी साधना के लाभ बता रहे हैं जैसे अहंकार पर विजय पाना, सत्य पथ पर अडिग रहना, काल पर विजय प्राप्त करना अर्थात असमय मृत्यु के भय से उबर जाना और सतगुरु से मिली नाम दीक्षा की सही पहचान का हो जाना।

  • आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ 946 (गुरु महिमा) रामकली महला 1

गुरमुखि मनु जीता हउमै मारि।। गुरमुखि साचु रखिआ उर धारि।। गुरमुखि जुगु जीता जमकालु मारि बिदारि।। गुरमुखि दरगह न आवै हारि।। गुरमुखि मेलि मिलाए सुो जाणै।। नानक गुरमुखि सबदि पछाणै।।71।।

यथार्थ गुरुमुखी दीक्षा विधि के आधार पर सतगुरु को कैसे पहचाने?

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब और सतगुरु नानकदेव जी ने सारी क्रियाओं को मना करके केवल सतनाम/ सारनाम जाप करने को ही कहा है। सतगुरु नानक जी पूर्ण सतगुरु की पहचान बता रहे हैं। सतगुरु की पहचान है कि वे तीन बार में नाम मंत्र दीक्षा देकर शिष्य को सर्व सुख और मोक्ष प्राप्त कराते हैं –

पूरा सतगुरु सोए कहावै, दोय अखर का भेद बतावै।
एक छुड़ावै एक लखावै, तो प्राणी निज घर जावै।।

जै पंडित तु पढिया, बिना दुउ अखर दुउ नामा।
परणवत नानक एक लंघाए, जे कर सच समावा।

वेद कतेब सिमरित सब सांसत, इन पढि मुक्ति न होई।।
एक अक्षर जो गुरुमुख जापै, तिस की निरमल होई।।

अर्थात, गुरु नानक जी समझाना रहे हैं कि पूरा सतगुरु वही है जो दो अक्षर के जाप के बारे में जानता है। जिनमें एक अक्षर काल-माया के बंधन से छुड़वाता है। दूसरा अक्षर परमात्मा को दिखाता है। तीसरा अक्षर परमात्मा से मिलाता है।

सतगुरु नानक देव जी अपनी वाणी में और भेद खोलते हैं कि पूर्ण सतगुरु वही है जो स्वांस की क्रिया के साथ नाम सुमिरण की विधि बताए। तभी जीव का मोक्ष संभव है। परमात्मा का साक्षात्कार व मोक्ष प्राप्त करने का तरीका आदि अनादि व सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।

चहऊं का संग, चहऊं का मीत, जामै चारि हटावै नित।
मन पवन को राखै बंद, लहे त्रिकुटी त्रिवैणी संध।।
अखण्ड मण्डल में सुन्न समाना, मन पवन सच्चखण्ड टिकाना।।

क्या सतगुरु जन्म मरण का रोग मिटा सकते हैं?

श्री गुरु नानक जी बता रहे हैं कि तत्वज्ञान को सतगुरु के अतिरिक्त और कोई नहीं बता सकता। सतगुरु से नाम मंत्र भेद जानने के बाद सभी भ्रम समाप्त हो जाते हैं और जन्म मरण का दुख सदा के लिए चला जाता है।

आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ नं. 1092-1093 पर राग मारू महला 1 – पौड़ी नं. 1

हउमै करी ता तू नाही तू होवहि हउ नाहि।।
बूझहु गिआनी बूझणा एह अकथ कथा मन माहि।।
बिनु गुर ततू न पाईऐ अलखु वसै सभ माहि।।
सतिगुरु मिलै त जाणीऐ जां सबदु वसै मन माहि।।
आपु गइआ भ्रमु भउ गइआ जनम मरन दुख जाहि।।
गुरमति अलखु लखाईऐ ऊतम मति तराहि।।
नानक सोहं हंसा जपु जापहु त्रिभवण तिसै समाहि।।

क्या सतगुरु पूरे कुल सहित भवसागर से पार उतार सकते हैं?

श्री गुरु नानक जी शिक्षा दे रहे हैं कि सच्चे साधक को सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर मंत्र जाप करने में पूरा ध्यान देना चाहिए। ऐसा करने पर वह अपने पूरे कुल सहित भवसागर से पार उतरकर सुखसागर गमन कर सकता है।

  • आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ 1039 (गुरु महिमा) राग मारु सोलहे महला 1

ऐसे जन विरले संसारे।। गुर सबदु वीचारहि रहहि निरारे।। आपि तरहि संगति कुल तारहि तिन सफल जनमु जगि आइआ।।11।। घरू दरू मंदरू जाणै सोई जिसु पूरे गुर ते सोझी होई।।

क्या सतगुरु विषय विकार छुड़ा सकते हैं?

सतगुरु नानक जी बता रहें है कि मन को संयमित करके विषय विकारों को दूर कर सतनाम लेने से परमात्मा को सुगमता से पाया जा सकता है।

  • आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ 437 (गुरु महिमा) राग आसा महला 1 छंत घरू 1

कामु करोधु कपटु बिखिआ तजि सचु नामु उरि धारे।।
हउमै लोभ लहरि लब थाके पाए दीन दइआला।।

  • आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ 1342 (गुरु महिमा) प्रभाती असटपदीआ महला 1

बिभास सतिगुरु पूछि सहज घरू पावै।।3।।
रागि नादि मनु दूजै भाइ।।
अंतरि कपटु महा दुखु पाइ।।
सतिगुरु भेटै सोझी पाइ।।

  • फिर प्रमाण है ‘‘राग बसंत महला पहला‘‘ पौड़ी नं. 3 आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ नं. 1188

नानक हवमों शब्द जलाईया, सतगुरु साचे दरस दिखाईया।।

तात्पर्य है कि सतगुरु शिष्य को सतनाम दीक्षा देकर अहंकार आदि विकारों को नष्ट करके परमात्मा के दर्शन करा देते हैं।

क्या सतगुरु दर्शन से बड़ा तीर्थ कोई और नहीं?

श्री गुरु नानक जी साधक को किसी भी तीर्थ स्थान पर जाने की अपेक्षा अपने सतगुरु के दर्शन से पूर्ण लाभ मिलने की और इशारा कर रहे हैं

आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पृष्ठ 437 (गुरु महिमा) राग आसा महला 1 छंत घरू 1

नानक गुर समानि तीरथु नही कोई साचे गुर गोपाला।।3।।
राम नाम बिनु मुकति न होई नानकु कहै वीचारा।।4।।2।।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सतगुरु हैं

श्री गुरु नानक देव जी सख्ती के साथ कह रहे हैं कि पूरे गुरु की शरण प्राप्त करके जन्म को सफल करो। यह मानव जीवन अनमोल है बार-2 प्राप्त नहीं होगा। सतगुरु की शरण में जाए बिना साधना सफल नहीं हो सकती। झूठे गुरु से कोई कार्य सिद्ध नहीं हो सकता। सतगुरु धारण करने से सांसारिक दुख तो समाप्त होंगे ही साथ ही मानव जन्म मृत्यु के चक्र से पार होकर सुखसागर सतलोक को प्राप्त करेगा। जो नाम दीक्षा ले चुके हैं, दीक्षा फल को चख चुके हैं ऐसे सभी भक्त जानते हैं कि वर्तमान में सतगुरु रामपाल जी महाराज जी “धरती पर अवतार” हैं।

अवतरण दिवस के मात्र 2 दिन शेष हैं, करें कुछ विशेष

मात्र 2 दिन शेष हैं अवतरण दिवस 8 सितंबर के। सभी मुमुक्षु बिना समय गँवाए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर नाम दीक्षा लेकर गुरु मर्यादा में रहकर साधना करें। यह सतभक्ति सभी सांसारिक सुख प्रदान करते हुए पाप कर्म समाप्त कर पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त कराएगी “सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल” पर परम संत के सत्संग श्रवण करें और “धरती पर अवतार” पुस्तक पढ़ें। पूर्ण परमात्मा के “धरती पर अवतार” तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस 8 सितंबर को साधना टीवी चैनल पर प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक विशेष आध्यात्मिक सत्संग श्रवण करें और आत्मिक लाभ उठायें।

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