Last Updated on 17 September 2022, 2:54 PM IST | Vishwakarma Puja in Hindi (विश्वकर्मा पूजा): भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है। इस बार 2022 में 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती है। विश्वकर्मा की पूजा हर वर्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है। आज पाठक जानेंगे कौन है सृष्टि के असली रचयिता।
Vishwakarma Puja 2022 के मुख्य बिंदु
- इस वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा जंयती है।
- हर वर्ष विश्वकर्मा जी की पूजा आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है।
- मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा जी ने देवी -देवताओं के अस्त्र-शस्त्र बनाए और मंदिरों का निर्माण किया था ।
- इस दिन कल- कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है जो कि शास्त्र विरुद्ध है।
- श्रीमद्भगवत गीता जी के अनुसार शास्त्र विरुद्ध पूजाएं व्यर्थ हैं।
- विश्व के रचयिता पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब हैं, वे सबके जनक हैं जिन्होंने सारे ब्रह्मांड की रचना की है।
- पूर्ण परमात्मा को पाने की विधि तत्त्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
Vishwakarma Puja 2022 [Hindi]: विश्वकर्मा जी जयंती 2022
विश्वकर्मा जी को विश्व रचयिता भी कहते हैं लोग, वे दुनिया के पहले इंजीनियर और शिल्पकार थे ऐसी भी मान्यतायें हैं। इन्होंने देवी देवताओं के अस्त्र शास्त्रों और मंदिरों का निर्माण किया था। हिन्दू मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे। विश्वकर्मा ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने कारखानों में उपयोगी मशीनों और पुर्जों का निर्माण किया था और इसी कारण से उनकी जयंती पर सभी उद्योगों, फैक्ट्रियों में विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस दिन सभी कलाकार, बुनकर, शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। पाठकगण आगे जानेंगे कि वास्तविकता में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब सृष्टि रचयिता हैं।
भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले औजारों तथा कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है। परन्तु केवल मान्यताओं के पीछे ना जाकर, हमे अपने वेदों – पुराणों को समझना चाहिए। हमें केवल पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति करनी चाहिए न कि अपनी मनमानी साधनाएं। और केवल तत्त्वदर्शी संत ही वेदों में वर्णित तत्वज्ञान की जानकरी दे सकते हैं। क्योंकि वेदों में छुपे गूढ़ रहस्य केवल पूर्ण गुरु ही जानते हैं।
- सूक्ष्म वेद में लिखा है :-
गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे न सार रहे अज्ञानी ।
वेद-कतेव झूठे न भाई ,झूठे वो है जो इनको समझे नाही ।
पूर्ण ब्रह्म कविर्देव हैं विश्व रचयिता
पूर्ण परमात्मा ने इस संसार को बनाया है, माँ के गर्भ में भी हमारा पालन-पोषण किया है, क्या उस परमात्मा की जगह हम अन्य देवी – देवताओं को विश्व रचयिता कह सकते है, बिल्कुल नहींं। केवल पूर्ण परमात्मा ही सबका जनक है, उसी से सारे ब्रह्मांड का संचार है ।
प्रमाण है पवित्र अथर्ववेद के काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र नं 1 में कि – पवित्र वेदों में बोलने वाला ब्रह्म (काल) कह रहा है कि सनातन परमेश्वर ने स्वयं अनामय (अनामी) लोक से सत्यलोक में प्रकट होकर अपनी सूझ -बूझ से कपड़े की तरह बुन कर रचना करके ऊपर के सतलोक आदि को भिन्न -2 सीमा युक्त स्वप्रकाशित अजर -अमर अर्थात अविनाशी ठहराए तथा नीचे के परब्रह्म के सात संख ब्रह्मांड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्मांड व इनमें छोटी से छोटी ⁹रचना भी उसी परमात्मा ने की है ।
Vishwakarma Puja 2022 पर जानिए शास्त्रानुकूल भक्ति विधि
पाठकों को यह जानना जरूरी है कि जिस ईश्वर ने इस पूरे ब्रह्मांड की रचना की है उसकी साधना करनी चाहिए, न कि उसके बनाए हुए देवी – देवताओं की। श्रीमद्भगवत गीता में बिल्कुल नहीं कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा के अलावा अन्य देवी -देवताओं की पूजा-साधना करो, फिर हम देवी -देवताओं की पूजा में व्यर्थ अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। परमात्मा हमें मानव जन्म केवल सद्भक्ति के लिए प्रदान करते हैं।
हमारे लिए हमारे वेदों पुराणों को पढ़ कर उन्हें समझ कर शास्त्रानुकूल भक्ति साधना करना ही हितकारी है। यदि हम ऐसा नहीं करते है तो परमात्मा से हमें जो सुख शांति मिलनी चाहिए वो वह कैसे दे सकता है।
कुछ प्रमाण श्रीमद्भगवत गीता से
- केवल पूर्ण परमात्मा से ही प्राणी पूर्ण मुक्त (जन्म-मरण रहित) हो सकता है, वही परमात्मा वायु की तरह हर जीवात्मा के ह्रदय में साथ रहता है। गीता ज्ञान दाता ने अर्जुन को कहा है कि मेरी पूजा भी त्याग कर उस एक परमात्मा की शरण जा तेरा पूर्ण छुटकारा अर्थात मोक्ष हो जाएगा। यह भी कहा कि मेरा भी पूज्य देव वही पूर्ण परमात्मा है। गीता – 18:62 और 66
- ब्रह्म लोक से लेकर ब्रह्मा, विष्णु शिव आदि के लोक तक सभी जन्म- मरण व प्रलय में है। इसलिए ये अविनाशी नहीं हैं। जिसके फलस्वरूप इनके उपासक (साधक) भी जन्म – मरण में ही हैं। गीता 8:17 व 9:7
- उस पूर्ण परमात्मा को छोड़कर अन्य देवी-देवताओं की, भूतों की, पितरों की पूजा मूर्खों की साधना है। इन्हें करने वालो को घोर नरक में डाला जाएगा। गीता 7:12-15, 20-23; अध्याय 9 श्लोक 25
- व्रत करने से भी भक्ति असफल है। गीता अध्याय 6 श्लोक 16
- जो शास्त्रानुकूल यज्ञ-हवन आदि (पूर्ण गुरु के माध्यम से) नहीं करते है वे पापी और चोर प्राणी हैं। गीता 3:12
- तत्व ज्ञान को जानने के लिए तत्वदर्शी संतों की खोज करना चाहिए। गीता 4:34
Also Read: Mahalaya: Only Worship the Supreme God Kabir
उपरोक्त प्रमाण सिद्ध करते हैं कि यदि हम मनमुखी पूजाएं करते हैं, शास्त्रानुकूल भक्ति नहीं करते हैं तो न हमें मोक्ष मिलता है, न अन्य लाभ मिलता है। आप स्वयं विचार करें और तत्वदर्शी संत रामपाल जी की शरण में जाकर अपने मनुष्य जीवन का कल्याण करवाएं क्योंकि बिना तत्वदर्शी संत के पूर्ण मुक्ति नहीं हो सकती है।
Vishwakarma Puja 2022 [Hindi]: केवल नाम आधार है कलयुग में मुक्ति साधन का
ध्यान दें और स्वयं निर्णय करें कि पूरी सृष्टि के रचनहार, परम पूज्य भगवान, जिनकी भक्ति साधना करनी चाहिए, जो हमें सर्व सुख देकर पूर्ण मुक्त कर सकता है वह यह देवी- देवता या विश्वकर्मा जी नहीं बल्कि पूर्ण ब्रह्म है जिनका नाम हमारे वेदों पुराणों, श्रीमद्भगवत गीता जी में कविर्देव हैं। वेद पुराण साक्षी हैं, जिनमें सर्व प्रमाण विद्यमान हैं ।
कबीर साहेब जी कहते हैं :-
कलयुग में जीवन थोड़ा है, कीजे बेग सम्भार ।
योग साधना बने नहीं, केवल नाम आधार। |
अर्थात, साहेब कबीर समझा रहे हैं कि पूर्व के युगों में मानव की आयु लम्बी होती थी ऋषि व साधक हठयोग करके हजारों वर्षों तक तप साधना करते रहते थे, अब कलयुग में मनुष्य की औसत आयु लगभग 75 -80 वर्ष रह गई इतने कम समय में पूर्व वाली हठयोग साधना नहीं कर सकोगे। इसलिए अतिशीघ्र पूर्ण गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन का शेष समय सम्भाल लें। भक्ति करके इसका सदुपयोग कर लें। यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों को पढ़ता रहा और नाम जाप किया नहीं तो वह भक्ति की शक्ति से रहित होकर नरक में गिरेगा और जिसने विधिवत दीक्षा लेकर नाम का जाप किया तो समझ लो उसने सर्व वेदों का रहस्य जान लिया ।
इसलिए जो सर्व का सृजनहार है, उस परम पूज्य परमात्मा की सद्भक्ति करके मानव जीवन का कल्याण करवाना ही हितकारी है। सर्व मानव समाज को चाहिए कि वे वेदों पुराणों से समझें कि सर्व मनमुखी पूजाएं व्यर्थ हैं।
सद्भक्ति केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के पास है
वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं जो वास्तविक तत्वज्ञान करा कर पूर्ण परमात्मा की पूजा आराधना बताते है। समझदार को संकेत ही काफी होता है। वह पूर्ण परमात्मा ही है जो हमारे धन में वृद्धि कर सकता है, सुख शांति दे सकता है व रोगरहित कर मोक्ष दिला सकता है। सर्व सुख और मोक्ष केवल तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से सम्भव है।
इसलिए सत्य को जाने और पहचान कर पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर अपने जीवन का कल्याण करवाएं। अधिक जानकारी के हेतु सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें, जीने की राह पुस्तक पढ़ें और शाम 7:30 से साधना चैनल पर मंगल प्रवचन सुने तथा जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से मुफ्त नाम की दीक्षा लें।
Vishwakarma Puja Quotes 2022 [Hindi]
- विश्वकर्मा जयंती पर क्यों करें आन उपास, उसको क्यों न पूजें जिसने रचा सकल संसार।
- भगति मुक्ति के दाता सतगुरु भटकत प्राण फ़िरंदा, उस साहिब को पूजिये जिसके हुकुम बिना नहीं तरुवर पात हिलन्दा।
- स्तुति करते बारम्बार विश्वकर्मा जी की, कि औज़ार दिए, काम दिया, कर दिया हमे निहाल। उस करतार को भूल्या बैठा, जिसने तुझे गर्भ में भी सम्भाला, जिसका तू है असली लाल।।
FAQs about Vishwakarma Jayanti [Hindi]
उत्तर:- विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है।
उत्तर:- विश्वकर्मा जी सर्वप्रथम इंजीनियर के रूप में जाने जाते हैं।
उत्तर:- विश्वकर्मा जी की जयंती के दिन लोग अपने औज़ारों को साफ कर विश्वकर्मा जी के तस्वीर के सामने रख कर उनकी पूजा करते हैं।
उत्तर:- विश्वकर्मा जी ने प्राचीन काल में अनगिनत शस्त्रों, औज़ारों तथा इमारतों का निर्माण किया था।